मैनें अभी जल्दी में ही फेसबुक पर स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की फोटो लेडी माउन्टबेटन की कमर में हाथ डाले देखा हुए देखा ! ठीक कुछ दिनों बाद कांग्रेस पार्टी के तथाकथित युवराज श्री राहुल गांधी जी ने उत्तर प्रदेश की अपनी चनावी रैली में वहां के लोगों के अथक परिश्रम को ” भिखारी ” कहकर उनका मजाक बनाकर उन्हें जलील करने में कोई कसर नहीं छोडी ! तो मैंने सोचा कि शायद राहुल जी अपने परनाना की इन चित्रों पर भी कुछ कहेंगे पर उन्होंने सिर्फ आधी बातों को ही स्वीकार किया ! बहरहाल राहुल जी के अनुसार भारत का एक नागरिक अगर अपना राज्य छोड़कर दूसरे राज्य में जीविका की तलाश में जाता है अर्थात अपने राज्य से दूसरे राज्य में पलायन करता है तो वह भिखारी हो जाता है ! जाने – अनजाने में ही सही राहुल जी ने पहली बार सच बात कही है !
इतिहास पर एक नजर डालें तो पाएंगे कि राहुल जी भी तो इस जलालत से गुजर ही रहे है ! परिणामतः आवेश में ही सही उनके मुखारविंद पर माँ सरस्वती विराजमान हो गयी और उनसे सच वो भी बीच सभा में उन्ही के पूर्वज के संसदीय चुनाव क्षेत्र फूलपुर में बुलवा ही लिया ! राहुल जी आपको याद दिला दूं कि आपके अपने एक पूर्वज अर्थात पंडित जवाहरलाल नेहरू का खानदान मूलरूप से कश्मीरी था और आगरा, दिल्ली होते हुए इलाहाबाद में आकर बसा था क्योंकि अंग्रेजों के समय इलाहाबाद एक विकसित जिला था ! उस वक्त के संयुक्त प्रांत की राजधानी इलाहाबाद थी जो कि विकसित थी ! आपके दूसरे पूर्वज अर्थात फिरोज गांधी का परिवार गुजराती पारसी था और मुबंई, भरूच होते हुए इलाहाबाद आया था ! आपके पूर्वज कोई प्रयाग में स्नान कर पुण्य लूटने के उद्देश्य से नहीं आये थे बल्कि वहां स्थाई रूप से बसने के लिए आये थे क्योंकि उस समय का यह जिला विकसित था ! तो क्या ये मान लिया जाय कि आप अपने परनाना को भी भिखमंगा मानते है ?
अगर आप इतिहास उठाकर देखे तो पाएंगे कि नवपाषण काल में भी बस्तियां नदी के किनारे ही बसी क्योंकि उस समय नदी से उनकी मौलिक आवश्यकताएं जैसे खेतों में सिचाई के लिए पानी इत्यादि वही से पूरी होती थी ! भौतिकवादिता की इस अंधी दौड़ में हर कोई अपने तात्कालिक और क्षणिक सुख के लिए इधर – उधर भटकता ही है !मसलन जहां पर रोजगार के अवसर होंगे वहां पर वह बसने की फिराक में वह सदैव तत्पर रहता है ! अगर भारतीय सन्दर्भ में देखा जाय तो हम पाएंगे कि भारत कि जनसँख्या अधिकतर विकसित शहरों जैसे दिल्ली , बैंगलूरू , मुंबई इत्यादि की तरफ पलायन कर चुकी है या कर रही है ! लगभग पूरी दिल्ली ही अन्य राज्यों के लोगो के द्वारा बसी है ! अब दिल्ली में जमीन की कमी से दिल्ली के आस-पास का क्षेत्र दिल्ली – एनसीआर भी लगभग विकसित हो ही गया है ! हाँ समय के साथ यह विकृति जरूर हुई है कि हम अब अपने शहरों की चकाचौंध में हम खोकर स्वार्थी हो गए है ! परिणामतः जिस राज्य से व्यक्ति आया है अब वह राज्य उसके और उसके बच्चों के लिए मात्र टूरिष्ट प्लेस रह गया है ! अब गाँव उन्हें अच्छा नहीं लगता ! बहरहाल फिर तो राहुल जी लगभग पूरा भारत देश ही भिखमंगो का है , क्योंकि वर्तमान के परिदृश्य में कारण कोई भी हो परन्तु हर राज्य का व्यक्ति हर राज्य में मिलेगा !
राहुल जी आपको जानकार और भी अच्छा लगेगा कि किसी ज़माने में सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत देश को भिखमंगो का देश बनाने का श्रेय भी आपके पूर्वजों को ही जाता है ! जरा याद कीजिये 1956 की औद्योगिक नीति जिसे आपके परनाना जी अर्थात पंडित नेहरू जी के मार्गदर्शन में तैयार किया गया था ! भारत एक कृषि प्रधान देश था ! जिसे विकसित करने का माडल अर्थात कुटीर और लघु उद्योंगों पर आधारित भारतीय अर्थव्यवस्था को विकसित करना गांधी जी ने और सदार बल्लभ भाई पटेल ने दिया था , उस समय आपके परनाना ने अपनी अदूरदर्शिता के कारण किसी की एक न सुनी और अपने तरीके से शहरों का विकास करना शुरू किया ! भारत में बड़े बड़े कारखानों का विकसित किया और कहा कि यही कारखाने आने वाले भारत के मंदिर होंगे !
