कविता आओ हम मिलकर योग करें। June 20, 2024 / June 20, 2024 by अजय एहसास | Leave a Comment तुम योग करो वो योग करे,हम योग करे सब योग करेंकरें स्वस्थ कामना रहने की,आओ हम मिलकर योग करें। खाने को घर में रहे नहीं,फिर भी मुंह से कुछ कहें नहीसब पूजा, दुआ कराते हैं ।,पर फिर भी कुछ तो लहे नहींसरकार हमारी कहती है ,कि आओ नया प्रयोग करेंकरें स्वस्थ कामना रहने की,आओ हम […] Read more » योग
कविता मेरी लाज तुम्हारे हाथ, पवनसुत अंजनी के लाला June 18, 2024 / June 18, 2024 by नन्द किशोर पौरुष | Leave a Comment मेरी लाज तुम्हारे हाथ, पवनसुत अंजनी के लाला -2हो मेरी लाज तुम्हारे हाथ -2, पवनसुत अंजनी के लाला | मेरी लाज तुम्हारे हाथ….. Read more »
कविता अब कोई सपना नहीं June 17, 2024 / June 17, 2024 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment अब कोई सपना नहीं।सब टूट गया सपना वहीं।।जब बेटी ने जन्म लिया।तब पिता की आंखें नम हुई।अब जितना मैं कमाऊंगा।संजोकर उसे रख पाऊंगा।ताकि बेटी की शादी में।दहेज लूटा मैं पाऊंगा।।कहते हैं सब, वह बेटी है।तो क्या उसका मान नहीं?जन्म से पराया बना के।क्या उसका आत्म सम्मान नहीं?क्या लिखी है उसकी किस्मत में?क्या वह माता-पिता की […] Read more » अब कोई सपना नहीं
कविता भगवान राम कृष्ण काल्पनिक नहीं थे June 17, 2024 / June 17, 2024 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकअक्सर लोग कहा करते कि राम कृष्ण ब्राह्मणी कल्पना प्रसूत थेफिर क्यों राम कृष्ण कृषक खत्ती-खत्तीय या क्षत्री-क्षत्रिय सपूत थे?क्यों नहीं याजक ब्राह्मणों ने उन्हें कहा है अपने ब्राह्मण वर्ण के?क्यों राम के श्वसुर और सीता के पिता जनक थे हलवाहा कर्म से? क्यों सीता की संज्ञा हल के फाल की जोत सीत […] Read more » भगवान राम कृष्ण काल्पनिक नहीं थ
कविता खोदी धरती बोई बीज June 15, 2024 / June 15, 2024 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment किरण दोसादगरुड़, उत्तराखंड खोदी धरती बोई बीज,ये मिट्टी है बड़े काम की चीज,इसने दिया भोजन हमको,सूरज ने दिया जब ताप,फूटा अंकुर उसमें जब,ऊपर आया अपने आप,ऊपर का संसार उसने पाया सुंदर,लिया जब रुप उसने नन्हे पौधे का,हरा रंग जब उसने पाया,फिर तो सबके मन को भाया,पत्तियों का हरा रंग,क्लोरोफिल कहलाता है,सूरज हवा पानी से मिलकर,वह […] Read more » खोदी धरती बोई बीज
कविता बरेदी June 15, 2024 / June 15, 2024 by श्लोक कुमार | Leave a Comment एक हैं जरिया, दिन दुपहरियासमंदर की भांति उर हैं दरियापशुओं को लेकर चल दिया बरेदीएक बेरा खेवत खलियान,पहने कपड़े आधदूजी बेरा चल दिया चरानेभैंस के पगही बांधओ! बरेदी क्या हयात में यही तुम्हारेकभी खुद को भी मुकुर में संवारेतुम्हारी चाल है गोपियों भांतिलगता , मर्दाना काम न आतीखफा न हो ये चाल भीसमाज को दीमक […] Read more » बरेदी
