धर्म-अध्यात्म “ईश्वरीय ज्ञान वेदों का पुनरुद्धार, देश को आजादी का मूलमन्त्र तथा सामाजिक न्याय का सिद्धान्त ऋषि दयानन्द की देन है” November 8, 2018 / November 8, 2018 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on “ईश्वरीय ज्ञान वेदों का पुनरुद्धार, देश को आजादी का मूलमन्त्र तथा सामाजिक न्याय का सिद्धान्त ऋषि दयानन्द की देन है” मनमोहन कुमार आर्य, हम और सारा संसार ऋषि दयानन्द का ऋणी है। उनका ऋण ऐसा है कि जो कोई उतार नहीं सकता। उन्होंने संसार को सत्य ज्ञान दिया जो महाभारत युद्ध के बाद लुप्त होने के साथ अनेक विकृतियों से ग्रस्त हो गया था। वेदों के शुद्ध ज्ञान को प्राप्त करना सहज व सरल नहीं […] Read more » अज्ञान का निवारण अन्धविश्वास अन्धविश्वासों आजादी ऋषि दयानन्द फलित ज्योतिष महर्षि दयानन्द मूर्तिपूजा शिक्षा का प्रचार सामाजिक कुरीतियां
धर्म-अध्यात्म “ऋषि दयानन्द ने सभी मिथ्या आध्यात्मिक मान्यताओं एवं सभी सामाजिक बुराईयों का निवारण किया” November 8, 2018 / November 8, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, ऋषि दयानन्द सर्वांगीण व्यक्तित्व के धनी थे। आध्यात्मिक दृष्टि से उन्हें देखें तो वह आध्यात्म व योग के ऋषि कोटि के विद्वान थे। उनके सामाजिक योगदान पर दृष्टि डालते हैं तो वह पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने एक या दो सामाजिक दोषों पर ध्यान नहीं दिया अपितु सभी सामाजिक बुराईयों का उन्मूलन […] Read more » अध्यात्म आर्याभिविनय ईश्वर ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका ऋषि दयानन्द जीवात्मा ज्ञान पंचमहायज्ञविधि प्रकृति योग सत्यार्थप्रकाश
धर्म-अध्यात्म “ऋषि दयानन्द अमर हैं और हमेशा अमर रहेंगेः नवीन भट्ट” November 5, 2018 / November 5, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, आर्यसमाज ऋषि दयानन्द सरस्वती जी के कर कमलों द्वारा स्थापित आर्यसमाज है जिसकी स्थापना देहरादून के ऋषि भक्त पं. कृपाराम जी व उनके सहयोगियों के द्वारा 29 अप्रैल, 1879 को हुई थी। पं. कृपा राम जी आर्यसमाज के विख्यात विद्वान एवं संन्यासी पं. बुद्धदेव विद्यालंकार के नाना थे। आज समाज का साप्ताहिक […] Read more » “ऋषि दयानन्द अमर हैं और हमेशा अमर रहेंगेः नवीन भट्ट” अरविन्द ने महर्षि दयानन्द सच्चिदानन्दस्वरूप
धर्म-अध्यात्म “संसार की आदि भाषा संस्कृत कैसे अस्तित्व में आई” November 5, 2018 / November 5, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, संसार में अनेक भाषायें हैं। सबका अपना अपना इतिहास है। कोई भाषा अपनी पूर्ववर्ती किसी भाषा का विकार है व वह उसमें सुधार होकर बनी है तो कोई भाषा अनेक भाषाओं से शब्दों को लेकर व अन्य अनेक भौगोलिक आदि कारणों से अस्तित्व में आईं हैं। संस्कृत भाषा की बात करें तो […] Read more » “संसार की आदि भाषा संस्कृत कैसे अस्तित्व में आई” आदित्य व अंगिरा ऋग्वेद ऋषियों अग्नि यजुर्वेद वायु सामवेद तथा अथर्ववेद
धर्म-अध्यात्म “मनुष्य का मानव और दानव बनना उसके अपने हाथों में हैं” November 3, 2018 / November 3, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, ससार में हम अनेक प्राणियों को देखते हैं। दो पैर और दो हाथ वाला प्राणी जो भूमि पर सीधा खड़ा होकर व सिर ऊंचा उठाकर चलता है, जिसके पास बुद्धि है और जो सोच विचार कर अपने काम करता है, उसे मनुष्य कहते हैं। मनुष्य की विशेषता यह है कि उसके पास […] Read more » “मनुष्य का मानव और दानव बनना उसके अपने हाथों में हैं” अग्निहोत्र अनुचित ऋषि दयानन्द कर्तव्य-अकर्तव्य चिन्तन ध्यान मनन माता पिता स्वाध्याय
धर्म-अध्यात्म “सभी दुःखों से मुक्ति व आनन्दमय मोक्ष की प्राप्ति के चार साधन” November 2, 2018 / November 2, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य को अपने पूर्वजन्म के शुभ कर्मों के परिणामस्वरूप परमात्मा से यह श्रेष्ठ चोला व शरीर मिला है। सब प्राणियों से मनुष्य का शरीर श्रेष्ठ होने पर भी यह प्रायः सारा जीवन दुःख व क्लेशों से घिरा रहता है। दूसरों लोगों को देख कर यह अपनी रुचि व सामर्थ्यानुसार विद्या प्राप्त कर […] Read more » अधिकानन्द अन्न आनन्द कर्म गुण जल न्यून आनन्द वायु सुभाषित स्वभाव
