व्यंग्य हास्य-व्यंग्य : टोपी बहादुर – पंडित सुरेश नीरव September 24, 2011 / December 6, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 1 Comment on हास्य-व्यंग्य : टोपी बहादुर – पंडित सुरेश नीरव जिन्हें टोपी पहनने का शौक होता है वो टोपी नहीं पहना करते। टोपी पहनानेवाले ऐसे सूरमा अच्छे-अच्छों को टोपी पहना दिया करते हैं। देखिए न अपने गांधीजी ने कभी भूल से भी टोपी नहीं पहनी मगर एक-दो को नहीं पूरे देश को उन्होंने टोपी पहना दी। और उस पर भी जलवा ये कि टोपी कहलाई […] Read more » Hat Man Pandit Suresh Nirav Satire टोपी बहादुर पंडित सुरेश नीरव हास्य-व्यंग्य
व्यंग्य चोरों की आउट सोर्सिंग September 17, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव नेताजी के यहां चोरी हो गई। शहरभर में तहलका मच गया। कोई पुलिस व्यस्था को कोस रहा था तो कोई चोर की दिलेरी की दाद दे रहा था। समझ नहीं आ रहा था कि ये मुमकिन हुआ तो हुआ कैसे। कुछ लोग आंख दबाकर इस वाकये पर अपने मुहावरेबाजी के गुप्तज्ञान का […] Read more » चोरों की आउट सोर्सिंग
व्यंग्य हास्य-व्यंग्य/ मजबूरी का नाम ईमानदारी September 7, 2011 / December 6, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव पता नहीं इस देश से भ्रष्टाचार कब जाएगा। बाबा रामदेव से लेकर अन्ना हजारे ही नहीं अब तो हमारे मुसद्दी लाल तक इस समस्या से परेशान हैं। और सरकार है कि जो भी इस मुद्दे के खिलाफ आवाज उठाता है वह उसे ही भ्रष्टाचारी बताने में लग जाती है। बाबा-तो-बाबा] दूध के […] Read more » ईमानदारी
व्यंग्य हास्य-व्यंग्य/ शक के शौकीन September 7, 2011 / December 6, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव मुझे शक है कि मैं दिन-ब-दिन शक का शौकीन होता जा रहा हूं। पहले शायद ऐसा नहीं था मगर फिर सोचता हूं तो शक होता है कि कहीं ऐसा तो नहीं था कि शक का शौक मुझे बचपन से ही हो और मैंने इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया हो। अब तो […] Read more »
व्यंग्य व्यंग्य/ कांग्रेस और गांधी जी की बकरी September 4, 2011 / December 6, 2011 by जगमोहन ठाकन | 1 Comment on व्यंग्य/ कांग्रेस और गांधी जी की बकरी जग मोहन ठाकन महात्मा गांधी ने जो भी आंदोलन किये , अहिंसा व शांति के बलबुते पर कामयाबी पाई । गांधी जी की नीतियों व सिद्धान्तों पर चलने का दावा करने वाली कांग्रेस पार्टी गांधीवादी रास्ते से पाई हुई स्वसता का रसास्वादन मजे से बैठ कर करती रही है। कांग्रेस ने ऐसा पाठ पढ़ लिया है […] Read more »
व्यंग्य हास्य-व्यंग्य/भ्रष्टाचार से लड़ने में कमजोरी बहुत आ जाती है August 28, 2011 / December 7, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 1 Comment on हास्य-व्यंग्य/भ्रष्टाचार से लड़ने में कमजोरी बहुत आ जाती है पंडित सुरेश नीरव भ्रष्टाचार से लड़ने में कमजोरी बहुत आ जाती है। इसीलिए तो हमारे राजनेता भ्रष्टाचार से बच निकलने में ही भलाई समझते हैं और पिछले 64 साल से इससे बचते ही नहीं चले आ रहे हैं बल्कि उससे दोस्ती का रिश्ता बनाकर उसे फलने और खुद के फूलने का मौका निकालते रहे हैं। […] Read more » भ्रष्टाचार
