रवीन्द्रनाथ टैगोर: क्षेत्रीय से वैश्विक कवि
—विनय कुमार विनायकगुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर बंगाल के,बंगाली अस्मिता, भाषा के रवि थे!गुलाम भारत के एक…
—विनय कुमार विनायकगुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर बंगाल के,बंगाली अस्मिता, भाषा के रवि थे!गुलाम भारत के एक…
—विनय कुमार विनायककुणाल! तुम महारानी पद्मावतीव मगध सम्राट अशोक के लाल!तुम्हारी दो आंखें थी खंजन…
—विनय कुमार विनायककुछ अच्छा सा काम करो हे मन!जाने क्यों असमय छूट जाता तन! हमारे…
—विनय कुमार विनायकभारत की आंखेंबड़ी ही खूबसूरत होती हैभारत की आंखों मेंईश्वर की मोहिनी मूरत…
कुछ कहता हूँ कहने दो , मैं पागल हूं, रहने दोआँसू देख तेरे आंखों में…
—विनय कुमार विनायककोयल तुम बोलती हो अपनी बोली,इसलिए तू आजाद हो नीलगगन में! कोयल तुम्हारी…
मानो तो मोती ,अनमोल है समयनहीं तो मिट्टी के मोल है समयकभी पाषाण सी कठोरता…
भाई बहिन का ये रिश्ता,कैसा अजीब है ये रिश्ता।लड़ते झगड़ते है ये आपस मे,फिर भी…
—विनय कुमार विनायककोई भी कृति राम चरित्र की पूर्णाहुति नहीं है,वाल्मीकि के पूर्व रामकथा लौकिक…
बड़ी खूबसूरत है ये ज़िंदगी…..इसी ने मुझे संघर्ष करना सिखायाहंसना सिखाया,रोना भी सिखायाकभी अपने को…
—विनय कुमार विनायक‘सर’ संबोधन का ये रिवाज मिटाना होगा,विदेशी गुलामी से हमें निजात पानी होगी,देशी…
—विनय कुमार विनायकओ अनजाने सहयात्री!तू बैठ जा मेरी आधी सीट परमेरी पीठ से लगकर कि…