कविता
वर्षा !-बीनू भटनागर
/ by बीनू भटनागर
वर्षा ! वर्षा ! तुमसे करूँ विनती एक, रुक ना जाना एक जगह पर, सबको प्यार बराबर देना। वर्षा ! इतना जल भी ना दे देना जो, घर घरोंदे,गाँव गली, चौबारे, खेत किसान , मवेशी सारे, जल मग्न हो जायें। नदियाँ उफ़ान लेले और नाव उसी मे डूबें। भूखे प्यासे लोग, पानी मे घिरकर, पेड़ों […]
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