चिंतन शुद्ध आचरण के बिना अर्थहीन हैं May 18, 2012 / May 18, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य शुद्ध आचरण के बिना अर्थहीन हैं सकारात्मकता अपनाने के उपदेश उपदेशों की हर जगह भरमार है। अपने यहाँ से लेकर सभी जगह जनसंख्या का सर्वाधिक प्रतिशत उन्हीं लोगों का है जो अच्छे उपदेश देने में माहिर हैं। भले ही उनकी कथनी और करनी में कहीं कोई मेल नहीं हो, पर उपदेश देने […] Read more » try to b optimistic शुद्ध आचरण के बिना अर्थहीन सकारात्मकता अपनाने के उपदेश
चिंतन भद्रजनों ने क्या कभी अपनी अभद्र भाषा पर गौर किया है ? May 16, 2012 / May 16, 2012 by विनायक शर्मा | 3 Comments on भद्रजनों ने क्या कभी अपनी अभद्र भाषा पर गौर किया है ? विनायक शर्मा संसद की प्रथम बैठक की 60 वीं वर्षगांठ पर सदन में बोलते हुए लालूप्रसाद यादव ने एक बार फिर सांसदों के आचरण पर बोलनेवालों को घेरते हुए संसद की मर्यादाओं और लोकतंत्र पर खतरे के नाम पर उन्हें लक्ष्मण रेखा में बांधने का प्रयत्न किया है. देश की जनता जनार्धन की समझ से […] Read more » evil words used by parliamentarians अभद्र भाषा
चिंतन चुनाव विश्लेषण खुद को ऊँचा उठाने इतना भी नीचे न गिरे May 15, 2012 / May 15, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य हर दिशा में लोगों की भीड़ बेतहाशा भाग रही है। सभी को अपने नम्बर बढ़ाने की पड़ी है। जो नम्बरी हैं उन्हें भी, और जो गैर नम्बरी हैं उन्हें भी। प्रतिभाओं और हुनर से बेखबर या कि शून्य लोगों की सबसे बड़ी समस्या ही यह है कि वे अपना वजूद कायम करने […] Read more » dont try to be so great खुद को ऊँचा उठाने इतना भी नीचे न गिरे
धर्म-अध्यात्म महत्वपूर्ण लेख हिन्दुत्व और विश्व बंधुत्व : विपिन किशोर सिन्हा May 14, 2012 / June 6, 2012 by विपिन किशोर सिन्हा | 2 Comments on हिन्दुत्व और विश्व बंधुत्व : विपिन किशोर सिन्हा वेदान्त का सर्वविदित सूत्र है – एकं सद विप्रा बहुधा वदन्ति – एक ही सत्य विद्वान अनेक तरह से कहते हैं। बाइबिल में भी सत्य है, कुरान में भी सत्य है, वेदों में भी सत्य है। ये सभी सत्य अन्त में जाकर परम सत्ता के परम सत्य में विलीन हो जाते हैं। यह कहना कि […] Read more » हिंदुत्व
चिंतन बद् दुआएँ न लें,ये ही करती हैं बरबाद May 13, 2012 / May 13, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on बद् दुआएँ न लें,ये ही करती हैं बरबाद डॉ. दीपक आचार्य दुआओं का जितना असर होता है उससे कहीं ज्यादा असर होता है बद् दुआओं का। क्योंकि दुआएँ देते वक्त प्रसन्नता का भाव होता है और बद्दुआएं देते वक्त आक्रोष का। सामान्यतः किसी भी व्यक्ति के लिए चरम प्रसन्नता के क्षण जीवन में बहुत थोड़े आते हैं लेकिन चरम क्रोध और आक्रोष के […] Read more » बद् दुआएँ न लें
चिंतन पशुता का लक्षण है जुगाली May 12, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment अशुद्ध मुख से आती है दरिद्रता डॉ. दीपक आचार्य मनुष्य का शरीर धारण कर लेने से ही जीवन सफल नहीं हो जाता बल्कि मनुष्यता की पूर्णता और जीवन लक्ष्य पाने के लिए जिन सिद्धान्तों, आचार-विचारों और व्यवहारों की जरूरत होती है उनका पूरी तरह परिपालन करने से ही मनुष्य योनि की प्राप्ति धन्य हो सकती […] Read more » अशुद्ध मुख से आती है दरिद्रता पशुता का लक्षण है जुगाली
