आर्थिकी व्यंग्य हास्य-व्यंग्य/चवन्नी की मौत पर July 5, 2011 / December 9, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 1 Comment on हास्य-व्यंग्य/चवन्नी की मौत पर पंडित सुरेश नीरव मैं और मेरे जैसे देश के तमाम चवन्नी छाप आजकल भयानक राष्ट्रीय सदमें में हैं। सरकार ने अचानक चवन्नी की नस्ल को खत्म करने का जो जघन्य पराक्रम किया है उसे इतिहास कभी माफ नहीं करेगा। और इतिहास-वितिहास से हमें क्या लेना-देना। हम कोई हिस्ट्रीशीटर हैं क्या। हां, हम चवन्नीछाप लोग जरूर […] Read more » Chavanni चवन्नी
व्यंग्य वो भगवान से भी बड़ा है… July 4, 2011 / December 9, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव आज के दौर का सबसे ताकतवर प्राणी-दलाल है। सतयुग के जंगलों में जो शौर्य कभी डायनासौर का हुआ करता था कलयुग के सभ्य समाज में वही जलवा दलाल का है। इस प्रजाति के जीव की आज यत्र-तत्र-सर्वत्र पूजा होती है। यह किसी पद पर नहीं होता मगर नाना प्रकार के पद इसके […] Read more » God दलाल
व्यंग्य जय हो बदलीराम की July 2, 2011 / December 9, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव समाज सेवी बदलीरामजी के नागरिक अभिनंदन का धुआंधार जलसा बड़े जोर-शोर से आज संपन्न हुआ। शहर के स्थानीय लोग इसे जिले स्तर का कोमनवेल्थ गेम मान रहे हैं। सारा प्रशासन शासन के कंधे-से-कंधा मिलाकर बदलीरामजी के सम्मान सर्कस को सफल बनाने में जुटा रहा। बदलीरामजी का पराक्रम है ही कुछ ऐसी डिजायन […] Read more » जय हो बदलीराम की
व्यंग्य लाइट दा मामला July 2, 2011 / December 9, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव लाइट के मामले को कभी लाइटली नहीं लेना चाहिए। खासकर के यूपी और बिहार के लोगों को। क्योंकि उनके लिए तो लाइट से ज्यादा सीरीयस मामला कोई और होता ही नहीं है। कई-कई दिनों बाद लाइट के दर्शम होते हैं। और होते हैं तो एक दिन में कई-कई ये कोई दिल्ली मुंबई […] Read more » लाइट दा मामला
व्यंग्य हास्य व्यंग्य-सम्मान की ठरक July 2, 2011 / December 9, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव सम्मान की ठरक एक ऐसी सनातन ठरक है जिससे आदमी कभी मुक्त नहीं हो पाता है। उसे जिंदा रहते तो क्या मरणोपरांत भी सम्मान की ललक बनी रहती है। और इसे पाने के लिए न्नहा-सा आदमी नाना प्रकार के जुगाड़ करता है। वह हर क्षण-हर पल यही सूंघता रहता है कि उसे […] Read more »
व्यंग्य ठोकपाल विधेयक June 27, 2011 / December 9, 2011 by विजय कुमार | 2 Comments on ठोकपाल विधेयक विजय कुमार चिरदुखी शर्मा जी हर दिन की तरह आज भी चौराहे पर मिले, तो उनका गुस्सा छिपाए नहीं छिप रहा था। मिलते ही उन्होंने बगल में दबा अखबार मेरे हाथ में थमा दिया। – लो पढ़ो। मैं तो पहले से यही कह रहा था। – क्या बात हो गयी शर्मा जी, इन दिनों दिल्ली […] Read more » Corruption भ्रष्टाचार लोकपाल
