व्यंग्य देशवासियों के नाम पैगाम! August 10, 2011 / December 7, 2011 by अशोक गौतम | Leave a Comment हे मेरे देश के बेगाने देशवासियो! लो आज फिर कम्बख्त स्वतंत्रता दिवस आ गया। सभी किसी न किसी ऐब के गुलाम और वाह रे स्वतंत्रता दिवस! कहीं कोई स्वतंत्र नहीं। सभी एक दूसरे के तलवे चाटते हुए। जी हजूरी कर अपनी अपनी जिंदगी की खाई पाटते हुए। विवशता है कि इस अवसर पर मुझे कुछ […] Read more » Indians देशवासियों के नाम पैगाम
व्यंग्य भ्रष्टाचार है कि मुरब्बा August 5, 2011 / December 7, 2011 by राजकुमार साहू | Leave a Comment राजकुमार साहू देखो भाई, यदि आपने भ्रष्टाचार नहीं किया हो तो लगे हाथ यह सौभाग्य पा लो और बहती गंगा में हाथ धो लो। फिर कहीं समय निकल गया तो फिर लौटकर नहीं आने वाला है। भ्रष्टाचार की अभी खुली छूट है, जब जैसा चाहो, कर सकते हो। बाद में न जाने मौका मिलेगा कि नहीं, […] Read more » Corruption भ्रष्टाचार
व्यंग्य व्यंग्य – अनजाने चेहरों की दोस्ती August 4, 2011 / December 7, 2011 by राजकुमार साहू | Leave a Comment राजकुमार साहू यह बात अधिकतर कही जाती है कि एक सच्चा दोस्त, सैकड़ों-हजारों राह चलते दोस्तों के बराबर होता है। यह उक्ति, न जाने कितने बरसों से हम सब के दिलो-दिमाग में छाई हुई है। दोस्ती की मिसाल के कई किस्से वैसे प्रचलित हैं, चाहे वह फिल्म ‘शोले’ के जय-वीरू हों या फिर धरम-वीर। साथ […] Read more » vyangya दोस्ती
व्यंग्य कृषि व औद्योगिक नीति, बढेगा टकराव August 1, 2011 / December 7, 2011 by राजकुमार साहू | Leave a Comment राजकुमार साहू छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है और व्यापक धान पैदावार के लिए अभी हाल ही में प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने ॔छत्तीसगढ़ सरकार’ को सम्मानित किया है। निचत ही यह कृषि क्षेत्र में दो में एक अलग पहचान बनाने वाले राज्य के लिए गौरव की बात है, मगर प्रदो के कई […] Read more » Agricultural and Industrial Policy कृषि व औद्योगिक नीति बढेगा टकराव
व्यंग्य मिस हिडंबा और हिंदी July 30, 2011 / December 7, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव पता नहीं किस एंग्रीमैन दुर्वासा के शाप से सौभाग्यभक्षिणी कर्कशा कुमारी हिडंबा को कविता लिखने का दंड मिला था। यह पता तो नहीं चला मगर उनके इस गोपनीय दंड के कारण सार्वजनिकरूप से शहर का संपूर्ण साहित्य-जगत दंडकारण्य जरूर बन गया था। कविता के आर्यजनों ने इस कवयित्री के कोप से भयभीत […] Read more » Durvasa दुर्वासा मिस हिडंबा और हिंदी
व्यंग्य हास्य-व्यंग्य/ मदर भैंसलो पब्लिक स्कूल July 27, 2011 / December 8, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 1 Comment on हास्य-व्यंग्य/ मदर भैंसलो पब्लिक स्कूल पंडित सुरेश नीरव शिक्षा और भैंस का संबंध पुराणकाल से ही फसल और खाद तथा सूप और सलाद की तरह घनिष्ठ रहा है। ये बात और है कि हमारा अपना व्यक्तिगत संबंध शिक्षा के साथ वैसा ही है जैसा कि भट्टा-पारसौल के किसानों का संबंध बिल्डरों के साथ। अगर ज़मीन किसान की जायदाद है तो […] Read more » vyangya व्यंग्य
