धर्म-अध्यात्म संसार के सभी मनुष्यों के पूर्वज एक थे व वैदिक धर्मानुयायी थे December 13, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on संसार के सभी मनुष्यों के पूर्वज एक थे व वैदिक धर्मानुयायी थे मनमोहन कुमार आर्य सृष्टि का यह अनिवार्य नियम है कि इसमें मनुष्य की उत्पत्ति वा जन्म माता-पिताओं से ही होता है। माता-पिता के बिना शिशु रूप में मनुष्य का जन्म असम्भव है। अतः इससे यह सिद्ध होता है मनुष्य के माता-पिता अवश्य होते हैं। इस सिद्धान्त के आधार पर मनुष्य के पूर्वज सृष्टि के आरम्भ […] Read more » Featured वैदिक धर्मानुयायी संसार के सभी मनुष्यों के पूर्वज एक थे
धर्म-अध्यात्म कैकेय नरेश महाराज अश्वपति की सार्वजनिक घोषणा December 11, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment प्राचीन भारत का स्वर्णिम आदर्श इतिहास- मनमोहन कुमार आर्य भारत विगत लगभग पौने दो अरब वर्षों से अधिक तक वैदिक धर्म व वैदिक संस्कृति का अनुयायी रहा है। भारत वा आर्यावर्त्त का इतिहास उतना ही प्राचीन है जितना कि यह ब्रह्माण्ड। सृष्टि की आदि, लगभग 1 अरब 96 करोड़ 8 लाख, 53 हजार वर्ष, से […] Read more » कैकेय नरेश महाराज अश्वपति की सार्वजनिक घोषणा’
धर्म-अध्यात्म शख्सियत पं. गणपति शर्मा का वैदिक धर्म December 10, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on पं. गणपति शर्मा का वैदिक धर्म पं. गणपति शर्मा का वैदिक धर्म व महर्षि दयानन्द के प्रति श्रद्धा से पूर्ण प्रेरणादायक जीवन प्राचीनकाल में धर्म विषयक सत्य-असत्य के निणर्यार्थ शास्त्रार्थ किया जाता था। अद्वैतमत के प्रचारक स्वामी शंकराचार्य के बाद विलुप्त हुई इस प्रथा का उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में महर्षि दयानन्द ने पुनः प्रचलित किया। इसी शास्त्रार्थ परम्परा को पं. […] Read more » Featured पं. गणपति शर्मा का वैदिक धर्म
धर्म-अध्यात्म आर्यसमाज की स्थापना और इसके नियमों पर एक दृष्टि December 9, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on आर्यसमाज की स्थापना और इसके नियमों पर एक दृष्टि मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द सरस्वती (1825-1883) उन्नीसवीं शताब्दी के समाज व धर्म-मत सुधारकों में अग्रणीय महापुरुष हैं। उन्होंने 10 अप्रैल सन् 1875 ई. (चैत्र शुक्ला 5 शनिवार सम्वत् 1932 विक्रमी) को मुम्बई में आर्यसमाज की स्थापना की थी। इससे पूर्व उन्होंने 6 या 7 सितम्बर, 1872 को वर्तमान बिहार प्रदेश के ‘आरा’ स्थान पर […] Read more » आर्यसमाज की स्थापना
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द द्वारा लिखित व प्रकाशित ग्रन्थों पर एक दृष्टि December 9, 2015 / December 9, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य दयानन्द (1825-1883) ने सन् 1863 में अपने गुरू दण्डी स्वामी विरजानन्द सरस्वती की मथुरा स्थित कुटिया से आगरा आकर वैदिक धर्म का प्रचार आरम्भ किया था। धर्म प्रचार मुख्यतः मौखिक प्रवचनों, उपदेशों व व्याख्यानों द्वारा ही होता है। इसके अतिरिक्त अन्य धर्मावलम्बियों के साथ अपने व उनकी मान्यताओं व सिद्धान्तों की चर्चा […] Read more » Featured महर्षि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म यज्ञ का महत्व एवं याज्ञिकों को इससे होने वाले लाभ December 7, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on यज्ञ का महत्व एवं याज्ञिकों को इससे होने वाले लाभ मनमोहन कुमार आर्य चार वेद, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद, ईश्वरीय ज्ञान है जिसे सर्वव्यापक, सर्वज्ञ व सर्वशक्तिमान सृष्टिकर्ता ईश्वर ने सृष्टि के आरम्भ में चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा को दिया था। ईश्वर प्रदत्त यह ज्ञान सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। वेद सभी मनुष्यों के लिए यज्ञ करने का विधान […] Read more » Featured यज्ञ का महत्व
