व्यंग्य एलियंस से भरा है अपना आकाश July 20, 2012 / July 20, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य हाजिर हैं हर किस्म के नायाब एलियंस पूरी दुनिया एलियंस आने अन्तरिक्ष, दूर ग्रहों से आने वाले यात्रियों की खोज-पड़ताल में लगी हुई है। विभिन्न ग्रहों-उपग्रहों से धरती के किसी भी कोने में सायास, अनायास या दुर्घटनास्वरूप आ धमकने वाले एलियंस वैज्ञानिकों के साथ ही आम धरतीवासियों के लिए जिज्ञासाओं के महानतम […] Read more »
व्यंग्य हाय हाय ये मज़बूरी … July 20, 2012 / July 20, 2012 by टी के मारवाह | Leave a Comment टी.के.मरवाह यूँ तो तकरीबन सवा अरब की आबादी वाले दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र जिसे हिन्दोस्थान कहा जाता हे यहाँ हर दिन किसी न किसी बात पर कहीं न कहीं बुधिजीविओं के रूप मैं रोजाना चीखना चिल्लाना हम ये कर देंगे ,हम वो कर देंगे हम अपना अधिकार ले कर रहेंगे ,तानाशाही नहीं चलेगी वगेरह […] Read more » राहुल गांधी
मीडिया व्यंग्य फेसबुक ……दुनिया की सबसे बड़ी मंडी July 17, 2012 / July 17, 2012 by टी के मारवाह | Leave a Comment टी के मारवाह यूँ तो ये पूरी दुनिया ही मंडियों से अटी पड़ी हे सब कुछ बिकाऊ ,पर आज कल एक मंडी पुरी दुनिया मैं आज सबसे ज्यादा चल रही हे और बहुत जोरों और शोरों मैं हे |इस मंडी ने आज हमारा सामाजिक ढांचा ही बदल के रख दिया हे ,दिन बाद मैं शुरू […] Read more » face book
व्यंग्य फंस गए चोर वर्ना वंस-मोर July 15, 2012 / July 15, 2012 by एल. आर गान्धी | Leave a Comment एल.आर.गाँधी सत्ता के भद्रलोक से दो भद्र पुरुषों की आज एक साथ विदाई ,कारण लगभग एक ही …. बस एक का तीर निशाने पर रहा और दूसरा चूक गया…..लिहाज़ा एक अर्श पर तो दूसरा फर्श पर. … जी हाँ ये हैं कांग्रेस भद्रलोक के दो खिलाडी लगभग एक ही आयु के . एक बंगाल से […] Read more » sattire on pranav mukherjee
व्यंग्य करामाती होते हैं कुत्ते July 12, 2012 / July 12, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य दुमहिलाऊ हों, चाहें भौंकने वाले पूरी दुनिया में कुत्तों का अपना अलग ही संसार है। जात-जात के कुत्ते संसार भर में हर कहीं पाए जाते हैं। ये कुत्ते ही हैं जो महाभारत काल से युधिष्ठिर के साथ जाने का दम-खम पा गए हैं और आज भी हर कहीं बड़े-बड़े लोगों के साथ […] Read more » dogs are wonderful करामाती होते हैं कुत्ते
व्यंग्य वर्तमान व्यवस्था में हनुमान जी को भी रिश्वत देना पड़ेगी July 9, 2012 / July 13, 2012 by श्रीराम तिवारी | 4 Comments on वर्तमान व्यवस्था में हनुमान जी को भी रिश्वत देना पड़ेगी श्रीराम तिवारी हमारे अधिकारी मित्र को हनुमानजी ने सपने में दर्शन दिए। उसने हनुमानजी से यह इच्छा व्यक्त की त्रेता में आपने जो कारनामे किये थे उनमें से एक आध ’अब’’ करके दिखाए। हनुमानजी ने सपने में संजीविनी बूटी लाकर दिखा दी। अब भक्त ने इच्छा जाहिर की कि हनुमानजी आप कलयुग वाला कोई काम […] Read more » Corruption in India
