लेख आधुनिकीकरण कहीं पहाड़ों में बेरोजगारी का कारण न बन जाए? January 5, 2024 / January 5, 2024 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment बीना बिष्टहल्द्वानी, उत्तराखंड“बचपन में हरियाली के बीच बैठकर अक्सर मैं जिस हिमालय पर्वत को देखा करता था, आज कई वर्षो बाद जब में वापस उसे देखने लगा तो मैंने उसमें काफी बदलाव देखे. गांव की सूरत भी पहले से काफी बदल गई है. स्कूलों की हालतों में काफी हद तक सुधार आ गया है. जल […] Read more » Will modernization become the cause of unemployment in the mountains?
लेख शख्सियत समाज भगवान पार्श्वनाथ हैं पुरुषार्थ एवं जीवंत धर्म की प्रेरणा January 5, 2024 / January 8, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment भगवान पार्श्वनाथ जन्म जयंती 7 जनवरी 2023 पर विशेषः-ः ललित गर्गः- भगवान पार्श्वनाथ ने सत्य की तलाश में राज-वैभव को त्याग संसार में संन्यस्त हुए। उन्होंने कठिन तप तपा, वीतरागता तक पहुंचकर अपने जीये गये सच को भाषा दी। जैन धर्म के तेईसवें तीर्थंकर के रूप में उन्होंने वास्तविक धर्म को स्थापित कर उपदेश दिया […] Read more » 10 जनवरी-विश्व हिन्दी दिवस
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म लेख भगवान पार्श्वनाथ हैं पुरुषार्थ एवं जीवंत धर्म की प्रेरणा January 5, 2024 / January 5, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment भगवान पार्श्वनाथ जन्म जयंती 7 जनवरी 2023 पर विशेषः-ः ललित गर्गः- भगवान पार्श्वनाथ ने सत्य की तलाश में राज-वैभव को त्याग संसार में संन्यस्त हुए। उन्होंने कठिन तप तपा, वीतरागता तक पहुंचकर अपने जीये गये सच को भाषा दी। जैन धर्म के तेईसवें तीर्थंकर के रूप में उन्होंने वास्तविक धर्म को स्थापित कर उपदेश दिया […] Read more » Lord Parshvanath is the inspiration for efforts and vibrant religion. भगवान पार्श्वनाथ
लेख सार्थक पहल गांव-गांव तक पहुँच रहा है पीने का साफ़ पानी January 5, 2024 / January 5, 2024 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment प्रेमशीला देवीगया, बिहार देश के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के बेहतर स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में ‘हर घर नल जल योजना’ की शुरुआत की थी. इस योजना ने पिछले पांच वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों की तस्वीर बदल दी है. इसका सबसे सकारात्मक प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ा […] Read more » 'हर घर नल जल योजना पीने का साफ़ पानी
धर्म-अध्यात्म लेख धरती की सुरक्षा निहित है श्रीराम के प्रकृति-प्रेम में January 4, 2024 / January 4, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग –अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी श्रीराम मन्दिर का उद्घाटन 22 जनवरी, 2024 को करेंगे, निश्चित ही श्रीराम के इस पांच सौ वर्ष के टेंटवास के वनवास से स्व-मन्दिर में स्थापित होने की घटना वास्तविक दीपावली एवं खुशी का अवसर है, जिससे भारत एक नये युग में प्रवेश करेगा। जितनी आस्था एवं भक्ति […] Read more » Earth's safety lies in Shri Ram's love for nature.
