धर्म-अध्यात्म हमारा वर्तमान जन्म हमारे पूर्वजन्म का पुनर्जन्म है September 30, 2022 / September 30, 2022 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य का जीवन मात्र शरीर के अस्तित्व तक सीमित नहीं है। मनुष्य व प्राणियों के शरीर तो जड़ भौतिक पदार्थों अर्थात् पंचभूतों से मिलकर बने हैं। इन शरीरों में जो ज्ञान व कर्म करने की शक्ति है वह इसमें अनादि काल से अस्तित्व रखने वाली जीवात्माओं के कारण है। यह आत्मा […] Read more » हमारा वर्तमान जन्म हमारे पूर्वजन्म का पुनर्जन्म है
धर्म-अध्यात्म हम सबके प्रेरणास्रोत और श्रद्धास्पद स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती September 28, 2022 / September 28, 2022 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। परम पिता परमात्मा ने सृष्टि के आरम्भ में संसार के सभी मनुष्यों के पूवज चार आदि ऋषियों को वेदों का ज्ञान दिया था और प्रेरणा की थी कि जीवात्मा व जीवन के कल्याण के लिए संसार की प्रथम वैदिक संस्कृति को अपनाओं व धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष के मार्ग […] Read more » स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती
धर्म-अध्यात्म स्वस्थ, सुखी व दीर्घ जीवन का आधार सन्ध्योपासना व इसके मन्त्रों का अर्थ सहित चिन्तन September 21, 2022 / September 21, 2022 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य जीवन परमात्मा से हम सबको अपनी आत्मा और शरीर की उन्नति के लिये मिला है। आत्मा की उन्नति का साधन सत्य ज्ञान की प्राप्ति सहित उसके अनुरूप आचरण करना है। ईश्वर के ध्यान, चिन्तन, उपासना को सन्ध्या कहा जाता है। सन्ध्या का अर्थ है ईश्वर का भली भांति ध्यान करना […] Read more » happy and long life is sandhyapasana and contemplation with the meaning of its mantras. The basis of healthy
धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार हमें दयानन्द जी को समाने रखकर आर्यसमाज का काम करना है और आलोचनाओं से विचलित नहीं होना है September 9, 2022 / September 9, 2022 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य यज्ञ सम्पन्न होने के बाद कार्यक्रम में बिजनौर से पधारे आर्य भजनोपदेशक श्री नरेन्द्र दत्त आर्य जी के भजन हुए। उनके द्वारा गाये गये एक भजन के शब्द थे ‘प्रभु का करो कीर्तन सुख मिलेगा, करो कीर्तन उसका कीर्ति हो जिसकी। गुणों का करो तुम मनन सुख मिलेगा। भक्ति में हो […] Read more » We have to do the work of Arya Samaj keeping Dayanand ji in front and do not get distracted by criticisms.
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द का नवदम्पत्तियों व गृहस्थियों को वेदसम्मत कर्तव्योपदेश September 6, 2022 / September 6, 2022 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द महाभारतकाल के बाद संसार में वेदों के सर्वाधिक ज्ञानसम्पन्न विद्वान व ऋषि हुए हैं। उन्होंने वेदों वा वेदों की संहिताओं की खोज कर उनका संरक्षण करने के साथ वेदों पर भाष्य भी किया। मनुष्य जाति मुख्यतः वेदप्रेमियों का यह दुर्भाग्य था कि कुछ पतित लोगों ने उनको विषपान करा […] Read more » Vedantic Duties of Maharishi Dayanand to newlyweds and householders
धर्म-अध्यात्म दशलक्षण वात्सल्य और आत्मशुद्धि का महापर्व August 29, 2022 / August 29, 2022 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on दशलक्षण वात्सल्य और आत्मशुद्धि का महापर्व पर्वाधिराज दशलक्षण महामहोत्सव पर विशेष ब्रह्मचारिणी डॉ. कल्पना जैन भारतीय संस्कृति में पर्वों का विशेष महत्व है, क्योंकि वे हमें मर्यादित आचरण करना सिखाते हैं। यह मर्यादा तो स्वतंत्रता देती है, किन्तु स्वच्छन्दता पर रोक लगाती है। यह मात्र स्वयं जीने का दर्शन नहीं, अपितु ‘जियो और जीने दो‘ का दर्शन है। यह दूसरों को […] Read more » The great festival of devotion and self-purification पर्वाधिराज दशलक्षण महामहोत्सव