धर्म-अध्यात्म आर्यसमाज का लक्ष्य है ‘कृण्वन्तो विश्मार्यम्’ November 1, 2018 / November 1, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, महर्षि दयानन्द ने आर्यसमाज की स्थापना देश से अविद्या दूर करने के साथ वेदाज्ञा ‘‘कृण्वन्तो विश्वमार्यम्” अर्थात् समस्त विश्व को आर्य वा श्रेष्ठ विचारों सहित उत्तम आचरण वाला बनाने के लिये की थी। आर्यसमाज ने अपने 143 वर्षों के इतिहास में इस दिशा में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये हैं परन्तु किन्हीं कारणों […] Read more » अर्थ शुचिता अहंकारशून्यता आर्यसमाज का लक्ष्य है ‘कृण्वन्तो विश्मार्यम्’ महर्षि दयानन्द मितव्ययता विनम्रता
धर्म-अध्यात्म -बलिदास दिवस व पुण्य तिथि पर-“भारत भाग्य विधाता ऋषि दयानन्द” October 31, 2018 / October 31, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, आज ऋषि दयानन्द (1825-1883) का आंग्ल तिथि के अनुसार बलिदान दिवस वा पुण्य तिथि है। हिन्दी तिथि के अनुसार यह 7 नवम्बर, 2018 को है। ऋषि दयानन्द जी का बलिदान हुए पूरे 135 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं। इस अवधि में उनके अनुयायियों एवं आर्यसमाज ने जो कार्य किये हैं उसमें अनेक […] Read more » अज्ञान सत्यार्थप्रकाश अवतारवाद ऋग्वेद-यजुर्वेद ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका ऋषि दयानन्द जन्मना जातिवाद फलित ज्योतिष मूर्तिपूजा मृतक श्राद्ध
धर्म-अध्यात्म “क्या निराकार ईश्वर की मूर्ति बन सकती है?” October 29, 2018 / October 29, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, ईश्वर की अनेक परिभाषाओं में से एक परिभाषा यह है कि जिसने इस समस्त जड़-चेतन जगत को बनाया है उसे ईश्वर कहते हैं। चेतन जगत से अभिप्राय प्राणियों की अनेक योनियां हैं जिनमें प्रत्येक शरीर में एक चेतन आत्मा विद्यमान है। ईश्वर एक अनादि, अनुत्पन्न, नित्य, अविनाशी, अमर व अनन्त चेतन सत्ता […] Read more » “क्या निराकार ईश्वर की मूर्ति बन सकती है?” अग्ने इन्द्र भगवान कृष्ण वरूण वायु हिरण्यगर्भ
धर्म-अध्यात्म विविधा साहित्य द्वारिकापुरी की कहानी October 28, 2018 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी माना जाता है कि भगवान विष्णु जब चारों धामों पर बसे अपने धामों की यात्रा पर जाते हैं तो हिमालय की ऊंची चोटियों पर बने अपने धाम बद्रीनाथ में स्नान करते हैं। पश्चिम में गुजरात के द्वारिका में वस्त्र पहनते हैं। पुरी में भोजन करते हैं और दक्षिण में रामेश्वरम में विश्राम […] Read more » द्वारिकापुरी की कहानी
धर्म-अध्यात्म “अविद्या से रहित तथा विद्यायुक्त एकमात्र ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश” October 27, 2018 / October 27, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, महाभारत काल के बाद से पूरे विश्व के अध्यात्म एवं सामाजिक जगत में घोर अविद्या फैली हुई है। मनुष्य को अपनी आत्मा सहित ईश्वर के सत्यस्वरूप का ज्ञान नहीं है। उसे अपने परिवार व समाज के प्रति भी अपने कर्तव्यों का ज्ञान नहीं है और न उसे यह पता है किससे क्या […] Read more » ईश्वर ईश्वर का स्वरूप ईश्वर के कार्य ईश्वर के गुण ईश्वरीय ज्ञान उपनिषद कर्म और स्वभाव दर्शन मनुस्मृति वेद
धर्म-अध्यात्म “सही विधि से ईश्वरोपासना न करने पर उसका लाभ नहीं होता” October 26, 2018 / October 26, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, आस्तिक लोग ईश्वर की पूजा व उपासना करते हैं। पूजा व उपासना को भक्ति का नाम भी दिया जाता है। हम जानते हैं कि हमें हर काम को सीखना पड़ता है। हम यह प्रयास करते हैं कि हमें सीखाने वाला व्यक्ति उस विषय का पूर्ण जानकार हो। अपूर्ण जानकार से कोई भी […] Read more » अजन्मा अनन्त दयालु धर्त्ता निराकार न्यायकारी सब सृष्टि का कर्त्ता सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान हर्त्ता