गजल गज़ल:बाप ही जब बेटियों को इस तरह खाने लगें….. August 5, 2012 / August 5, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 1 Comment on गज़ल:बाप ही जब बेटियों को इस तरह खाने लगें….. इक़बाल हिंदुस्तानी बच्चा बच्चा हाथ में थामेगा ख़ंजर देखना, और आगे चलके इस दुनिया के मंज़र देखना। जुल्म सहना छोड़कर जब उठ खड़े हो जाओगे, ज़िंदगी की भीख मांगेगा सितमगर देखना। फ़ितरतन तो आग उगलेगा शिकायत क्या करें, रख के पानी में हज़ारों साल पत्थर देखना। आपका कुनबा ज़माने में अमर हो […] Read more » gazal by iqbal hindustani गज़ल:बाप ही जब बेटियों को इस तरह खाने लगें
गजल गजल:पालने से लेकर कांधों तक August 2, 2012 / August 2, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment सुजीत द्विवेदी पालने से लेकर कांधों तक कांपती है ज़िन्दगी, महज़ वक़्त के इशारों पर नाचती है ज़िन्दगी|| मन हुआ पागल क़ि ना जाना चाहे उस छोर तक, जिस ओर सिर्फ कुछ कदम नापती है ज़िंदगी| मरने को मर जाते हैं कुछ लोग यूं ही, कैसे भी, पैगाम-ए-मोहब्बत के साथ मरना चाहती है […] Read more » गजल:पालने से लेकर कांधों तक
गजल गजल:दोस्त की शक्ल में दुश्मन से बचा ए भाई….. July 30, 2012 / July 30, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 1 Comment on गजल:दोस्त की शक्ल में दुश्मन से बचा ए भाई….. इक़बाल हिंदुस्तानी सारी दुनिया का ना तू ठेका उठा ए भाई, तेरा जो फ़र्ज़ है तू उसको निभा ए भाई। तेरी दौलत से हमें कुछ नहीं लेना देना, कितनी इज़्ज़त है तेरे दिल में दिखा ए भाई। कोई तालीम हो कोई भी ज़बां हो चाहे, अपने बच्चे का तू किरदार बना ए भाई। […] Read more » gazal bby iqbal hindustani गजल-इक़बाल हिंदुस्तानी
गजल गजल:जा पहुंचा चांद पर मैं जिसे पूजता रहा….. July 23, 2012 / July 23, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 1 Comment on गजल:जा पहुंचा चांद पर मैं जिसे पूजता रहा….. -इक़बाल हिंदुस्तानी माली ख़फ़ा ना हो कहीं ये सोचता रहा, लुटता हुआ मैं अपना चमन देखता रहा। दुश्मन की ज़द से खुद को बचाना था इसलिये, मैं अपने रक्षकों की तरफ़ देखता रहा। हसरत भरी निगाह से मौक़ा दिया मगर, अफ़सोस कुछ किया नहीं वो देखता रहा। जब इल्म की भी रोश्नी […] Read more » gazal by iqbal hindustani गजल:जा पहुंचा चांद पर मैं जिसे पूजता रहा.....
