Category: लेख

लेख साहित्‍य

 सबके आदर्श हैं भगवान परशुराम

| Leave a Comment

राष्ट्रकवि दिनकर ने सन् 1962 ई. में चीनी आक्रमण के समय देश को ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ शीर्षक से ओजस्वी काव्यकृति देकर सही रास्ता चुनने की प्रेरणा दी थी। युगचारण ने अपने दायित्व का सही-सही निर्वाह किया, किन्तु राजसत्ता की कुटिल और अंधी स्वार्थपूर्ण लालसा ने हमारे तत्कालीन नेतृत्व के बहरे कानों में उसकी पुकार ही नहीं आने दी। पाँच दशक बीत गये। इस बीच एक ओर साहित्य में परशुराम के प्रतीकार्थ को लेकर समय≤ पर प्रेरणाप्रद रचनायें प्रकाश में आती रहीं और दूसरी ओर सहस्रबाहु की तरह विलासिता में डूबा हमारा नेतृत्व राष्ट्र-विरोधी षडयन्त्रों को देश के भीतर और बाहर--दोनों ओर पनपने का अवसर देता रहा। परशुराम पर केन्द्रित साहित्यिक रचनाओं के संदेश को व्यावहारिक स्तर पर स्वीकार करके हम साधारण जनजीवन और राष्ट्रीय गौरव की रक्षा कर सकते हैं।

Read more »

कला-संस्कृति लेख साहित्‍य

अयोध्या से दक्षिण कोरिया का अटूट पौराणिक सम्बन्ध

| Leave a Comment

कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति किम देई जुंग और पूर्व प्रधानमंत्री हियो जियोंग और जोंग पिल किम कारक वंश से ही संबंध रखते थे। कारक वंश के लोगों ने उस पत्थर को भी सहेज कर रखा है जिसके विषय में यह कहा जाता है कि अयोध्या की राजकुमारी सुरीरत्ना अपनी समुद्र यात्रा के दौरान नाव का संतुलन बनाए रखने के लिए उसे रखकर लाई थी। किमहये शहर में राजकुमारी हौ की प्रतिमा भी है। कोरिया में रहने वाले कारक वंश के लोगों का एक समूह हर साल फरवरी-मार्च के दौरान राजकुमारी सुरीरत्ना की मातृभूमि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने अयोध्या आता है।

Read more »

लेख साहित्‍य

राष्ट्रभाषा ही आत्मीय संस्कृति की अस्मिता की जनक ।

/ | Leave a Comment

यूरोप के किसी देश में, यह फ्रांस हो या जर्मनी, स्पेन हो या पुर्तगाल, नीदरलैंड हो या पोलैंड । इन देशों में भारतवंशी जब आपस में मिलेंगे तो हिंदुस्तानी में वैसेही बातें करेंगे जिस तरह फ्रेंच से फ्रेंच और जर्मन से जर्मन बिना किसी हीनता ग्रंथि के आपस में संवाद करते हैं । भारतवंशियों को हिंदी भाषा परिवार की बोलियां उसी कोटि की हैं । जैसे फ्रेंच- जर्मन और डच भाषा परिवार की बोलियां । लेकिन यूरोप सहित विश्व के किसी भी देश में यदि कोई 15 - 20 वर्ष से रह रहा भारतीय किसी दूसरे भारतीय से मिलेगा तो वह अंग्रेजी में बातें करेगा। यह कहना अतिशयोक्ति न होगा कि यूरोप सहित अन्य देशों में भारतीयों के कारण हीअंग्रेजी बसर कर रही है ,उस देश के आम नागरिकों के कारण नहीं।

Read more »

लेख साहित्‍य

सिकंदर लोदी बारादरी पर मरियम उज-जमानी का मकबरा

| Leave a Comment

शाहजहां ने अपनी प्रेमिका मुमताज के लिए ताजमहल बनवाया, तो वहीं शाहजहां के पिता जहांगीर ने अपनी मां की याद में एक भव्य स्मारक बनवाया। नेशनल हाईवे दो पर अकबर टॉम्ब से महज 500 मीटर की दूरी पर यह मथुरा सड़क पर बायीं ओर तथा अकबर का मकबरा, सिकंदरा से पश्चिम की ओर मरियम का मकबरा स्थित है। मरियम उज-जमानी की मृत्यु 1622 में हुई और उसके बेटे जहांगीर ने उनके नाम पर इस महल का निर्माण करवाया था। यह महल अकबर के मकबरे के करीब ज्योति नगर में तंतपुर रोड पर स्थित है। पहले इस महल का निर्माण पर्दे में रहने वाली शाही औरतों के आवास के रूप में किया गया था। इस महल के प्रांगण के चारों ओर कई सारे कमरे बने हुए हैं।

Read more »