कविता स्वधर्म को जानो बुराई नहीं अच्छाई मानो June 25, 2022 / June 25, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकमैं स्वधर्म को पहचानता हूंबुराई नहीं अच्छाई को जानता हूंमैं उस भगवान राम को मानता हूंजिन्होंने माता पिता की आज्ञा मानीअनुज हेतु त्याग,लघुजनों को मान दिया! मैं उस राम की निंदा करता हूंजिन्होंने अति आदर्शवाद दिखाकरपरित्याग किया धर्मपत्नी सीता का साथअबला नारी को वन-वन भटका दियाविप्र गुहार पर तपी शूद्र का संहार किया! […] Read more » consider it good not evil Know your religion स्वधर्म को जानो बुराई नहीं अच्छाई मानो
कविता आशाओं के रंग June 23, 2022 / June 23, 2022 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment बने विजेता वो सदा, ऐसा मुझे यकीन ।आँखों में आकाश हो, पांवों तले जमीन ।। तू भी पायेगा कभी, फूलों की सौगात ।धुन अपनी मत छोड़ना, सुधरेंगे हालात ।। बीते कल को भूलकर, चुग डालें सब शूल ।बोयें हम नवभोर पर, सुंदर-सुरभित फूल ।। तूफानों से मत डरो, कर लो पैनी धार ।नाविक बैठे घाट […] Read more » आशाओं के रंग
कविता पिता है तो लगता परिवार है। June 20, 2022 / June 20, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment पिता है तो लगता परिवार है।वरना दुनिया में सब बेकार है।। पिता है तो सोने में सुहागा है।वरना सारा परिवार अभागा है।। पिता परिवार की धन दौलत है।घर में सब कुछ उसकी बदौलत है।। पिता परिवार की रीड की हड्डी है।जैसे शरीर में पीठ वाली हड्डी है।। पिता बाहर गर्मी में जब जलता है।तब कही […] Read more » If there is a father then there is a family.
कविता भगवान की तलास में इंसान June 18, 2022 / June 18, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment ढूंढ रहा है जंगल जंगल,मृग अपनी कस्तूरी को।देख पाया न अपनी नाभि,छिपी हुई कस्तूरी को।। ढूंढ रहा है मंदिर मंदिर,भक्त अपने भगवान को।मिल न पाया भगवान उसे इस भोले इंसान को।। बढ़ चुका है विज्ञान काफी,पाया न भगवान को।सारी सृष्टि में समाया ,फिर भी ढूंढे भगवान को।। खुद से दूर चला गया इंसान,क्या ढूंढेगा भगवान […] Read more » भगवान की तलास में इंसान
कविता पिता नीम का पेड़ June 18, 2022 / June 18, 2022 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment हम कच्चे से है घड़े, और पिता कुम्हार !ठोक पीट जो डांट से, हमको दे आकार !!★★★★सिर पे ठंडी छाँव-सा, पिता नीम का पेड़ !कड़वा लगता है मगर, है जीवन की मेड़ !!★★★★पाई-पाई जोड़ता, पिता यहाँ दिन रात !देता हैं औलाद को, खुशियों की सौगात !!★★★★पापा ही अभिमान है, पापा ही संसार !नगपति से अविचल […] Read more » पिता नीम का पेड़
कविता कहो रेणुका तुम्हारा क्या अपराध था? June 17, 2022 / June 17, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | 1 Comment on कहो रेणुका तुम्हारा क्या अपराध था? —विनय कुमार विनायककहो रेणुका तुम्हारा क्या अपराध थाजो तुम्हारे पुत्र ने तुम्हारी गर्दन काट दीशास्त्र कथन है पूत कपूत हो सकतामगर माता कुमाता कभी नहीं हो सकती! यदि ये शास्त्र कथन सही हैतो माता रेणुका कुमाता कभी नहीं हुई होगीन कल थी न आज है ना कल होगीमां रेणुका तुम्हारे साथ जरूर कोई छल हुई […] Read more » Tell Renuka what was your crime कहो रेणुका तुम्हारा क्या अपराध था?
