धर्म-अध्यात्म धर्मनिरपेक्षता है एक राक्षसी भावना July 12, 2013 / July 12, 2013 by राकेश कुमार आर्य | 6 Comments on धर्मनिरपेक्षता है एक राक्षसी भावना धर्म की बड़ी विस्तृत परिभाषा है। इसके विभिन्न स्वरूप हैं। संसार की सबसे प्यारी चीज का नाम है-धर्म। आप सड़क पर चले जा रहे हैं, किसी की अचानक दुर्घटना हो जाती है, आप रूकते हैं, और अपने आप ही उधर सहायता के लिए दौड़ पड़ते है। सहायता के लिए आपके हृदय में करूणा उमड़ी-इस प्रकार […] Read more » धर्मनिरपेक्षता है एक राक्षसी भावना
धर्म-अध्यात्म धर्मांतरण का इतिहास July 10, 2013 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment गिरिजाशंकर अग्रवाल मध्य प्रदेश का आदिवासी बहुल जिला मण्डला का इतिहास बताता है कि धर्म प्रचार के नाम पर ईसाई मिशनरियां अधार्मिक तरीके से आदिवासियों को धर्म परिवर्तन करने के लिए बाध्य कर देती हैं। इस जिले के अतीत में जब जाते हैं तो मालूम होता है कि 26 अप्रैल सन् 1818 को अंग्रेजों ने […] Read more » धर्मांतरण
धर्म-अध्यात्म धर्म है सिखाता, आपस में प्यार करना July 10, 2013 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment पद्मश्री खालिद जहीर आज भारत जहां खड़ा है, वह इस बात का प्रमाण है कि हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी प्रान्त का हो या किसी भी मजहब से सम्बन्ध रखता हो या किसी भी भाषा को बोलता हो, वह अपनी भरपूर मेहनत से इस देश को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे रहा है। […] Read more »
धर्म-अध्यात्म धर्म का अधिकार, दायित्व एवं कर्त्तव्य July 10, 2013 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment आनंद सुब्रमण्यम् शास्त्री धर्म, मनुष्य को अपने विचारों के प्रति निष्ठावान रहते हुए सबके विचारों को महत्व एवं आदर देने का उपदेश देता है। धर्म मनुष्य को सम्बन्धों के सम्यक निर्वाह के लिए नैतिक मूल्यों की रक्षा का आदेश देता है। धर्म मनुष्य को सम्यक् आचरण के पालन के लिए कर्म को कर्त्तव्य समझकर करने […] Read more »
धर्म-अध्यात्म धर्म और समाज में तालमेल जरूरी July 10, 2013 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment विमल कुमार सिंह पूर्ण मानव समाज, चाहे वह विश्व के किसी भी कोने में रहता हो, किसी न किसी धार्मिक विश्वास या मान्यता से अवश्य जुड़ा रहा है। यद्यपि कुछ लोग ऐसे भी रहे हैं जो धार्मिक विश्वास के सभी रूपों को नकारने में लगे रहे, परंतु इतिहास के पन्ने पलटने पर हमें ज्ञात होता […] Read more »
धर्म-अध्यात्म धर्म और आस्था के अखाड़े July 10, 2013 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment डा. कमलकांत बुधकर भारतीय संस्कृति में प्राचीनकाल से ही विभिन्न विचारधाराएं एक दूसरे पर असर डालती रही हैं। भिक्षु संघ, संघराम, विहार आदि के जरिये बौद्ध धर्म की समाज में महत्ता सिद्ध होती थी। शंकराचार्य ने इसी का अनुकरण कर प्राचीन आश्रम और मठ परम्परा में नए प्राण फूंके। शंकराचार्य ने अपना ध्यान संन्यास आश्रम […] Read more »
चिंतन श्रेष्ठ संस्कार से ही श्रेष्ठ समाज का निर्माण होता है July 10, 2013 / July 10, 2013 by डॉ. सौरभ मालवीय | Leave a Comment किसी भी समाज को चिरस्थायी प्रगत और उन्नत बनाने के लिए कोई न कोई व्यवस्था देनी ही पडती है और संसार के किसी भी मानवीय समाज में इस विषय पर भारत से ज्यादा चिंतन नहीं हुआ है। कोई भी समाज तभी महान बनता है जब उसके अवयव श्रेष्ठ हों। उन घटकों को श्रेष्ठ बनाने के […] Read more » श्रेष्ठ संस्कार से ही श्रेष्ठ समाज का निर्माण होता है
