सात मनुओं का काल कहलाता है सात मन्वन्तर

—विनय कुमार विनायक
सात मनुओं का काल कहलाता हैसात मन्वन्तर,
पहला मनु स्वायंभुव, फिरस्वारोचिष,उत्तम,तामस,
रैवत,चाक्षुष औरवैवस्वत मनु का यह मन्वन्तर!

स्वायंभुव मनु से चाक्षुष मनु तक सभी मनु थे
प्रथमस्वायंभुव मनु और शतरुपा के ही वंशधर!

चाक्षुष मनु के काल में हुआ था महा जल प्रलय
और पूरी मनुर्भरती संस्कृति का हो गया था लय!

अबकथा हैवैवश्वत मनु केवर्तमान मन्वंतर का
ब्रह्माके मानस पुत्र सप्त ऋषियों के वंशधर का!

ब्रह्मा केदैहिकपुत्रदक्ष प्रजापतिऔरवीरणीकी
पचास पुत्रियांकहलातीहैसृष्टि कीआदि माताएं!

जिनमें तेरह बहनें ब्याही गईब्रह्मा केमानसपुत्र
मरीचि तनय कश्यप ऋषि से,जिनके वंशधरसारे
आदित्य-देव-मानव-आर्य,अनार्य-नाग-दैत्य-दानवादि
आदिवासी;सबथे आपसी मौसेरे दायाद बंधु-बांधव!

कश्यप-अदिति की संततिकहलाती थीआदित्यदेव,
कश्यप-दिति केवंशधरसारेकहलाने लगे थेदैत्य,
कश्यप-दनु के पुत्र हीबन गएथेपौराणिकदानव!

ऐसे ही तेरहो बहनों की संततियों को मिल गई थी
अपनी-अपनीमातासे अलग-अलगजातिगतनाम,
परसबके पिता एकहीथे,वेकश्यपऋषिमहान,
सभीकहलाने लगेकाश्यपयाकश्यपवंशी संतान!

कश्यप ऋषि के नाम पर है एक कैस्पियन सागर,
जम्बूद्वीपभारतकाहै जम्मू-कश्मीर राज्य नगर!

पिता एक माता अनेक, मातृसत्तात्मकव्यवस्था में
माता की संज्ञा से उनकी बनी थी आदिमपहचान!

अदिति के पुत्र आदित्यदेवोंऔरदिति-दनुके पुत्रों;
दैत्य-दानवों के बीचहो गई थीआपसीशत्रुता भारी,
आदित्यबन गएथे देव, दैत्य-दानव बन गए असुर,
इन दोनोंके बीचमच गयाथाबारहदेवासुर संग्राम,
देवहैंइन्द्र,वरुण,मित्र,अग्नि,वायु, विष्णुभगवान!

दैत्यहिरण्यकशिपु,हिरण्याक्ष,प्रहलाद,बलि,विरोचन,बाण
और दानव शम्वर,तारक,वृषपर्वा, विप्रचित्तिथेमहान!

स्वर्ग लोककी लड़ाई आज धरती तक चली आई है,
स्वर्गलोक में रहतेथे देव,नाग,यक्ष, गंधर्व, किन्नर!

अदिति के श्रषि कश्यप से जन्मे थे बारह आदित्य,
अष्ट वसु, औरग्यारह रुद्र,ये सभी देव कहलाते थे!

नाग,यक्ष,गंधर्व,किन्नरजातियां देवों की सहायक थी,
देवलोक,नागलोक,यक्षलोक,गंधर्वलोकवकिन्नरलोक
हिमालय केइसपार,उसपार,कैश्पियन सागरतकफैले,
नन्दन-कानन, कैलाश-मानसरोवर, कश्मीर, अलकनंदा,
लद्दाख, तिब्बत,गांधार,अलकापुरी,पुष्कलावतीतक
सब मिलकर बृहत्तर भारत का स्वर्गराज कहलाता था!

देवराज इन्द्र, नागनाथ शिव,यक्ष-किन्नरराज कुबेर!
आज भीबैरी नाग, शेषनाग, कश्मीर का अनंतनाग
शिव के नाग वंशियोंकेआदिनिवास को बतलातेहैं!

गंधर्व लोक की राजधानी पुष्कलावतीवह रणक्षेत्र है
जहां देवता और असुर देवासुर संग्राम लड़ा करते थे!

अशोक का शिलालेख है उस लाहुल यानि कुल्लू में,
जहां शकदेशी राक्षस-पिशाच भारतीय देवों से हारके
‘लाहौल विला कुब्बत’ कहकर भाग जाया करते थे!

आज भी इन्हीं क्षेत्रों मेंचल रही है वर्चस्व कीलड़ाई,
धर्म बदल गए हैं सबके, पर सब हैंएक गोत्रजभाई!
स्वर्गलोक की लड़ाई आज धरती तक ऐसे उतर आई!

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