व्यंग्य व्यंग्य/मुश्क़िल June 23, 2011 / December 11, 2011 by संजय ग्रोवर | Leave a Comment संजय ग्रोवर वह एक-एकसे पूछ रहा था। जनता से क्या पूछना था, वह हमेशा से भ्रष्टाचार के खि़लाफ़ थी। विपक्षी दल से पूछा, ‘‘मैंने ही तो सबसे पहले यह मुद्दा उठाया था।’’ उनके नेता ने बताया। उसने शासक दल से भी पूछ लिया, ‘‘हम आज़ादी के बाद से ही इसके खि़लाफ़ कटिबद्ध हैं। जल्द ही […] Read more » vyangya
व्यंग्य व्यंग/ मुफ्तखोरी की बीमारी June 14, 2011 / December 11, 2011 by राजकुमार साहू | Leave a Comment राजकुमार साहू बीमारी की बात करते हैं तो हर व्यक्ति, कोई न कोई बीमारी से ग्रस्त नजर जरूर आता है। बीमारी की जकड़ से यह मिट्टी का शरीर भी दूर नहीं है। सोचने वाली बात यह है कि बीमारियों की तादाद, दिनों-दिन लोगों की जनसंख्या की तरह बढ़ती जा रही है। जिस तरह रोजाना देश […] Read more » vyangya
व्यंग्य व्यंग्य – पदपूजा का आभामंडल June 14, 2011 / December 11, 2011 by राजकुमार साहू | Leave a Comment राजकुमार साहू पदपूजा का आभामंडल हर किसी को भाता है। जिसे देखो, वह पद के पीछे, अपना पग हमेशा आगे रखना चाहता है। मैं तो यह मानता हूं कि जिनके पास कोई बड़ा पद नहीं है, समझो वह कुछ भी नहीं है। उसकी औकात उतनी है, जितनी सरकार की उंची कुर्सी में बैठे सत्तामद के […] Read more » vyangya
व्यंग्य हास्य-व्यंग्य/पग घुंघरू बांध सुषमा नाची रे…. June 11, 2011 / December 11, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 3 Comments on हास्य-व्यंग्य/पग घुंघरू बांध सुषमा नाची रे…. पंडित सुरेश नीरव नृत्य हमारी परंपरा है। यक्ष,किन्नर,मरुत,देवी-देवता और-तो और भूत-पिशाच तक की नाचना एक प्रबल-प्रचंड हॉबी है। देवराज इंद्र के दरबार में तो नृत्य के अलवा भी कोई काम होता हो इसकी पुख्ता जानकारी कहीं नहीं मिलती। चौबीस घंटे बस नृत्य का अखंड आयोजन होता रहता है। मेनका,तिलोत्तमा,रंभा,संभा और उर्वशी-जैसी तमाम नर्तकियों की शिफ्टें […] Read more » Bhajpa भाजपा सुषमा स्वराज
व्यंग्य थोड़े-थोड़े सब दुखी… June 10, 2011 / December 11, 2011 by विजय कुमार | Leave a Comment विजय कुमार पिछले दिनों बहुत वर्षों बाद एक मित्र से मिलना हुआ। मैं उनके मोटापे पर आश्चर्यचकित हुआ, तो वे मेरे हल्केपन पर। उन्हें लगा कि मैं किसी बात से दुखी हूं। मैंने उन्हें बताया कि इसका कारण कोई रोग या शोक नहीं है। मैं तो अपने प्यारे भारत के भविष्य की चिंता में दुबला […] Read more »
व्यंग्य बाबा की जान को खतरा है June 9, 2011 / December 11, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 2 Comments on बाबा की जान को खतरा है पंडित सुरेश नीरव जब से सुना है कि बाबा की जान को खतरा है अपनी तो जान ही सांसत में है। वैसे तो मोर्चे पर तैनात सैनिक और अनशन पर डटे नेता की जान हमेशा खतरे में ही रहती है। पर यहां तो मामला बाबा का है। हमने अपने एक मित्र को सूचना दी कि […] Read more » Baba Ramdev