कविता ऐसे अपूर्ण ज्ञान से नही है देश समाज का हित June 16, 2022 / June 16, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकजाति तो हमेशा से बुरी होतीमगर अच्छे और बुरे होने कीसंभावना हर व्यक्ति में होती! व्यक्ति भी अक्सर जातिवादी होतेअपनी जाति के व्यक्ति को देखकरव्यक्ति हो जाते हैं हर्षित आकर्षित! दूसरी जाति के लोग हो जातेपरित्यक्त अनाकर्षक उपेक्षित विकर्षित! इस मानसिकता की कोई दवा नहींवेद शास्त्रों में भी टुकड़े टुकड़े मेंज्ञान को बांटने […] Read more » ऐसे अपूर्ण ज्ञान से नही है देश समाज का हित
कविता मेघ से प्रार्थना June 15, 2022 / June 15, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment भीषण गर्मी जेठ की,व्याकुल हृदय उदास। देख तुम्हे आकाश में,कर बैठे थे आस।। कर बैठे थे आस,अब कबहु बरसेगे, जीव जंतु व्याकुल है,सब जल को तरसेगे। कह रस्तोगी कविराय,क्यो करते शोषण, समाप्त करो अब तो,ये गर्मी भीषण।। आस जगाकर मेघ तुम,करते गए निराश। खग मृग मानव मीन जग,सबका ह्रदय हताश।। सबका ह्रदय हताश,जल को सब […] Read more » मेघ से प्रार्थना
कविता बुढ़ापा काटने के गुरु मंत्र June 15, 2022 / June 15, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment बुढ़ापे को जवानी की तरह जियो,पानी को भी अमृत की तरह पियो।कट जायेगा आसानी से बुढ़ापा तुम्हारा,हर गम को खुशी की तरह तुम जियो। बुढ़ापा जीवन में सभी को आता है,जवानी आती है तो बचपन जाता है।जीवन के हर पड़ाव को मजे से जियो,तभी जीने का मजा जीवन में आता है।। बहु बेटे को दस […] Read more » बुढ़ापा काटने के गुरु मंत्र
कविता आदमी की फितरत June 9, 2022 / June 9, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment भावना में बह जाता है जब आदमी।दिल की बात कहता है तब आदमी।। परख लेता है जब किसी को भी आदमी।दिल में बसा लेता या बस जाता आदमी।। मनमुटाव पर कहता कुछ नही आदमी।दूर हो जाता है जो पास होता आदमी।। पढ़ लेता है जब किताब कोई आदमी।अच्छी चीजे ग्रहण कर लेता है आदमी।। दर्द […] Read more » आदमी की फितरत
कविता आज की सियासत June 7, 2022 / June 7, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment सियासत में अब शराफत रही कहां है,अच्छे इंसान की जरूरत रही कहां है।अब सियासत में झूठे का बोलबाला है,नेक नेताओ की हिफाजत रही कहां है।। सियासत में भ्रष्टाचार का बोल बाला है,बुरे नेताओ का मुंह यहां बहुत काला है।सत्ता के लिए वे कुछ भी कर सकते है,अच्छे नेताओ के मुंह पर लगा ताला है।। जिसके […] Read more » today's politics आज की सियासत
कविता मोहनजोदड़ो की नारियां जो साड़ी सिंदूर पहनती थी वही आर्या सीता सावित्री व हिन्दू भार्या पहनती June 4, 2022 / June 4, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकतुम दस हजार साल की पुरानी भारतीय सभ्यताव संस्कृति की बात किस मुंह से करते?दस हजार साल की धर्म संस्कृति सभ्यता की बातवही कर सकते जो सनातन धर्म केकिसी मत पंथ से जुड़े वंश परम्परा को मानते! तुम तो खुद को खुदा बाबा आदम के पोतेअरबी फारसी तुर्की के पिंजरबंध रट्टू तोते समझते! […] Read more » Arya Sita used to wear Savitri and Hindu Bharya. The women of Mohenjodaro who used to wear vermilion