चिंतन कौन करेगा वरिष्ठ नागरिकों की रखवाली ? December 11, 2014 / December 11, 2014 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment आज कल मुंबई जैसे महानगर में वरिष्ठ नागरिकों को सुरक्षित रह पाना मुश्किल हो गया है । खास कर अकेले रह रहे निराश्रित वरिष्ठ नागरिकों का । हाल ही मे पालघर जिले के दहानु में रहने वाले वरिष्ठ पारसी दंपति की हत्या कर दी । यह दंपति अकेले रहते थे । इसके पूर्व भी […] Read more » who will care for senior citizens वरिष्ठ नागरिकों की रखवाली
चिंतन धर्म-अध्यात्म ‘ईश्वर व उसकी उपासना पद्धतियां – एक वा अनेक?’ November 13, 2014 / November 15, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment हम संसार में देख रहे हैं कि अनेक मत-मतान्तर हैं। सभी के अपने-अपने इष्ट देव हैं। कोई उसे ईश्वर के रूप में मानता है, कोई कहता है कि वह गाड है और कुछ ने उसका नाम खुदा रखा हुआ है। जिस प्रकार भिन्न-भिन्न भाषाओं में एक ही संज्ञा – माता के लिए मां, अम्मा, माता, […] Read more » ‘ईश्वर व उसकी उपासना पद्धतियां - एक वा अनेक?’ god and the ways of their worship
चिंतन जन-जागरण समाज ‘हमारा स्वर्णिम अतीत और देश की अवनति के कारणों पर विचार’ October 29, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ओ३म् संसार में वैदिक धर्म व संस्कृति सबसे प्राचीन है। इसका आधार चार वेद – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद हैं। वेदों का लेखक कोई मनुष्य या ऋषि-मुनि नहीं अपितु परम्परा से इसे ईश्वर प्रदत्त बताया जाता है। वैदिक प्रमाणों एवं विचार करने पर ज्ञात होता […] Read more » ‘हमारा स्वर्णिम अतीत और देश की अवनति के कारणों पर विचार’
चिंतन हांफती जिंदगी और त्योहार…!! October 1, 2014 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा काल व परिस्थिति के लिहाज से एक ही अवसर किस तरह विपरीत रुप धारण कर सकता है, इसका जीवंत उदाहरण हमारे तीज – त्योहार हैं। बचपन में त्योहारी आवश्यकताओं की न्यूनतम उपलब्धता सुनिश्चित न होते हुए भी दुर्गापूजा व दीपावली जैसे बड़े त्योहारों की पद्चाप हमारे अंदर अपूर्व हर्ष व उत्साह भर देती […] Read more » हांफती जिंदगी और त्योहार
चिंतन ‘क्या हमें अपने साध्य और साधनों का ज्ञान है?’ September 5, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment यदि हमने साध्य को भुले हैं तो समझिये कि हमारा जीवन बर्बाद हो रहा है- साध्य लक्ष्य या उद्देश्य को कहते हैं। साधन वह है जिसकी सहायता से साध्य या लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। उदाहरण के लिए यदि हमें दिल्ली जाना है तो दिल्ली हमारा साध्य कहलायेगा। दिल्ली जाने के लिए […] Read more » ‘क्या हमें अपने साध्य और साधनों का ज्ञान है?’
