चिंतन धर्म-अध्यात्म आज के पार्थ सारथी April 17, 2016 by गोपाल बघेल 'मधु' | 3 Comments on आज के पार्थ सारथी पहले के पार्थ सारथी कृष्ण को लगभग ३५०० वर्षों बाद हम में से कुछ लोग अब कुछ समझ पाए हैं । उस समय के अधिकाँश लोग उनके असली स्वरूप को पहचान नहीं पाए थे । पार्थ सारथी कृष्ण, महाभारत में पार्थ (अर्जुन) के सारथी रहे । वे रथ पर पार्थ के साथ रहे । वे […] Read more » आज के पार्थ सारथी
चिंतन धर्म-अध्यात्म सृष्टि का रचयिता ईश्वर ही है April 16, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हम मनुष्य हैं और पृथिवी पर जन्में हैं। पृथिवी माता के समान अन्न, फल, गोदुग्ध आदि पदार्थों से हमारा पोषण व रक्षण करती है। हमारे शरीर में दो आंखे बनाई गईं हैं जिनसे हम संसार की वस्तुओं को देखते वा उन्हें अनुभव करते हैं। हम पृथिवी व उसकी सतह के ऊपर स्थित […] Read more » ईश्वर सृष्टि का रचयिता
चिंतन धर्म-अध्यात्म आर्यसमाज का देश की धार्मिक, सामाजिक, शिक्षा व स्वतन्त्रता सहित सभी क्षेत्रों में प्रमुख योगदान April 10, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment आर्यसमाज के 141 वें स्थापनादिवस 10 अप्रैल, 2016 पर मनमोहन कुमार आर्य विश्व में अनेक धार्मिक व सामाजिक संगठन हैं जिनमें आर्यसमाज एक प्रमुख व अग्रणीय संगठन है। यदि इतिहास व अवधि के आधार पर देखें तो आर्यसमाज अन्य संगठनों की तुलना में अर्वाचीन है। आर्यसमाज की स्थापना 141 वर्ष पूर्व गुजरात के टंकारा […] Read more » आर्यसमाज आर्यसमाज के 141 वें स्थापनादिवस देश धार्मिक योगदान शिक्षा सामाजिक स्वतन्त्रता
चिंतन धर्म-अध्यात्म वैदिक प्राचीन पर्व नव संवत्सर April 9, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य के जीवन में पर्वों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वर्ष या संवत्सर के रूप में पर्व को इस रूप में जान सकते हैं कि एक वर्ष की समाप्ती व उसके अगले दिन से दूसरे वर्ष का आरम्भ। मनुष्य जीवन में एक शिशु के रूप में जन्म लेता है और समय के […] Read more » वैदिक प्राचीन पर्व नव संवत्सर
चिंतन धर्म-अध्यात्म प्रथम आर्यसमाज की स्थापना की पृष्ठभूमि और उसके प्रेरक लोग April 9, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment आर्यसमाज स्थापना दिवस 10 अप्रैल के अवसर पर प्रथम आर्यसमाज की स्थापना की पृष्ठभूमि और उसके प्रेरक लोग मनमोहन कुमार आर्य हमें एक आर्यबन्धु ने पूछा है कि आर्यसमाज की स्थापना का महर्षि दयानन्द जी को सुझाव किन आर्य-श्रेष्ठियों ने दिया था? हम सब यह तो जानते हैं कि आर्यसमाज की स्थापना महर्षि दयानन्द ने […] Read more » आर्यसमाज की स्थापना आर्यसमाज स्थापना दिवस 10 अप्रैल
चिंतन धर्म-अध्यात्म वैदिक मान्यतायें ही धर्म व इतर विचारधारायें मत-पन्थ-सम्प्रदाय April 7, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य धर्म शब्द की उत्पत्ति व इसका शब्द का आरम्भ वेद एवं वैदिक साहित्य से हुआ व अन्यत्र फैला है। संसार का सबसे प्राचीन ग्रन्थ वेद है। वेद ईश्वर प्रदत्त वह ज्ञान है जो सब सत्य विद्याओं की पुस्तक है। यह ज्ञान सृष्टि के आरम्भ में इस संसार के रचयिता परमेश्वर वा सृष्टिकर्त्ता […] Read more » इतर विचारधारा धर्म मत-पन्थ-सम्प्रदाय वैदिक मान्यता
