बच्चों का पन्ना गरीब बच्चों के लिये बाल दिवस का क्या मतलब ? November 14, 2014 / November 15, 2014 by मिलन सिन्हा | 1 Comment on गरीब बच्चों के लिये बाल दिवस का क्या मतलब ? मिलन सिन्हा फिर बाल दिवस आ गया और चाचा नेहरु का जन्म दिवस भी । फिर अनेक सरकारी- गैर सरकारी आयोजन होंगे । स्कूलों में पिछले वर्षों की भांति कई कार्यक्रमों का आयोजन होगा, ढेरों बातें होंगी, बच्चों की भलाई के लिए ढेर सारे वादे किये जायेंगे, तालियां बजेंगी, मीडिया में तमाम ख़बरें होंगी […] Read more » Bal Divas Bal Divas & Poor Child Poor Child गरीब बच्चे बाल दिवस बाल दिवस और गरीब बच्चे बाल दिवस का मतलब
बच्चों का पन्ना मीडिया बाल पत्रकारिता : संभावना एवं चुनौतियां November 13, 2014 / November 15, 2014 by मनोज कुमार | Leave a Comment 14 नवम्बर बाल दिवस पर विशेष लेख मनोज कुमार बीते 5 सितम्बर 2014, शिक्षक दिवस के दिन जब देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बच्चों से रूबरू हो रहे थे तब उनके समक्ष देशभर से हजारों की संख्या में जिज्ञासु बच्चे सामने थे। अपनी समझ और कुछ झिझक के साथ सवाल कर रहे थे। इन्हीं हजारों […] Read more » बाल पत्रकारिता
बच्चों का पन्ना भाई दूज November 3, 2014 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment भाई दूज पर भालू ने, हथनी को बहन बनाया| उसके हाथों से माथे पर, लाल तिलक लगवाया| फिर बोला वह प्यारी बहना, मीठा तो खिलवाओ| हथनी बोली भैया पहले, सौ का नोट दिखाओ| Read more » भाई दूज
बच्चों का पन्ना अक्ल बड़ी या भैंस November 3, 2014 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment प्रभुदयाल श्रीवास्तव अक्ल बड़ी या भैंस मेंडम ने मुन्ना से पूछा, जरा दिमाग लगाओ| अक्ल बड़ी या भैंस बड़ी है, मुझे अभी समझाओ| मुन्ना बोला अभी बताता, बिल्कुल ना घबराओ| पहले उन दोनों की मुझको, जन्म दिनांक बताओ| Read more » अक्ल बड़ी या भैंस
बच्चों का पन्ना दाँत का दर्द October 1, 2014 by बीनू भटनागर | Leave a Comment दाँत के दर्द ने बहुत सताया, तो डैंटिस्ट को जाकर दुखड़ा सुनाया। दाँत की जड़ से नहर निकाली, नहर का इलाज कराया। [root canal treatment] घिस घिस का दाँत आधा कर दिया, उसके ऊपर मुकुट[crown] पहनाया। एक दाँत निकाला, दो दाँतो पर फिर पुल[bridge] बनाया, डैंटिस्ट हैं या सिविल इंजीनियर, कंस्ट्रकशन मे बड़ा पैसा कमाया। […] Read more » दाँत का दर्द
बच्चों का पन्ना कविता में व्यथा September 28, 2014 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment उड़ते उड़ते तितली बोली, दादाजी क्या हाल चाल है| सुबह सुबह से लिखते रहते, यह तो सचमुच ही कमाल है| लिखो हमारे बारे में भी, कठिन दौर से गुजर रहे हैं| रस पीने अब कहाँ मिल्रॆगा, फूल नहीं अब निखर रहे हैं| पेड़ काट डाले लोगों ने, फूलों के पौधे भी ओझल| आज बचे जो […] Read more » कविता में व्यथा
बच्चों का पन्ना बचपन के मायने September 27, 2014 by लक्ष्मी जायसवाल | Leave a Comment अल्हड़पन, भोलापन और मासूमियत पहचान हैं यह सभी बचपन की, पर आज तो बचपन भी एडवांस हो गया है। लोरी दिलाती थी बचपन का एहसास सुलाती थी मीठे सपनों में और बनाती थी हमारी दुनिया को खास, पर आज लोरी की जगह ख़त्म हो गयी है जैसे वो किसी सुनहरी यादों में खो गयी है। […] Read more » बचपन के मायने
कविता बच्चों का पन्ना कविता : प्रतीक September 18, 2014 by मिलन सिन्हा | Leave a Comment मिलन सिन्हा यह पेड़ है हम सबका पेड़ है। इसे मत छांटो इसे मत तोड़ो इसे मत काटो इसे मत उखाड़ो इसे फलने दो इसे फूलने दो इसे हंसने दो इसे गाने दो यह पेड़ है हम सबका पेड़ है। इसपर सबके घोसले हैं कौआ का है, मैना का है बोगला का […] Read more » प्रतीक
बच्चों का पन्ना बड़ी चकल्लस है September 10, 2014 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment रोज रोज का खाना खाना. बड़ी चकल्लस है| दादी दाल भात रख देती.करती फतवा जारी| तुम्हें पड़ेगा पूरा खाना.नहीं चले मक्कारी| दादी का यह पोता देखो कैसा परवश है| बड़ी चकल्लस है| “भूख नहीं रहती है फिर भी कहते खालो खालो| घुसो पेट में मेरे भीतर.जाकर पता लगालो| तुम्हें मिलेगा पेट लबालब.भरा ठसाठस है|” बड़ी […] Read more » बड़ी चकल्लस है
बच्चों का पन्ना कबड्डी September 9, 2014 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment तूम तड़क्का धूम धड़क्का. सुन्ने का है वादा पक्का| तू तू तू तू तू तू बोलेंगे| आज कबड्डी फिर खेलेंगे| यह है अपना खेल पुराना| इसको भाई भूल न जाना| रोज कबड्डी हमें खिलायें| हम ओलंपिक पदक दिलायें| Read more » कबड्डी
बच्चों का पन्ना सूरज चाचा August 11, 2014 / August 11, 2014 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment सूरज चाचा कैसे हो, क्या पहले के जैसे हो, बिना दाम के काम नहीं, क्या तुम भी उनमें से हो? बोलो बोलो क्या लोगे? बादल कैसे भेजोगे? चाचा जल बरसाने का, कितने पैसे तुम लोगे? पानी नहीं गिराया है, बूँद बूँद तरसाया है, एक टक ऊपर ताक रहे, बादल को भड़काया है| […] Read more » सूरज चाचा
बच्चों का पन्ना एक नाटक- चलो सम्भल के April 9, 2014 / April 9, 2014 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 1 Comment on एक नाटक- चलो सम्भल के पात्र एक बड़ा बच्चा सूत्रधार एक बच्चा ड्राइवर { ड्राइवर की वेस भूसा में } दूसरा बच्चा स्कूल बस {पीले कपड़ों में } चार बच्चों की प्रथम टोली { स्कूल ड्रेस में } चार बच्चों की […] Read more » नाटक- चलो सम्भल के