धर्म-अध्यात्म महाभारत युद्ध के बाद ऋषि दयानन्द जैसे कुछ ऋषि होते तो देश में अविद्या व अन्धविश्वास उत्पन्न न होते January 21, 2020 / January 21, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य हमारा देश महाभारत युद्ध के बाद अज्ञान, अन्धविश्वास, पाखण्ड, कुरीतियों वा मिथ्या परम्पराओं सहित अनेकानेक आडम्बरों से भर गया था जिसका परिणाम देश में छोटे-छोटे राज्यों के निर्माण सहित देश की पराधीनता के रूप में सामने आया। अज्ञान व अन्धविश्वासों के कारण ही देश में चेतन ईश्वर का तिरस्कार कर जड़ […] Read more »
धर्म-अध्यात्म अतीत के सभी विद्वानों व राज्याधिकारियों के आलस्य-प्रमाद युक्त कार्यों की कीमत भावी पीढ़ियों को चुकानी पड़ती है January 18, 2020 / January 18, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य मनुष्यों के दो भेद प्रायः देखने को मिलते हैं। एक विद्वान बुद्धिजीवी वर्ग होता है और दूसरा शासित सामान्य अल्प शिक्षित वर्ग। विद्वान बुद्धिजीवी देश के शिखरस्थ राजनीतिक पदों पर आसीन होकर निर्णय लेते, नीतियां व योजनायें बनाते हैं। उनके निर्णयों एवं कार्यों का प्रभाव देश के वर्तमान एवं भविष्य दोनों […] Read more » विद्वानों व राज्याधिकारियों के आलस्य-प्रमाद युक्त कार्य
धर्म-अध्यात्म वेद-विहित विधि से ईश्वरोपासना न करने से जन्म-परजन्मों में हानियां January 17, 2020 / January 17, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य को उपासना की आवश्यकता क्यों है? इसके अनेक कारण हैं। मुख्य कारण तो उपासना से हमें उपास्य ईश्वर के सद्गुणों का ज्ञान होने सहित ईश्वर से अपनी जीवन यात्रा को सुगम रीति से चलाने में मार्गदर्शन भी प्राप्त होता है। ईश्वर उपासक निर्धन व दरिद्र नहीं होता। ईश्वर की उपासना […] Read more » ईश्वरोपासना
धर्म-अध्यात्म मनुष्य परमात्मा प्रदत्त बुद्धि का विवेकपूर्वक सदुपयोग न कर अपनी व देश-समाज की हानि करता है January 17, 2020 / January 17, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य हमारा यह संसार एवं प्राणी जगत ईश्वर की विशिष्ट रचना है। यह संसार परमात्मा ने अपना कोई प्रयोजन पूरा करने के लिये नहीं अपितु जीवात्माओं का सुख एवं कल्याण करने की भावना से बनाया है। जीवात्मा चेतन तथा अल्पज्ञ सत्ता है। जीवात्मा अनादि व नित्य होने से संसार में सदा से […] Read more » परमात्मा बुद्धि का विवेकपूर्वक सदुपयोग
धर्म-अध्यात्म हमें ईश्वर को जगत में उसकी चेष्टाओं व क्रियाओं के द्वारा देखना चाहिये January 16, 2020 / January 16, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य परमात्मा ने हमें मानव शरीर और इसमें पांच ज्ञानेन्द्रियां एवं पांच कर्मेन्द्रियां दी हैं। हमारे नेत्र हमारी ज्ञानेन्द्रिय है जो हमें स्थूल दृश्यों का दर्शन कराती हैं। अपने नेत्रों से हम स्वयं को व दूसरे मनुष्यो, अन्य प्राणियों एवं पृथिवी, वृक्ष, सूर्य, चन्द्र, जल आदि पदार्थों को देखते हैं। वेद से […] Read more »
धर्म-अध्यात्म यदि ईश्वर सृष्टि न बनाता तो क्या होता? January 15, 2020 / January 15, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य हम इस संसार में रहते हैं और हमसे पहले हमारे पूर्वज इस सृष्टि में रहते आये हैं। संसार में प्रचलित मत–मतान्तर तो कोई लगभग दो हजार और कोई पन्द्रह सौ वर्ष पुराना है, कुछ इनसे भी अधिक प्राचीन और कुछ अर्वाचीन हैं, परन्तु यह सृष्टि वैदिक मत व गणना के अनुसार […] Read more » ईश्वर
