चिंतन व्यक्तित्व को ढालना है हमारे हाथ August 12, 2012 / August 12, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य व्यक्तित्व को ढालना है हमारे हाथ रचनात्मक बनायें या विध्वंसात्मक व्यक्तित्व का निर्माण व्यक्ति के अपने हाथ में होता है। इसे वह चाहे जिस साँचे में ढालने को स्वतंत्र है। वंशानुगत संस्कारों, पारिवारिक माहौल, मित्रों के संसार और परिवेश तथा परिस्थितियों आदि सभी प्रकार के कारकों का व्यक्तित्व पर प्रभाव पड़ता है। […] Read more » रचनात्मक विध्वंसात्मक
चिंतन थोड़ा दूसरों के लिये भी सोचें August 4, 2012 / August 4, 2012 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे नरेंद्रनाथ ने रामकृष्ण देव से कहा – ठाकुर ! मुझे एकांत में समाधि लगानी है । मुझे ऐसा करने में बहुत आन्नद आता है आप मुझे ऐसा ही करने का आशीर्वाद दें कि मैं ऐसा कर सकूं । ठाकुर श्री रामकृष्ण परमहंस बोले पागल ! कैसी छोटी छोटी बातें करता है तू ! […] Read more »
चिंतन ब्रह्मपुत्र आज सिसक सिसक कर रो रही है !!! July 14, 2012 / July 14, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment गुवाहाटी की उस लड़की के नाम : ब्रह्मपुत्र आज सिसक सिसक कर रो रही है !!! भाग एक : हे बाला [ श्री भूपेन हजारिका अक्सर north -east की लडकियों को बाला कहते थे. ] ; तो हे बाला , हमें माफ़ करना , क्योंकि इस बार हम तुम्हारे लिये किसी कृष्ण को इस बार […] Read more » brahmaputra status of women
चिंतन आत्म-अनुशासन बरतें July 13, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य मरीज से मिलने जाएं तब आत्म-अनुशासन बरतें जीवन के हर कर्म में अनुशासन का महत्त्व है और यह बाहर से नहीं आता बल्कि अपने अनुभवों और ज्ञान से आता है। अनुशासन स्वयं को गढ़ना पड़ता है और इसे ही आत्म-अनुशासन कहा गया है जो कि स्वयंस्फूर्त्त अर्थात स्वतःप्रेरित होता है। लेकिन यह […] Read more » how to behave when visiting patients
चिंतन संतोषहीनता ही लाती है दरिद्रता July 10, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य संतोषहीनता ही लाती है दरिद्रता चादर जितने ही पाँव पसारें संसार में पैदा हुए मनुष्य को थोड़ी-बहुत समझ आते ही वह चाहता है कि पूरा संसार उसका हो जाए और वह खुद भी सारे संसार को पा ले। लेकिन यह संसार और सांसारिकताएं न कभी किसी की हुई हैं न होंगी। […] Read more »
चिंतन राजनीति ‘सेक्युलर’ कौन? और ‘सेक्युलर’ मतलब क्या? June 25, 2012 / June 25, 2012 by मा. गो. वैद्य | 7 Comments on ‘सेक्युलर’ कौन? और ‘सेक्युलर’ मतलब क्या? मा. गो. वैद्य हमारे देश में ‘सेक्युलर’ शब्द का खूब हो-हल्ला मचा है. यह हो-हल्ला मचाने वाले, ‘सेक्युलर’ शब्द का सही अर्थ ध्यान में नहीं लेते और वह शब्द राजनीतिक प्रणाली में कैसे घुसा यह भी नहीं समझ लेते. ‘सेक्युलर’ का अर्थ ‘सेक्युलर’ शब्द का अर्थ है इहलोक से संबंधि, ऐहिक. अंग्रेजी में this-worldly इसका, […] Read more » धर्मनिरपेक्षता सेक्युलर सेक्युलरिज्म
चिंतन गौघृत जरूरी है यज्ञ-अनुष्ठानों में June 21, 2012 / June 20, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | 2 Comments on गौघृत जरूरी है यज्ञ-अनुष्ठानों में डॉ. दीपक आचार्य गौघृत जरूरी है यज्ञ-अनुष्ठानों में वरना पसरता है अनिष्ट का साया आजकल सभी जगह होने वाले धार्मिक समारोहों और यज्ञ-अनुष्ठानों की धूम को देखकर लगता है जैसे पूरा परिवेश और हमारा क्षेत्र धार्मिक होने लगा है और अब सतयुग आ रहा है। धर्म के नाम पर आयोजनों का दौर निरन्तर रहने लगा […] Read more » cow gheein hawan
चिंतन गौवंश के बगैर व्यर्थ है जीवन June 18, 2012 / June 18, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on गौवंश के बगैर व्यर्थ है जीवन डॉ. दीपक आचार्य न धर्म संभव है, न पुण्यार्जन पृथ्वी के अस्तित्व का सीधा संबंध गौवंश से है। इस दैवीय पशु के बिना न जीवन की कल्पना की जा सकती है न और कुछ। व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त होने वाले सभी संस्कारों में गायों की किसी न किसी रूप में भूमिका को […] Read more » life without cow is useless
चिंतन मानवता का होना जरूरी June 11, 2012 / June 11, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on मानवता का होना जरूरी डॉ. दीपक आचार्य मनुष्य शरीर ही काफी नहीं मानवता का होना जरूरी है दुनिया भर में जनसंख्या विस्फोट का दौर निरन्तर जारी है। हजारों-लाखों रोज पैदा हो रहे हैं। हमारे यहाँ भी खूब पैदा होते रहे हैं, हो रहे हैं और होंगे। लेकिन हाल के वर्षों में समाज की जो स्थिति सामने दिख रही है […] Read more » मनुष्य शरीर
चिंतन जीते जी सराहना की आदत डालें June 10, 2012 / June 10, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | 2 Comments on जीते जी सराहना की आदत डालें डॉ. दीपक आचार्य मरने के बाद कीर्तिगान की बजाय जीते जी सराहना की आदत डालें मानव समुदाय में अच्छे कार्यों और हुनर की बदौलत प्रतिष्ठा पाने और अच्छा मुकाम बनाने के लिए हर कोई व्यक्ति अनथक प्रयास करता है और इनमें से कई अपनी मंजिल पाते भी हैं। कोई देर से तो कोई धीरे। कई […] Read more » admiring people सराहना की आदत
चिंतन मजा तो तब है जब अच्छे काम करें June 9, 2012 / June 9, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य मजा तो तब है जब अच्छे काम करें बुरे काम करने वाले तो खूब हैं दुनिया में अपने स्वार्थ और ऎषणाओं की पूत्रि्त के लिए लोग इतने जतन करते रहते हैं जितने वे सच्चे इंसान बनने के लिए ये पूरी जिन्दगी भर भी नहीं कर पाते। आज हालात यह हो गए हैं कि […] Read more » do good work अच्छे काम करें
चिंतन टिप्पणी करें तब ध्यान रखें June 8, 2012 / June 8, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | 3 Comments on टिप्पणी करें तब ध्यान रखें डॉ. दीपक आचार्य टिप्पणी करें तब ध्यान रखें अपने और सामने वाले के कद का प्रतिक्रिया करना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन इसके पहले हमें स्वयं और दूसरे पक्षों के कद का ध्यान रखना चाहिए तभी प्रतिक्रिया को गरिमामय तथा शालीन कहा जा सकता है और ऎसी प्रतिक्रिया अपना अच्छा तथा दीर्घकालीन प्रभाव छोड़ […] Read more » टिप्पणी करें तब ध्यान रखें