व्यंग्य व्यंग्य : नेता जी का डी.एन.ए July 27, 2011 / July 27, 2011 by विजय कुमार | Leave a Comment विजय कुमार कम उम्र में ही घरेलू झंझटों में उलझ जाने के कारण मैं अधिक पढ़ नहीं सका, इसलिए मैं डी.एन.ए का अर्थ दीनानाथ अग्रवाल या दयानंद ‘अलबेला’ ही समझता था; पर पिछले दिनों अखबार में पढ़ा कि वैज्ञानिकों ने आलू के डी.एन.ए की खोज कर ली है। मुझे बहुत गुस्सा आया। क्या जरूरत थी […] Read more »
व्यंग्य पुस्तक लोकार्पण संस्कार July 25, 2011 / December 8, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव किताब से जिसका इतना-सा भी संबंध हो जितना कि एक बच्चे का चूसनी से तो वह समझदार व्यक्ति पुस्तक लोकार्पण के कार्यक्रम से जरूर ही परिचित होगा। भले ही वह इस कार्यक्रम की बारीकियां न जानता हो। यह कार्यक्रम लेखक क्यों करता है और कैसे –कैसे करता है इसकी केमिस्ट्री का उसे […] Read more » Book - release function पुस्तक लोकार्पण संस्कार पुस्तक-लोकार्पण समारोह
व्यंग्य हास्य-व्यंग्य/ मेट्रों में आत्मा का सफर July 24, 2011 / December 8, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 1 Comment on हास्य-व्यंग्य/ मेट्रों में आत्मा का सफर पंडित सुरेश नीरव सब शरीर धरे के दंड हैं। इसलिए जब भी किसी स्वर्गीय का भेजे में खयाल आता है तब-तब मैं हाइली इन्फलेमेबल ईर्ष्या से भर जाता हूं। सोचता हूं कितनी मस्ती में घूमती हैं ये आत्माएं। जिंदगी का असली मजा तो दुनिया में ये आत्माएं ही उठाती हैं। न गर्मी की चिपचिप न […] Read more » vyangya हास्य-व्यंग्य
व्यंग्य मकान मालिक तो भगवान होता है July 23, 2011 / December 8, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 1 Comment on मकान मालिक तो भगवान होता है पंडित सुरेश नीरव एक दौर वह भी था जब स्वर्ग में रहनेवाले देवता फालतू समय में फटाफट भारत में अवतार ले लिया करते थे। उनके लिए स्वर्ग से भारत आना एक फन-लविंग पिकनिक हुआ करती थी। क्योंकि उस वक्त आज की तरह मकान और खासकर किराये के मकान की समस्या नहीं हुआ करती थी। भगवान […] Read more » God भगवान मकान मालिक
व्यंग्य व्यंग्य : इस देश का यारों क्या कहना.. July 20, 2011 / December 8, 2011 by विजय कुमार | 1 Comment on व्यंग्य : इस देश का यारों क्या कहना.. विजय कुमार छात्र जीवन से ही मेरी आदत अति प्रातः आठ बजे उठने की है; पर आज सुबह जब कुछ शोर-शराबे के बीच मेरी आंख खुली, तो घड़ी में सात बज रहे थे। आंख मलते हुए मैंने देखा कि मोहल्ले में बड़ी भीड़ थी। कुछ पुलिस वाले भी वहां दिखाई दे रहे थे। मोहल्ले की […] Read more » vyangya व्यंग्य
व्यंग्य हमें पता है कि ये आतंकवादी कौन हैं July 19, 2011 / December 8, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 2 Comments on हमें पता है कि ये आतंकवादी कौन हैं पंडित सुरेश नीरव हादसे हमारे देश की लाइफ लाइन हैं। हादसों के बिना मुर्दा है हमारा देश। हादसे नहीं होते तो ज़िंदगी नीरस हो जाती है। वो तो भला हो भगवान का कि जब-तब बाढ़ और अकाल लाकर थोड़ी चहल-पहल देश में ला देते हैं। वरना इन आतंकवादियों के भरोसे तो कुछ भी नहीं होने […] Read more » terrorism आतंकवाद