मानवता को जीवित जलाना मजहबियों के लिए कोई नवीन कृत्य नहीं

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-दिव्य अग्रवाल

मानवतावादी समाज इतिहास के पन्नो को विस्मृत कर देता है जिसके कारण वर्तमान में घटित होने वाली घटनाए अचंभित और आश्चर्यचकित लगती हैं । हमास द्वारा प्राणियों की निर्मम हत्या , जीवित जलाना , जीवित व्यक्ति का कलेजा निकालना , गर्भवती महिला का पेट चीरकर नवजात शिशु की हत्या करना , महिलाओ की अश्मिता को अपमानित करना, क्या यह सब नवीन घटनाएं हैं , क्या यह सब भयावह कृत्य किसी देश की लड़ाई के निमित किये जा रहे हैं, इसको समझने हेतु कुछ समय पूर्व मुगलकालीन शासन में जाइये जब मजहबी कटटरवादी सोच वाले लोगो ने भाई सतीदास को जीवित ही अग्नि के हवाले कर दिया था , भाई मतीदास को जिन्दा ही आरे से काट दिया था , भाई दयाला को जीवित ही उबलते पानी में पकाया था , कश्मीरी हिन्दुओ की बच्चियों के साथ सार्वजनिक एवं सामूहिक बलात्कार किया गया था । इसके अतिरिक्त न जाने कितनी ही अमानवीय वीभत्स घटनाएं हैं जिनकी परिकल्पना आज करना भी असहनीय और घोर पीड़ादायक है । अतः हमास या आई एस आई एस या अन्य किसी भी मजहबी संगठन द्वारा किये गए कृत्य किसी देश के विरोध में नहीं अपितु मजहब के निमित्त होते हैं । जिस प्रकार पुरे विश्व में यहूदियों का एक ही देश है और उस पर होने वाले अमानवीय कृत्यों का विरोध एक भी मजहबी संगठन या मजहबी समाज नहीं कर रहा है उसी प्रकार सनातनियो के लिए भी पूरे विश्व में एक भारत ही देश बचा है परन्तु भारत में ही बहुत सारी जनसंख्या ऐसी है जो कट्टरवादी मजहबी सोच को भारत में स्थापित करना चाहती है । कुछ मजहबी लोगों का तो यहाँ तक मानना है की अंग्रेजो से पहले उनके पूर्वज मुगलो का शासन भारत पर था इसलिए भारत को गजवा ए हिन्द बनाना उनका मूल उद्देश्य है अतः इजराइल पर रोने वाले मानवतावादियों को सिर्फ रोना नहीं बल्कि भारतीय इतिहास खगोलना चाहिए कि आज इजराइल जो में हो रहा है वो भारत के साथ बहुत पहले हो चुका है वह अलग बात है की उस समय वीडियोग्राफी नहीं थी और सभ्य समाज तक सारी घटनाओं की जानकारी नहीं पहुंच पाती थी आज भी जहां जहां मजहबी कट्टरवादियों की क्षमता है वहां पर अमानवीय कृत्य रूक नहीं रहे हैं इसलिए भविष्य हेतु मानवतावादियों को सजग एवं समर्थ होना आवश्यक है  ।

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