कविता आसान है अमृत पीकर देव बन जाना मगर जहर पीना है महादेव बनने की योग्यता May 28, 2024 / May 28, 2024 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकसदा से आसान है अमृत पीकर देव बन जानाअमृत पीने से वंचित होने पर दानव बनकर उत्पात मचानामगर सदा से बड़ा कठिन है जहर पीकर महादेव बननाया यूँ कहें अमृत पीकर हर कोई देव बन जातामगर महादेव बनने के लिए जहर पीना है एकमात्र योग्यता! ऐसा है अवसर नहीं मिले तो आसान है […] Read more »
कविता युवा संकल्प एवं प्रगति के पथ May 27, 2024 / May 27, 2024 by नन्द किशोर पौरुष | Leave a Comment क्या कर सकता है युवा वर्ग,हम अब करके दिखलायेंगे,प्रगति के पथ पर चल………… मात-पिता और गुरुजनों का सम्मान करेंगे,विद्या अध्यन में पूर्ण ध्यान धरेंगे,हम हर हाल में ही भारत माँ का मान बढ़ाएंगे,प्रगति के पथ पर चल………… क्या हम में ज्ञान और विज्ञानं की शक्ति नहीं,या हम में इसको पाने की कोई युक्ति नहीं,हम भी […] Read more » Youth determination and path of progress युवा संकल्प एवं प्रगति के पथ
कविता राष्ट्र सेवा एवं राष्ट्र एकता May 24, 2024 / May 24, 2024 by नन्द किशोर पौरुष | Leave a Comment राष्ट्र सेवा एवं राष्ट्र एकताराष्ट्र सेवा करने को ,हो जाओ तैयारबिन हित चाहे राष्ट्र का ,कवन विधि उद्धारकवन विधि उद्धार,सुनो ओ मेरे भ्राता,ऊँच नीच (जाती – पाती) को छोड़,करो आपस में नाता (प्रेम)कह ‘पौरुष’ समझाय,एकता सर्व शक्ति हैहोय राष्ट्र कल्याण,अगर सब व्यक्ति एक हैअगर हम आपस में टकरायेंगे,निश्चित सब दुश्मन लुट के खा जायेंगे………. Read more »
कविता हिन्दू हिन्दुत्व को मिटाने का प्रयत्न कर रहा देकर स्वयं को धोखा May 24, 2024 / May 24, 2024 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकआज हिन्दुओं को क्या हो गया?सनातन संस्कार कहाँ खो गया?अब पहनने नहीं लगी साड़ी हिन्दुओं की नारियाँब्याहता की मांग में सुहाग सिंदूर रेखा क्षीण हो गईअब भाल में कम चमकती चंदन चर्चित गोल बिंदियाँ! आज हिन्दुओं को क्या हो गया?सनातन संस्कार कहाँ खो गया?सुहागन के हाथ में कम खनकने लगी हरी-हरी चूड़ियाँमंगलसूत्र नेकलेस […] Read more » Hindus are trying to destroy Hindutva and are deceiving themselves.
कविता तड़ी May 21, 2024 / June 15, 2024 by श्लोक कुमार | Leave a Comment दिन तो अब लगता नैराश्यसांझ लग रहा तम साखुद की खताओ ने एहसास करायासब ख्वाबों को राख कर बिछायाउर की स्वर बताती मेरे बिसात कोके ,तुम्हारा वजूद एक राख सागुजर गया ओ दौरजब लगता पल लाख साखुद को ढूंढता मैं निकला,गांव, गली , शहरसिर्फ़ तड़प, फरेब, हर पहरअब तो तुम भी मुझे भ्रमित कर रहीमेरे […] Read more »
कविता अकेलेपन की दुनिया में May 17, 2024 / May 17, 2024 by पंडित विनय कुमार | Leave a Comment अकेलेपन की दुनिया मेंआनंद नहीं होताअकेलेपन की दुनियाबिखर जाती है क्षण भर में हीअकेलेपन की दुनियाहमें चिंतन का स्वाद देता हैअकेलेपन की दुनियाचिर आनंद देता हैअकेलेपन की दुनिया मेंस्फूर्ति नहीं होतीअकेलेपन की दुनियामजबूत नहीं होतीटिकाऊ नहीं भी होती हैं-अकेलेपन की दुनियामाँजती हैहमारे भीतर के संघर्षऔर संस्कार को ।अकेलेपन की दुनियाबनाती भी हैऔर बिगाडती भी है […] Read more » in a world of loneliness अकेलेपन की दुनिया में