बच्चों का पन्ना नया साल February 20, 2013 / February 20, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment नया साल सुंदर सपना, हम तुम सबका है अपना| हममें बची बुराई जो, चलो कहीं आयें दफना| हमें शपथ अब लेना है, काम सदा अच्छे करना| अच्छाई के साथ रहें, सदा बुराई से लड़ना|| बहुत कठिन है डगर अभी, व्यर्थ काम में क्यों पड़ना| आयें राह में रोड़े तो, उनसे […] Read more »
बच्चों का पन्ना हम जासूसी नहीं करेंगे February 18, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment रोहन और हेमा ने स्कूल से आकर जैसे ही घर में प्रवेश किया कि बाहर के आंगन में एक चटाई पर दादाजी बैठे दिखे|उन्हें किसी काम में तल्लीन देखकर दोनों ठिठककर वहीं रुक गये|हेमा ने कुछ कहना चाहा तो रोहन ने ओंठों पर अंगुली रखकर चुप रहने का इशारा किया|दोंनों आंगन में रखी कार […] Read more » हम जासूसी नहीं करेंगे
बच्चों का पन्ना अच्छी बात खराब बात February 16, 2013 / February 16, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 1 Comment on अच्छी बात खराब बात मुझे रिश्वत खाना सिखा दो न प्लीज़” टोनी अपने पिता लुईस मरांडा के दोनों हाथ कुहनियों के पास पकड़कर जोर से बोला| मिरांडा आश्चर्य से टॊनी की तरफ देखने लगा,यह विचित्र बात टोनी के दिमाग में कहां से आई, उसने सोचा| “नहीं बेटे रिश्वत खाना अच्छी बात नहीं है” मिरांडा ने बेटे को समझाना चाहा| […] Read more » अच्छी बात खराब बात
बच्चों का पन्ना अंधकार की नहीं चलेगी February 10, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 1 Comment on अंधकार की नहीं चलेगी मां बोली सूरज से बेटे,सुबह हुई तुम अब तक सोये| देख रही हूं कई दिनों से,रहते हो तुम खोये खोये| जब जाते हो सुबह काम पर,डरे डरे से तुम रहते हो| क्या है बोलो कष्ट तुम्हें प्रिय,साफ साफ क्यों रहते हो| सूरज बोला सुबह सुबह ही, कोहरा मुझे ढांप लेता है| निकल सकूं कैसे चंगुल […] Read more » अंधकार की नहीं चलेगी
बच्चों का पन्ना बेईमानी का फल February 6, 2013 / February 6, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment मिली नौकरी चूहेजी को, बस के कंडेक्टर की| लगे समझने बस को जैसे, खेती हो वह घर की| बस में बैठे सभी मुसाफिर, उनसे टिकिट मंगाते| पैसे तो वे सबसे लेते, पर ना टिकिट बनाते| पूछा लोगों ने चूहेजी, यह कैसी बेईमानी| सरकारी पैसे से क्यों , करते हो छेड़ाखानी| बोला..टिकिट बनाता […] Read more »
बच्चों का पन्ना मिलो और मुस्कराओ February 2, 2013 / February 2, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 2 Comments on मिलो और मुस्कराओ आखिर जिस बात का अंदेशा था वही हुआ|रमाकांत की म्रृत्यु के बाद उनके दोनों बेटों में ठन गई|मां रेवती के लाख समझाने पर भी राधाकांत पिताजी की जायदाद के बँटवारे की बात करने लगा|छोटा बेटा कृष्णकांत वैसे तो खुलकर कुछ नहीं कह रहा था परंतु बड़े भाई के व्यवहार से दुखी होकर उसने भी बँटवारे […] Read more »
बच्चों का पन्ना राजा के बड़े बड़े कान January 31, 2013 / January 31, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 2 Comments on राजा के बड़े बड़े कान एक राजा था| बड़ा सदाचारी प्रजा पालक और दयावान था|शरीर से तो संपूर्ण स्वस्थ था किंतु उसके कान बहुत बड़े बड़े थे इस कारण बेचारा बहुत दुखी रहता था|अपने कानों को हमेशा पगड़ी में छुपा कर रखता था|रानी के अलावा किसी को भी उसका यह राज मालूम नहीं था| हां केवल राजा के नाई को […] Read more »
बच्चों का पन्ना जो चलता अपने पैरों पर January 30, 2013 / January 30, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment भर्र भर्र कर बस चलती है, टर टर टर करता स्क्रूटर| ढर्र ढर्र कर चले टेंपो, ट्रेन चला करती है सर सर| तीन चके का होता रिक्शा, दौड़े सड़कों पर फर फर फर| किन्तु सायकिल हाय बेचारी, दो पहियों पर चलती छर छर| जहाँ ट्रेक्टर और बुल्डोज़र, करते रहते घर्र घर्र घर| वहीं लक्ज़री कारें […] Read more »
बच्चों का पन्ना कहां खो गया है बचपन January 29, 2013 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment सैयद अनीसुल हक़ हाल के दिनों राजधानी दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में महिलाओं के साथ हो रही बदसलूकी को किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं किया जा सकता है। पूरी दुनिया में महिलाओं और बच्चों के अधिकार और सरंक्षण के लिए कई सरकारी और गैर सरकारी संगठनें सक्रिय भूमिका अदा कर रही हैं। […] Read more »
बच्चों का पन्ना सब ओलंपिक जीत लिये हैं January 21, 2013 / January 21, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment मम्मी किसको डाले दाने, चिड़ियों के अब नहीं ठिकाने| पितृ पक्ष में पापा कहते, कौये जाने कहां रमाने| तरस गईं हैं कब से दादी, नील कंठ के दर्शन पाने| मुर्गे अब तैयार नहीं हैं, सुबह सुबह से बांग लगाने| नहीं दिख रहे अब कठ फोड़े, कहां चले गये हैं न जाने| […] Read more »
बच्चों का पन्ना कड़क ठंड है January 16, 2013 / January 16, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 1 Comment on कड़क ठंड है कितनी ज्यादा कड़क ठंड है करते सी-सी पापा, दादा कहते शीत लहर है कैसे कटे बुढ़ापा। बरफ पड़ेगी मम्मी कहतीं ओढ़ रजाई सोओ, किसी बात की जिद मत करना अब बिलकुल न रोओ। किंतु घंटे दो घंटे में पापा चाय मंगाते बार बार मम्मीजी को ही, बिस्तर से उठवाते। दादा कहते गरम […] Read more »
बच्चों का पन्ना आसमान में छेद कराते दादाजी January 15, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment कड़क चाय मुझको पिलवाते दादाजी| काजू या बादाम खिलाते दादाजी| थाली में भर भर कर चंदा की किरणे, मुझे चांदनी में नहलाते दादाजी| कभी कभी जब मैं जिद पर अड़ जाता हूं, तोड़ गगन से लाते तारे दादाजी| मुझको जब भी लगती है ज्यादा गरमी, बादल से सूरज ढकवाते दादाजी| नहीं […] Read more »