लेख गाय पालन से देश के आर्थिक विकास को दी जा सकती है अतुलनीय गति January 4, 2024 / January 4, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment सनातन संस्कृति के अनुसार भारत में गाय को माता का दर्जा प्रदान किया गया है। माता अपने बच्चों का लालन पालन करती है, इसी प्रकार की संज्ञा गाय माता को भी दी गई है क्योंकि प्राचीन काल में भारत के ग्रामीण इलाकों में कई परिवारों का लालन पालन गाय माता के सौजन्य से ही होता रहा है। आज के खंडकाल में न्यूजीलैंड, डेनमार्क एवं स्विजरलैंड जैसे कुछ देशों ने अपनी अर्थव्यवस्था को गाय के दूध से निर्मित विभिन्न डेयरी पदार्थों का भारी मात्रा में पूरे विश्व को निर्यात कर अपनी अर्थव्यवस्थाओं को विकसित श्रेणी की अर्थव्यवस्था में बदल दिया है। विश्व के एक कोने में बसा एक देश है न्यूजीलैंड, जिसकी कुल आबादी केवल 52 लाख है। इस देश का प्रत्येक नागरिक भारत के नागरिक से 25 गुना अधिक अमीर है। यह अलग थलग बसा हुआ देश है फिर भी इनके पास कुछ ऐसा है जो इन्हें इतना अमीर एवं विकसित देश बनाता है और वह पदार्थ है गाय माता का दूध। दुग्ध से निर्मित उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों में पहुंचाकर न्यूजीलैंड आज विकसित देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है। न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्था को केवल मानव नहीं बल्कि गाय माता भी चलाती है। न्यूजीलैंड में मानव से ज्यादा गाय की संख्या है। न्यूजीलैंड में गाय की कुल आबादी 61 लाख से अधिक है। भारत जनसंख्या की दृष्टि से आज विश्व में प्रथम स्थान पर पहुंच गया है और न्यूजीलैंड आकार में भारत से 12 गुना छोटा है एवं जनसंख्या की दृष्टि से 260 गुना छोटा है। परंतु, भारत केवल 597,000 टन डेयरी उत्पाद का निर्यात करता है और न्यूजीलैंड 18,772,000 टन डेयरी उत्पाद का निर्यात करता है। डेयरी उत्पाद के निर्यात से ही न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्था चलती है, इस देश के नागरिकों को अमीर बनाती है और देश को विकसित अवस्था में ले जाती है। न्यूजीलैंड में फोंटेरा नामक एक सबसे बड़ी कम्पनी है और यह कम्पनी कोआपरेटिव के क्षेत्र में किसानों द्वारा बनाई गई कम्पनी है। जिस प्रकार भारत में अमूल कम्पनी को विकसित किया गया है। न्यूजीलैंड की फोंटेरा नामक कम्पनी दुनियाभर के 30 प्रतिशत डेयरी उत्पाद का निर्यात करती है। इस कम्पनी के उत्पाद दुनिया के 140 देशों में बिकते हैं और यह कम्पनी 10,000 नागरिकों को सीधा रोजगार प्रदान करती हैं। पूरे विश्व में आज भारत सबसे अधिक दूध उत्पादन करने वाला राष्ट्र बन तो गया है। परंतु, दुग्ध पदार्थों से निर्मित उत्पादों का निर्यात करने में भारत आज भी बहुत अधिक पीछे है। भारत में प्रतिवर्ष 20.90 करोड़ टन दूध का उत्पादन हो रहा है। अमेरिका में 10.27 करोड़ टन, चीन में 4.12 करोड़ टन, ब्राजील में 3.66 करोड़ टन, जर्मनी में 3.32 करोड़ टन, रूस में 3.23 करोड़ टन, फ्रान्स में 2.58 करोड़ टन और न्यूजीलैंड में 2.19 करोड़ टन दूध का उत्पादन हो रहा है। पूरे विश्व में 100 करोड़ से अधिक पशुधन है और भारत में 30.8 करोड़, ब्राजील में 23.2 करोड़, चीन में 10.2 करोड़ एवं अमेरिका में 8.9 करोड़ पशुधन है। भारत में पशुधन से दूध निकालने की क्षमता बहुत कम है जबकि अन्य विकसित देशों में नई तकनीकी को अपनाए जाने के कारण इस क्षेत्र में उत्पादकता तुलनात्मक रूप से बहुत अधिक है। न्यूजीलैंड के कुल निर्यात में डेयरी उत्पादों के निर्यात का हिस्सा 23 प्रतिशत है। इसी प्रकार डेनमार्क की अर्थव्यवस्था भी डेयरी उत्पादों पर निर्भर है। डेनमार्क में कृषि के क्षेत्र से निर्यात किए जाने वाले उत्पादों में डेयरी उत्पादों का हिस्सा 20 प्रतिशत है। डेनमार्क से मक्खन, पनीर एवं अन्य डेयरी उत्पाद 150 देशों को भारी मात्रा में निर्यात किए जाते हैं। स्विजरलैंड में भी कुल कृषि उत्पाद में डेयरी उद्योग का हिस्सा 20 प्रतिशत है। ऐसा सामान्यतः कहा जाता है कि जो देश कृषि प्रधान होते हैं वे अन्य देशों जो उद्योग एवं सेवा क्षेत्र पर अधिक निर्भर होते हैं की तुलना में कम विकसित रहते हैं। परंतु, न्यूजीलैंड, डेनमार्क एवं स्विजरलैंड जैसे देशों के नागरिकों ने कृषि क्षेत्र पर अपनी निर्भरता बनाए रखते हुए और अधिकतम डेयरी उत्पादों के दम पर अपने देश को विकसित देश बना लिया है। न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का योगदान केवल 7 प्रतिशत है, परंतु न्यूजीलैंड से निर्यात किए जाने वाले प्रथम 10 उत्पादों में से 6 उत्पाद कृषि क्षेत्र से आते हैं, इनमे डेयरी उत्पादों का निर्यात सबसे अधिक है। कुल निर्यात का 60 प्रतिशत हिस्सा डेयरी उत्पाद सहित कृषि क्षेत्र से होता है। न्यूजीलैंड, डेनमार्क एवं स्विजरलैंड की अर्थव्यवस्था को गति देने में वहां के नागरिकों के साथ साथ गाय माता का भी अत्यधिक योगदान है। केवल गायों की संख्या अधिक होने से अर्थव्यवस्था को बल नहीं मिलता है। इन गायों को हृष्ट पुष्ट रखना भी आवश्यक है। यह तभी सम्भव है जब किसानों को गाय पालन के लिए प्रोत्साहित किया जाए। 