व्यंग्य व्यंग्य/ प्रॉडक्शन ऑन प्रोग्रेस! August 26, 2011 / December 7, 2011 by अशोक गौतम | Leave a Comment अशोक गौतम ब्रह्मलोक में सदियों से मानव बनाने का काम लार्ज स्केल पर चला हुआ था, चौबीसों घंटे, शिफ्टों पर शिफ्टों में! पर फिर भी ब्रह्मा अपने इकलौते मांगी को मानवों की डिमांड को पूरी नहीं कर पा रहे थे। देश में मानवों की मांग आपूर्ति से अधिक देखते हुए बीच बीच में ब्रह्मा चोरी […] Read more »
विविधा व्यंग्य व्यंग / आवाज दो, हम एक हैं August 24, 2011 / December 7, 2011 by विजय कुमार | 1 Comment on व्यंग / आवाज दो, हम एक हैं विजय कुमार यों तो भारत की राजधानी दिल्ली में नार्थ और साउथ ब्लाक मानी जाती हैं; पर अन्ना हजारे के आंदोलन के कारण पिछले कुछ दिनों से वह रामलीला मैदान में पहुंच गयी है। नार्थ और साउथ ब्लाक में बड़े अधिकारी और मंत्री बैठते हैं। आम आदमी का प्रवेश वहां वर्जित है; पर रामलीला मैदान […] Read more » Anna Hazare अन्ना हजारे भ्रष्टाचार
व्यंग्य हास्य-व्यंग्य/ भ्रष्टाचार की खैर नहीं August 22, 2011 / December 7, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव अगर अन्नाजी का जादू चल गया तो देख लेना भारत में एक दिन ऐसा भी आएगा कि भ्रष्टाचार की बातें सिर्फ कहानी-किस्सों में पढ़ने को ही रह जाएंगी। बच्चे परी कथाओं की तरह पढ़ा करेंगे कि बहुत समय पहले भारत में भ्रष्टाचार नाम का एक दैत्य हुआ करता था। जिसने बड़ा उत्पात […] Read more » Anna Hazare अन्ना हजारे भ्रष्टाचार
व्यंग्य देशवासियों के नाम पैगाम! August 10, 2011 / December 7, 2011 by अशोक गौतम | Leave a Comment हे मेरे देश के बेगाने देशवासियो! लो आज फिर कम्बख्त स्वतंत्रता दिवस आ गया। सभी किसी न किसी ऐब के गुलाम और वाह रे स्वतंत्रता दिवस! कहीं कोई स्वतंत्र नहीं। सभी एक दूसरे के तलवे चाटते हुए। जी हजूरी कर अपनी अपनी जिंदगी की खाई पाटते हुए। विवशता है कि इस अवसर पर मुझे कुछ […] Read more » Indians देशवासियों के नाम पैगाम
व्यंग्य भ्रष्टाचार है कि मुरब्बा August 5, 2011 / December 7, 2011 by राजकुमार साहू | Leave a Comment राजकुमार साहू देखो भाई, यदि आपने भ्रष्टाचार नहीं किया हो तो लगे हाथ यह सौभाग्य पा लो और बहती गंगा में हाथ धो लो। फिर कहीं समय निकल गया तो फिर लौटकर नहीं आने वाला है। भ्रष्टाचार की अभी खुली छूट है, जब जैसा चाहो, कर सकते हो। बाद में न जाने मौका मिलेगा कि नहीं, […] Read more » Corruption भ्रष्टाचार
व्यंग्य व्यंग्य – अनजाने चेहरों की दोस्ती August 4, 2011 / December 7, 2011 by राजकुमार साहू | Leave a Comment राजकुमार साहू यह बात अधिकतर कही जाती है कि एक सच्चा दोस्त, सैकड़ों-हजारों राह चलते दोस्तों के बराबर होता है। यह उक्ति, न जाने कितने बरसों से हम सब के दिलो-दिमाग में छाई हुई है। दोस्ती की मिसाल के कई किस्से वैसे प्रचलित हैं, चाहे वह फिल्म ‘शोले’ के जय-वीरू हों या फिर धरम-वीर। साथ […] Read more » vyangya दोस्ती