Tech लेख इंजीनियरिंग शिक्षा: अब कम होगी कंप्यूटर साइंस की सीटें September 19, 2025 / September 19, 2025 by राजेश जैन | Leave a Comment राजेश जैन पिछले दशक में इंजीनियरिंग की कंप्यूटर साइंस, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, डेटा साइंस, मशीन लर्निंग जैसी टेक्नोलॉजी उन्मुख शाखाएं छात्रों और कॉलेजों, दोनों की पहली पसंद बन गयी थीं। कारण स्पष्ट हैं — उच्च सैलरी, नौकरी के ग्लोबल अवसर, इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी उद्योग की होड़ और डिजिटल इंडिया की महत्वाकांक्षाएं। इस सफलता की चमक ने यह सोच दी कि जितना हो सके सीएसई […] Read more » Engineering Education: Computer Science seats will now be reduced इंजीनियरिंग शिक्षा
लेख समाज सार्थक पहल दिव्यांगजन की आवाज़: मुख्यधारा से जुड़ने की पुकार September 19, 2025 / September 19, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment (सहानुभूति से परे, कानून, शिक्षा, रोज़गार, मीडिया और तकनीक के माध्यम से बराबरी व सम्मान की ओर) भारत में करोड़ों दिव्यांगजन आज भी शिक्षा, रोज़गार, स्वास्थ्य और सार्वजनिक जीवन में हाशिए पर हैं। संवैधानिक अधिकारों और 2016 के दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के बावजूद सामाजिक पूर्वाग्रह, ढांचागत बाधाएँ और मीडिया में विकृत छवि उनकी गरिमा को […] Read more » Voice of the Disabled: A Call to Join the Mainstream दिव्यांगजन की आवाज़
लेख विधि-कानून न्यायिक ढांचे में विस्तारक विकेन्द्रीयकरण जरूरी September 18, 2025 / September 18, 2025 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment धीतेन्द्र कुमार शर्मा गुजरे 12 सितम्बर को राजस्थान की वकील बिरादरी में तूफानी हलचल थी। राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर और जयपुर दोनों पीठ, राजधानी जयपुर, और कोचिंग कैपिटल कोटा, झीलों की नगरी उदयपुर के अलावा कई स्थानों पर बार एसोसिएशनों (अधिवक्ताओं के संगठन) ने तल्ख प्रदर्शनों के साथ हड़ताल (न्यायिक कार्य बहिष्कार) रखी। वजह बना केन्द्रीय कानून […] Read more » न्यायिक ढांचे में विस्तार
लेख समाज जनरेशन गैप और संवादहीनता के कारण टूटते परिवार September 18, 2025 / September 18, 2025 by राजेश कुमार पासी | Leave a Comment राजेश कुमार पासी नानक दुखिया सब संसारा, वर्तमान हालातों पर ये बात पूरी तरह लागू होती है क्योंकि हर व्यक्ति अलग-अलग कारणों से परेशान है । आज का बड़ा सच है कि बुजुर्ग बच्चों से परेशान हैं और बच्चे बुजुर्गों से परेशान हैं । इसके लिए ज्यादातर लोग जनरेशन गैप को दोषी ठहराते हैं जबकि यह […] Read more » Families breaking up due to generation gap and lack of communication जनरेशन गैप और संवादहीनता के कारण टूटते परिवार
महिला-जगत लेख माहवारी का दर्द: जब सुविधाएं पहुंच से बाहर हों September 17, 2025 / September 17, 2025 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment सरितालूणकरणसर, राजस्थान गाँव की गलियों में खेलती हुईं किशोरियाँ जब किशोरावस्था की ओर कदम रखती हैं, तो उनके जीवन में कई नई चुनौतियाँ आती हैं। इनमें सबसे बड़ी चुनौती है माहवारी। हालांकि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, मगर ग्रामीण इलाकों में रहने वाली कई लड़कियों के लिए यह दर्द और परेशानी से भरा अनुभव बन […] Read more » Period pain: When services are out of reach माहवारी का दर्द