चिंतन तय सीमा में करें काम-काज May 12, 2012 / May 12, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on तय सीमा में करें काम-काज डॉ. दीपक आचार्य संसार के प्रत्येक कर्म की एक निर्धारित समय सीमा होती है जो कार्य विशेष के अनुरूप कम-ज्यादा रहती है। हर काम समय पर होना चाहिए, इसके साथ ही यह जरूरी है कि इसके संपादन के लिए दी गई तयशुदा समय सीमा में ही पूर्ण होना चाहिए। प्रत्येक मनुष्य के लिए हर काम […] Read more » सीमा में करें काम-काज
धर्म-अध्यात्म दवा के नाम पर ज़हर बन चुकी थी हज सब्सिडी/इक़बाल हिंदुस्तानी May 11, 2012 / May 11, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 1 Comment on दवा के नाम पर ज़हर बन चुकी थी हज सब्सिडी/इक़बाल हिंदुस्तानी 0 मुसलमानों को नहीं सरकारी कारिंदों को फायदा पहुंच रहा था! सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि वह दस साल के भीतर मुसलमानों को हजयात्रा के दौरान दी जाने वाली सब्सिडी ख़त्म करे। यह संभवतया पहला मौका है कि किसी वर्ग की सब्सिडी ख़त्म होने का उसी वर्ग द्वारा न केवल स्वागत […] Read more » हज सब्सिडी
धर्म-अध्यात्म इस्लाम और ज़िहाद May 10, 2012 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा अपने आरंभिक दिनों में इस्लाम धर्म एक उदारवादी, सुधारवादी, मानवतावादी और प्रगतिशील धर्म के रूप में दुनिया के सामने आया। यही कारण था कि अत्यन्त अल्प समय में यह विश्वव्यापी हो गया। यह सत्य है कि इसके विस्तार के लिए सत्ता और तलवार का सहारा लिया गया लेकिन यह भी सत्य है […] Read more » इस्लाम जेहाद
धर्म-अध्यात्म अजब बाबाओं का गजब धर्मयुद्ध April 30, 2012 by डॉ0 शशि तिवारी | 1 Comment on अजब बाबाओं का गजब धर्मयुद्ध डॉ. शशि तिवारी भारत प्रारंभ से ही साधु-संत फकीर, ऋषि मुनियों की भूमि रहा है! अध्यात्म-ज्ञान के क्षेत्र में भारत का पूरे विश्व में एक अलग ही स्थान है, फिर बात चाहे भगवान राम, कृष्ण महावीर ही क्यो न हो, पूरे विश्व में हर एक शांति की खोज में लगा हुआ है! निःसंदेह आत्मिक शांति […] Read more » अंधविश्वास
चिंतन पालतू होकर आका बदलते रहें April 29, 2012 / April 29, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य मस्ती चाहें तो स्वाभिमान से रहें वरना पालतु होकर आका बदलते रहें जीवन का सबसे बड़ा दर्शन है आनंद से जीवनयापन और मानवीय लक्ष्यों की पूर्णता। इसके लिए विभिन्न मार्ग हैं जिन पर चलकर आनंदमय जीवन जीया जा सकता है। एक मार्ग परम्परा से चला आ रहा है और वह है ईश्वरीय […] Read more » पालतु होकर आका बदलते रहें स्वाभिमान से रहें
चिंतन परायेपन का अहसास April 26, 2012 / April 26, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य परायी सामग्री देती है परायेपन का अहसास जो अपना है वही दे सकता है अपनेपन का अहसास। जो पराया है उसे अपनाने पर जीवन के हर क्षण में परायेपन का अहसास होता है। यहाँ बात किसी व्यक्ति के बारे में नहीं बल्कि सामग्री के बारे में की जा रही है। पुरुषार्थ से […] Read more » परायेपन का अहसास