बच्चों का पन्ना दाँत का दर्द October 1, 2014 by बीनू भटनागर | Leave a Comment दाँत के दर्द ने बहुत सताया, तो डैंटिस्ट को जाकर दुखड़ा सुनाया। दाँत की जड़ से नहर निकाली, नहर का इलाज कराया। [root canal treatment] घिस घिस का दाँत आधा कर दिया, उसके ऊपर मुकुट[crown] पहनाया। एक दाँत निकाला, दो दाँतो पर फिर पुल[bridge] बनाया, डैंटिस्ट हैं या सिविल इंजीनियर, कंस्ट्रकशन मे बड़ा पैसा कमाया। […] Read more » दाँत का दर्द
बच्चों का पन्ना कविता में व्यथा September 28, 2014 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment उड़ते उड़ते तितली बोली, दादाजी क्या हाल चाल है| सुबह सुबह से लिखते रहते, यह तो सचमुच ही कमाल है| लिखो हमारे बारे में भी, कठिन दौर से गुजर रहे हैं| रस पीने अब कहाँ मिल्रॆगा, फूल नहीं अब निखर रहे हैं| पेड़ काट डाले लोगों ने, फूलों के पौधे भी ओझल| आज बचे जो […] Read more » कविता में व्यथा
बच्चों का पन्ना बचपन के मायने September 27, 2014 by लक्ष्मी जायसवाल | Leave a Comment अल्हड़पन, भोलापन और मासूमियत पहचान हैं यह सभी बचपन की, पर आज तो बचपन भी एडवांस हो गया है। लोरी दिलाती थी बचपन का एहसास सुलाती थी मीठे सपनों में और बनाती थी हमारी दुनिया को खास, पर आज लोरी की जगह ख़त्म हो गयी है जैसे वो किसी सुनहरी यादों में खो गयी है। […] Read more » बचपन के मायने
कविता बच्चों का पन्ना कविता : प्रतीक September 18, 2014 by मिलन सिन्हा | Leave a Comment मिलन सिन्हा यह पेड़ है हम सबका पेड़ है। इसे मत छांटो इसे मत तोड़ो इसे मत काटो इसे मत उखाड़ो इसे फलने दो इसे फूलने दो इसे हंसने दो इसे गाने दो यह पेड़ है हम सबका पेड़ है। इसपर सबके घोसले हैं कौआ का है, मैना का है बोगला का […] Read more » प्रतीक
बच्चों का पन्ना बड़ी चकल्लस है September 10, 2014 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment रोज रोज का खाना खाना. बड़ी चकल्लस है| दादी दाल भात रख देती.करती फतवा जारी| तुम्हें पड़ेगा पूरा खाना.नहीं चले मक्कारी| दादी का यह पोता देखो कैसा परवश है| बड़ी चकल्लस है| “भूख नहीं रहती है फिर भी कहते खालो खालो| घुसो पेट में मेरे भीतर.जाकर पता लगालो| तुम्हें मिलेगा पेट लबालब.भरा ठसाठस है|” बड़ी […] Read more » बड़ी चकल्लस है
बच्चों का पन्ना कबड्डी September 9, 2014 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment तूम तड़क्का धूम धड़क्का. सुन्ने का है वादा पक्का| तू तू तू तू तू तू बोलेंगे| आज कबड्डी फिर खेलेंगे| यह है अपना खेल पुराना| इसको भाई भूल न जाना| रोज कबड्डी हमें खिलायें| हम ओलंपिक पदक दिलायें| Read more » कबड्डी
बच्चों का पन्ना सूरज चाचा August 11, 2014 / August 11, 2014 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment सूरज चाचा कैसे हो, क्या पहले के जैसे हो, बिना दाम के काम नहीं, क्या तुम भी उनमें से हो? बोलो बोलो क्या लोगे? बादल कैसे भेजोगे? चाचा जल बरसाने का, कितने पैसे तुम लोगे? पानी नहीं गिराया है, बूँद बूँद तरसाया है, एक टक ऊपर ताक रहे, बादल को भड़काया है| […] Read more » सूरज चाचा
बच्चों का पन्ना एक नाटक- चलो सम्भल के April 9, 2014 / April 9, 2014 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 1 Comment on एक नाटक- चलो सम्भल के पात्र एक बड़ा बच्चा सूत्रधार एक बच्चा ड्राइवर { ड्राइवर की वेस भूसा में } दूसरा बच्चा स्कूल बस {पीले कपड़ों में } चार बच्चों की प्रथम टोली { स्कूल ड्रेस में } चार बच्चों की […] Read more » नाटक- चलो सम्भल के
बच्चों का पन्ना बिना परीक्षा March 7, 2014 / March 7, 2014 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment बिना परीक्षा दिये छिपकली, हो गई पहली कक्षा पास| दीवारों पर घूम रही थी, फिर भी चिंतित और उदास| बिना परिश्रम मिली सफलता, उसे न बिलकुल भाई है| फिर से पहली कक्षा में ही, नाम लिखाने आई है| Read more » बिना परीक्षा
बच्चों का पन्ना अच्छा नाम January 16, 2014 / January 18, 2014 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 1 Comment on अच्छा नाम तीन पांच तू मत कर छोटू, मैं दो चार लगाऊंगा| तेरे सिर पर बहुत चढ़े हैं, मैं सब भूत भगाऊंगा| यही ठीक होगा अब बेटे, मेरे सम्मुख ना आना, जब भी पड़े सामना मुझसे, नौ दो ग्यारह हो जाना| कभी न पड़ा तीन तेरह में, सीधा सच्चा काम रहा| नहीं चार सौ बीसी सीखी| इससे […] Read more » poem अच्छा नाम
बच्चों का पन्ना दादाजी का डंडा January 16, 2014 / January 18, 2014 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment दादाजी से झगड़ रहा था, उस दिन टंटू पंडा| मुरगी पहले आई दादा, या फिर पहले अंडा| दादा बोले व्यर्थ बात पर, क्यों बकबक का फंडा| काम धाम कुछ ना करता तू, आवारा मुस्तंडा| इतना कहकर दादा दौड़े, लेकर मोटा डंडा| इससे पूछो मुरगी आया, या फिर पहले अंडा| Read more » poem दादाजी का डंडा
बच्चों का पन्ना सच्चा मित्रः कविता December 29, 2013 / December 30, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment सच्चा मित्र झगड़ू बंदर ने रगड़ू, भालू से हाथ मिलाया| बोला तुमसे मिलकर तो, प्रिय बहुत मज़ा है आया| रगड़ू बोला हाथ मिले, तो मन भी तो मिल जाते| अच्छे मित्र वही होते, जो काम समय पर आते| कठिन समय पर काम नहीं, जो कभी […] Read more » poem सच्चा मित्र कविता