धर्म-अध्यात्म सत्यार्थ प्रकाश : संक्षिप्त परिचय April 7, 2016 by डा. रवीन्द्र अग्निहोत्री | Leave a Comment महर्षि दयानंद सरस्वती ( 1825 – 1883 ई.) कृत : सत्यार्थ प्रकाश : संक्षिप्त परिचय डा. रवीन्द्र अग्निहोत्री , महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती का प्रसिद्ध ग्रंथ “ सत्यार्थ प्रकाश “ हमें हमारी स्वस्थ परम्पराओं से परिचित कराने वाला, अंधविश्वासों से मुक्त कराने वाला, ज्ञान चक्षु खोलने वाला, हमारी सोई हुई चेतना को जगाने वाला और […] Read more » सत्यार्थ-प्रकाश
चिंतन धर्म-अध्यात्म वैदिक मान्यतायें ही धर्म व इतर विचारधारायें मत-पन्थ-सम्प्रदाय April 7, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य धर्म शब्द की उत्पत्ति व इसका शब्द का आरम्भ वेद एवं वैदिक साहित्य से हुआ व अन्यत्र फैला है। संसार का सबसे प्राचीन ग्रन्थ वेद है। वेद ईश्वर प्रदत्त वह ज्ञान है जो सब सत्य विद्याओं की पुस्तक है। यह ज्ञान सृष्टि के आरम्भ में इस संसार के रचयिता परमेश्वर वा सृष्टिकर्त्ता […] Read more » इतर विचारधारा धर्म मत-पन्थ-सम्प्रदाय वैदिक मान्यता
धर्म-अध्यात्म क्या संसार महर्षि दयानन्द की मानव कल्याण की यथार्थ भावनाओं को समझ सका? April 5, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द (1825-1883) ने देश व समाज सहित विश्व की सर्वांगीण उन्नति का धार्मिक व सामाजिक कार्य किया है। क्या हमारे देश और संसार के लोग उनके कार्यों को यथार्थ रूप में जानते व समझते हैं? क्या उनके कार्यों से मनुष्यों को होने वाले लाभों की वास्तविक स्थिति का ज्ञान विश्व व […] Read more » महर्षि दयानन्द महर्षि दयानन्द की मानव कल्याण
धर्म-अध्यात्म सनातन वैदिक धर्म व संस्कृति के पुनरुद्धार में स्वामी दयानन्द और आर्यसमाज का योगदान April 4, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment स्वामी दयानन्द और आर्यसमाज का योगदानभारतीय धर्म व संस्कृति विश्व की प्राचीनतम, आदिकालीन, सर्वोत्कृष्ट, ईश्वरीय ज्ञान वेद और सत्य मान्यताओं व सिद्धान्तों पर आधारित है। सारे विश्व में यही संस्कृति महाभारत काल व उसकी कई शताब्दियों बाद तक भी प्रवृत्त रहने सहित सर्वत्र फलती-फूलती रही है। इस संस्कृति की विशेषता का प्रमुख कारण यह […] Read more » आर्यसमाज का योगदान सनातन वैदिक धर्म संस्कृति के पुनरुद्धार में स्वामी दयानन्द
चिंतन धर्म-अध्यात्म पं. ब्रह्मदत्त जिज्ञासु एवं उनका अप्राप्य व अप्रकाशित यजुर्वेद भाष्य विवरण April 2, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आचार्य पं. ब्रह्मदत्त जिज्ञासु जी (1892-1964) महर्षि दयानन्द जी के प्रमुख अनुयायियों में से एक थे। उनका सारा जीवन संस्कृत भाषा की आर्ष व्याकरण के पठन-पाठन व प्रचार सहित महर्षि दयानन्द एवं आर्यसमाज के वेद प्रचार एवं शुद्धि आदि कार्यों को समर्पित रहा। उनके अनेक कार्यों में से एक प्रसिद्ध एवं […] Read more »
धर्म-अध्यात्म ईश्वर अनादि काल से अनन्त काल तक सबका एकमात्र साथी April 1, 2016 / April 1, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य जन्म व मरण धर्मा है परन्तु मनुष्य शरीर में निवास करने वाला जीवात्मा अजन्मा व अमर है। जीवात्मा अनादि व अनुत्पन्न होने के अविनाशी व अमर भी है। हमारे इस इसे इस प्रकार भी कह सकते हैं कि ईश्वर किसी जीवात्मा का साथ कभी नहीं छोड़ता। इसे इस प्रकार भी कह […] Read more » अनन्त काल अनादि काल ईश्वर सबका एकमात्र साथी
