कविता मां तुम कितना कुछ सहती हो August 19, 2021 / August 19, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकमां तुम कितना कुछसहती हो,फिरभी तुमकुछनाकहती हो,खाना हम सबको खिलाने तक,तुम मांदिनभर भूखी रहती हो! इस जहां में कहांकोईरचना,जो तेरे जैसेभूख-प्यास, नींदऔर ढेर सारी पीड़ा सहती हो,फिर भी कुछ नहीं कहती हो! मां तुम कितनीभोलीसी हो,दुनिया मेंअमृतरस घोली हो,अपनेबच्चों की आपदाओंकोअपने हीसरपर ले लेती हो! मां नहीं तो जग कैसाहोता?जीव जंतुओं सेयेसूना होता,हर […] Read more » मां तुम कितना कुछ सहती हो
कविता मेरे दिल का दर्द August 19, 2021 / August 19, 2021 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment तेरी आंखों में मुझे अपना हाल दिखता है।लगता है मुझे भी तू भी बेहाल दिखता है।। बहाना ढूंढती रहती हूं,मैं बात करूं तुझसे।वो बात क्या है जो बात नही करते मुझसे।। हर कीमत पर तुझे मै अपना बनाना चाहती हूं।जो कीमत मांगोगे मुझसे उसे चुकाना चाहती हूं।। अपनी जिंदगी की तुझे मै,कहानी बना लूंगी।जवानी तो […] Read more » मेरे दिल का दर्द
कविता जीवन की कुछ सच्चाईयां August 17, 2021 / August 17, 2021 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment रुक जाता है,नदी का प्रवाह समुंद्र में आकर।चैन मिलता है,मुसाफिर को अपने घर आकर।। पेट नही भरता लोगो का दौलत कमाकर।पेट तो भर जाता है,चार निवाले ही खाकर।। मौत ले जायेगी सभी को,एक दिन आकर।लौटा नहीं है बंदा,मौत के घर वह जाकर।। दर्शन करते हैं प्रभु के लोग मंदिर में जाकर।सच्चे भक्त को प्रभु देते […] Read more » जीवन की कुछ सच्चाईयां\
कविता एक और नई सुबह August 17, 2021 / August 17, 2021 by सुशील कुमार नवीन | Leave a Comment एक और नई सुबह सुरभित गर्वित स्वतंत्र स्वछंद। उन्मुक्त गगन मन आतुर अधीर आसमान छूने को भरने नई उड़ान। जाना किधर किञ्चित विचलित, दिखेगी जो राह सरपट दौड़ेंगे कदम बिना सोचे विचारे। लक्ष्य अडिग पुष्पित पल्लवित पथ नहीं पाथेय नहीं अनजान सुनसान राह दूर करके सभी अवरोध मिलेगी ‘नवीन’ मंजुल मंजिल। -सुशील कुमार ‘ नवीन’ Read more » एक और नई सुबह
कविता परशुराम की सेना August 16, 2021 / August 16, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकतेरी महिमा अपरंपारकौन पाएतुमसे पारचाटुकार से करते प्यारस्वाभिमानी को देते मारबिना उठाए ही हथियारसेना रखते तुम तैयार! कभी वाहिनी थी तेरीवीर क्षत्रियों की शानउनके बल पर उनकेही हरते थे तुमप्राणपकड़ी गई जब मंशातेरीउलट गई उनकी कृपाण! किंतु संयुक्त पुरोहित थेतुमइनके और उनकेदोस्त के और दुश्मन केसबके संयुक्त सलाहकार! ले कमंडलु इधर मुड़ेले कमंडलु […] Read more » परशुराम की सेना
कविता द्विज-अद्विज August 16, 2021 / August 16, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकतुम वाणी के वरद पुत्र,श्रुति सूक्त के सूत्रधार!विधिविधानकेनियंता,श्री के स्वयंभू अवतारी! सृष्टि के पतवार को थामे,तुमनेंही मानव को बांटा!घृणितमानसिक सोचसे,द्विज-अद्विज के पाटों में! द्विज वही,जो तुम थे,तेरे थे,अद्विज वही,जिसे तुम घेरेथेसदियों से,दासता औ गुलामी केदुखदायीशासन केघेरे में? तुम शासक और वे शासित,तुम शोषक और वे शोषित,शस्त्र-शास्त्रथे,तुम्हारे रक्षक,शस्त्र-शास्त्र थे,उनके भक्षक! विधि-विधानऔज्ञान-विज्ञान,सबपर रहा अधिकार तुम्हारा!उनके […] Read more » dvija-advija द्विज-अद्विज