200 वर्ष पूर्व तक न्यूजीलैंड में एक भी गाय नहीं थी। परंतु, न्यूजीलैंड में चारा भरपूर मात्रा में उपलब्ध था। चूंकि न्यूजीलैंड भी एक ब्रिटिश कोलोनी बन गया था, अतः न्यूजीलैंड में चारे की भरपूर उपलब्धि को देखते हुए ब्रिटेन से गायें लाकर यहां बसाई गई। इसके बाद से तो न्यूजीलैंड ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। कालांतर में वहां गाय सहित पशुधन की संख्या अपार गति से बढ़ती गई। वर्ष 1900 आते आते रेफ्रिजरेटर के अविष्कार के बाद से तो न्यूजीलैंड डेयरी उत्पादों का निर्माण करने लगा, हालांकि इसके पूर्व इस देश की निर्भरत कृषि उत्पादों पर ही अधिक थी, इन कृषि उत्पादों को यूरोपीयन देशों को बेचा जाता था। प्रथम विश्व युद्धकाल के दौरान ब्रिटेन के सैनिकों को डेयरी उत्पादों की अत्यधिक आवश्यकता थी और ब्रिटेन ने न्यूजीलैंड में डेयरी उत्पादों के उत्पादन को बढ़ावा दिया, इसके बाद से तो यहां के डेयरी उत्पाद लगभग पूरे विश्व में ही बेचे जाने लगे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भी न्यूजीलैंड ने भारी मात्रा में डेयरी उत्पादों का ब्रिटेन को निर्यात किया था। उस समय ब्रिटेन के सहयोग से न्यूजीलैंड से निर्यात होने वाले कुल उत्पादों में डेयरी उत्पाद एवं भेड़ों का हिस्सा 90 प्रतिशत तक पहुंच गया था। न्यूजीलैंड में निर्मित डेयरी उत्पादों के लिए ब्रिटेन एक भरोसेमंद सबसे बड़ा बाजार था जहां न्यूजीलैंड के उत्पादों को बाजार मूल्य भी अच्छा मिलता था क्योंकि ब्रिटेन को उस समय पर खाद्य पदार्थों की सख्त आवश्यकता थी। वर्ष 1955 में ब्रिटेन में न्यूजीलैंड के डेयरी उत्पादों का बाजार मूल्य कम होने लगा। इसके बाद न्यूजीलैंड के किसानों ने अपने डेयरी उत्पादों को बेचने के लिए नए बाजार की तलाश प्रारम्भ की। लेकिन इसके बाद से तो न्यूजीलैंड की आर्थिक स्थिति भी हिचकोले खाने लगी थी। परंतु, वर्ष 1984 आते आते न्यूजीलैंड में आर्थिक सुधार कार्यक्रम लागू किए गए। नागरिकों के लिए आय कर की दरें लगभग आधी, 66 प्रतिशत से 33 प्रतिशत कर दी गईं। कृषि क्षेत्र में विभिन्न उत्पादों को प्रदान की जाने वाली 4 प्रतिशत सब्सिडी को भी समाप्त कर दिया गया ताकि किसान अपने पैरों पर खड़े हो सकें एवं देश की आर्थिक स्थिति को सुधारा जा सके। न्यूजीलैंड के किसानों ने कृषि उत्पादों पर प्रदान की जाने वाली सब्सिडी को हटाए जाने की चुनौती को स्वीकार किया एवं न्यूजीलैंड के डेयरी उद्योग एवं ऊन के उद्योग को अपनी मेहनत के दम पर एवं सरकारी नीतियों के चलते फिर से खड़ा करने में सफलता अर्जित की। 1983 में लाए गए आर्थिक सुधार कार्यक्रमों के बाद मीट एवं डेयरी उत्पादों पर मात्रा के बजाय गुणवत्ता पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में न्यूजीलैंड के उत्पादों को प्रतिस्पर्धी बनाया गया और एक बार पुनः पूरे विश्व में डेयरी उत्पादों के निर्यात के न्यूजीलैंड ने महारत हासिल कर ली। भारत के किसानों को भी इस संदर्भ में न्यूजीलैंड के किसानों द्वारा प्राप्त की गई उक्त सफलता से सीख लेनी चाहिए। आज भारत की देशी गाय के दूध की महिमा पूरा विश्व समझ रहा है। भारत में भी गौ संवर्धन और गौशालाओं का निर्माण किया जा रहा है। किंतु, गौ माता के प्रति श्रद्धा का नितांत अभाव दिखाई दे रहा है। भारत में एक बार पुनः गौ माता को ऊंचा स्थान देते हुए नई तकनीकी का उपयोग किया जाकर गाय के दूध के उत्पादों को पूरे विश्व में पहुंचाना होगा ताकि भारत के आर्थिक विकास को और अधिक गति मिल सके एवं भारत के ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अधिकतम अवसर निर्मित हो सकें। प्रहलाद सबनानी Read more »
लेख कम नहीं है समाज निर्माण में महिलाओं की भूमिका January 3, 2024 / January 3, 2024 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment निशा दानूकपकोट, उत्तराखंड वर्ष 2023 राजनीतिक, आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टिकोण से भारत के लिए ऐतिहासिक रहा है. धरती से लेकर अंतरिक्ष तक भारत ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. लगभग हर क्षेत्र में भारत पहले से बदल गया है. लेकिन अगर किसी चीज़ में बदलाव नहीं आया है, तो वह है महिलाओं और […] Read more » The role of women in building society is no less.
