लेख समाज माता-पिता और संतान के संबंधों की संस्कृति को जीवंतता दें June 1, 2025 / June 2, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment विश्व माता-पिता दिवसः 1 जून 2025– ललित गर्ग – विश्व के अधिकतर देशों की संस्कृति में माता-पिता का रिश्ता सबसे बड़ा एवं प्रगाढ़ माना गया है। भारत में तो इन्हें ईश्वर का रूप माना गया है। माता-पिता को उनके बच्चों के लिए किए गए उनके काम, बच्चों के प्रति उनकी निस्वार्थ प्रतिबद्धता और इस रिश्ते को पोषित […] Read more » Revive the culture of parent-child relationships माता-पिता और संतान के संबंधों की संस्कृति
लेख हिंदी पत्रकारिता उद्भव से लेकर डिजिटल युग तक May 31, 2025 / June 2, 2025 by संदीप सृजन | Leave a Comment हिंदी पत्रकारिता दिवस (30 मई)विशेष- -संदीप सृजन हिंदी पत्रकारिता का इतिहास भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। यह न केवल सूचना का माध्यम है, बल्कि समाज को जागरूक करने, विचारों को प्रेरित करने और परिवर्तन की दिशा में एक उत्प्रेरक की भूमिका निभाता है। हिंदी पत्रकारिता ने अपने […] Read more » Hindi journalism from its origins to the digital age हिंदी पत्रकारिता
लेख परिवारों से मिटता दादी मां का अस्तित्व चिंता का विषय May 31, 2025 / June 25, 2025 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment आज अनाथालयों में वृद्ध महिलाओं के झुंड आंसू बहा रहे हैं। हमारे देश की परंपरा तो “मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, आचार्य देवो भव, अतिथि देवो भव” अर्थात माता-पिता, गुरु और अतिथि का देवता के समान सम्मान करना चाहिए- की रही है। इसके उपरांत भी यदि वृद्ध माताएं दुख के आंसू बहा रही हैं […] Read more »
लेख विश्वसनीयता के संकट से जूझती हिंदी पत्रकारिता May 29, 2025 / May 29, 2025 by डॉ घनश्याम बादल | Leave a Comment डॉ घनश्याम बादल 30 मई 1826 को कोलकाता से प्रकाशित हिंदी के पहले समाचार पत्र ‘उदन्त मार्तण्ड’ के प्रकाशन की ऐतिहासिक शुरुआत को याद करते हुए हर साल 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है। बेशक, हिंदी पत्रकारिता का इतिहास गौरवशाली है लेकिन आज हिंदी पत्रकारिता की देश में सबसे ज्यादा समाचार पत्रों […] Read more » हिंदी पत्रकारिता
लेख स्वास्थ्य-योग सावधान रहना होगा कोरोना के नए वेरियंट्स से May 29, 2025 / May 29, 2025 by संजय सिन्हा | Leave a Comment संजय सिन्हा भारत सहित अन्य देशों में एक बार फिर से कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा मंडराने लगा है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी हालिया आंकड़ों के अनुसार देश में अब तक कुल 1200 से अधिक कोविड-19 के सक्रिय मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जबकि 12 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। एक ओर […] Read more » We have to be cautious about the new variants of Corona कोरोना के नए वेरियंट्स
लेख प्रकाशन की लागत बढ़ने से गहराया आर्थिक संकट May 29, 2025 / May 29, 2025 by प्रदीप कुमार वर्मा | Leave a Comment हिंदी पत्रकारिता : क्षेत्रीय भाषा और आर्थिक संकट की “छाया” प्रदीप कुमार वर्मा भारतीय शासन व्यवस्था में मुख्य रूप से तीन स्तंभ हैं जिनमें कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका शामिल हैं। देश में स्वतंत्र पत्रकारिता के महत्व एवं उपयोगिता को देखते हुए पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। पत्रकारिता हर आम और खास को विभिन्न समाचारों, घटनाओं और मुद्दों से अवगत कराती है। पत्रकारिता को जनमानस को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक के रूप में भी जाना जाता है। पत्रकारिता के इसी महत्व को रेखांकित करने का दिन “हिंदी पत्रकारिता दिवस” है। यह हिंदी पत्रकारिता के गौरवशाली इतिहास को याद करने और इसकी वर्तमान उपलब्धियों का जश्न मनाने का दिन भी है। यह दिवस उन सभी पत्रकारों और लेखकों को याद करने का अवसर है जिन्होंने हिंदी भाषा को गौरव और सम्मान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत में हर साल 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारत के इतिहास का एक महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि वर्ष 1826 में इसी दिन हिंदी भाषा का पहला समाचार पत्र ‘उदन्त मार्तण्ड’ प्रकाशित हुआ था। इस प्राचीन समाचार पत्र का प्रकाशन कलकत्ता शहर से पंडित जुगल किशोर शुक्ल द्वारा शुरू किया गया था। यह ऐसा समय था जब भारत में उर्दू, अंग्रेजी, बांग्ला और फारसी भाषा का प्रचार-प्रसार चरम पर था। ऐसे समय में हिंदी भाषी लोगों के सामने साहित्य और पत्रकारिता का संकट पैदा हो रहा था। तब हिन्दी भाषा के पाठकों को हिंदी समाचार पत्र की आवश्यकता हुई। हिंदी पत्रकारिता की इसी अनिवार्य आवश्यकता के चलते 30 मई 1826 को हिन्दी भाषा का प्रथम समाचार पत्र ‘उदन्त मार्तण्ड’ प्रकाशित हुआ था। यह महज एक समाचार पत्र ही नहीं था बल्कि साहित्य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में हिंदी के “उत्थान” के लिए किया गया यह एक प्रयोग भी था। इसीलिए इस दिवस को हिन्दी पत्रकारिता दिवस के रूप में मानते हैं। भले ही यह पत्र एक साप्ताहिक के रूप में कलकत्ता से प्रकाशित होना प्रारम्भ हुआ था लेकिन इसने तत्कालीन समय में हिंदी भाषा एवं हिंदी पत्रकारिता को एक संजीवनी प्रदान की थी। उस जमाने मे कलकत्ता में हिन्दी पाठकों की संख्या बहुत कम थी। हिन्दी भाषी स्थानों पर यह डाक से भेजा जाता था, जिससे यह महंगा होता था और इसका खर्च नहीं निकल पाता था। इसके अलावा उस समय आर्थिक तंत्र कुछ कुलीन लोगों के हाथ में था। जिनका हिंदी से कोई लेना देना नहीं था। यही वजह रही कि ‘उदन्त मार्तण्ड’ को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। उस समय जुगल किशोर शुक्ल ने सरकार से अखबार को हिंदी पाठ उत्तर पहुंचने के लिए डाक खर्च में कुछ रियायत देने का अनुरोध भी ब्रिटिश सरकार से किया लेकिन तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने हिंदी भाषा के चलते इस अनुरोध को नकार दिया। यही वजह रही कि मात्र कुछ ही महीनों के बाद आर्थिक तंगी के कारण 19 दिसंबर 1826 को इसका प्रकाशन बंद करना पड़ा। इसके मात्र 79 अंक ही निकले थे लेकिन करीब करीब दो सौ साल के लंबे सफर के बावजूद आज भी हिंदी पत्रकारिता पर संकट के बादल छाए हैं। संकट के यह बादल भाषाई पत्रकारिता में आए उछाल, सोशल मीडिया के बढ़ते दखल तथा अखबारों के प्रकाशन में बड़े खर्च और लागत को लेकर है। बदले समय में अब अखबारों को विज्ञापन कम मिल रहे हैं। इसके साथ ही कागज और छपाई के खर्चे बढ़ गए हैं। जिसके चलते अखबार मालिकों को अखबारों की रेट भी बढ़ानी पड़ी है। हालात ऐसे हैं कि आज के समय में कोई भी राष्ट्रीय अथवा प्रादेशिक समाचार पत्र 5 रुपये की कीमत से कम नहीं है और यह है कीमत कई अखबारों के मामले में 10 से 15 रुपए तक भी है। क्षेत्रीय भाषाओं के बढ़ते प्रभाव के चलते कुछ बड़े मीडिया घरानों ने देश के विभिन्न राज्यों में भाषा के आधार पर अपने क्षेत्रीय प्रकाशन भी शुरू कर दिए हैं जिसकी वजह से भी आज के दौर में हिंदी पत्रकारिता को चुनौती मिल रही है। अखबारों को मिल रही सरकारी मदद के बारे में गौर करें,तो आज भी आशा के अनुरूप सरकारी मदद का इंतजार अखबारों को है। देश में केंद्रीय विज्ञापन एजेंसी डीएवीपी और राज्यों के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालयों की ओर से भी विज्ञापन जारी करने की संख्या में कमी आई है। जिसके चलते विज्ञापनों के रूप में अपेक्षित सरकारी मदद अखबारों को नहीं मिल पा रही है। इसके साथ ही सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों से मिलने वाले विज्ञापनों पर एक मोटा कमीशन विज्ञापन एजेंसी को देना पड़ता है और इसका असर भी अखबारों की आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है। इसके अलावा लगभग हर राजनीतिक एवं जनप्रतिनिधियों, सामाजिक एवं व्यापारिक संस्थाओं ने भी अपने “प्रचार-प्रसार” का माध्यम सोशल मीडिया को बना लिया है। इसके चलते कम से कम विज्ञापन के मामले में उन्हें अखबारों की आवश्यकता ना के बराबर रह गई है। आज हिंदी पत्रकारिता दिवस के मौके पर इस बात पर भी चिंतन और मनन किया जाना जरूरी है कि हिंदी पत्रकारिता को कैसे न केवल जिंदा रखना जाए, बल्कि उसका पोषण और संवर्धन भी किया जाए? इस दिशा में जनता जनार्दन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है और आज लोगों को यह संकल्प लेना होगा कि वह हिंदी समाचार