व्यंग्य महंगाई की चिता November 5, 2011 / December 5, 2011 by राजकुमार साहू | Leave a Comment राजकुमार साहू हम अधिकतर कहते-सुनते रहते हैं कि चिंता व चिता में महज एक बिंदु का फर्क है। देश की करोड़ों गरीब जनता, महंगाई की आग में जल रही है और उन्हें चिंता खाई जा रही है। वे इसी चिंता में दुबले हुए जा रहे हैं। महंगाई के कारण ही कुपोषण ने भी उन्हें घेर […] Read more » महंगाई महंगाई की चिता
व्यंग्य राहुल जी को भी आता है गुस्सा November 3, 2011 / November 3, 2011 by राजकुमार साहू | Leave a Comment राजकुमार साहू मुझे अभी-अभी पता चला कि हमारे भावी प्रधानमंत्री कहे जाने वाले युवराज को भी गुस्सा आता है। इससे पहले मैं तो इतना ही जानता था कि वे शांत व सौम्य व्यक्तित्व के धनी हैं। उनमें कई खूबियां हैं, वे गरीबों के घर भोजन करने से परहेज नहीं करते। गरीबों की दाल-रोटी उन्हें खूब […] Read more » राहुल गांधी
व्यंग्य किसे कराएं पीएचडी ? November 3, 2011 / December 5, 2011 by राजकुमार साहू | Leave a Comment राजकुमार साहू मुझे पता है कि देश में संभवतः कोई विषय ऐसा नहीं होगा, जिस पर अब तक पीएचडी ( डॉक्टर ऑफ फिलास्फी ) नहीं हुई होगी। कई विषय तो ऐसे हैं, जिसे रगडे पर रगड़े जा रहे हैं। कुछ समाज के काम आ रहे हैं तो कुछ कचरे की टोकरी की शोभा बढ़ा रहे […] Read more » phD किसे कराएं पीएचडी
व्यंग्य निंदा की प्रशंसा October 31, 2011 / December 5, 2011 by पंडित सुरेश नीरव पंडित सुरेश नीरव निंदा जिंदा मनुष्य की ऐसी आनंददायक क्रीड़ा है जिस का लुत्फ वो मरते दम तक पूरे उत्साह से उठाना चाहता है। अफसोस है कि मरे लोग इसका आनंद नहीं उठ Read more »
व्यंग्य वेलकम टु न्यू यमराज ऑफ इंडिया! October 31, 2011 / December 5, 2011 by अशोक गौतम | 1 Comment on वेलकम टु न्यू यमराज ऑफ इंडिया! अशोक गौतम जिन जिन ने सरकार को सरकार बनाने में मदद की थी सरकार ने जनता के प्रति ईमानदार रहने की शपथ खाने के बाद सबसे पहले उनको ठीक ठीक जगह फिट कर अपने वचन का पालन किया ताकि उनका तो कम से कम सरकार पर विश्वास बना रहे। इस प्रकार सरकार में कोई आठ […] Read more » yamraj यमराज
व्यंग्य गिफ्ट संस्कृति के छिपे रहस्य October 29, 2011 / December 5, 2011 by अविनाश वाचस्पति अविनाश वाचस्पति दीवाली के नाम पर दिवाला दिलवालों का निकलता है। सेल के नाम पर बचा खुचा सब माल गोदामों से निकल जाता है। सब छूट से खिंचे चले आते हैं और सेल में सारा माल ऐसे निपट जाता है, मानो फ्री में बंट रहा हो। यह तो नेताओं का असर है कि देकर छूट […] Read more » गिफ्ट संस्कृति रहस्य
व्यंग्य आओ पीएम बनने के लिए दौड़ लगायें October 28, 2011 / December 5, 2011 by अविनाश वाचस्पति | 1 Comment on आओ पीएम बनने के लिए दौड़ लगायें अविनाश वाचस्पति पी एम को बदल डालने की सुगबुगाहटें तेज हो गई हैं। पहले नेपथ्य में तो चल रही थीं परंतु अब सामने हैं। सुगबुगाहट से अधिक यह चिंगारी शोला बन भड़क चुकी है। प्रिंट मीडिया और चैनलों पर अफरा तफरी का माहौल है। लेने वाले तफरीह ले रहे हैं इसलिए हम भी तफरी को […] Read more » Prime Minister पीएम
व्यंग्य हास्य-व्यंग्य / वन्दे श्वान भारतम October 25, 2011 / December 5, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 1 Comment on हास्य-व्यंग्य / वन्दे श्वान भारतम पंडित सुरेश नीरव मानव समाज में कुत्तों की हमेशा से पूछ रही है। ऐसा माना जाता है कि उसकी इस पूछ में सारा योगदान खुद उसकी पूंछ का ही रहा है। उसकी हिलती पूंछ देखकर बेचारे आदमी का भी मन पूंछ हिलाने को ललचा-ललचा जाता है। भले ही ईश्वर ने उसे कुत्ते की तरह पूंछ […] Read more » comid squid vande schwann
व्यंग्य तेरी हिम्मत पे चम्मच हमें नाज़ है October 24, 2011 / December 5, 2011 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 2 Comments on तेरी हिम्मत पे चम्मच हमें नाज़ है इक़बाल हिंदुस्तानी चमचो की बदौलत ही कई सरकारें चलीं तो कई ताज छिन गये! सुना आपने देहरादून के चम्मच कांड में एक दर्जन लोगों को उम्रकैद हो गयी। एक विवाह समारोह में इन लोगों ने चम्मच को लेकर हुए शुरू झगड़े में दो लोगों की हत्या कर दी थी। क्या ज़माना आ गया एक […] Read more » तेरी हिम्मत पे चम्मच हमें नाज़ है
व्यंग्य व्यंग्य/ मेरो मंत्र भरत ने भी माना! October 20, 2011 / December 5, 2011 by अशोक गौतम | Leave a Comment अशोक गौतम पत्नी के हजार बार घर से बाजार को यह कह कर कि दीवाली सिर पर आ गई है, अपने लिए नहीं तो न सही, पर पड़ोसियों के लिए अब तो बाजार जा आओ! नहीं तो पड़ोसियों को क्या मुंह दिखाएंगे? और मैं लोक लाज के लिए बड़ी हिम्मत जुटा बाजार निकल ही गया। […] Read more » मेरो मंत्र
व्यंग्य व्यंग्य- सेक्युलर जूता October 14, 2011 / October 14, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 1 Comment on व्यंग्य- सेक्युलर जूता पंडित सुरेश नीरव विद्वानों का मानना है कि सोना जितना पिटता है उतना ही निखरता है। इससे एक बात तो तय हो ही गई कि कोई उसी को ही पीटता है जिसे वह सोना समझता है। यह किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व या विचार का गैर-राजनैतिक जनमत संग्रह है। वो लोग बहुत दुखी रहते हैं […] Read more »
व्यंग्य व्यंग्य – मुझे नहीं बनना प्रधानमंत्री October 14, 2011 / December 5, 2011 by राजकुमार साहू | Leave a Comment राजकुमार साहू पहले मैं अपने पुराने दिनों की याद ताजा कर लेता हूं। जब हम स्कूल में पढ़ा करते थे, उस दौरान शिक्षक हमें यही कहते थे कि प्रधानमंत्री बनोगे तो क्या करोगे ? इस समय मन में बड़े-बड़े सपने होते थे। उस सपने को पाले बैठे, अपन आज बचपन से जवानी की दहलीज में […] Read more »