चूंकि आपके परनाना बहुत उस समय के शक्तिशाली व्यक्ति थे अतः उनकी नीतियों का विरोध कोई न कर सका पर कुछ ने किया भी होगा परन्तु वो शक्तिशाली अपेक्षाकृत बहुत ही कम रहे होंगे ! राहुल जी मुख्यतः यही कारण था भारत के असंतुलित विकास का जिसे हम आज तक भुगत रहे है ! उस समय में तो आपके परनाना ने देश को अपनी नीतियों से भिखमंगा बनाया और अब आपकी वर्तमान सरकार घोटालों से देश को भिखमंगा बना रही है , और स्विस बैंक में जामा पूंजी को भारत वापस लाने से कतरा रही है ! राहुल जी भारत की वर्तमान समस्याएं जो आप सिर्फ देख रहे है और देशवासी भुगत रहे है जैसे जम्मू-कश्मीर की समस्या या पलायनवाद की समस्या सब की सब आपके पूर्वजों की ही देन है ! उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखकर राहुल जी अब आप ही बताइए कि क्या आपके परनाना वर्तमान भारत के असंतुलित विकास के लिए जिम्मेदार नहीं है ?
मैं जब इस सारग्रभित लेख को पढ़ रहा हूँ तो मेरे सामने चार टिप्पणियाँ भी हैं .मैं नहीं समझता कि उसके बाद भी ज्यादा कुछ कहने को रह जाता है.ऐसे भी राहुल गाँधी ने अपने इस व्यान द्वारा जिस तरह भारतीय संविधान का माखौल उड़ाया है,उससे तो उनपर मुकदमा भी चलाया जा सकता है.ऐसे क्षेत्रियों नेताओं का यह कर्तव्य होता है कि वे अपने क्षेत्र के पूर्ण विकास पर ध्यान दें,और अपने क्षेत्र का ऐसा विकास करें कि अधिकतम आवादी को क्षेत्र से बाहर जाने की आवश्यकता ही नही पड़े,पर इसका ये मतलब कदापि नहीं कि जो अपने गाँव से बाहर निकले वह दूसरे गाँव में भिखारी समझा जाये.
अंग्रेजी मानसिकता की स्वाभाविक अभिव्यक्ति है जो राहुल को भारत के मेहनत काश लीग भिखारी नज़र आते हैं. अब इन भिखारी कहे जाने वालों के ऊपर है की ऐसा कहने वाले को किस तरह से, किस मौके पर कैसे जवाब देना है. इस अंग्रेजी दानव के इन भारतीय संस्करणों का एक ही करारा जवाब हो सकता है, ”वोट” ! हम चाहें तो हमें भिखारी कहने वालों को एक झटके में भिखारी बना सकते हैं, अपनी वोट की ताकत से !
कल की ही तो बात है जब विशव का धनकुबेर बिल गेट भारत के गरीबों की सुध लेने आया तो हमारे राज कुमार बेल गेट को यु.पी. बिहार के पिछड़े क्षत्रों में भूख से बेहाल बस्तिया दिखा दिखा कर ‘भीख ‘ मांग रहा था. राजमाता अन्तोनिया रौल्विसी और चाचा कत्रोची भी तो इटली छोड़ कर भारत आए थे … ‘भीख’ मांगने या लूटने ?
राजीव भाई ,आपने सही लिखा है , कश्मीर समस्या का कारन नेहरू है .,,राजनीतिज्ञों को खरीद फ़रोख्त और दलबदलू बनाने का श्रेय इन्द्रा गाँधी को ,,,उच्च श्रेणी के भ्रस्ताचार की पहली शुरुआत का श्रेय एरोप्लेन के ड्राइवर से प्रधान मंत्री बने राजीव गाँधी को ,,,देश को विदेशियों के हाथ की कठपुतली बनाते जाने तथा देश का धन गिरोह बना कर लूटकर अपनी बहनों के नाम ,इटली के दोस्तों के नाम विदेशी बेंको में जमा करने का श्रेय अब सोनिया गाँधी को है ., अब देखना है की संस्कारहीन ,देश भक्ति से अनजान नयी पीढ़ी क्या गुल खिलाती है
राजीव भाई किन लोगो के मुॅह लग रहे हो ये सब के सब बेपंदी के लोटे है चुनावी माहौल गरमा रहा है इस समय तो इन लोगो को हरी हरी घास दिखाई दे रही है चुनाव हो जाने दो न राजा रहेगा न युवराज और मैडम का क्या होगा अल्लाह ही मालिक है।