कविता यक्ष युधिष्ठिर प्रश्नोत्तर एक पिता का अपने पुत्र के ज्ञान की परीक्षा है December 17, 2021 / December 17, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकधर्माचरण किए बिना धरती पर कोई नहीं जीता,धर्म विरुद्ध आचरण से इंसा जीवित नहीं रहता,धर्माचरण बिना प्रकृति से एक तृण नहीं हिलता,धर्मवत जिए बिना अंजलिभर जल नहीं मिलता! अर्जुन भीम सा बलशाली योद्धा मृतवत हो गए,मनुज धर्म नहीं धमकाने का स्वधर्म को समझो,समस्त सृष्टि को गर्भ में जो धारण कर चलती,उस मां से […] Read more » Yaksha Yudhishthira
कविता यम नचिकेता संवाद से सुलझी मृत्यु गुत्थी आत्मा की स्थिति December 13, 2021 / December 13, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकयम और नचिकेता वाजश्रवष् संवाद है तबकी,जब तैत्तिरीय आरण्यक कथा कृष्ण यजुर्वेद केकठोपनिषद में आकर हुई थी संपूर्ण विकसित! यह कथा है तबकी जब ब्राह्मण यजमान होतेस्वयं हेतु यज्ञ करते थे, क्षत्रिय सा दान देते थे,ब्राह्मण वैश्य सा धनिक वणिक हुआ करते थे! तब ‘एक गरीब ब्राह्मण’ लोकोक्ति नहीं बनी थी,सभी ब्रह्मा के […] Read more » Death mystery solved by Yama Nachiketa dialogue यम नचिकेता संवाद सुलझी मृत्यु गुत्थी आत्मा की स्थिति
कविता ज़िन्दगी की कुछ सच्चाईयां December 12, 2021 / December 12, 2021 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मुश्किल नही कुछ इस दुनिया में,तू जरा सी हिम्मत तो कर।तेरे ख़्वाब बदलेगे हकीकत में,तू जरा सी कोशिश तो कर।। अगर कर नही सकता भलाई,बुराई तो तू किसी की न कर।देख रहा है सब ऊपर वाला,कम से कम उससे तो तू डर।। कोशिश करने से मुश्किल काम,बेहद आसान हो जाते है।अरमान है जो तेरे दिल […] Read more » some facts of life
कविता सृष्टि के आरंभ में न सत था न असत था December 11, 2021 / December 11, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकऋग्वेद का कथन है सृष्टि के आरंभ मेंन सत था, न ही असत था,न वायु थान आकाश था, ना मृत्यु ना अमरता थीन रात थी, न दिन,न सांझ ना प्रभात! उस आरंभिक समय में केवल वही थाजो वायुरहित स्थिति में निज शक्ति सेश्वास ले जीवन की क्षमता रखता था,उसके सिवा कुछ भी जीवित […] Read more » In the beginning of creation there was neither true nor false सृष्टि के आरंभ में न सत था न असत था
कविता ॐ शान्ति शान्ति शान्ति: महासेनापति विपिन! December 9, 2021 / December 9, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकआठ दिसंबर इक्कीसबुधवार को कैसा था दुर्दिनभारत का वीर सपूतमहा सेनापति रावत विपिनहेलिकॉप्टर क्रैश मेंहम देशवासियों से गए छिनहम सब हैं अति दीन मलिनजिन्हें युद्ध भूमि मेंहरा सका नहीं था कोई संगीनभूलेगा नहीं देश हमाराइस महान वीर सपूत का ऋणहमारी पलकें नम है गम मेंऔर हमारे चेहरे दुखी उदासीनआखिरी विदाई हम देतेहे विपिन! […] Read more » Om Shanti Shanti Shanti: Mahasenapati Vipin! महासेनापति विपिन
कविता राम हारे के हरिनाम जगत के त्राणकर्ता December 8, 2021 / December 8, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकराम बनो परशुराम क्यों बनते हो?वर्णवादी जाति वर्चस्व के नाम परक्यों किसी भी जाति को हनते हो?जाति वर्ण नहीं मानव से प्रेम कर! कोई भी नस्ल-वंश-गोत्र-जाति-प्रजाति,बुरे नहीं होते, बल्कि विशेष व्यक्ति,किसी की नजर में बुरे भले बंदे होते,मनुज जाति नहीं व्यक्तित्व से होते! जिससे तुम असहमत हो जाते हो,उनसे बहुत लोग सहमत हो […] Read more » राम हारे के हरिनाम जगत के त्राणकर्ता