चिंतन भाषा की गरीबी: गरीबी उन्मूलन के लिए पहले भाषा की गरीबी हटानी पड़ेगी July 10, 2014 / July 11, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 2 Comments on भाषा की गरीबी: गरीबी उन्मूलन के लिए पहले भाषा की गरीबी हटानी पड़ेगी -विराट दिव्यकीर्ति- नरेंद्र मोदी सरकार ने हाल ही में ‘हिन्दी पहले’ का आग्रह क्या किया एक अच्छी खासी बहस शुरू हो गयी. आधुनकि भारत में भाषा का प्रश्न कई बार उठाया गया है. हिन्दी भाषी बहुसंख्यकों को लगता है कि यह स्वाभाविक है कि हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाना चाहिए. परन्तु भारत बहु-भाषा संपन्न देश […] Read more » गरीबी उन्मूलन भाषा भाषा की गरीबी
चिंतन चुनाव शासन और अनुशासन April 25, 2014 / April 25, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -विजय कुमार- चुनाव के इस दौर में सब ओर शासन की ही चर्चा है। कोई वर्तमान शासन को ‘कुशासन’ बताकर उसे बदलना चाहता है, तो कुछ उसे ‘सुशासन’ कहकर बनाये रखने के पक्षधर हैं। कुछ इस व्यवस्था को ही ‘दुःशासन’ मानकर इसे पूरी तरह बदलना चाहते हैं। यद्यपि इसके बदले वे कौन सी व्यवस्था लाएंगे, […] Read more » administration-and-discipline लोकसभा चुनाव शासन और अनुशासन
चिंतन विविधा धर्म के नाम पर शोर का ‘अधर्म’ ? April 20, 2014 / April 20, 2014 by निर्मल रानी | 1 Comment on धर्म के नाम पर शोर का ‘अधर्म’ ? -निर्मल रानी- बेशक हम एक आज़ाद देश के आज़ाद नागरिक हैं। इस ‘आज़ादी’ के अंतर्गत हमारे संविधान ने हमें जहां तमाम ऐसे मौलिक अधिकार प्रदान किए हैं जिनसे हमें अपनी संपूर्ण स्वतंत्रता का एहसास हो सके, वहीं इसी आज़ादी के नाम पर तमाम बातें ऐसी भी देखी व सुनी जाती हैं जो हमें व हमारे समाज को […] Read more » 'irreligious' laud on the name of religion धर्म के नाम पर शोर का 'अधर्म' ?
चिंतन मुआवजे के बदले अपमान क्यों? जबकि है अपमानकारी मुआवजे का स्थायी समाधान! March 13, 2014 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | Leave a Comment -डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’- बलात्कारित स्त्री और मृतक की विधवा, बेटी या अन्य परिजनों को लोक सेवकों के आगे एक बार नहीं बार-बार न मात्र उपस्थित होना होता है, बल्कि गिड़गिड़ाना पड़ता है और इस दौरान कनिष्ठ लिपिक से लेकर विभागाध्यक्ष तक सबकी ओर से मुआवजा प्राप्त करने के लिये चक्कर काटने वालों से गैर-जरूरी […] Read more » insult in spite of compensation मुआवजे के बदले अपमान क्यों? जबकि है अपमानकारी मुआवजे का स्थायी समाधान!
चिंतन न्यायपालिका के सामाजिक आधार में विस्तार की जरूरत March 13, 2014 by देवेन्द्र कुमार | Leave a Comment -देवेन्द्र कुमार- भारत की सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था में न्यायपालिका को सामाजिक परिवर्तन के एक हथियार के रूप में देखा जाता रहा है और न्यायपालिका ने अपने कई महत्वपूर्ण फैसले के द्वारा सामाज को एक नई दिशा देने की कोशिश भी की है। बाबजूद इसके, न्यायपालिका का जो सामाजिक गठन रहा है, सामाज के जिस हिस्से, तबके […] Read more » judiciary needs social spread न्यायपालिका के सामाजिक आधार में विस्तार की जरूरत
चिंतन आखिर क्या है बिहार सरकार की नक्सल-नीति ? February 6, 2014 by आलोक कुमार | Leave a Comment -आलोक कुमार- बिहार की सरकार काफी समय तक नक्सलवाद को कानून और व्यवस्था की समस्या कह कर इसकी भयावहता का सही अंदाजा लगाने में नाकामयाब रही है। बिहार में भी इनकी सत्ता के आगे राज्य सरकार बेबस है। लगभग 38 जिलों में से 34 जिलों में नक्सलियों का दबदबा है। यक्ष -प्रश्न यह है […] Read more » Bihar government on naxals naxal policies in Bihar आखिर क्या है बिहार सरकार की नक्सल-नीति ?
चिंतन इंसानियत किसी मजहब की दिवारों में कैद नहीं February 1, 2014 / February 1, 2014 by डा. अरविन्द कुमार सिंह | 1 Comment on इंसानियत किसी मजहब की दिवारों में कैद नहीं -डॉ. अरविन्द कुमार सिंह- विश्व प्रसिद्ध मर्फी एडगर जूनियर के सिद्धांत किसी तार्किक परिणिती के आधार नहीं बनते हैं, पर प्रत्येक सिद्धांत सच के करीब दिखाई देता है। जैसे मर्फी कहते हैं यदि आप कही किसी कार्य से गये हुये हैं और आप को कतार में खड़े होना है तो विश्वास जानिये, यदि आपका […] Read more » Humanity इंसानियत किसी मजहब की दिवारों में कैद नहीं