धर्म-अध्यात्म ईश्वर सभी प्राणियों का सर्वोत्तम न्यायाधीश है August 29, 2022 / August 29, 2022 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य यह सारा संसार ईश्वर की कृति है और सभी प्राणी अपने अपने शुभाशुभ कर्मों का फल भोगने के लिए मनुष्यादि अनेक योनियों में ईश्वर द्वारा उत्पन्न किये गये हैं। सभी प्राणियों को जन्म व मृत्यु भी ईश्वर ही प्रदान करता है जिसका आधार हमारे पूर्वजन्मों के कर्म होते हैं। हमने अपने […] Read more » God is the best judge of all beings
धर्म-अध्यात्म प्रातः सायं ईश्वर की उपासना करना मनुष्य का अनिवार्य धर्म है August 26, 2022 / August 26, 2022 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य मननशील प्राणी को कहते हैं। हम मननशील हैं, अतः हमारा प्रमुख कार्य मननपूर्वक सभी कार्यों को करना है। मनुष्य संसार में आता है तो वह संसार को देख कर जिज्ञासा करता है कि यह संसार किसने बनाया है? सूर्य, चन्द्र, पृथिवी, ग्रह–उपग्रह तथा लोक लोकान्तर किसने बनाये हैं? पृथिवी पर […] Read more » ईश्वर की उपासना
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म लेख वर्त-त्यौहार आत्मा को ज्योतिर्मय करने का पर्व पयुर्षण August 24, 2022 / August 24, 2022 by ललित गर्ग | Leave a Comment पयुर्षण महापर्व- 24-31 अगस्त, 2022 पर विशेष – ललित गर्ग –पयुर्षण पर्व जैन समाज का आठ दिनों का एक ऐसा महापर्व है जिसे खुली आंखों से देखते ही नहीं, जागते मन से जीते हैं। यह ऐसा मौसम है जो माहौल ही नहीं, मन को पवित्रता में भी बदल देता है। आधि, व्याधि, उपाधि की चिकित्सा कर […] Read more » Payushan the festival of illuminating the soul पयुर्षण महापर्व
धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार समाज अद्वितीय महापुरुष योगेश्वर कृष्ण का जीवन आदर्श व अनुकरणीय है August 17, 2022 / August 22, 2022 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –कृष्ण जन्माष्टमी पर्व 18 अगस्त, 2022 पर– –मनमोहन कुमार आर्य योगेश्वर कृष्ण जी का बड़ी विषम पारिवारिक एवं देश की राजनैतिक परिस्थितियों में जन्म हुआ था। उनके मामा कंस ने उनके माता–पिता देवकी और वसुदेव जी को अज्ञान के कारण जेल में डाल दिया था। आर्य विद्वान पं. चमूूपति जी इस घटना को महाभारत […] Read more » कृष्ण जन्माष्टमी पर्व महापुरुष योगेश्वर कृष्ण
चिंतन धर्म-अध्यात्म समाज ब्रह्माण्ड के अगणित सौरमण्डलों में असंख्य पृथिव्यां हैं जहां हमारे समान मनुष्यादि प्राणि होना सम्भव है August 10, 2022 / August 10, 2022 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य हमारी पृथिवी हमारे सूर्य का एक ग्रह है। इस पृथिवी ग्रह पर मनुष्यादि अनेक प्राणी विद्यमान है। हमारी यह पृथिवी व समस्त ब्रह्माण्ड वैदिक काल गणना के अनुसार 1.96 अरब वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया है। पृथिवी पर मानव सृष्टि की उत्पत्ति से लगभग 2.6 करोड़ वर्ष पूर्व का काल सृष्टि […] Read more » There are innumerable earths in the countless solar systems of the universe where it is possible to have human beings like us. अगणित सौरमण्डलों में असंख्य पृथिव्यां
धर्म-अध्यात्म लेख मनुष्य-जन्म का उद्देश्य विद्या प्राप्त कर ईश्वर-साक्षात्कार करना है July 27, 2022 / July 27, 2022 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य संसार में ईश्वर, जीव व प्रकृति, इन तीन अभौतिक व भौतिक पदार्थों का अस्तित्व है। ईश्वर व जीव अभौतिक वा चेतन हैं तथा प्रकृति भौतिक वा जड़ सत्ता है। ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरुप, निराकार, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, न्यायकारी तथा जीवों के कर्मों के अनुसार उनके जन्म व मृत्यु की व्यवस्था करने वाली […] Read more » The purpose of human birth is to attain God-realization by acquiring knowledge. मनुष्य-जन्म का उद्देश्य विद्या प्राप्त कर ईश्वर-साक्षात्कार करना है