धर्म-अध्यात्म पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-18 June 13, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  वेद की बोलें ऋचाएं सत्य को धारण करें गतांक से आगे…. मंत्र का अगला शब्द है-‘इंद्र’। इंद्र को हमारे वीरता और ऐश्वर्य का अर्थात समृद्घि का प्रतीक माना गया है। राजा का कत्र्तव्य है कि वह देश की प्रजा को वीर तथा ऐश्वर्यशाली बनाये। वीर्य रक्षा से वीर संतति का निर्माण […] Read more » पूजनीय प्रभो हमारे
धर्म-अध्यात्म अनादि से अनन्त काल की यात्रा में जीवात्मा कर्मानुसार अनेक प्राणी योनियों में विचरता रहा है और आगे भी विचरेगा June 9, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य यदि हम आर्यसमाज की बात न करें और इतर मनुष्यों व समुदायों की बातें करें तो हम देखते हैं कि मनुष्य को जड़ व चेतन का भेद व उसका तत्वार्थ ज्ञात नहीं है। मनुष्य का जन्म होता है, माता-पिता उसका पालन करते हैं, स्कूल व कालेजों में पढ़ने के लिए उसे […] Read more » जीवात्मा
धर्म-अध्यात्म माता के समान हितकारी गाय की रक्षा करना मनुष्य मात्र का परम कर्तव्य व धर्म June 9, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य संसार के जितने भी देश है या यह कहिये कि पृथिवी तल पर जहां-जहां भी मनुष्य है, वहां-वहां गाय भी विद्यमान है। यह व्यवस्था ईश्वर ने मनुष्यों के हितों को देखकर की है। यदि उसे मनुष्य का हित करना अभीष्ट न होता तो ईश्वर गाय को बनाता ही नहीं। मनुष्यों को अपने […] Read more » गाय की रक्षा
धर्म-अध्यात्म पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-17 June 7, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य वेद की बोलें ऋचाएं सत्य को धारण करें गतांक से आगे…. वेद की ऋचाओं में सत्य-धर्म का रस यूं तो सर्वत्र ही भरा पड़ा है, पर इस वेदमंत्र के ऋषि ने जितनी सुंदरता से सत्यधर्म का रस निचोडक़र हमें पिलाने का प्रयास किया है, वह अनुपम है। मैं समझता हूं कि विश्व […] Read more » पूजनीय प्रभो हमारे
धर्म-अध्यात्म बटुक भैरव जयंती 2017 June 5, 2017 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment ।।ॐ ह्रीं वां बटुकाये क्षौं क्षौं आपदुद्धाराणाये कुरु कुरु बटुकाये ह्रीं बटुकाये स्वाहा।। उक्त मंत्र की प्रतिदिन 11 माला 21 मंगल तक जप करें। मंत्र साधना के बाद अपराध-क्षमापन स्तोत्र का पाठ करें। भैरव की पूजा में श्री बटुक भैरव अष्टोत्तर शत-नामावली का पाठ भी करना चाहिए। Read more » बटुक भैरव जयंती 2017
धर्म-अध्यात्म पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-16 May 30, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  वेद की बोलें ऋचाएं सत्य को धारण करें गतांक से आगे…. सत्य को धारण करना हमारा राजनीतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक लक्ष्य है। हम उसी के आधार पर ‘विश्वगुरू’ बनने की अपनी साधना में लगे हैं। हमारा सैकड़ों वर्ष का स्वाधीनता संग्राम इसी सत्य की साधना के लिए था। क्योंकि यह सत्य […] Read more » पूजनीय प्रभो हमारे
