लेख विधि-कानून समाज यौन हिंसा पर सख्त कानून के बावजूद आखिर अपराधों में कमी क्यों नहीं आ रही ? July 18, 2025 / July 18, 2025 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment हाल ही में ओडिशा के बालेश्वर जिले के एक कॉलेज में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार यौन उत्पीड़न से परेशान होकर बी.एड की एक छात्रा ने खुद को आग लगा ली थी और बाद में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इस घटना से पूरे राज्य […] Read more »
राजनीति विधि-कानून भारतीय चुनावी लोकतंत्र की रीढ़ है-अनुच्छेद 326 July 15, 2025 / July 15, 2025 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment हाल ही में बिहार वोटर लिस्ट रिवीजन में एक बड़ा खुलासा हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वोटर लिस्ट में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के लोगों के नाम पाए गए हैं। पाठकों को बताता चलूं कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के दौरान निर्वाचन आयोग में उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, […] Read more » अनुच्छेद 326
लेख विधि-कानून सुप्रीम कोर्ट -किशोरों के बीच सहमति के संबंधों में पोक्सो एक्ट के तहत जेल क्यों? May 29, 2025 / May 29, 2025 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रकरण की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से कहा है कि किशोरों के बीच सहमति से बनने वाले प्रेम-संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और देश में यौन व प्रजनन स्वास्थ्य शिक्षा (सेक्स एजुकेशन) की नीति बनाने पर विचार करना चाहिए। ऐसा इसलिए ताकि किशोरों को प्रोटेक्शन […] Read more » Supreme Court- Why jail under POCSO Act in consensual relationships between teenagers
मनोरंजन लेख विधि-कानून सुप्रीम कोर्ट का मनोबल बढ़ाने वाला फैसला ! May 28, 2025 / May 28, 2025 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment हाल ही में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक व बड़े फैसले में केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में महानिरीक्षक(आईजी) स्तर तक के आईपीएस अधिकारियों की नियुक्ति कम करने का निर्देश दिया है, ताकि कैडर अधिकारियों को अधिक अवसर मिल सकें। वास्तव में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कैडर अधिकारिक के लिए मनोबल बढ़ाने […] Read more » Delay in promotion of cadre officers कैडर अधिकारियों की पदोन्नति में विलंब
राजनीति विधि-कानून जेनेरिक दवाएं लिखने के कानूनी आदेश का उजाला May 6, 2025 / May 6, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग – सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों को मरीजों के लिए जेनेरिक दवाइयां लिखने एवं किसी विशेष कंपनी की दवाइयां न लिखने की नसीहत देकर न केवल गरीब मरीजों को राहत पहुंचाई है बल्कि चिकित्सा क्षेत्र में व्याप्त मनमानी, मूल्यहीनता, रिश्वत एवं अनैतिकता पर अंकुश लगाने की दिशा में सराहनीय एवं प्रासंगिक पहल की है। […] Read more » Light of legal order for prescribing generic medicines जेनेरिक दवाएं लिखने के कानूनी आदेश
लेख विधि-कानून जब जज ही कानून के घेरे में होंतो भरोसे की दीवारें हिलती हैं April 21, 2025 / April 21, 2025 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अशोक कुमार झा देश की न्याय व्यवस्था पर लोगों का विश्वास बहुत गहरा होता है। जब सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं, तब इंसान न्यायपालिका की ओर देखता है, एक अंतिम उम्मीद के साथ लेकिन जब उसी संस्था पर सवाल खड़े होने लगेंगे तो सोचिए, आम आदमी का भरोसा कहां जाकर टिकेगा? हाल ही में कुछ जजों के […] Read more » उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
राजनीति विधि-कानून सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्यपाल विधेयकों को नहीं रोकेगें? April 11, 2025 / April 11, 2025 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और आर. महादेवन की बेंच ने तमिलनाडु सरकार बनाम तमिलनाडु के राज्यपाल (आर एन रवि) मामले में यह फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल के पास राज्य विधानसभा की तरफ से भेजे गए विधेयकों पर वीटो का अधिकार नहीं है। वे किसी बिल को […] Read more » Will the Governor not stop the bills after the Supreme Court's decision? राज्यपाल विधेयकों को नहीं रोकेगें?