धर्म-अध्यात्म हमें ईश्वर के सत्यस्वरूप की ही उपासना करनी चाहिये असत्य की नहीं January 14, 2020 / January 14, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य किसी भी वस्तु या पदार्थ का स्वरूप कुछ विशिष्ट गुणों को लिये हुए होता है। उन गुणों को जानकर उसके अनुरूप उसके बारे में विचार रखना व उसका सदुपयोग करना ही उचित होता है। ईश्वर भी एक द्रव्य व पदार्थ है जिसमें अपने कुछ गुण, कर्म व स्वभाव आदि हैं। हमें […] Read more » ईश्वर के सत्यस्वरूप की ही उपासना करनी चाहिये
धर्म-अध्यात्म वेदों को हानि उन ब्राह्मण पण्डितों से हुई जिन्होंने सत्य वेदार्थ का अनुसंधान एवं प्रचार नहीं किया January 14, 2020 / January 14, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, वेदों का आविर्भाव सृष्टि के आरम्भ में परमात्मा से हुआ था। सृष्टि के आरम्भ में न कोई भाषा थी न ही ज्ञान। ज्ञान भाषा में ही निहित होता है। मनुष्यों की प्रथम उत्पत्ति से पूर्व भाषा व ज्ञान का होना असम्भव व अनावश्यक था। भाषा तो मनुष्यों की उत्पत्ति के बाद […] Read more » वेदों को हानि
धर्म-अध्यात्म विश्ववार्ता व्यक्तित्व निर्माण में सहायक सिद्ध होता है दान January 13, 2020 / January 13, 2020 by डॉ नीलम महेन्द्रा | Leave a Comment जो हम देते हैं वो ही हम पाते हैं ‘ दान के विषय में हम सभी जानते हैं। दान, अर्थात देने का भाव, अर्पण करने की निष्काम भावना। भारत वो देश है जहाँ कर्ण ने अपने अंतिम समय में अपना सोने का दांत ही याचक को देकर, ऋषि दधीचि ने अपनी हड्डियां दान करके और […] Read more » donation Donation proves helpful in building personality दान व्यक्तित्व निर्माण में सहायक
धर्म-अध्यात्म माता-पिता के प्रति सन्तानों और ईश्वर के प्रति मानवमात्र के कर्तव्य” January 9, 2020 / January 9, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य विचार करे तो उसे संसार में अपने लिये सबसे अधिक महत्वपूर्ण व उपकारी माता-पिता का संबंध प्रतीत होता है। माता-पिता न होते तो हम व अन्य कोई मनुष्य इस कर्मभूमि रूपी संसार में जन्म नहीं ले सकता था। माता-पिता की भूमिका यदि जन्म तक ही सीमित होती तो भी उनका […] Read more » माता पिता
धर्म-अध्यात्म लेख कलिकाल का मोक्ष द्वार गंगासागर January 9, 2020 / January 9, 2020 by जगदीश यादव | Leave a Comment सागरद्वीप यानी गंगासागर में स्थित कपिलमुनि मंदिर कितना प्राचीन है इसके बारे में कोई भी दावे से कुछ नहीं कह सकता है। लेकिन कहा जाता है कि आज से पांच हजार वर्ष पहले ही आमलोगों को उक्त धर्म स्थली की जानकारी मिल गयी थी।.योगोश चंद्र राय ने अपने ‘पूजापार्वन‘ ग्रंथ में गंगा सागर का उल्लेख […] Read more » ganga sagar कलिकाल का मोक्ष द्वार कलिकाल का मोक्ष द्वार गंगासागर गंगासागर
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द संसार के अद्वितीय महान युगपुरुष January 8, 2020 / January 13, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य जीवात्मा एक अत्यन्त अल्प परिमाण वाली चेतन सत्ता है। यह अल्प ज्ञान एवं अल्प शक्ति से युक्त होती है। इसका स्वभाव व प्रवृत्ति जन्म व मरण को प्राप्त होना है। जीवात्मा में मनुष्य व अन्य प्राणी–योनियों में जन्म लेकर कर्म करने की सामर्थ्य होती है। मनुष्य योनि में जन्म का कारण […] Read more » ऋषि दयानन्द