व्यंग्य अब सब हो चुके हैं चार्जेबल July 8, 2012 / July 8, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment जितनी भरी चाभी, उतना चले खिलौना डॉ. दीपक आचार्य अब जमाना सेल्फ चार्ज या सेल्फ लर्निंग का नहीं है बल्कि अब जो कुछ होता है सब चार्जेबल है। चार्ज नहीं तो कुछ नहीं। चार्ज हुआ तो चलेगा और नहीं हुआ तो मरा या अधमरा बेदम पड़ा रहेगा। जमाने की हवाओं को देख लगता है […] Read more » psycophant
व्यंग्य व्यंग्य बाण : इतनी सुरक्षा और कहां ? June 18, 2012 by विजय कुमार | Leave a Comment विजय कुमार शर्मा जी के मौहल्ले में जब एक ही महीने में तीसरी बार चोरी हो गयी, तो लोगों के धैर्य का बांध टूट गया। कोई इसे हाइटैक चोरों की चालाकी बता रहा था, तो कोई पुलिस से मिलीभगत। कुछ इसे मोहल्ले वालों की लापरवाही बताकर मामला रफादफा करना चाहते थे; पर काफी सिरखपाई के […] Read more »
व्यंग्य मजे मूर्ख बने रहने के May 31, 2012 / May 31, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment मूर्ख होना हमारा ज्न्म सिद्ध अधिकार है और जो लोग इस अधिकार से वाकिफ हैं वे जन्म से ही मूर्ख होते हैं|खुदा की मार से मैं पैदाइशी मूर्ख नहीं हुआ|मैं बुद्धीमान हूं यह बात मुझे तब मालूम पड़ी जब मेरे स्कूल टीचर ने मेरे पिताजी एवं माताजी को बताया कि लड़का इंटेलीजेंट है|क्या बताऊं आपको […] Read more » sattire by prabhudayal srivastav मजे मूर्ख बने रहने के
व्यंग्य व्यंग्य-तो कोतवाल जी कहिन-अशोक गौतम May 22, 2012 / May 22, 2012 by अशोक गौतम | Leave a Comment सरकार के घर तो दिन रात डाके पड़ते रहते हैं, कोर्इ पूछने वाला नहीं। कोर्इ सारा दिन दफतर की कुर्सी पर ऊंघने के बाद शाम को दफतर से चुन्नू को रफ काम के लिए सरकारी रजिस्टर बगल में दबाए, जेब में चार पैन डाले शान से घर आ रहा है तो कोर्इ घर के कर्टन […] Read more » satire by Ashok Gautam व्यंग्य-अशोक गौतम व्यंग्य-तो कोतवाल जी कहिन-अशोक गौतम
व्यंग्य बेवजह जमा न करें परायी पुस्तकें April 23, 2012 / April 23, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | 2 Comments on बेवजह जमा न करें परायी पुस्तकें डॉ. दीपक आचार्य तनावग्रस्त रहते हैं पुस्तक चुराने वाले बेवजह जमा न करें परायी पुस्तकें दुनिया में हर कहीं एक से बढ़कर एक अजीब लोग रहते हैं। इनमें मनुष्यों की एकदम अलग प्रजाति है पुस्तक चोर। ये वो किस्म है जिसमें सारे के सारे पढ़े-लिखे होते हैं। इनमें कई तो लोगों की नज़र में विद्वान […] Read more » book theif तनावग्रस्त रहते हैं पुस्तक चुराने वाले
व्यंग्य जनसेवा को आतुर April 22, 2012 by विजय कुमार | Leave a Comment विजय कुमार पिछले रविवार को मैं समाचार पत्र के साथ चाय की चुस्कियों का आनंद ले रहा था कि अचानक फोन की घंटी बज उठी। सामान्यतः रविवार को फुरसत रहती है। ऐसे में खीर में कंकड़ की तरह कोई आ टपके, तो खराब तो लगता ही है; पर कुछ लोग ऐसे होते हैं कि उन्हें […] Read more »