धर्म-अध्यात्म ऋषिभक्त आर्यों, नेताओं व विद्वानों का राग-द्वेष से मुक्त होना आवश्यक May 26, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment सत्यार्थप्रकाश को ऋषि दयानन्द सरस्वती जी का सबसे महत्वपूर्ण ग्रन्थ कह सकते हैं। इसके उत्तरार्ध के चार समुल्लासों में अन्तर्देशीय व दूर विदेशों में उत्पन्न मतों की समालोचना की गई है। ऋषि ने इन सभी चार समुल्लासों की पृथक भूमिका लिखी है। चतुर्दश समुल्लास की भूमिका में उन्होंने लिखा है कि उनका यह लेख हठ, दुराग्रह, ईष्र्या, द्वेष, वाद-विवाद और विरोध घटाने के लिये किया गया है, न कि इनको बढ़ाने के अर्थ क्योंकि एक दूसरे की हानि करने से पृथक् रह, परस्पर को लाभ पहुंचाना हमारा मुख्य कर्म है। अब यह विवेच्य मत विषय सब सज्जनों के सामने निवेदन करता हूं। विचार कर, इष्ट का ग्रहण, अनिष्ट का परित्याग कीजिये। हमारे विद्वानों को इसी भावना से ही अन्य विद्वानों की आलोचना करनी चाहिये। हमारी आलोचना पढ़कर कोई विद्वान हमसे क्षमा याचना ही करे, इसकी अपेक्षा करना उचित नहीं है। Read more » राग-द्वेष से मुक्त
धर्म-अध्यात्म पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-15 May 26, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment इस श्लोक को देश के राजा (राष्ट्रपति) की पीठिका (गद्दी) के पीछे लिखने का उद्देश्य है कि यह देश आज भी सत्य का अनुसंधान करने वाला और सत्योपासक देश है। यह देश सत्य को छल-छदमों में लपेटकर कहने की साधना करने वाला देश नही है यह तो सत्य को जैसा है वैसा ही परोसने वाला देश है। सत्य से कोई समझौता यह देश नही करेगा। इसके विपरीत सत्य को धारण करेगा और ‘सत्यमेव जयते’ की परंपरा को विश्व परंपरा बनाकर आगे बढ़ेगा। Read more » पूजनीय प्रभो हमारे
धर्म-अध्यात्म आर्यसमाज के प्रचार की धीमी गति के कारणों पर विचार May 26, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment आर्यसमाज के प्रचार की धीमी गति में आर्यसमाज में पदाधिकारियों व सदस्यों की गुटबाजी व उसके पीछे कुछ लोगों के निहित स्वार्थ यथा लोकैषणा, वित्तैषणा तथा पुत्रैषणा भी सम्मिलित हैं। इस कारण योग्य लोग पदाधिकारी न चुने जाकर तिकड़मी व कम योग्यता वाले लोग पदाधिकारी बन जाते हैं। इससे एक हानि यह होती है कि बहुत से सज्जन व निष्पक्ष लोग आर्यसमाज में आना ही छोड़ देते हैं। Read more » आर्यसमाज
धर्म-अध्यात्म दिग्भ्रमित विश्व के लिए वेदों की उपेक्षा अहितकर एवं हानिकारक May 25, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य जीवन को संसार के वेदेतर सभी मत अद्यावधि प्रायः समझ नहीं सके हैं। यही कारण है कि यह जानते हुए कि सत्य एक है, संसार में आज के आधुनिक व उन्नत युग में भी एक नहीं अपितु सैकड़ो व सहस्राधिक मत-मतान्तर प्रचलित हैं जिनकी कुछ बातें उचित व अधिकांश असत्य एवं […] Read more » वेदों की उपेक्षा अहितकर एवं हानिकारक
धर्म-अध्यात्म वट सावित्री व्रत 25 मई, 2017 May 15, 2017 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को सावित्री का व्रत किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि जो भी स्त्री इस व्रत को करती है उसका सुहाग अमर हो जाता है। जिस तरह से सावित्री ने अपने अपने पति सत्यवान को यमराज के मुख से बचा लिया था उसी प्रकार से इस व्रत को […] Read more » Featured वट सावित्री व्रत
धर्म-अध्यात्म पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-14 May 15, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  वेद की बोलें ऋचाएं सत्य को धारण करें गतांक से आगे…. किसी कवि ने कितना सुंदर कहा है :- ओ३म् है जीवन हमारा, ओ३म् प्राणाधार है। ओ३म् है कत्र्ता विधाता, ओ३म् पालनहार है।। ओ३म् है दु:ख का विनाशक ओ३म् सर्वानंद है। ओ३म् है बल तेजधारी, ओ३म् करूणाकंद है।। ओ३म् सबका पूज्य […] Read more » पूजनीय प्रभो हमारे