धर्म-अध्यात्म स्वामी दयानन्द को वेदों की प्रथम प्राप्ति धौलपुर से हुई थी March 31, 2016 / March 31, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य स्वामी दयानन्द मथुरा में अपने विद्या गुरु स्वामी विरजानन्द सरस्वती जी से अपनी शिक्षा पूर्ण कर सन् 1863 में आगरा पधारे थे और यहां लगभग डेढ़ वर्ष प्रवास किया था। गुरु जी से विदाई के अवसर पर गुरु दक्षिणा प्रकरण के अन्तर्गत स्वामी दयानन्द जी के जीवनी लेखक पं. लेखराम जी ने […] Read more » वेदों की प्रथम प्राप्ति वेदों की प्रथम प्राप्ति धौलपुर स्वामी दयानन्द
चिंतन धर्म-अध्यात्म हे मनुष्य ! तू ईश्वर के निज नाम ‘ओ३म्’ का स्मरण कर अपने सभी दुःखों को दूर कर March 30, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य अपने सारे जीवन में अपने दुःखों की निवृत्ति में लगा रहता है फिर भी यदि जीवन के अन्तिम भाग में किसी समय किसी शिक्षित व सम्पन्न मनुष्य से पूछा जाये कि क्या वह दुःख मुक्त व पूर्णतया सुखी है तो उत्तर प्रायः न में ही मिलता है। इसका कारण केवल एक […] Read more » ‘ओ३म्’ का स्मरण सभी दुःखों को दूर कर
धर्म-अध्यात्म भगवान बुद्ध और आर्य परम्परा -एक सत्यान्वेषण March 27, 2016 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment “सचं नेरसी अन्तान्म कन्सो उपहतो यथा एस पत्तो सि निब्बानं सारम्भो न विज्ज्ती “(धम्मपद गा.१३४) टूटे हुए कांसे के थाल को पीटने पर भी आवाज नहीं करता ,वैसे ही यदि तुमने स्वयम को निशब्द कर लिया तो ऐसा समझो कि तुम निर्वाण पा गये ,क्योंकि प्रतिक्रिया तुम्हारे लिए जाती रही . ये पंक्तियाँ उन भगवान […] Read more » Featured
धर्म-अध्यात्म ईश्वर, वेद और विज्ञान March 27, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आज का युग विज्ञान का युग है। विज्ञान विशिष्ट ज्ञान को कहते हैं। विज्ञान ज्ञान की वह विधा है जिसमें हम सृष्टि में कार्यरत व विद्यमान नियमों को जानकर व उनका उपयेाग करके अपनी आवश्यकता के नाना प्रकार के पदार्थों का निर्माण करते हैं। विज्ञान के नियमों की बात करें तो पदार्थों […] Read more »
चिंतन धर्म-अध्यात्म क्या हमारा पहले एक व अनेक बार मोक्ष हुआ है? March 25, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य योनि मोक्ष का द्वार है। मोक्ष दुःखों से सर्वथा निवृत्ति और जन्म-मरण के बन्धन से मुक्ति को कहते हैं। मनुष्य व अन्य प्राणियों की आत्माओं का जन्म उनके पूर्व मुनष्य जन्मों के शुभ व अशुभ कर्मों के फलों के भोग के लिए होता है। ऐसी शास्त्रीय मान्यता है कि जब मनुष्य […] Read more » मोक्ष
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म होली और उसके पूर्व महाभारतकालीन स्वरुप पर विचार March 24, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य भारत और भारत से इतर देशों में जहां भारतीय मूल के लोग रहते हैं, प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन रंगों का पर्व होली हर्षोल्लास पूर्वक मनाया जाता है। होली के अगले दिन लोग नाना रंगों को एक दूसरे के चेहरे पर लगाते हैं, मिठाई व पकवानों का वितरण आदि […] Read more » the mahabharatkalin swaroop of holi होली होली का महाभारतकालीन स्वरुप