महिला-जगत लेख समाज प्रसवोत्तर देखभाल: माँ का साथ सास से ज्यादा कारगर September 17, 2025 / September 17, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment प्रसवोत्तर देखभाल: माँ की गोद में मिलती सुरक्षा, सास की भूमिका पर उठे सवाल अध्ययन बताते हैं कि प्रसव के बाद महिलाओं की देखभाल करने में सास की तुलना में उनकी अपनी माँ कहीं अधिक सक्रिय और संवेदनशील रहती हैं। लगभग 70 प्रतिशत प्रसूताओं को नानी से बेहतर सहयोग मिला, जबकि मात्र 16 प्रतिशत को […] Read more »
कला-संस्कृति लेख दाह-क्रिया एवं श्राद्ध कर्म का विज्ञान September 17, 2025 / September 17, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव जीवन का अंतिम संस्कार अन्त्येष्टि संस्कार है। इसी के साथ जीवन का समापन हो जाता है। तत्पश्चात भी अपने वंश के सदस्य की स्मृति और पूर्वजन्म की सनातन हिंदू धर्म से जुड़ी मान्यताओं के चलते मृत्यु के बाद भी कुछ परंपराओं के निर्वहन की निरंतरता बनी रहती है। इसमें श्राद्ध क्रिया की निरंतरता […] Read more » The science of cremation and Shraddha rituals श्राद्ध कर्म का विज्ञान
पर्यावरण लेख कहकशां नहीं, कहर है बारिश का: प्रकृति का उग्र चेहरा September 17, 2025 / September 17, 2025 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment मानव की इच्छाओं का कोई अंत नहीं है और आज मानव अपनी इच्छाओं, लालच और सुविधाओं की अंधी दौड़ में प्रकृति के संतुलन को लगातार बिगाड़ता चला जा रहा है और इसका परिणाम मानव को किसी न किसी रूप में भुगतना पड़ रहा है। वृक्षों की अंधाधुंध कटाई, अनियंत्रित विकास कार्य, खनिजों व जल का […] Read more » कहर है बारिश का
लेख विश्ववार्ता नेपाल जनविद्रोह: ये तो होना ही था September 17, 2025 / September 17, 2025 by निर्मल रानी | Leave a Comment निर्मल रानी बिहार में दरभंगा-जयनगर के रास्ते 5 वर्ष पूर्व नेपाल जाने का अवसर मिला था । भारत नेपाल के सीमावर्ती नेपाली शहर जनकपुर […] Read more » Nepal's uprising: This was bound to happen
राजनीति लेख शख्सियत राष्ट्र नायक नरेंद्र मोदी September 16, 2025 / September 16, 2025 by डॉ.वेदप्रकाश | Leave a Comment डॉ.वेदप्रकाश राष्ट्र का कोई पिता नहीं होता। राष्ट्र के पुत्र व राष्ट्र के नायक होते हैं क्योंकि वैदिक चिंतन कहता है- माता भूमि: पुत्रोअहं पृथ्विव्या: अर्थात् यह भूमि मेरी माता है और मैं इसका पुत्र हूं। प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व-कृतित्व ने युवा भारत के मन मस्तिष्क से राष्ट्रपिता के प्रायोजित नॉरेटिव को भी समझने हेतु नई दिशा प्रदान की है। वे जिस रूप में मां भारती के सच्चे सिपाही अथवा पुत्र और सेवक बनकर जन-जन की सेवा में लगे हुए हैं, उससे उनका व्यक्तित्व राष्ट्र नायक के रूप में उभरा है। विभिन्न योजनाओं और कार्य प्रणाली में जब वे पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति की आशाओं-आकांक्षाओं की चिंता करते हैं तो उनकी अनुभूति की व्यापकता स्पष्ट देखी जा सकती है। साक्षी भाव नामक रचना में वे लिखते हैं-मुझे तो जगत को भावनाओं से जोड़ना है।