व्यंग्य ठोकपाल विधेयक June 27, 2011 / December 9, 2011 by विजय कुमार | 2 Comments on ठोकपाल विधेयक विजय कुमार चिरदुखी शर्मा जी हर दिन की तरह आज भी चौराहे पर मिले, तो उनका गुस्सा छिपाए नहीं छिप रहा था। मिलते ही उन्होंने बगल में दबा अखबार मेरे हाथ में थमा दिया। – लो पढ़ो। मैं तो पहले से यही कह रहा था। – क्या बात हो गयी शर्मा जी, इन दिनों दिल्ली […] Read more » Corruption भ्रष्टाचार लोकपाल
व्यंग्य व्यंग्य/मुश्क़िल June 23, 2011 / December 11, 2011 by संजय ग्रोवर | Leave a Comment संजय ग्रोवर वह एक-एकसे पूछ रहा था। जनता से क्या पूछना था, वह हमेशा से भ्रष्टाचार के खि़लाफ़ थी। विपक्षी दल से पूछा, ‘‘मैंने ही तो सबसे पहले यह मुद्दा उठाया था।’’ उनके नेता ने बताया। उसने शासक दल से भी पूछ लिया, ‘‘हम आज़ादी के बाद से ही इसके खि़लाफ़ कटिबद्ध हैं। जल्द ही […] Read more » vyangya
व्यंग्य व्यंग/ मुफ्तखोरी की बीमारी June 14, 2011 / December 11, 2011 by राजकुमार साहू | Leave a Comment राजकुमार साहू बीमारी की बात करते हैं तो हर व्यक्ति, कोई न कोई बीमारी से ग्रस्त नजर जरूर आता है। बीमारी की जकड़ से यह मिट्टी का शरीर भी दूर नहीं है। सोचने वाली बात यह है कि बीमारियों की तादाद, दिनों-दिन लोगों की जनसंख्या की तरह बढ़ती जा रही है। जिस तरह रोजाना देश […] Read more » vyangya
व्यंग्य व्यंग्य – पदपूजा का आभामंडल June 14, 2011 / December 11, 2011 by राजकुमार साहू | Leave a Comment राजकुमार साहू पदपूजा का आभामंडल हर किसी को भाता है। जिसे देखो, वह पद के पीछे, अपना पग हमेशा आगे रखना चाहता है। मैं तो यह मानता हूं कि जिनके पास कोई बड़ा पद नहीं है, समझो वह कुछ भी नहीं है। उसकी औकात उतनी है, जितनी सरकार की उंची कुर्सी में बैठे सत्तामद के […] Read more » vyangya
व्यंग्य हास्य-व्यंग्य/पग घुंघरू बांध सुषमा नाची रे…. June 11, 2011 / December 11, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 3 Comments on हास्य-व्यंग्य/पग घुंघरू बांध सुषमा नाची रे…. पंडित सुरेश नीरव नृत्य हमारी परंपरा है। यक्ष,किन्नर,मरुत,देवी-देवता और-तो और भूत-पिशाच तक की नाचना एक प्रबल-प्रचंड हॉबी है। देवराज इंद्र के दरबार में तो नृत्य के अलवा भी कोई काम होता हो इसकी पुख्ता जानकारी कहीं नहीं मिलती। चौबीस घंटे बस नृत्य का अखंड आयोजन होता रहता है। मेनका,तिलोत्तमा,रंभा,संभा और उर्वशी-जैसी तमाम नर्तकियों की शिफ्टें […] Read more » Bhajpa भाजपा सुषमा स्वराज
व्यंग्य थोड़े-थोड़े सब दुखी… June 10, 2011 / December 11, 2011 by विजय कुमार | Leave a Comment विजय कुमार पिछले दिनों बहुत वर्षों बाद एक मित्र से मिलना हुआ। मैं उनके मोटापे पर आश्चर्यचकित हुआ, तो वे मेरे हल्केपन पर। उन्हें लगा कि मैं किसी बात से दुखी हूं। मैंने उन्हें बताया कि इसका कारण कोई रोग या शोक नहीं है। मैं तो अपने प्यारे भारत के भविष्य की चिंता में दुबला […] Read more »