चिंतन धर्म-अध्यात्म पं. ब्रह्मदत्त जिज्ञासु एवं उनका अप्राप्य व अप्रकाशित यजुर्वेद भाष्य विवरण April 2, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आचार्य पं. ब्रह्मदत्त जिज्ञासु जी (1892-1964) महर्षि दयानन्द जी के प्रमुख अनुयायियों में से एक थे। उनका सारा जीवन संस्कृत भाषा की आर्ष व्याकरण के पठन-पाठन व प्रचार सहित महर्षि दयानन्द एवं आर्यसमाज के वेद प्रचार एवं शुद्धि आदि कार्यों को समर्पित रहा। उनके अनेक कार्यों में से एक प्रसिद्ध एवं […] Read more »
चिंतन धर्म-अध्यात्म हे मनुष्य ! तू ईश्वर के निज नाम ‘ओ३म्’ का स्मरण कर अपने सभी दुःखों को दूर कर March 30, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य अपने सारे जीवन में अपने दुःखों की निवृत्ति में लगा रहता है फिर भी यदि जीवन के अन्तिम भाग में किसी समय किसी शिक्षित व सम्पन्न मनुष्य से पूछा जाये कि क्या वह दुःख मुक्त व पूर्णतया सुखी है तो उत्तर प्रायः न में ही मिलता है। इसका कारण केवल एक […] Read more » ‘ओ३म्’ का स्मरण सभी दुःखों को दूर कर
चिंतन धर्म-अध्यात्म क्या हमारा पहले एक व अनेक बार मोक्ष हुआ है? March 25, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य योनि मोक्ष का द्वार है। मोक्ष दुःखों से सर्वथा निवृत्ति और जन्म-मरण के बन्धन से मुक्ति को कहते हैं। मनुष्य व अन्य प्राणियों की आत्माओं का जन्म उनके पूर्व मुनष्य जन्मों के शुभ व अशुभ कर्मों के फलों के भोग के लिए होता है। ऐसी शास्त्रीय मान्यता है कि जब मनुष्य […] Read more » मोक्ष
चिंतन धर्म-अध्यात्म व्रत, तप, तीर्थ व दान का वैदिक सत्य स्वरूप December 25, 2015 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on व्रत, तप, तीर्थ व दान का वैदिक सत्य स्वरूप मनमोहन कुमार आर्य भारत में सबसे अधिक पुरानी, आज भी प्रासंगिक, सर्वाधिक लाभप्रद व सत्य मूल्यों पर आधारित धर्म व संस्कृति ‘‘वैदिक धर्म व संस्कृति” ही है। महाभारत काल के बाद अज्ञान व अंधविश्वास उत्पन्न हुए और इसका नाम वैदिक धर्म से बदल कर हिन्दू धर्म हो गया। हम सभी हिन्दू परिवारों में उत्पन्न हुए […] Read more » Featured तप तीर्थ व दान का वैदिक सत्य स्वरूप व्रत
चिंतन समस्याओं का मूल कहां है ? June 17, 2015 / June 17, 2015 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- हर मनुष्य सफल होना चाहता है और सफलता के लिये जरूरी है समस्याओं से संघर्ष। समस्याओं रूपी चुनौतियों का सामना करने, उन्हें सुलझाने में जीवन का उसका अपना अर्थ छिपा हुआ है। समस्याएं तो एक दुधारी तलवार होती है, वे हमारे साहस, हमारी बुद्धिमता को ललकारती है और दूसरे शब्दों में वे हममें […] Read more » Featured जिंदगी जीवन परेशानी बुद्धि समस्याओं का मूल कहां है ? समाधान हल
चिंतन लौट आओ तुम June 16, 2015 by रवि कुमार छवि | Leave a Comment -रवि कुमार छवि- रात के करीब 10 बजे है। रसोई में रखे खाली बर्तन निशब्द थे. पिंकी और सोनू आज जल्दी सो गए थे.रसोई में लगा एक बल्ब पूरे घर को रोशन कर रहा था। आज राधिका की बहुत याद आ रही थी सोचा कि एक खत लिख दूं । सोचा कि दवाई पी लूं […] Read more » Featured लौट आओ तुम व्यंग्य