कविता
भाषा नहीं किसी धर्म-मजहब की, ये पुकार है रब की
—विनय कुमार विनायकपाट दो मन की खंदक-खाई,भाषा की दीवार नहीं होतीहवा सी उड़कर जाती-आती, भाषा…
अहिंसा की हिंसा
—विनय कुमार विनायकअहिंसक का हिंसा का शिकार हो जाना है,अहिंसा का हिंसा के प्रति अहिंसक…
एक धर्म निरपेक्ष कविता
—–विनय कुमार विनायकमैं चाहता हूंएक ऐसी कविता लिखनाजिसमें परम्परा गान न होकिसी संस्कृति पुरुष का…
अमृत और विष अपने हिय में होता है
—विनय कुमार विनायकअमृत और विष अपने हिय में होता है,अमृत के नाम से चहक उठता…
धर्माधिकारी
—–विनय कुमार विनायकचाहे तुम बदल लो नाम जाति उपाधियहां तक कि धर्म भीपर तुम्हारी जाति…
मजबूर
कोई भी इंसानजब मजबूर होता हैखुद से वहबहुत दूर होता है जानकर भी राज़ सारेदिखता…
एकतरफ़ा मोहब्बत
वैसे लोग जोएकतरफ़ा प्यार में होते हैंये ना समझसब-के-सब बीमार होते हैं कुछ लोग इश्क़ऐसा…
इसके भी जिम्मेवार तुम्हीं हो
—विनय कुमार विनायकनैतिकता को ताख पर रखकर बोलते रहो झूठपार्टीबद्ध होकर करते रहो लूटघोंपते रहो…
खुशी और ग़म
नहीं लगा पाओगेइसका अनुमानकौन है जहान मेंकितना परेशान किसी के जीवन मेंहै कितनी खुशीअंदाज़ा ना…
शाक्यवीर शाक्यमुनि गौतम की पुकार
—विनय कुमार विनायकहे मार! मुझे मत मार!मैं महामाया-शुद्धोधन का उनतीस वर्षीय बेटा शाक्यवीरसिद्धार्थ,एक क्षत्रिय राजकुमार,…
वो जश्न कोई मना न सके
वो जश्न कोई मना न सकेदोस्ती वो निभा न सकेआग दिल की बुझा न सकेमेरे…