व्यंग्य बाबा की जान को खतरा है June 9, 2011 / December 11, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 2 Comments on बाबा की जान को खतरा है पंडित सुरेश नीरव जब से सुना है कि बाबा की जान को खतरा है अपनी तो जान ही सांसत में है। वैसे तो मोर्चे पर तैनात सैनिक और अनशन पर डटे नेता की जान हमेशा खतरे में ही रहती है। पर यहां तो मामला बाबा का है। हमने अपने एक मित्र को सूचना दी कि […] Read more » Baba Ramdev
व्यंग्य तिहाड़ में आर्थिक घोटालों की ट्यूटोरियल क्लास June 9, 2011 / December 11, 2011 by अमलेन्दु उपाध्याय | 1 Comment on तिहाड़ में आर्थिक घोटालों की ट्यूटोरियल क्लास ‘तड़का’-तिहाड़ दुर्दान्त कैदी एसोसियेशन ने प्रधानमंत्री से मीटिंग करवाने की ज़िद पकड़कर जेल में अचानक असहयोग आन्दोलन और अनशन प्रारम्भ कर दिया। असहयोग स्वरूप सारे दुर्दांत कैदियों ने घर और होटलों का बना स्वादिष्ट मुगलई, चाईनीज़ खाना, शराब, मुर्ग-मुसल्लम, ड्रग्स, बीड़ी-सिगरेट, मोबाइल-टी.वी. इत्यादि-इत्यादि सुविधाएँ त्यागकर जेल की दाल-रोटी खाना प्रारम्भ कर दिया और अनशन स्वरूप […] Read more » Tihar आर्थिक घोटालों ट्यूटोरियल क्लास तिहाड़
व्यंग्य बेचारी पुलिस June 9, 2011 / December 11, 2011 by अशोक बजाज | Leave a Comment पुलिस को ‘‘बेचारी पुलिस’’कहने से उन लोगों को आपत्ति हो सकती है जो पुलिस की लाचारी को नही समझते। यह विडंबना ही है कि जिस व्यक्ति को कभी वे मार मार कर भुरता बनाने का काम करते है उसी व्यक्ति को समय आने पर सलाम ठोकना पड़ता है। दिल्ली पुलिस ने विगत दिनों बाबा रामदेव […] Read more » Police बेचारी पुलिस
व्यंग्य भ्रष्टाचार पोषक चांडाल चौकडि सावधान हो जाओ जनता आती है। June 8, 2011 / December 11, 2011 by आनन्द स्वरूप द्विवेदी | Leave a Comment आनन्द स्वरूप यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्वभवथि भारतह अभ्युथानम अधर्मस्य तदात्मानम स्रिजामि अहम। भगवान नें अपने भक्तो को दिये गये इस वचन को समय समय पर सार्थक किया है। कभी स्वयं आकर के तो कभी अपने किसी परम भक्त को भेज करके।इस कल्युग मे स्वयं तो नहीं आये पर जब भी मानवता को आवश्यकता पडी […] Read more » Corruption
व्यंग्य राहुल गाँधी का मिशन-2012 हुआ गोलपोस्ट से बाहर June 8, 2011 / December 11, 2011 by राजीव रंजन प्रसाद (बीएचयू) | Leave a Comment शीर्षक देख लग रहा होगा कि इस पंक्ति का लेखक अति-उत्साह का मारा है। उसकी राजनीतिक समझ गहरी नहीं है। सोच भी दूरदर्शी न हो कर तात्कालिक अधिक है। जो कह लें; बर्दाश्त है। यह प्राक्कल्पित समाचार है जिसमें सही निष्कर्ष तक पहुँचने के लिए सभी संभाव्य परिणामों पर विचार करना ही पड़ता है। प्रस्तुत […] Read more » Rahul Gandhi राहुल गाँधी
व्यंग्य कालेधन के समर्थन में June 8, 2011 / December 11, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव आजकल कालेधन की वापसी को लेकर लोगों में एक अजीब-सी खब्त सवार हो गई है। जिसे देखो वही कालेधन की वापसी को लेकर नथुने फुला रहा है। और-तो-और साधु,बाबा और योगी तक जो कभी धन को विकार और धिक्कार मानते थे आज कालेधन और सफेद धन के लपड़े में पड़कर अपनी इज्जत […] Read more » Black Money कालेधन के समर्थन में