धर्म-अध्यात्म जहां आरती के वक्त आती थी कामधेनु August 12, 2013 / August 12, 2013 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment शंकर जालान भारत में आदि काल से वृक्षों की पूजा की जाती है। लोगों में आस्था रहती है कि वृक्षों की पूजा करने मात्र से ही मनुष्य सुख को प्राप्त करता है। प्राचीन काल में वृक्षों की पूजा के लिए राजस्थान में आंदोलन भी चलाया गया था, जिसको दबाने पर लोगों ने अपने प्राणों की […] Read more » जहां आरती के वक्त आती थी कामधेनु
चिंतन निडर होकर करें बेबाक अभिव्यक्ति फिर देखें इसका चमत्कार August 7, 2013 / August 7, 2013 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य मन-मस्तिष्क और चेतन-अवचेतन को शुद्ध-बुद्ध बनाए रखने और संकल्प को बलवान बनाने के लिए यह जरूरी है कि अपने दिमाग में जो भी बात आए, उसे यथोचित स्थान पर पहुंचाने में तनिक भी विलंब नहीं करें और तत्काल सम्प्रेषित करें। बाहरी दुनिया के लिए तैयार और अपने मन-मस्तिष्क से बाहर निकल कर […] Read more » बेबाक अभिव्यक्ति
चिंतन प्रोत्साहन भले न दें प्रतिभाओं की हत्या तो न करें July 30, 2013 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य दुनिया में हर क्षेत्र में प्रतिभाओं का जन्म होता रहा है और उनकी वजह से विश्व समुदाय को कुछ न कुछ प्राप्त होता ही है। भगवान ने मनुष्य को सभी प्राणियाें में सबसे ज्यादा बुद्धि, कौशल और मौलिक प्रतिभाओं के साथ भेजा है और इस मामले में कोई किसी से कम नहीं […] Read more » प्रतिभाओं की हत्या तो न करें
धर्म-अध्यात्म क्या बन्दर थे हनुमान July 22, 2013 / July 22, 2013 by डा.राज सक्सेना | 10 Comments on क्या बन्दर थे हनुमान – डा.राज सक्सेना आम मान्यता है और जगह-जगह मन्दिरों में स्थापित हनुमान जी की मूर्तियों को देख कर 99.999 प्रतिशत […] Read more » क्या बन्दर थे हनुमान
चिंतन यक्ष-प्रश्न- अन्तिम समापन कड़ी / बिपिन किशोर सिन्हा July 18, 2013 / July 19, 2013 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment यक्ष-प्रश्न (३१) – मधुर वचन बोलनेवाले को क्या मिलता है? सोच-विचारकर काम करनेवाला क्या पा लेता है? जो बहुत-से मित्र बना लेता है, उसे क्या लाभ होता है? और जो धर्मनिष्ठ है, उसे क्या मिलता है? युधिष्ठिर – मधुर वचन बोलनेवाला सबको प्रिय होता है। सोच-विचारकर काम करनेवाले को अधिकतर सफलता मिलती है। जो बहुत […] Read more »
चिंतन “सेकुलर” अर्थात् धर्मनिरपेक्षता: राक्षसी भावना अथवा संवैधानिक मूल्य July 14, 2013 / July 19, 2013 by प्रोफेसर महावीर सरन जैन | 63 Comments on “सेकुलर” अर्थात् धर्मनिरपेक्षता: राक्षसी भावना अथवा संवैधानिक मूल्य प्रोफेसर महावीर सरन जैन टॉइम्स ऑफ इंडिया समाचार पत्र में समाचार प्रकाशित हुआ है कि नरेंद्र मोदी ने “डॉटकॉम पोस्टर बॉय्ज़” राजेश जैन एवं बी. जी. महेश को यह दायित्व सौंपा है कि वे इंटरनेट पर ऐसा अभियान चलावें जिससे सन् 2014 के लोक सभा के होने वाले आम चुनावों में भाजपा को 275 सीटें […] Read more » “सेकुलर” अर्थात् धर्मनिरपेक्षता: राक्षसी भावना अथवा संवैधानिक मूल्य राक्षसी भावना अथवा संवैधानिक मूल्य