मुझे तो सबकी वेदना की अनुभूति करनी है…। प्रस्तुत पंक्तियों से यह भी स्पष्ट है कि उनका विचार और संस्कार भारतीय ज्ञान परंपरा के आलोक में पोषित हुआ है। भारतवर्ष की संत परंपरा, महापुरुषों एवं स्वर्गीय अटल जी जैसे विभिन्न व्यक्तित्वों के चिंतन का उन पर गहरा प्रभाव है। भारतीय ज्ञान परंपरा में सर्वे भवंतु सुखिनः का मंत्र और दृष्टि प्रधान है इसलिए वे सभी के सुख के लिए स्वयं को खपा रहे हैं। स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार वर्ष 2014 में लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी राष्ट्र के नाम अपने पहले ही संबोधन में संकल्प का भाव प्रस्तुत करते हैं। वे जन-जन को झकझोरते हैं और आवाह्न करते हैं। वे प्रधानमंत्री नहीं, प्रधानसेवक के रूप में प्रस्तुत होते हैं। उनके मन मस्तिष्क में नया भारत बनाने की भावना है। गरीब, मजदूर ,किसान, युवा शक्ति एवं नारी शक्ति सबको साथ लेकर वे सबके कल्याण और राष्ट्र निर्माण का संकल्प प्रस्तुत करते हैं। वर्ष 2025 में लालकिले की प्राचीर से उनके बारह संबोधन पूर्ण हो चुके हैं। वे अपने प्रत्येक संबोधन में सबके साथ और सबके विकास का मंत्र लेकर प्रत्येक बार नई एवं जन कल्याणकारी योजनाएं लेकर आते हैं। अब भारत बदल रहा है। आज जन-जन नए भारत,आत्मनिर्भर भारत व समृद्ध भारत का भाव लेकर अपनी भागीदारी करते हुए विकसित भारत का संकल्प लेकर तेजी से आगे बढ़ रहा है। राष्ट्र नायक वही है जो राष्ट्र के जन-जन के साथ जुड़कर और उन्हें अपने साथ जोड़कर शिखर की ओर बढ़ चले। विगत कुछ वर्षों में आर्थिक उन्नति के शिखर की ओर बढ़ते हुए भारत आज विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। मेक इन इंडिया, मेड इन इंडिया का विचार अब व्यापक हो चुका है। खेती, किसानी, पशुपालन, मत्स्य पालन आदि के माध्यम से आत्मनिर्भरता जन-जन का संकल्प बनता जा रहा है। संतुलित विकास और नेक्स्ट जेनरेशन इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विकास हो रहा है। वैश्विक मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए नरेंद्र मोदी विभिन्न मुद्दों पर विश्व समुदाय का मार्गदर्शन कर रहे हैं। राष्ट्र की सीमाओं और स्वाभिमान की रक्षा के लिए वे दृढ़ संकल्पित हैं। आज विश्व भारतीय सेना के शौर्य और मोदी नेतृत्व की निर्णय क्षमता की सराहना कर रहा है। आज देश किसी की थौंपी हुई नीतियां मानने को मजबूर नहीं है अपितु स्वयं को आत्मनिर्भर और मजबूत बनाते हुए दूसरों के लिए प्रेरणा बन रहा है। विश्व के अनेक देशों के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सम्मानित किया जा चुका है। वे राष्ट्रीय और वैश्विक फलक पर जहां भी जाते हैं वहीं वसुधैव कुटुंबकम का उद्घोष करते हैं। वे सबको साथ लेकर मानवता के कल्याण के सूत्र देकर उन पर अमल का मार्ग बताते हैं। राष्ट्र नायक वही है जो विपरीत परिस्थितियों में भी आत्मविश्वास का भाव जगा दे। वैश्विक महामारी कोरोना में अनेक देशों की व्यवस्थाएं भिन्न-भिन्न रूपों में चरमरा गई लेकिन प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने सूझबूझ से न केवल अपने देश को इस संकट से निकला अपितु अनेक देशों की सहायता और सेवा के लिए काम किया। 