धर्म-अध्यात्म स्वामी दयानन्द के चार विलुप्त ग्रन्थ December 6, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on स्वामी दयानन्द के चार विलुप्त ग्रन्थ स्वामी दयानन्द ने सन् 1863 में मथुरा में प्रज्ञाचक्षु दण्डी गुरु स्वामी विरजानन्द सरस्वती से विद्यार्जन पूरा कर अज्ञान के नाश व विद्या की वृद्धि सहित असत्य व अज्ञान पर आधारित धार्मिक, सामाजिक व राजधर्म सम्बन्धी मान्यताओं का खण्डन और सत्य पर आधारित मान्यताओं व सिद्धान्तों का प्रचार व मण्डन किया था। वह उपदेश, प्रवचन […] Read more » Featured the extinct books of swami dayanand स्वामी दयानन्द के चार विलुप्त ग्रन्थ
धर्म-अध्यात्म ‘आओ ! सब भेदभाव मिटाकर व परस्पर मिलकर वेदों का सत्संग करें’ December 5, 2015 / December 5, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य व पशुओं में प्रमुख भेद मनुष्यों के पास बुद्धि का होना व पशु आदि अन्य प्राणियों के पास मनुष्य के समान सत्य व असत्य का विवेक करने वाली बुद्धि का न होना है। यह बुद्धि ईश्वर ने मनुष्यों को सत्य व असत्य को जानने व सत्य को जानकर उसका आचरण करने […] Read more » वेदों का सत्संग
धर्म-अध्यात्म मैं ब्रह्म नहीं, अल्प, चेतन व बद्ध जीवात्मा हूं December 4, 2015 / December 4, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on मैं ब्रह्म नहीं, अल्प, चेतन व बद्ध जीवात्मा हूं हम इस जड़-चेतन संसार में रहते हैं। यह सारा जगत हमारा परिवार है। सभी जड़ पदार्थ हमें अपने गुणों से लाभ पहुंचाते हैं। हमें पदार्थों के गुणों को जानना है और जानकर उनका सदुपयोग करना है। हमारे वैज्ञानिकों ने यह कार्य सरल कर दिया है। उन्होंने जड़ पदार्थों को अन्यों की तुलना में कहीं अधिक […] Read more » चेतन व बद्ध जीवात्मा हूं मैं ब्रह्म नहीं
धर्म-अध्यात्म मनुष्यों एवं प्राणियों के जातिभेद ईश्वर व मनुष्यकृत दोनों हैं December 3, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on मनुष्यों एवं प्राणियों के जातिभेद ईश्वर व मनुष्यकृत दोनों हैं मोहन कुमार आर्य ईश्वर ने इस संसार को अपने किसी निजी प्रयोजन से नहीं अपितु जीवों के कल्याणार्थ बनाया है। उसी ने सभी प्राणियों को उत्पन्न किया जिससे वह अपने प्रारब्ध अर्थात् पूर्व जन्मों के अवशिष्ट वा अनभुक्त कर्मों के सुख-दुःख रूपी फलों का भोग कर सकें और सद्कर्मों को करके उन्हें भविष्य में कोई […] Read more » मनुष्यों एवं प्राणियों के जातिभेद ईश्वर व मनुष्यकृत दोनों हैं
धर्म-अध्यात्म शख्सियत समाज महर्षि दयानन्द के बहुप्रतिभावान् अद्वितीय शिष्य स्वामी श्रद्धानन्द December 3, 2015 / December 3, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on महर्षि दयानन्द के बहुप्रतिभावान् अद्वितीय शिष्य स्वामी श्रद्धानन्द महर्षि दयानन्द (1825-1883) ईश्वर के सच्चे स्वरुप के जिज्ञासु तथा उसकी प्राप्ति के उपायों के अनुसंधानकर्त्ता थे। बाइसवें वर्ष में उन्होंने टंकारा जनपद मोरवी, गुजरात स्थित अपने सुखी व सम्पन्न परिवार का त्याग कर दिया था और देश भर में घूम कर सच्चे धार्मिक विद्वानों व योगियों की तलाश की। जो विद्वान व योगी मिले […] Read more » स्वामी श्रद्धानन्द
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म मृत्यु अर्थात भय के पौराणिक देवता काल भैरव December 2, 2015 by अशोक “प्रवृद्ध” | 1 Comment on मृत्यु अर्थात भय के पौराणिक देवता काल भैरव अशोक “प्रवृद्ध” संकटों, आपदाओं और भिन्न-भिन्न प्रकार की समस्याओं से त्रस्त कलियुग में भगवान भैरव नाथ का नाम स्मरण, पूजा-अर्चना वृहत रूप में की जाती है । परिवार में सुख-शांति, समृद्धि , स्वास्थ्य की रक्षा और अनेक समस्याओं के निदान हेतु तंत्र के जाने-माने महान देवता भैरव से सम्बन्धित भैरव तंत्रोक्त, बटुक भैरव कवच, […] Read more » Featured भय के पौराणिक देवता काल भैरव मृत्यु