लेख दहेज प्रथा नहीं, कलंक है January 3, 2024 / January 3, 2024 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment सीमा मेहतापोथिंग, उत्तराखंडपिछले वर्ष के आखिरी महीने में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने साल 2022 का आपराधिक आंकड़ा जारी किया. जिसमें बताया गया है कि 2022 में दहेज़ के नाम पर देश भर में 6516 महिलाओं को मार दिया गया यानी प्रतिदिन लगभग 17 महिलाओं को केवल दहेज़ की लालच में मौत के घाट […] Read more » Dowry is not a practice
लेख इसरो वैज्ञानिकों की सफलता ने ग्रामीण किशोरियों को राह दिखाई January 3, 2024 / January 3, 2024 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment सुनीता जोशीबैसानी, उत्तराखंडसाल 2024 के आगमन पर जब पूरी दुनिया के साथ साथ भारतवासी भी जश्न में डूबे हुए थे, ठीक उसी समय सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में बैठे इसरो के वैज्ञानिक ‘एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट’ को सफलतापूर्वक लांच कर इतिहास रच रहे थे. यह दुनिया का दूसरा और भारत का पहला ऐसा सैटेलाइट है जो चांद, […] Read more » Success of ISRO scientists shows path to rural girls
चिंतन धर्म-अध्यात्म लेख विश्व में वेदों के प्रचार का श्रेय ऋषिदयानन्द और आर्यसमाज को है January 3, 2024 / January 3, 2024 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व हुए महाभारत युद्ध के बाद वेदों का सत्यस्वरूप विस्मृत हो गया था। वेदों के सत्य अर्थों के विलुप्त होने के कारण ही संसार में मिथ्या अन्धविश्वास तथा पक्षपात व दोषपूर्ण सामाजिक व्यवस्थायें फैली हैं। इससे विद्या व ज्ञान में न्यूनता तथा अविद्या व अज्ञानयुक्त मान्यताओं में […] Read more » वेदों के प्रचार का श्रेय ऋषिदयानन्द
लेख विविधा पक्षियों का कलरव एवं ऊर्जा का खत्म होना बड़ी चुनौती January 3, 2024 / January 3, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment राष्ट्रीय पक्षी दिवस- 5 जनवरी, 2024– ललित गर्ग-देश एवं विदेशों में विलुप्त हो रही विभिन्न पक्षियों की प्रजातियों को बचाने के लिये वर्तमान में राष्ट्रीय पक्षी दिवस की प्रासंगिकता बढ़ी है। हर साल 5 जनवरी को प्रकृति प्रेमी, पर्यावरणविद, पक्षी रक्षक और पक्षीप्रेमी इस दिवस को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। राष्ट्रीय पक्षी दिवस […] Read more » राष्ट्रीय पक्षी दिवस- 5 जनवरी
लेख नया साल, नई उम्मीदें, नए सपने, नए लक्ष्य। January 2, 2024 / January 2, 2024 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment नए साल पर अपनी आशाएँ रखना हमारे लिए बहुत अच्छी बात है, हमें यह भी समझने की ज़रूरत है कि आशाओं के साथ निराशाएँ भी आती हैं। जीवन द्वंद्व का खेल है और नया साल भी इसका अपवाद नहीं है। यदि हम ‘बीते वर्ष’ पर ईमानदारी से विचार करें, तो हमें एहसास होगा कि हालांकि […] Read more » नई उम्मीदें नए लक्ष्य। नए सपने नया साल