25 मार्च 2018 के मन की बात में उन्होंने जन-जन में आत्मविश्वास भरते हुए कहा- आज पूरे विश्व में भारत की ओर देखने का नजरिया बदला है। आज जब भारत का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है तो इसके पीछे मां भारती के बेटे- बेटियों का पुरुषार्थ है। वे छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी उपलब्धि का श्रेय स्वयं नहीं लेते अपितु देश की जनता के संकल्प और पुरुषार्थ को समर्पित करते हैं। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में कार्य प्रणाली को बदला है। उनका दृष्टिकोण बहुत स्पष्ट है-रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म। स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, शौचालय युक्त भारत, गरीबी मुक्त भारत, गंदगी मुक्त भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, मिशन अंत्योदय, बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ, मुद्रा योजना, फिट इंडिया, खेलता भारत-खिलता भारत, वोकल फाॅर लोकल, लखपति दीदी आदि अनेक ऐसी योजनाएं एवं अभियान हैं जिनके आवाह्न के बाद समूचा देश नरेंद्र मोदी के साथ चलता दिखाई दे रहा है। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती जी अपने उद्बोधनों में बार-बार कहते हैं- यह देश का सौभाग्य है कि देश को नरेंद्र मोदी जैसा योगी और तपस्वी प्रधानमंत्री मिला है जिनका जीवन मां भारती की सेवा में समर्पित है। राष्ट्र नायक वही है जो विकृति को संस्कृति में बदल दे। असंभव को संभव कर दिखाएं। नकारात्मकता को सकारात्मक बना दे। निराशा को आशा में बदल दे। सेवा की भावना और समर्पण का विचार ही जिसके जीवन का ध्येय है, राष्ट्र नायक वही तो है। 17 सितंबर 2025 को राष्ट्र नायक नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन के उपलक्ष में देशभर में जन कल्याण के कार्य हों। जन-जन उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व से प्रेरणा लेकर नए विचार और नए संकल्पों के साथ आगे बढ़े। यही राष्ट्र नायक के जन्मोत्सव पर उन्हें महत्वपूर्ण उपहार होगा। मां भारती की सेवा में समर्पित राष्ट्र नायक नरेंद्र मोदी का जीवन दर्शन बिल्कुल स्पष्ट है-मां… मुझे कुछ सिद्ध नहीं करना है।मुझे तो स्वयं की आहुति देनी है। आइए हम भी जाति, संप्रदाय एवं क्षेत्रीयता के भेदभाव को भूलकर स्वयं को सिद्ध करने के स्थान पर मां भारती के कल्याण हेतु एक छोटी सी आहुति अवश्य दें। राष्ट्र नायक के जन्मोत्सव पर उन्हें हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। डॉ.वेदप्रकाश Read more » 75th birthday of narendra modi National leader Narendra Modi r Narendra Modi नरेंद्र मोदी
लेख समाज उपेक्षा और संवेदना के बीच बुजुर्गों की स्थिति September 16, 2025 / September 16, 2025 by सुरेश गोयल धूप वाला | Leave a Comment भारतीय समाज की रीति-नीति और सांस्कृतिक परंपराओं में बुजुर्गों का स्थान हमेशा से उच्च माना गया है। “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता” की भाँति ही हमारी संस्कृति में यह भी विश्वास किया गया कि बुजुर्गों के आशीर्वाद से घर-परिवार की उन्नति होती है। यही कारण है कि सदियों तक संयुक्त परिवार की परंपरा ने […] Read more » बुजुर्गों की स्थिति
