चिंतन आज की सबसे बड़ी समस्या मूर्ख और नादान लोग August 16, 2013 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on आज की सबसे बड़ी समस्या मूर्ख और नादान लोग डॉ. दीपक आचार्य जो लोग समझदार हैं, जिन्हें ईश्वर ने पर्याप्त बुद्धि से नवाजा है उन सभी प्रकार के लोगों में से अधिकांश लोगों के सामने जीवन की कोई और समस्या या पीड़ा हो न हो, मूर्ख और नासमझ लोग उनके लिए पूरी जिन्दगी समस्या बने रहते हैं। समझदार लोग चाहे कहीं रहें, उनका हर […] Read more »
चिंतन जश्न ही न मनाएँ देश के लिए कुछ करें भी August 14, 2013 / August 14, 2013 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य पिछले 66 साल से हम आजादी के पर्व का जश्न मनाते आ रहे हैं। इस दिन हम स्वतंत्रता सेनानियों और संग्राम में भागीदारी निभाने वाले लोगों को सिर्फ याद कर लिया करते हैं, उनके नामों की फेहरिश्त पढ़ लिया करते हैं और राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता की रक्षा के नाम पर […] Read more »
चिंतन निडर होकर करें बेबाक अभिव्यक्ति फिर देखें इसका चमत्कार August 7, 2013 / August 7, 2013 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य मन-मस्तिष्क और चेतन-अवचेतन को शुद्ध-बुद्ध बनाए रखने और संकल्प को बलवान बनाने के लिए यह जरूरी है कि अपने दिमाग में जो भी बात आए, उसे यथोचित स्थान पर पहुंचाने में तनिक भी विलंब नहीं करें और तत्काल सम्प्रेषित करें। बाहरी दुनिया के लिए तैयार और अपने मन-मस्तिष्क से बाहर निकल कर […] Read more » बेबाक अभिव्यक्ति
चिंतन प्रोत्साहन भले न दें प्रतिभाओं की हत्या तो न करें July 30, 2013 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य दुनिया में हर क्षेत्र में प्रतिभाओं का जन्म होता रहा है और उनकी वजह से विश्व समुदाय को कुछ न कुछ प्राप्त होता ही है। भगवान ने मनुष्य को सभी प्राणियाें में सबसे ज्यादा बुद्धि, कौशल और मौलिक प्रतिभाओं के साथ भेजा है और इस मामले में कोई किसी से कम नहीं […] Read more » प्रतिभाओं की हत्या तो न करें
चिंतन यक्ष-प्रश्न- अन्तिम समापन कड़ी / बिपिन किशोर सिन्हा July 18, 2013 / July 19, 2013 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment यक्ष-प्रश्न (३१) – मधुर वचन बोलनेवाले को क्या मिलता है? सोच-विचारकर काम करनेवाला क्या पा लेता है? जो बहुत-से मित्र बना लेता है, उसे क्या लाभ होता है? और जो धर्मनिष्ठ है, उसे क्या मिलता है? युधिष्ठिर – मधुर वचन बोलनेवाला सबको प्रिय होता है। सोच-विचारकर काम करनेवाले को अधिकतर सफलता मिलती है। जो बहुत […] Read more »
चिंतन “सेकुलर” अर्थात् धर्मनिरपेक्षता: राक्षसी भावना अथवा संवैधानिक मूल्य July 14, 2013 / July 19, 2013 by प्रोफेसर महावीर सरन जैन | 63 Comments on “सेकुलर” अर्थात् धर्मनिरपेक्षता: राक्षसी भावना अथवा संवैधानिक मूल्य प्रोफेसर महावीर सरन जैन टॉइम्स ऑफ इंडिया समाचार पत्र में समाचार प्रकाशित हुआ है कि नरेंद्र मोदी ने “डॉटकॉम पोस्टर बॉय्ज़” राजेश जैन एवं बी. जी. महेश को यह दायित्व सौंपा है कि वे इंटरनेट पर ऐसा अभियान चलावें जिससे सन् 2014 के लोक सभा के होने वाले आम चुनावों में भाजपा को 275 सीटें […] Read more » “सेकुलर” अर्थात् धर्मनिरपेक्षता: राक्षसी भावना अथवा संवैधानिक मूल्य राक्षसी भावना अथवा संवैधानिक मूल्य