चिंतन धर्म-अध्यात्म मनचाहा परिवर्तन जरूर पाएँ पर गलाकाट प्रतिस्पर्धा से नहीं July 8, 2013 / July 8, 2013 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on मनचाहा परिवर्तन जरूर पाएँ पर गलाकाट प्रतिस्पर्धा से नहीं अनचाहे से बचना और मनचाहे की प्राप्ति के लिए प्रयत्न करना प्रत्येक मनुष्य का परंपरागत स्वभाव रहा है और इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए यदि किसी भी प्रकार का प्रयास किया जाए तो अपने हित में हो, उसे बुरा नहीं कहा जा सकता है। लेकिन जब इस प्रकार का कोई प्रयास किसी दूसरे का […] Read more » मनचाहा परिवर्तन जरूर पाएँ पर गलाकाट प्रतिस्पर्धा से नहीं
चिंतन धर्म-अध्यात्म उत्तराखण्ड आपदा से सबक लें धर्म के नाम पर धंधा चलाने वाले July 2, 2013 by डॉ. दीपक आचार्य | 2 Comments on उत्तराखण्ड आपदा से सबक लें धर्म के नाम पर धंधा चलाने वाले धर्म और अध्यात्म वे मार्ग हैं जो संसार की यात्राओं की परिपूर्णता अथवा सांसारिकता से वैराग्य अथवा अनासक्त जीवन से जुड़े हैं और इन रास्तों पर चलने वाले लोगों को अधर्म, अनाचार आदि सब कुछ छोड़ छुड़ा कर इस मार्ग की ओर आना चाहिए तभी वे सफल हो पाते हैं। सदाचार, शुचिता, ईश्वर के प्रति […] Read more » उत्तराखण्ड आपदा से सबक लें धर्म के नाम पर धंधा चलाने वाले
चिंतन धर्म-अध्यात्म इंसानियत अपनाएं वरना बहा ले जाएंगी नदियाँ July 1, 2013 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment इतना विराट महाप्रलय…. लाशों का अंबार….भूख और प्यास के मारे दम तोड़ती जिन्दगियाँ….नदियों का रौद्र रूप….कहीं वीरानी, सन्नाटा और कहीं चीख-चीत्कार….घोड़ों और खच्चरों की मौत…बस्तियां बह गई और आदमी बेघर हो गए, उजड़ गए परिवार, कुटुम्बी खो गए और भगवान भोलेनाथ केदार रह गए अकेले… जैसे पहले थे और रहे हैं। इस महाप्रलय ने जितना […] Read more » इंसानियत अपनाएं वरना बहा ले जाएंगी नदियाँ
चिंतन धर्म-अध्यात्म नज़रों से गिर जाते हैं टाईमपास और कामटालू लोग July 1, 2013 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on नज़रों से गिर जाते हैं टाईमपास और कामटालू लोग मनुष्य का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि उसे जो अवसर दिए जाते हैं। जिन शक्तियों से समृद्ध किया जाता है और अपने आपको मनुष्यत्व से दैवत्व तक ले जाने के जो मौके दिए जाते हैं। उनका वह या तो उपयोग नहीं कर पाता है अथवा अपने छोटे-मोटे स्वार्थों और घृणित हितों से घिर जाता […] Read more » नज़रों से गिर जाते हैं टाईमपास और कामटालू लोग
चिंतन संप्रदाय धर्म के विकास का चरण नही होता June 27, 2013 / June 27, 2013 by राकेश कुमार आर्य | 6 Comments on संप्रदाय धर्म के विकास का चरण नही होता डार्विन के विकासवाद के सिद्धान्त ने कुछ लोगों को बहुत अधिक भ्रमित कर दिया ऐसे भ्रमित लोगों का तर्क होता है कि धर्म का विकास धीरे-धीरे हुआ और जैन,बौध,इसाइयत और इस्लाम धर्म के विकास के अगले चरण हैं। उनका मानना है कि इन सब धर्मों के सम्मिलित प्रयास से धर्म का वास्तविक स्वरूप बनकर के […] Read more » संप्रदाय धर्म के विकास का चरण नही होता