लेख शख्सियत नरेंद्र मोदी होना आसान नहीं है September 16, 2025 / September 16, 2025 by राजेश कुमार पासी | Leave a Comment जन्मदिन 17 सितंबर राजेश कुमार पासी नरेन्द्र दामोदरदास मोदी का नाम आज पूरी दुनिया में गूंज रहा है, भारत में बच्चे-बच्चे के मुंह पर मोदी का नाम चढ़ गया है । कितने ही देशों में जनता की मांग होती है कि उन्हें भी मोदी जैसा नेता चाहिए । हमारा पड़ोसी वैसे तो मोदी से बहुत नफरत करता है लेकिन पाकिस्तानी जनता भी चाहती है कि उनके पास भी मोदी जैसा कोई नेता हो । 17 सितंबर, 1950 को मोदी का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ । एक गरीब परिवार से निकलकर देश की सर्वोच्च सत्ता पर पहुंचना आसान नहीं रहा होगा । 17 वर्ष की आयु में उनका विवाह जशोदाबेन से किया गया लेकिन विवाह के पश्चात वो अपने परिवार और घर को छोड़ कर देशसेवा के लिए निकल गए । उन्होंने संघ प्रचारक रहते हुए 1983 में गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की । बचपन में चाय बेचने वाले बच्चे ने संघ प्रचारक के रूप में पूरे देश का भ्रमण किया । यही कारण है कि उन्हें पूरे देश की जनता की नब्ज का पता है । उन्हें देश की समस्याओं को समझने के लिए किसी अधिकारी और विशेषज्ञ की जरूरत नहीं पड़ती । उनकी योजनाएं लीक से हटकर होती हैं । मोदी को गरीबी समझने के लिए किताबी ज्ञान की जरूरत नहीं है, उन्होंने गरीबी को जीया है । यही कारण है कि उनकी योजनाओं से गरीबों की जिन्दगी में जो बदलाव आया है, वो बदलाव पिछले 70 साल की सरकारें भी नहीं कर पाई । देश का प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से राष्ट्र के नाम संबोधन में पूरे देश में शौचालय बनाने की घोषणा करता है । ये देखने में बड़ा अजीब लग सकता है और इसका मजाक भी बनाया गया लेकिन गरीब महिलाओं के लिए शौचालय का क्या मतलब होता है, ये वही जान सकता है, जिसने उनके जीवन को करीब से देखा है । मोदी सरकार की योजनाओं का सबसे ज्यादा फायदा महिलाओं को हुआ है । मोदी सरकार की ज्यादातर योजनाएं महिलाओं को ही ध्यान में रखकर बनाई गई हैं । यही कारण है कि महिलाओं में मोदी का एक बड़ा समर्थक वर्ग खड़ा हो गया है । मोदी ने संघ के प्रचारक से राजनीति में प्रवेश किया लेकिन उन्होंने राजनीति को सत्ता प्राप्ति नहीं बल्कि सेवा का माध्यम माना । यही कारण है कि वो खुद को देश का शासक नहीं बल्कि प्रधान सेवक मानते हैं । स्वयंसेवक से प्रधान सेवक का सफर आसान नहीं रहा होगा, मोदी जैसा व्यक्तित्व ही ऐसा सफर पूरा कर सकता है । संघ से उन्हें निस्वार्थता, सामाजिक दायित्व बोध, समर्पण, सेवा, त्याग और देशभक्ति के विचारों को आत्मसात करने का अवसर मिला । 1974 में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में उन्होंने हिस्सा लिया और 1975 में आपातकाल के दौरान भी अपना योगदान दिया । संघ के निर्देश पर 1987 में उन्होंने भाजपा में प्रवेश करके राजनीति की मुख्यधारा में कदम रखा । एक साल बाद पार्टी ने उनकी योग्यता को देखते हुए गुजरात की राज्य इकाई का प्रदेश महामंत्री बना दिया । उनकी मेहनत और रणनीति के कारण 1995 में भाजपा को गुजरात विधानसभा में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का मौका मिला । 2001 में गुजरात के भूकंप के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के खिलाफ पार्टी में असंतोष भड़क गया । इस असंतोष को देखते हुए भाजपा हाईकमान ने गुजरात की कमान मोदी जी को सौंपने का निर्णय लिया । 