राजनीति विधि-कानून जजों की संपत्ति का प्रकटीकरण पारदर्शिता की ओर कदम April 7, 2025 / April 7, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- न्यायपालिका पर जनता का भरोसा लोकतंत्र का अहम आधार है। न्यायिक प्रणाली में किसी संदेह की गुंजाइश नहीं रहे, इसके लिये न्यायपालिका में अधिक पारदर्शिता, जबावदेही एवं निष्पक्षता की जरूरत है, इसके लिये सर्वोच्च न्यायालय से निचली अदालतों तक के न्यायाधीशों को संपत्ति सार्वजनिक करने जैसे कदम उठाए जाने की अपेक्षा आजादी के […] Read more » Disclosure of assets of judges is a step towards transparency जजों की संपत्ति का प्रकटीकरण
राजनीति विधि-कानून भारतीय न्यायपालिका को चेक एवं बैलेंस सिस्टम की जरूरत April 3, 2025 / April 3, 2025 by वीरेंदर परिहार | Leave a Comment वीरेंद्र सिंह परिहार न्याय में अत्यधिक देरी, न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति में गोपनीयता और न्यायिक अधिकारियों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपो के कारण न्यायिक सुधारो की मांग देश में पिछले कई वर्षों से की जा रही है लेकिन अब जस्टिस यशवंत वर्मा के प्रकरण के चलते यह एक राष्ट्रव्यापी ज्वलंत मुद्दा बन गया है. इस संबंध में बहुत पहले […] Read more » Indian Judiciary needs a check and balance system
राजनीति विधि-कानून न्याय की कसौटी पर वर्तमान न्यायिक परिस्थितियां March 27, 2025 / March 27, 2025 by डा. विनोद बब्बर | Leave a Comment डा. विनोद बब्बर गत वर्ष महामहिम राष्ट्रपति महोदया ने कहा था, ‘आम लोग जज को न्याय देने वाले भगवान की तरह देखते हैं लेकिन फिर भी कोर्ट-कचहरी के नाम से डरते हैं। वहां जाने से बचने के लिए वे अपने जीवन में कई तरह के अन्याय चुपचाप बर्दाश्त कर लेते हैं।’ स्पष्ट है कि इसका […] Read more » Current judicial situation on the touchstone of justice न्याय की कसौटी पर वर्तमान न्यायिक परिस्थितियां वर्तमान न्यायिक परिस्थितियां
बच्चों का पन्ना राजनीति विधि-कानून बार-बार समाज को झकझोरते संवेदनहीन फैसले March 27, 2025 / March 27, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment अमानवीय फैसले,संवेदनहीन न्याय? क्या हमारी न्याय प्रणाली यौन अपराधों के मामलों में और अधिक संवेदनशील हो सकती है? या फिर ऐसे सवेंदनहीन, अमानवीय फैसले बार-बार समाज को झकझोरते रहेंगे? यह मामला न्यायपालिका की संवेदनशीलता और यौन अपराधों के खिलाफ कड़े कानूनों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाता है। महिला संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने फैसले का […] Read more » Kerala HC narrows the scope of ‘rubbing-touching-ejaculation’ in POCSO cases POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) POCSO Act संवेदनहीन न्याय
राजनीति विधि-कानून केरल हाई कोर्ट ने पीओसीएसओ के मामलों में ‘रगड़-स्पर्श- स्खलन’ का दायरा बाँधा March 7, 2025 / March 7, 2025 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे केरल हाई कोर्ट ने हाल ही में पीओसीएसओ एक्ट के एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पीड़िता के बाहरी जननांग (लेबिया मेजोरा या वल्वा) के साथ मामूली शारीरिक संपर्क भी यौन हमला माना जाएगा। हाई कोर्ट ने कहा कि यह क्रिया यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 3 के तहत प्रवेशात्मक […] Read more » Kerala HC narrows the scope of ‘rubbing-touching-ejaculation’ in POCSO cases