धर्म-अध्यात्म यक्ष -प्रश्न – तीसरी कड़ी July 13, 2013 / July 16, 2013 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment यक्ष-प्रश्न (१६) – किस वस्तु के त्यागने से मनुष्य प्रिय होता है? किसे त्यागने पर शोक नहीं करता? किसे त्यागने पर वह अर्थवान होता है? और किसे त्यागकर वह सुखी होता है? युधिष्ठिर – मान (अहंकार) को त्यागने से मनुष्य प्रिय होता है। क्रोध को त्यागने पर शोक नहीं करता। काम […] Read more » यक्ष प्रश्न
धर्म-अध्यात्म धर्मनिरपेक्षता है एक राक्षसी भावना July 12, 2013 / July 12, 2013 by राकेश कुमार आर्य | 6 Comments on धर्मनिरपेक्षता है एक राक्षसी भावना धर्म की बड़ी विस्तृत परिभाषा है। इसके विभिन्न स्वरूप हैं। संसार की सबसे प्यारी चीज का नाम है-धर्म। आप सड़क पर चले जा रहे हैं, किसी की अचानक दुर्घटना हो जाती है, आप रूकते हैं, और अपने आप ही उधर सहायता के लिए दौड़ पड़ते है। सहायता के लिए आपके हृदय में करूणा उमड़ी-इस प्रकार […] Read more » धर्मनिरपेक्षता है एक राक्षसी भावना
धर्म-अध्यात्म धर्मांतरण का इतिहास July 10, 2013 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment गिरिजाशंकर अग्रवाल मध्य प्रदेश का आदिवासी बहुल जिला मण्डला का इतिहास बताता है कि धर्म प्रचार के नाम पर ईसाई मिशनरियां अधार्मिक तरीके से आदिवासियों को धर्म परिवर्तन करने के लिए बाध्य कर देती हैं। इस जिले के अतीत में जब जाते हैं तो मालूम होता है कि 26 अप्रैल सन् 1818 को अंग्रेजों ने […] Read more » धर्मांतरण
धर्म-अध्यात्म धर्म है सिखाता, आपस में प्यार करना July 10, 2013 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment पद्मश्री खालिद जहीर आज भारत जहां खड़ा है, वह इस बात का प्रमाण है कि हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी प्रान्त का हो या किसी भी मजहब से सम्बन्ध रखता हो या किसी भी भाषा को बोलता हो, वह अपनी भरपूर मेहनत से इस देश को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे रहा है। […] Read more »
धर्म-अध्यात्म धर्म का अधिकार, दायित्व एवं कर्त्तव्य July 10, 2013 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment आनंद सुब्रमण्यम् शास्त्री धर्म, मनुष्य को अपने विचारों के प्रति निष्ठावान रहते हुए सबके विचारों को महत्व एवं आदर देने का उपदेश देता है। धर्म मनुष्य को सम्बन्धों के सम्यक निर्वाह के लिए नैतिक मूल्यों की रक्षा का आदेश देता है। धर्म मनुष्य को सम्यक् आचरण के पालन के लिए कर्म को कर्त्तव्य समझकर करने […] Read more »
धर्म-अध्यात्म धर्म और समाज में तालमेल जरूरी July 10, 2013 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment विमल कुमार सिंह पूर्ण मानव समाज, चाहे वह विश्व के किसी भी कोने में रहता हो, किसी न किसी धार्मिक विश्वास या मान्यता से अवश्य जुड़ा रहा है। यद्यपि कुछ लोग ऐसे भी रहे हैं जो धार्मिक विश्वास के सभी रूपों को नकारने में लगे रहे, परंतु इतिहास के पन्ने पलटने पर हमें ज्ञात होता […] Read more »