7 अक्तूबर 2001 को मोदी जी ने गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली । मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने गुजरात के भूकंप पीड़ितों के लिए बड़े कार्यक्रम चलाए और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की । 2002 में गुजरात में गोधरा कांड हो गया, जिसमें 59 कारसेवकों को रेल के डिब्बे में बंद करके जलाकर मार दिया गया । इसकी प्रतिक्रिया में गुजरात में दंगे हो गए, जिसमें 1200 लोग मारे गए । इसके बाद हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में मोदी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई । इसके बाद 2007 और 2012 में मोदी के नेतृत्व में गुजरात में भाजपा की सरकार बनी । गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में काम करते हुए उनके गुजरात मॉडल की पूरे देश में चर्चा होने लगी । गुजरात के विकास को देखते हुए उन्हें विकासपुरूष कहा जाने लगा । उनकी योजनाओं की पूरे देश में चर्चा होने लगी । ज्योतिग्राम योजना के जरिये उन्होंने गांव-गांव तक बिजली पहुंचा दी । गुजरात में गांव-गांव तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था की । गुजरात की कानून-व्यवस्था की चर्चा भी देश में होने लगी । उनकी लोकप्रियता को देखते हुए ही भाजपा ने उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया । 2014 में उनकी लोकप्रियता का ये आलम था कि मनमोहन सिंह के रहते हुए ही उन्हें प्रधानमंत्री मान लिया गया था । मोदी की सबसे बड़ी विशेषता है कि वो हमेशा बड़े लक्ष्य रखते हैं और फिर उन्हें हासिल करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं । उन्होंने 2014 में भाजपा के लिए 272 सीटें हासिल करके पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का लक्ष्य रखा था । राजनीतिक विश्लेषक, विपक्षी दल और भाजपा के नेताओं को भी यह विश्वास नहीं था कि भाजपा 272 सीटें जीत सकती है लेकिन मोदी ने 282 सीटें जीतकर सबको अचंभित कर दिया । इसके बाद 2019 में उन्होंने 303 सीटें जीतकर पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया । 2024 में मोदी के नेतृत्व में भाजपा को 240 सीटें मिली लेकिन मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बन गए । मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले ही कुछ राजनीतिक विश्लेषकों और विपक्षी नेताओं का कहना था कि मोदी अगर प्रधानमंत्री बन गए तो उनको इस पद से हटाना बहुत मुश्किल होगा। प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद मोदी देश पर लगातार सबसे ज्यादा शासन करने वाले नेता बन गए हैं। नेहरू जी के सामने विपक्ष नाममात्र का था लेकिन मोदी एक शक्तिशाली विपक्ष के रहते यह कारनामा करने में सफल हुए हैं। कोई नहीं कह सकता कि मोदी कब तक देश के प्रधानमंत्री बने रहेंगे क्योंकि उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आ रही है । 75 साल की उम्र होने पर भी वो पूरी तरह से स्वस्थ हैं और पूरी ताकत से काम कर रहे हैं। मोदी सत्ता को जनता द्वारा दी गई जिम्मेदारी मानते हैं, इसलिए कहते हैं कि वो जनता के कल्याण के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा करेंगे और वो कर भी रहे हैं । 