पत्रों को पहले की तरह अपना प्रेम और आशीर्वाद देंगे। इसके साथ ही केंद्र एवं राज्य सरकारों को भी अखबारों को आर्थिक संकट से उबारने के लिए कोई विशेष नीति बनानी होगी। यह नीति सजावटी विज्ञापनों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ-साथ रियायती दर पर अखबारों के प्रकाशन संस्थानों के लिए बिजली एवं पानी तथा अन्य प्रकार के पैकेज दिए जा सकते हैं। जिससे वर्तमान दौर के साथ-साथ आने वाले समय में हिंदी पत्रकारिता को “संजीवनी” मिल सके और हिंदी पत्रकारिता को भाषायी और आर्थिक संकट की “छाया” से उबारा जा सके। प्रदीप कुमार वर्मा Read more » The economic crisis deepened due to the increase in the cost of publishing हिंदी पत्रकारिता
लेख विधि-कानून सुप्रीम कोर्ट -किशोरों के बीच सहमति के संबंधों में पोक्सो एक्ट के तहत जेल क्यों? May 29, 2025 / May 29, 2025 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रकरण की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से कहा है कि किशोरों के बीच सहमति से बनने वाले प्रेम-संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और देश में यौन व प्रजनन स्वास्थ्य शिक्षा (सेक्स एजुकेशन) की नीति बनाने पर विचार करना चाहिए। ऐसा इसलिए ताकि किशोरों को प्रोटेक्शन […] Read more » Supreme Court- Why jail under POCSO Act in consensual relationships between teenagers
लेख हिन्दी पत्रकारिता को व्यवसाय नहीं, मिशन बनाना होगा May 29, 2025 / May 29, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment हिन्दी पत्रकारिता दिवस- 30 मई, 2025– ललित गर्ग – भारत में हिन्दी पत्रकारिता की न केवल आजादी के संघर्ष में बल्कि उससे पूर्व के गुलामी की बेड़ियों में जकड़े राष्ट्र की संकटपूर्ण स्थितियों में महत्वपूर्ण भूमिका रही है, नये बनते भारत में यह भूमिका अधिक महसूस की जा रही है, क्योंकि तब से आज तक […] Read more » हिन्दी पत्रकारिता
लेख ‘देशहित’ से ही बचेगी पत्रकारिता की साख May 29, 2025 / May 29, 2025 by लोकेन्द्र सिंह राजपूत | Leave a Comment – लोकेन्द्र सिंह ‘हिंदुस्थानियों के हित के हेत’ इस उद्देश्य के साथ 30 मई, 1826 को भारत में हिंदी पत्रकारिता की नींव रखी जाती है। पत्रकारिता के अधिष्ठाता देवर्षि नारद के जयंती प्रसंग (वैशाख कृष्ण पक्ष द्वितीया) पर हिंदी के पहले समाचार-पत्र ‘उदंत मार्तंड’ का प्रकाशन होता है। इस सुअवसर पर हिंदी पत्रकारिता का सूत्रपात होने पर संपादक पंडित युगलकिशोर समाचार-पत्र के […] Read more » पत्रकारिता की साख
खान-पान लेख एमएसपी में वृद्धि :कृषि और किसान कल्याण को गति May 29, 2025 / May 29, 2025 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने विपणन(मार्केटिंग) सीजन 2025-26 के लिए 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दी है, यह कृषि और किसान कल्याण के विचार से एक स्वागत योग्य कदम कहा जा सकता है। अच्छी बात है कि आज […] Read more »
लेख सुखद है 199 वर्षों का हिन्दी पत्रकारिता का इतिहास May 29, 2025 / May 29, 2025 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment हिन्दी पत्रकारिता दिवस (30 मई) पर विशेषजनसंचार का सशक्त माध्यम है हिन्दी पत्रकारिता– योगेश कुमार गोयलपूर्व राष्ट्रपति डा. शंकर दयाल शर्मा ने लोकतंत्र में प्रेस की भूमिका के बारे में कहा था कि प्रेस पर लोकतांत्रिक परम्पराओं की रक्षा करने और शांति व भाईचारा बढ़ाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। राष्ट्रीय अखण्डता के संदर्भ में […] Read more » हिन्दी पत्रकारिता का इतिहास हिन्दी पत्रकारिता दिवस
लेख शख्सियत समाज शौर्य, स्वाभिमान और पराक्रम के प्रतीक: महाराणा प्रताप May 28, 2025 / May 28, 2025 by संदीप सृजन | Leave a Comment महाराणा प्रताप जयंती (29 मई) विशेष- संदीप सृजन महाराणा प्रताप का जीवन एक ऐसी प्रेरक गाथा है जो हर भारतीय को गर्व से भर देती है। उन्होंने अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी और स्वतंत्रता के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष किया। उनकी जयंती हमें न केवल उनके बलिदान को याद करने का अवसर […] Read more » self-respect and valor: Maharana Pratap Symbol of valor महाराणा प्रताप