कहानी साहित्य अकबर बीरबल के मुलाकात की दो प्रमुख प्रारम्भिक कहानियां December 21, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा.राधेश्याम द्विवेदी पहली कहानी अकबर को शिकार का बहुत शौक था. वह किसी भी तरह शिकार के लिए समय निकल ही लेते थे. बाद में वे अपने समय के बहुत ही अच्छे घुड़सवार और शिकरी भी कहलाये. एक बार राजा अकबर शिकार के लिए निकले, घोडे पर सरपट दौड़ते हुए उन्हें पता ही नहीं चला […] Read more » अकबर बीरबल
कहानी साहित्य कैलाश September 26, 2016 by राजू सुथार | Leave a Comment आह ! क्या दिन है थोड़ी – थोड़ी ठंड पड़नी शुरू हो गई थी साथी संग कैलाश ठंड से ठिठक रहे थे । कैलाश अभी 10 साल का है और 7वीं कक्षा में पढ़ रहा है, इनकी दो बहने है और दो भाई है, कैलाश परिवार में सबसे छोटा है इस कारण माँ का लाड़ला […] Read more » Featured कैलाश
कहानी साहित्य मेन इन यूनिफ़ॉर्म September 24, 2016 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment धाँय ….धाँय ….धाँय ….. तीन गोलियां मुझे लगी ,ठीक पेट के ऊपर और मैं एक झटके से गिरा….गोली के झटके ने और जमीन की ऊंची -नीची जगह के घेरो ने मुझे तेजी से वहां पहुचाया , जिसे NO MAN’S LAND कहते है … मैं दर्द के मारे कराह उठा.. पेट पर हाथ रखा तो देखा […] Read more » Featured मेन इन यूनिफ़ॉर्म
कहानी साहित्य सखी वे मुझसे कह कर जाते.. September 15, 2016 by आर. सिंह | Leave a Comment “सिद्धि हेतु स्वामी गए यह गौरव की बात पर चोरी चोरी गए यही बड़ा व्याघात. सखी वे मुझसे कह कर जाते”, —‘यशोधरा’ मैथिलीशरणगुप्त. ” भाई साहिब क्या आप जल्द से जल्द इस अस्पताल में पहुँच सकते हैं?” कोकिला. मैं तो अवाक रह गया.मेरे फोन पर यह सन्देश मेरी मुंह बोली बहन कोकिला का था,पर यह […] Read more » सखी वे मुझसे कह कर जाते..
कहानी साहित्य बेबसी के आंसू September 13, 2016 / September 14, 2016 by राजू सुथार | Leave a Comment अकाल तो दिख ही रहा था , और दूसरी ओर चुनाव कदमों में थे । मीरपुर गांव में इन दिनों विधायक के चुनाव होने वाले थे इस कारण हर जगह राजनीतिज्ञों का धूम धड़ाका हो रहा था । बरसात की ऋतु थी किन्तु इस बार अकाल ही दिख रहा था अर्थात अभी तक इन्द्र देव […] Read more » बेबसी के आंसू
कहानी साहित्य बाप जी की दुकान September 5, 2016 by विजय कुमार | 1 Comment on बाप जी की दुकान यों तो हर गांव और नगर में चौक होते हैं; पर लखनऊ के चौक की बात ही कुछ और है। यह केवल एक चौराहा नहीं, बल्कि 200 साल पुराना बाजार और घनी आबादी वाला क्षेत्र भी है। इसलिए इसे ‘पुराना शहर’ भी कहते हैं। लखनऊ के प्रसिद्ध चिकन की कढ़ाई वाले कपड़े यहां सबसे अच्छे […] Read more » बाप जी की दुकान
कहानी साहित्य सहयात्री August 30, 2016 by आर. सिंह | Leave a Comment बात उन दिनों की है, जब रेलगाड़ी में प्रथम श्रेणी में सफर करना बहुत बड़ी बात समझी जाती थी. श्रेणियाँ भी तो बहुत होती थी. प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी, बीच में इंटरक्लास (हिंदी समतुल्य शब्द नहीं मिला) और फिर जनता की अपनी श्रेणी यानि तृतीयश्रेणी. वातानुकूलित डब्बे तो आम तौर पर गाड़ियों में होते ही […] Read more » Featured सहयात्री
कहानी साहित्य तमाचा August 16, 2016 by सपना मांगलिक | Leave a Comment अ और ब दोनों पति पत्नी हैं ।अ जब देखो तब ब को प्रताड़ित करता रहता है ।कभी कभी जरा सी बात पर ब पर हाथ भी उठा देता है ।ब अपने बच्चों के लिए खामोश रहती है ।शायद वह बच्चों को खराब घरेलू माहौल नहीं देना चाहती ।मगर अ इसे उसकी लाचारी या कमजोरी […] Read more » तमाचा
कहानी साहित्य शीला दादी की बंद दुकान July 27, 2016 by विजय कुमार | 1 Comment on शीला दादी की बंद दुकान हिन्दी में कुछ शब्दों का प्रयोग प्रायः साथ-साथ होता है। जैसे दिन और रात, सुबह और शाम, सूरज और चांद, बच्चे और बूढ़े, जवानी और बुढ़ापा, धरती और आकाश… आदि। प्रायः ये शब्द एक-दूसरे के विलोम होते हैं। लिखते या बोलते समय अपनी बात का वजन या सुंदरता बढ़ाने के लिए इनका प्रयोग होता है। […] Read more » शीला शीला दादी की बंद दुकान
कहानी साहित्य पाप का बोझ June 30, 2016 / June 30, 2016 by विजय कुमार | Leave a Comment मुझे बालपन से ही अपना काम खुद करने की आदत रही है। इसका श्रेय मेरे पिताजी को है, जिन्होंने मुझे स्वावलम्बी बनने के लिए प्रेरित किया। वे कहते थे कि कोई भी काम छोटा नहीं होता। अपना काम खुद करने में शर्म कैसी ? वे अपने और बाबाजी के जूते खुद पालिश करते थे। […] Read more » पाप का बोझ
कहानी साहित्य लघुकथाएं June 10, 2016 / June 11, 2016 by आलोक कुमार सातपुते | Leave a Comment आलोक कुमार सतपुते गोली मार देंगे… उस दंग़ाग्रस्त शहर में कफ़्र्यू लगा हुआ था । शहर सेना के हवाले कर दिया गया था। दंग़ाइयों को देखते ही गोली मार देने के आदेश थे। एक पत्रकार ने सेना केे मेज़र से जानना चाहा कि वे दंगो़ं को किस तरह से रोकेंगे। इस पर मेज़रसाहब का ज़वाब […] Read more »
कहानी साहित्य दान का अन्न और जैविक खेती June 5, 2016 by विजय कुमार | Leave a Comment हरिद्वार जाने पर मैं सदा कनखल के ‘सेवाधाम आश्रम’ में ही ठहरता हूं। आश्रम के प्रमुख स्वामी सुरेशानंद जी हैं। लगभग 25 साल पूर्व रेलगाड़ी में यात्रा के दौरान उनसे परिचय हुआ था। उस समय हम दोनों दिल्ली से हरिद्वार जा रहे थे। यात्रा में कई विषयों पर वार्ता हुई। हमारे विचार काफी मिलते थे। […] Read more » Featured Organic Farming जैविक खेती दान का अन्न