चिंतन श्रेष्ठ संस्कार से ही श्रेष्ठ समाज का निर्माण होता है July 10, 2013 / July 10, 2013 by डॉ. सौरभ मालवीय | Leave a Comment किसी भी समाज को चिरस्थायी प्रगत और उन्नत बनाने के लिए कोई न कोई व्यवस्था देनी ही पडती है और संसार के किसी भी मानवीय समाज में इस विषय पर भारत से ज्यादा चिंतन नहीं हुआ है। कोई भी समाज तभी महान बनता है जब उसके अवयव श्रेष्ठ हों। उन घटकों को श्रेष्ठ बनाने के […] Read more » श्रेष्ठ संस्कार से ही श्रेष्ठ समाज का निर्माण होता है
चिंतन धर्म-अध्यात्म मनचाहा परिवर्तन जरूर पाएँ पर गलाकाट प्रतिस्पर्धा से नहीं July 8, 2013 / July 8, 2013 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on मनचाहा परिवर्तन जरूर पाएँ पर गलाकाट प्रतिस्पर्धा से नहीं अनचाहे से बचना और मनचाहे की प्राप्ति के लिए प्रयत्न करना प्रत्येक मनुष्य का परंपरागत स्वभाव रहा है और इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए यदि किसी भी प्रकार का प्रयास किया जाए तो अपने हित में हो, उसे बुरा नहीं कहा जा सकता है। लेकिन जब इस प्रकार का कोई प्रयास किसी दूसरे का […] Read more » मनचाहा परिवर्तन जरूर पाएँ पर गलाकाट प्रतिस्पर्धा से नहीं
चिंतन धर्म-अध्यात्म उत्तराखण्ड आपदा से सबक लें धर्म के नाम पर धंधा चलाने वाले July 2, 2013 by डॉ. दीपक आचार्य | 2 Comments on उत्तराखण्ड आपदा से सबक लें धर्म के नाम पर धंधा चलाने वाले धर्म और अध्यात्म वे मार्ग हैं जो संसार की यात्राओं की परिपूर्णता अथवा सांसारिकता से वैराग्य अथवा अनासक्त जीवन से जुड़े हैं और इन रास्तों पर चलने वाले लोगों को अधर्म, अनाचार आदि सब कुछ छोड़ छुड़ा कर इस मार्ग की ओर आना चाहिए तभी वे सफल हो पाते हैं। सदाचार, शुचिता, ईश्वर के प्रति […] Read more » उत्तराखण्ड आपदा से सबक लें धर्म के नाम पर धंधा चलाने वाले
चिंतन धर्म-अध्यात्म इंसानियत अपनाएं वरना बहा ले जाएंगी नदियाँ July 1, 2013 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment इतना विराट महाप्रलय…. लाशों का अंबार….भूख और प्यास के मारे दम तोड़ती जिन्दगियाँ….नदियों का रौद्र रूप….कहीं वीरानी, सन्नाटा और कहीं चीख-चीत्कार….घोड़ों और खच्चरों की मौत…बस्तियां बह गई और आदमी बेघर हो गए, उजड़ गए परिवार, कुटुम्बी खो गए और भगवान भोलेनाथ केदार रह गए अकेले… जैसे पहले थे और रहे हैं। इस महाप्रलय ने जितना […] Read more » इंसानियत अपनाएं वरना बहा ले जाएंगी नदियाँ
चिंतन धर्म-अध्यात्म नज़रों से गिर जाते हैं टाईमपास और कामटालू लोग July 1, 2013 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on नज़रों से गिर जाते हैं टाईमपास और कामटालू लोग मनुष्य का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि उसे जो अवसर दिए जाते हैं। जिन शक्तियों से समृद्ध किया जाता है और अपने आपको मनुष्यत्व से दैवत्व तक ले जाने के जो मौके दिए जाते हैं। उनका वह या तो उपयोग नहीं कर पाता है अथवा अपने छोटे-मोटे स्वार्थों और घृणित हितों से घिर जाता […] Read more » नज़रों से गिर जाते हैं टाईमपास और कामटालू लोग
चिंतन संप्रदाय धर्म के विकास का चरण नही होता June 27, 2013 / June 27, 2013 by राकेश कुमार आर्य | 6 Comments on संप्रदाय धर्म के विकास का चरण नही होता डार्विन के विकासवाद के सिद्धान्त ने कुछ लोगों को बहुत अधिक भ्रमित कर दिया ऐसे भ्रमित लोगों का तर्क होता है कि धर्म का विकास धीरे-धीरे हुआ और जैन,बौध,इसाइयत और इस्लाम धर्म के विकास के अगले चरण हैं। उनका मानना है कि इन सब धर्मों के सम्मिलित प्रयास से धर्म का वास्तविक स्वरूप बनकर के […] Read more » संप्रदाय धर्म के विकास का चरण नही होता