कविता पंद्रहअगस्त सिर्फ नहीं तिथि August 15, 2021 / August 15, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकपन्द्रह अगस्त सिर्फ नहीं तिथि!बल्कि यह एक इतिहास हैउन पूर्वजों के एहसास की,जिनकी उनसबकोतलाश थी,बंद हुई चक्षु से देखने की,पन्द्रहअगस्तसिर्फ नहीं तिथि! कैसी थी उनकी नियति,जान गंवा कर पाने की,यह अनोखी थी नवरीति,ये‘न भूतो न भविष्यति’पन्द्रहअगस्त सिर्फनहींतिथि! पन्द्रह अगस्त स्वतंत्रता दिवस,उनकी लाश पर थी पड़ी मिलीयह अमूल्य सी महा निधि!उनके शोणित की उपलब्धि,पन्द्रहअगस्त […] Read more » 15 august not just date
कविता आज़ादी का जश्न मनाएं ।। August 13, 2021 / August 13, 2021 by अजय एहसास | Leave a Comment आज़ादी का जश्न मनायें, आओ झूमे गाएं ।दी है जान वतन पर जिसने, उनको नहीं भुलाएं।। वीरों ने जो सपने देखें, पूरा कर दिखलायाऔर विदेशी गोरों को भारत से मार भगायायाद उन्हें कर अपना तिरंगा, नभ में हम फहराएंआज़ादी का जश्न मनायें, आओ झूमे गाएं ।। जूझे थे जो भूख, विवशता, और जूझे कंगाली सेगोरों […] Read more » Celebrate Freedom आज़ादी का जश्न मनाएं
कविता मनु स्मृति और वर्ण व्यवस्था August 12, 2021 / August 12, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment -विनायक कुमार विनायकजी हां!मनु स्मृति को पढ़ते हुए ऐसा लगताकि तुम पिछड़े और कमजोर लघुमानवों केभविष्य को अबभी मुट्ठी में बंद किए हुएसत्तर वर्ष पूर्व राजेन्द्र-अम्बेडकर नेभृगु-वशिष्ठ के उस संविधान को बदलाजो मानव पिता मनु नहीं,बाबाभृगुकी कृति मनुस्मृति थी! मनु नेपहले अध्याय में ही कहा हैये भृगु इस संपूर्ण शास्त्र को तुम्हें सुनाएंगे‘एतद्वोऽयं भृगुः शास्त्रं […] Read more » मनु स्मृति और वर्ण व्यवस्था
कविता ब्राह्मणत्व को जाति में ढ़ालनेवाले August 11, 2021 / August 11, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायक ब्राह्मणत्व को जाति में ढालने वाले, अभिजात वर्ग के अधिकारी! क्या तुम इसकी परिधि में समा जाते अगर ब्राह्मण में द्विजत्व की पराकाष्ठा का अमृतत्व है, तो लघुता का विष,पतितों का अस्तित्व और शूद्रत्व का हलाहल भी है! जिसे मुश्किल हैतुम्हें पचा जाना! तुम महारस पायी देव हो! क्षुद्रता के रसपान से […] Read more » casters of brahminism ब्राह्मणत्व को जाति में ढ़ालनेवाले
कविता आदिवासी नहीं कोई जाति यह एक अवस्था है August 10, 2021 / August 10, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकआदिवासी नहीं कोई जाति यह एक अवस्था है,आदिवासी जनजातिकीअवस्था सेहर नस्लवर्णजातिवर्गकोगुजरना होता है! आज की वर्तमानवर्णाश्रमी जातिकल कबिलाईआर्यआदिवासी जनजातिथी! एक समय में अनेक आदिवासी जनजाति होसकती,वर्णाश्रमी जातियों जैसीसमकालीनआदिवासी जनजातियों मेंसमानता नहीं होती! आज भारतीय आदिवासी हैंसंथाल,पहाड़िया, मुंडा, उरांव,हो,कोल,भील,किरात,खरबार, मीना आदिजनजाति,जो आपस में तनिक मेल नहीं खाती! खरबार,मीना, मुंडा जनजाति का रीति रिवाजमिलता है […] Read more » Tribal no caste it is a state आदिवासी
कविता सात मनुओं का काल कहलाता है सात मन्वन्तर August 10, 2021 / August 10, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकसात मनुओं का काल कहलाता हैसात मन्वन्तर,पहला मनु स्वायंभुव, फिरस्वारोचिष,उत्तम,तामस,रैवत,चाक्षुष औरवैवस्वत मनु का यह मन्वन्तर! स्वायंभुव मनु से चाक्षुष मनु तक सभी मनु थेप्रथमस्वायंभुव मनु और शतरुपा के ही वंशधर! चाक्षुष मनु के काल में हुआ था महा जल प्रलयऔर पूरी मनुर्भरती संस्कृति का हो गया था लय! अबकथा हैवैवश्वत मनु केवर्तमान मन्वंतर […] Read more » The period of seven Manus is called Seven Manvantaras. सात मन्वन्तर