13 साल मुख्यमंत्री और 11 साल प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने एक भी छुट्टी नहीं ली है । रोज 20 घंटे तक काम करना उनकी आदत है । जनता को वो अपना भगवान मानते हैं और उसकी सेवा को अपना धर्म मानते हैं । यही कारण है कि वो जनता से हमेशा जुड़े रहते हैं और उन्हें ऐसा करने के लिए मीडिया की जरूरत नहीं है । जनता से जुड़ने के लिए पूरे देश का भ्रमण और सोशल मीडिया को वो इस्तेमाल करते हैं । जहां वो गरीबों की समस्याओं को समझते हैं, वही वो उद्योगपतियों की समस्याओं की भी खबर रखते हैं । गरीबों से प्यार करते हैं लेकिन अमीरों से नफरत नहीं करते । देश के इतिहास, भूगोल, संस्कृति और धर्म की उन्हें गहरी समझ है, इसलिए उन्हें उनके समर्थक हिन्दू हृदय सम्राट कहते हैं । जहां जनता वीआईपी कल्चर से परेशान हैं, वहीं मोदी जी ने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बनने के बाद परिवार से दूरी बनाए रखी है । उनके भाई-बहन और अन्य परिजन निम्न मध्यवर्गीय जीवन बिता रहे हैं । उन्होंने अपने पद का इस्तेमाल अपने परिजनों के लिए कभी नहीं किया है । जनता पर मोदी इतना ज्यादा विश्वास करते हैं कि नोटबंदी और जीएसटी लागू करने जैसा मुश्किल फैसला किया । जनता ने उनके विश्वास को कायम रखा है क्योंकि वो मानती है कि मोदी की नीतियां गलत हो सकती हैं लेकिन उनकी नीयत कभी गलत नहीं हो सकती । 2014 से पहले पाकिस्तान के आतंकवादी हमलों के बावजूद उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई लेकिन मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और फिर ऑपरेशन सिंदूर करके पाकिस्तान को संदेश दे दिया कि आतंकवादी हमले की उसे बड़ी कीमत चुकानी होगी । जिस चीन से डर कर हम सीमा पर सड़क भी नहीं बना रहे थे, मोदी ने उस सीमा पर सेना के लिए पूरा बुनियादी ढांचा तैयार कर दिया है । जो देश हथियारों का सबसे बड़ा आयातक था, आज उनके नेतृत्व में भारत हजारों करोड़ के हथियार निर्यात कर रहा है । आईटी सुपरपॉवर बना देश अब मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की तैयारी कर रहा है । अपनी कल्याणकारी योजनाओं के कारण ही मोदी ने पूरे देश में भाजपा के लिए एक बड़ा वोट बैंक तैयार कर लिया है । आज हम अशांत पड़ोसियों से घिरे हुए देश हैं. जहां श्रीलंका, म्यांमार और पाकिस्तान राजनीतिक अस्थिरता से गुजर रहे हैं, वहीं बांग्लादेश और नेपाल में हिंसक क्रांति के बाद सत्ता परिवर्तन हो चुका है । प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है । मोदी ने भारत को 2047 तक विकसित देश बनाने का लक्ष्य तय किया है और उसी ओर देश को ले जा रहे हैं। ये भारत की जनता और ग्लोबल मीडिया के लिए आश्चर्य का विषय था कि जो व्यक्ति 13 साल से गुजरात का सीएम था, वो प्रधानमंत्री बनने के बाद जब अपनी मां से मिलने जाता है तो एक छोटे से सरकारी मकान के छोटे कमरे में उसकी मां रहती है । जिस देश में कोई विधायक बन जाए तो पूरा परिवार पैसों में खेलने लगता है । मोदी जैसा नेता कभी-कभी आता है क्योंकि सत्ता के शीर्ष पर पहुंच कर जनता का सेवक बने रहना आसान नहीं है। मोदी होना इसलिए भी आसान नहीं है क्योंकि शासक बन जाने के बाद सत्ता सिर पर चढ़ कर बोलती है। लगातार 24 साल तक सत्ता में रहने के बाद भी बेदाग बने रहना आसान नहीं है। राजेश कुमार पासी Read more » 75th birthday of narendra modi नरेंद्र मोदी