गजल गजल :नजर मिली क्या तेरी नजर से July 20, 2012 / August 7, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment नजर नजर मिली क्या तेरी नजर से गयी न सूरत मेरी नजर से नजर लगे न तुम्हें किसी की खुदा बचाये बुरी नजर से नजर की बातें नजर ही जाने सुनी है बातें कभी नजर से नजर उठाना नजर झुकाना वो कनखियाँ भी दिखी नजर से वो तेरा जाना नजर चुरा […] Read more » गजल :नजर मिली क्या तेरी नजर से
गजल गज़ल:मौसम को तो, हमे अब मनाना पड़ेगा– सत्येंद्र गुप्ता July 18, 2012 / July 18, 2012 by सत्येन्द्र गुप्ता | Leave a Comment मौसम को तो, हमे अब मनाना पड़ेगा नाज़ नखरा सब उसका उठाना पड़ेगा। कहीं और ही बरस रहे हैं बादल हमारे लगता है उनको हमे , बुलाना पड़ेगा। आखिर कब तलक रहेंगे ,हम अकेले कभी तो साथ हमे भी निभाना पड़ेगा। मुहब्बत की कशिश भी क्या कशिश है दिल को भी अब बंजारा बनाना पड़ेगा। […] Read more »
गजल गज़ल:उनके इंतज़ार का…– सत्येंद्र गुप्ता July 18, 2012 by सत्येन्द्र गुप्ता | Leave a Comment उनके इंतज़ार का, हर पल ही मंहगा था हर ख़्वाब मैंने उस पल देखा सुनहरा था। दीवानगी-ए-शौक मेरा ,मुझसे न पूछ दोस्त दिल के बहाव का वह जाने कैसा जज़्बा था। मेरे महबूब मुझसे मिलकर ऐसे पेश आये जैसे उनकी रूह का मैं, खोया हिस्सा था। तश्नगी मेरे दिल की कभी खत्म नहीं हुई जाने […] Read more » gazal by satyendra gupta
गजल गजल:शायद जीवन को मिले एक नया विस्तार July 17, 2012 / July 15, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment आँगन सूना घर हुआ, बच्चे घर से दूर। मजदूरी करने गया, छोड़ यहाँ मजबूर।। जल्दी से जल्दी बनें, कैसे हम धनवान। हम कुदाल बनते गए, दूर हुई संतान।। ऊँचे पद संतान की, कहने भर में जोश। मगर वही एकांत में, भाव-जगत बेहोश।। कहाँ मिला कुछ आसरा, वृद्ध हुए माँ बाप। कहीं सँग […] Read more »
गजल गजल:हर बातों में हम होते हैं July 16, 2012 / July 16, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment श्यामल सुमन यूँ सबके हमदम होते हैं दुख के दिन में कम होते हैं साथ निभाये जो आफत में लोग वही मरहम होते हैं शायर चलता लीक छोड़कर उसके यही नियम होते हैं जो टकराते वक्त से जितना वही असल दमखम होते हैं जहँ टूटता दिल अपनों से आँखों में शबनम […] Read more » गजल:हर बातों में हम होते हैं
गजल गजल:सुमन पागल अरजने में- श्यामल सुमन July 15, 2012 / July 15, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment खुशी की दिल में चाहत गर, खुशी के गीत गाते हैं भरोसा क्या है साँसों का, चलो गम को भुलाते हैं दिलों में गम लिए लाखों, हँसी को ओढ़कर जीते सहज मुस्कानवाले कम, जो दुनिया को सजाते हैं है कीमत कामयाबी की, जहाँ पर लोग अपने हों उसी अपनों से क्यूँ अक्सर, वही […] Read more » gazal by shyamal suman गजल- श्यामल सुमन गजल:बेच रहे तरकारी लोग गजल:बेच रहे तरकारी लोग- श्यामल सुमन
गजल गजल:देश बंटने से बचाना है ज़रा याद रहे….. July 15, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | Leave a Comment इक़बाल हिंदुस्तानी तुमको कुछ करके दिखाना है ज़रा याद रहे, सबको इंसाफ़ दिलाना है ज़रा याद रहे। बम कोई सा भी बनाओ तुम्हें पूरा हक़ है, बम से गै़रों के बचाना है ज़रा याद रहे। तुमने बोई थी जो वादों की फ़सल काट चुके, अब अमल करके दिखाना है ज़रा याद रहे। […] Read more » gazal by iqbal hindustani
गजल गजल:बेच रहे तरकारी लोग- श्यामल सुमन July 15, 2012 / July 15, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment प्रायः जो सरकारी लोग आज बने व्यापारी लोग लोकतंत्र में बढ़ा रहे हैं प्रतिदिन ये बीमारी लोग आमलोग के अधिकारों को छीन रहे अधिकारी लोग राजनीति में जमकर बैठे आज कई परिवारी लोग तंत्र विफल है आज देश में भोग रहे बेकारी लोग जय जयकार उन्हीं की होती जो हैं […] Read more » gazal by shyamal suman गजल- श्यामल सुमन गजल:बेच रहे तरकारी लोग गजल:बेच रहे तरकारी लोग- श्यामल सुमन