कविता मैं किताब हूं हां मैं किताब हूं December 8, 2021 / December 8, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | 1 Comment on मैं किताब हूं हां मैं किताब हूं —विनय कुमार विनायकमैं किताब हूं मुझे पढ़ लो,मैं वेद उपनिषद पुराण हूं,मैं अतीत हूं मैं वर्तमान हूं,मैं भविष्य का सद्ज्ञान हूं,मैं किताब हूं मुझे पढ़ लो! किताब में कुछ लिखी होती,किताब में कुछ खाली होती,खाली में विवेक से काम लो,लिखे को पढ़ो खाली भर दो,मनुष्य हो और मनुष्य बनो! मैं किताब हूं, सब को पढ़ा […] Read more » मैं किताब हूं हां मैं किताब हूं
कविता प्रश्नोत्तर की परंपरा से बनी हमारी संस्कृति December 7, 2021 / December 7, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकप्रश्नोत्तर की परंपरा से बनी हमारी संस्कृति,प्रश्न करे उत्तर दे उपनिषद ऐसी ज्ञान विधि!उपनिषद यानि गुरु समीप बैठ ज्ञान प्राप्ति,यह वेदान्त बौद्ध जैन दर्शन की मूल निधि! समस्याओं का हल वाद-विवाद-संवाद में ही,भारत में गुरु-शिष्य पठन विधा थी बलवती!कठोपनिषद यम नचिकेता संवाद मृत्यु-गुत्थी,मुण्डकोपनिषद में सत्यमेवजयते की प्रतीति! वृहदारण्यकोपनिषद;याज्ञवल्क्य मैत्रेयी वार्ता,असतोमा सदगमय! तमसो मा […] Read more » प्रश्नोत्तर की परंपरा से बनी हमारी संस्कृति
कविता चुनाव व नेता December 7, 2021 / December 7, 2021 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment नेता आज सत्ता के खातिर,अपना उल्लू सीधा कर रहे।वोटो के खातिर वे सब अब,मुफ्त चीजे खूब है बांट रहे।। कोई लैपटॉप फ्री में बांट रहा,कोई फ्री में राशन है बांट रहा।बिजली पानी की बात न करो,वह तो धर्म जाति में बांट रहा।। अपनी जेबों से देते नही कुछ,टैक्स कर्ता का धन है बांट रहे।वोट बटोरने […] Read more » election and leader चुनाव व नेता
कविता नारी तुम सबसे प्रेम करती मगर अपने रुप से हार जाती हो December 6, 2021 / December 6, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकनारी तुम किस रुप में होतुम मां बहन बेटी अर्धांगिनीईश्वर की नायाब कृति हो! तुम प्रेम करुणा दया ममतामातृत्व की प्रति मूर्ति होतुम मां बनकर जनती संततिदूध पिलाकर पालती हो! पर दो जून रोटी के खातिरसंतति मुख निहारती होक्या मां रुप में तुम हारती हो? बहन बनके भाई कलाई कोतुम बड़े प्रेम से […] Read more »
कविता रावण कौरव कंश कीचक जयद्रथ क्यों बनते हो? December 3, 2021 / December 3, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकहर कोई अपनी वजह से परेशान होते,सब अपने ही कर्म का अंजाम भोगते,कोई पूज्य या घृणित होते स्वभाव से,सुख-दुख का कारण मानव स्वयं होते! धनकुबेर तो धन के स्वामी थे तब भी,जब सोने की लंका उनसे छिन गई थी,स्वर्ण नगरी का स्वामित्व बदला किन्तुनए-पुराने मालिक की हस्ती कहां बदली? रावण लेकर लंका धनकुबेर […] Read more » Why do you become Ravana Kaurava Kansh Keechak Jayadratha?
कविता शादी में शामिल होने वालो को सुझाव November 29, 2021 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment उतना ही लो तुम थाली में।व्यर्थ न जाए कुछ नाली में।। झूठन जो छोड़ता है थाली में।अगला जन्म लेता है नाली में।। कम व्यजन बनावाओ शादी में।झांकी न लगाओ उनकी शादी में।। दान दहेज न देओ तुम शादी में।दान देहेज न लेओ तुम शादी में।। जितना कर सको करो शादी में।अपनी औकात में रहो शादी […] Read more »