चंदा मामा कयों कहलाता,
पास नहीं वो कभी भी आता,
दूर खड़ा बस इतराता है।
बिल्ली मौसी क्यों कहलाती,
नहीं कहानी कभी सुनाती,
दूध हमारा वो पी जाती,।
वानर पूर्वज क्यों कहलाते,
घूर घूर कर हमे डराते,
रोटी हाथ से छीन ले जाते,।
तितली दिखती इतनी सुन्दर,
हाथ क्यों नहीं कभी भी आती,
छूने से पहले उड़ जाती।
आम पेड़ पर लगे क्यों ऊँचे,
हाथ हमारा वहां न पंहुंचे,
देख दूर से बस मन ललचे।
कविता मनमोहक है।
विजय निकोर