धर्म-अध्यात्म आचार्य महाश्रमणः धरती पर थिरकता अध्यात्म का जादू April 24, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment आचार्य महाश्रमण के 57वें जन्म दिवस, 24 अप्रैल 2018 पर विशेष -ललित गर्ग- आचार्य महाश्रमण एक ऐसी आलोकधर्मी परंपरा का विस्तार है, जिस परंपरा को महावीर, बुद्ध, गांधी, आचार्य भिक्षु, आचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञ ने अतीत में आलोकित किया है। अतीत की यह आलोकधर्मी परंपरा धुंधली होने लगी, इस धुंधली होती परंपरा को आचार्य […] Read more » Featured अहिंसा आचार्य श्री महाश्रमण आत्मविश्वास जाति धर्म नेपाल पुरुषार्थी प्रयत्न प्रांत वर्ग वर्ण समर्पण
धर्म-अध्यात्म संसार में अनादि पदार्थ कितने व कौन कौन से हैं? April 24, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हम जब आंखे बन्द करते हैं तो हमें कुछ दिखाई नहीं देता और जब आंखों को खोलते हैं तो हमें यह संसार दिखाई देता है। इस संसार में सूर्य, चन्द्र, पृथिवी, नक्षत्र, लोक लोकान्तर आदि अनेक ग्रह व उपग्रह हैं। इनकी संख्या के बारे में विज्ञान के स्तर से भी माना व […] Read more » Featured अनादि अविनाशी ईश्वर चन्द्र चेतन नक्षत्र नित्य पृथिवी लोक सूर्य
धर्म-अध्यात्म “आर्यसमाज का उद्देश्य संसार का उपकार करना” April 24, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य समाज की एक इकाई है। मनुष्य का अभिप्राय स्त्री व पुरुष दोनों से होता है। इन दोनों के समूहों से मिल कर समाज बनता है। समाज का अर्थ होता कि सभी मनुष्य स्त्री व पुरुष परस्पर समान अथवा बराबर हैं। पृथिवी के किसी भूभाग पर समाज के द्वारा ही देश का […] Read more » Featured अग्नि अन्न आकाश ओषिधियां जल दुग्घ फल फूल मनुष्य वनस्पतियां वायु समाज
धर्म-अध्यात्म गायत्री महामंत्र का महत्व April 23, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य वेदों में गायत्री मंत्र के नाम से एक मंत्र आता है जो निम्न है। इसे गायत्री मंत्र इस लिये कहते हैं कि इसे गाया जाता है और यह मंत्र गायत्री छन्द निबद्ध है। इसे गुरू मंत्र भी कहते हैं। इस कारण कि गुरुकुल में प्रवेश करते समय आचार्य अपने ब्रह्मचारी को प्रथम […] Read more » Featured आत्मा ईश्वर ऋषि दयानन्द मनुष्य
धर्म-अध्यात्म “सच्ची आध्यात्मिकता के उन्नायक व पुरस्कर्ता ऋषि दयानन्द” April 21, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment “सच्ची आध्यात्मिकता के उन्नायक व पुरस्कर्ता ऋषि दयानन्द” –मनमोहन कुमार आर्य, ऋषि दयानन्द (1825-1883) को सारा संसार जानता है। सभी मत-मतान्तरों के आचार्य भी उन्हें व उनके बनाये सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ को जानते हैं। उन्होंने धार्मिक जगत में ऐसी क्रान्ति की जिसने सभी मत-मतान्तरों की अविद्या की पोल खोल दी। उनके आने से पूर्व सभी मत-मतान्तरों […] Read more » Featured आध्यात्मिक ईश्वर ऋग्वेदादिभाष्य ऋषि दयानन्द प्रवचन वैदिक विद्वान
धर्म-अध्यात्म ‘संसार में अनादि पदार्थ कितने व कौन कौन से हैं?’ April 20, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ‘संसार में अनादि पदार्थ कितने व कौन कौन से हैं?’ -मनमोहन कुमार आर्य, हम जब आंखे बन्द करते हैं तो हमें कुछ दिखाई नहीं देता और जब आंखों को खोलते हैं तो हमें यह संसार दिखाई देता है। इस संसार में सूर्य, चन्द्र, पृथिवी, नक्षत्र, लोक लोकान्तर आदि अनेक ग्रह व उपग्रह हैं। इनकी संख्या […] Read more » Featured ईश्वर चन्द्र जीवात्माओं नक्षत्र पृथिवी ब्रह्माण्ड सूर्य सृष्टिकर्ता
धर्म-अध्यात्म संसार में अनादि पदार्थ कितने व कौन कौन से हैं?” April 19, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment “संसार में अनादि पदार्थ कितने व कौन कौन से हैं?” –मनमोहन कुमार आर्य हम जब आंखे बन्द करते हैं तो हमें कुछ दिखाई नहीं देता और जब आंखों को खोलते हैं तो हमें यह संसार दिखाई देता है। इस संसार में सूर्य, चन्द्र, पृथिवी, नक्षत्र, लोक लोकान्तर आदि अनेक ग्रह व उपग्रह हैं। इनकी संख्या […] Read more » Featured ईश्वर ब्रह्माण्ड मनुष्य योनि सृष्टि
धर्म-अध्यात्म गीता का कर्मयोग और आज April 18, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment गीता का कर्मयोग और आज राकेश कुमार आर्य  गीता का अठारहवां अध्याय अधर्म को धर्म समझ लेना घोर अज्ञानता का प्रतीक है। मध्यकाल में बड़े-बड़े राजा महाराजाओं ने और सुल्तानों ने अधर्म को धर्म समझकर महान नरसंहारों को अंजाम दिया। ये ऐसे नरसंहार थे -जिनसे मानवता सिहर उठी थी। वास्तव में ये कार्य तामसी […] Read more » Featured अर्जुन इन्द्रियां प्राण भय मनुष्य निद्रा मनुष्य मन विषाद शोक श्रीकृष्णजी
धर्म-अध्यात्म शूद्रों को ब्राह्मण बनाने वाले परशुराम April 17, 2018 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on शूद्रों को ब्राह्मण बनाने वाले परशुराम शूद्रों को ब्राह्मण बनाने वाले परशुराम प्रमोद भार्गव समाज को बनाने की जिम्मेदारी उस समाज के ऊपर होती है, जिसके हाथ में सत्ता के तंत्र होते हैं। इसीलिए जब परशुराम के हाथ सत्ता के सूत्र आए तो उन्होंने समाजिक उत्पीड़न झेल रहे शूद्र और वंचितों को मुख्यधारा में लाकर पहले तो उनका यज्ञोपवीत संस्कार कराकर […] Read more » Featured अविस्थान (अफगानिस्तान) मुंजावत ; हिन्दुकुश आर्याण ; (ईरान) देवलोक कान्यकुब्ज ;कन्नौज के गाधि चंद्रवंशी परशुराम मेरु (पामिर) ;सीरिया (परशुपुर) पारस वर्तमान फारस समाज सुसर्तु ;पंजक्षीर उत्तर कुरु सूर्यवंशी और यादववंशी
धर्म-अध्यात्म गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-91 April 16, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का अठारहवां अध्याय योगीराज श्रीकृष्णजी अर्जुन को बताते हैं कि किसी भी देहधारी के लिए कर्मों का पूर्ण त्याग सम्भव नहीं है। ऐसा हो ही नहीं सकता कि कोई व्यक्ति कर्मों का पूर्ण त्याग कर दे। कर्म तो लगा रहता है, चलता रहता है। गीता की एक ही शर्त […] Read more » Featured अर्जुन आध्यात्मिक गीता युद्ध श्रीकृष्णजी संसार
धर्म-अध्यात्म गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-92 April 16, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का अठारहवां अध्याय अंग्रेजों के कानून ने किसी ‘डायर’ को फांसी न देकर और हर किसी ‘भगतसिंह’ को फांसी देकर मानवता के विरुद्ध अपराध किया। यह न्याय नहीं अन्याय था। यद्यपि अंग्रेज अपने आपको न्यायप्रिय जाति सिद्घ करने का एड़ी चोटी का प्रयास आज भी करते हैं। इसके विपरीत गीता दुष्ट […] Read more » Featured अंग्रेजों अर्जुन कानून कृष्ण गीता परमपिता परमात्मा भगत सिंह
धर्म-अध्यात्म आदर्श गुरु स्वामी विरजानन्द और आदर्श शिष्य स्वामी दयानन्द April 16, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आदर्श मनुष्य का निर्माण आदर्श माता, पिता और आचार्य करते हैं। ऋषि दयानन्द ने लिखा है कि वह सन्तान भाग्यशाली होती है जिसके माता, पिता और आचार्य धार्मिक होते हैं। धार्मिक होने का अर्थ है कि जिन्हें वेद व वेद परम्पराओं का ज्ञान होता है। ऋषि दयानन्द भाग्यशाली थे कि उन्हें […] Read more » Featured असमानता आदर्श ऋषि दयानन्द छूआछूत ज्योतिष पिता . आचार्य माता सामाजिक स्वामी विरजानन्द