राजनीति नये युग में भारत — अफगानिस्तान – तालिबान -संबंध October 17, 2025 / October 17, 2025 by मृत्युंजय दीक्षित | Leave a Comment मृत्युंजय दीक्षितअंतरराष्ट्रीय सम्बन्धों में कोई स्थाई मित्र या शत्रु नहीं होता, सभी राष्ट्र समय और परिस्थितियों के अनुसार पारस्परिक व्यवहार करते हैं। इस समय भारत के लिए सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण अफगानिस्तान में तालिबान का शासन है। तालिबान की पहचान आतंकी संगठन की है किन्तु अफगानिस्तान की तालिबान सरकार अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने के लिए […] Read more » India-Afghanistan-Taliban Relations in a New Era भारत -- अफगानिस्तान - तालिबान -संबंध
राजनीति जाग रहा है जनगणमन, निश्चित होगा परिवर्तन… October 17, 2025 / October 17, 2025 by सुशील कुमार नवीन | Leave a Comment समझ से परे कर्नाटक पर संघ गतिविधियों पर रोक सुशील कुमार ‘नवीन’ सन 2000 में अभिषेक बच्चन और करीना कपूर स्टारर रिफ्यूजी फिल्म आई थी। फिल्म के एक गीत की पंक्तियां जब जब भी सुनाई पड़ती है तो एक अलग ही अनुभव होता है। गीत है – पंछी, नदिया, पवन के झोंके, सरहद न कोई इन्हें रोके। यह गीत केवल प्रकृति की आज़ादी की नहीं, बल्कि विचारों की स्वतंत्रता की भी बात करता है। गीत से इतर अब सीधे मुद्दे पर आते हैं। गुरुवार को कर्नाटक मंत्रिमंडल ने सरकारी स्कूलों और कॉलेज परिसरों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों पर रोके लगाने के उद्देश्य को लेकर नियम लाने का फैसला किया है। कैबिनेट द्वारा आरएसएस पर रोक लगाने की इस कार्रवाई ने देशभर में बहस छेड़ दी है। शाखा या संघ की अन्य गतिविधि संचलन आदि में ऐसा क्या होता है, जिसके लिए कर्नाटक सरकार को इतना बड़ा कदम उठाना पड़ा। इस पर भी विचार करना जरूरी है। संघ स्वयंसेवकों की मानें तो आरएसएस की शाखा और संचलन अनुशासन और सेवा के विद्यालय हैं। आमतौर पर लगने वाली एक घंटे की नियमित शाखाओं के लिए किसी को निमंत्रण नहीं दिया जाता। न ही कोई दबाव डाला जाता है। राष्ट्र हित की सोच रखने वाले स्वयंसेवक शाखा में समय पर उपस्थित होते हैं और प्रार्थना, योग, खेल और राष्ट्रवंदना के साथ दिन की शुरुआत करते हैं। शाखा में जो प्रार्थना गाई जाती है कि उसकी प्रथम पंक्ति ही सार स्वरूप राष्ट्र के प्रति स्वंयसेवकों की भावना को प्रकट करने के लिए पर्याप्त है। नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे, त्वया हिन्दुभूमे सुखवं वर्धितोऽहम्, महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे, पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते। इसका अर्थ है कि हे प्यार करने वाली मातृभूमि! मैं तुझे सदा (सदैव) नमस्कार करता हूँ। तूने मेरा सुख से पालन-पोषण किया है। हे महामंगलमयी पुण्यभूमि! तेरे ही कार्य में मेरा यह शरीर अर्पण हो। मैं तुझे बारम्बार नमस्कार करता हूँ। विरोध का सुर रखने वाले इसमें कोई मीन मेंख निकालकर तो देखें। शाखा का दूसरा नियमित कार्यक्रम सुभाषित तो राष्ट्र समभाव को और भी स्पष्ट कर देता है। यह सभी के अंदर एकत्व की भावना को मजबूती देने का कार्य करता है। हिन्दव: सोदरा: सर्वे, न हिन्दू: पतितो भवेत्, मम दीक्षा हिन्दू रक्षा, मम मंत्र: समानता। इसका अर्थ है कि सभी हिंदू एक दूसरे के भाई-बहन (सहोदर) हैं, कोई भी हिंदू पतित नहीं हो सकता। हिन्दू धर्म की रक्षा मेरा धर्म है और समानता मेरा मंत्र है। सामूहिक गीतों की बात हो तो सामाजिक सद्भाव, सामाजिक समरसता, सामाजिक एकता से ये ओतप्रोत होते हैं। सुनने मात्र से राष्ट्र के प्रति नतमस्तक होने को सब मजबूर हो जाते हैं। हम करें राष्ट्र आराधना,तन से, मन से, धन से, तन–मन–धन जीवन से, हम करें राष्ट्र आराधना। संघ की आम बैठकों या विशेष कार्यक्रम में गाते जाने वाले एकल गीत भी इससे इत्तर नहीं है। श्रद्धामय विश्वास बढ़ाकर, सामाजिक सद्भाव जगायें। अपने प्रेम परिश्रम के बल, भारत में नव सूर्य उगायें। बात खेलकूद व्यायाम की हो तो उसमें में भी कोई ऐसी बात दिखाई नहीं देती जिस पर उंगली उठाई जा सके। एक घंटे की शाखा में पांच मिनट सूक्ष्म व्यायाम जिसे हम वार्मअप भी कह सकते हैं। इसके बाद व्यायाम योग, सूर्य नमस्कार शरीर को बलिष्ठ ही बनाने का कार्य करते हैं। मनोरंजन के लिए करवाये जाने वाले बौद्धिक और शारीरिक खेल भी इसे और आगे बढ़ाते है। अंत में दिन विशेष के किसी महापुरुष या घटना पर चर्चा के बाद प्रार्थना के बाद शाखा का समापन। इसी तरह अन्य गतिविधियों में संचलन या अन्य कोई सभा आदि। स्वयंसेवकों के अनुसार कहीं पर भी ऐसी कोई गतिविधि होती ही नहीं, जिस पर आपत्ति हो सके। एक बार किसी कार्यक्रम में शामिल होकर देखें, अब स्पष्ट हो जायेगा। संघ के कार्यक्रम लोगों को जोड़ने का काम करते हैं तोड़ने का नहीं। राजनीति इसमें ठीक नहीं है। आलोचकों के अनुसार इस एक घंटे के कार्यक्रम में शाखाओं के माध्यम से एक विशेष वैचारिक दिशा दी जाती है, जो हिंदू राष्ट्रवाद की अवधारणा से जुड़ी है। उन्हें इस बात की भी ज्यादा चिंता रहती है कि विद्यालयों या सार्वजनिक परिसरों में शाखा चलाने से धर्मनिरपेक्षता प्रभावित हो सकती है। यहां यह भी गौर करना बहुत जरूरी है कि लोकतंत्र की खूबसूरती विविध विचारों के सह-अस्तित्व में है। विचार से असहमति, प्रतिबंध का औचित्य नहीं बन सकती। शाखाओं पर रोक लगाने से विचारों का प्रसार नहीं रुकता, बल्कि संवाद और संतुलन की संस्कृति कमजोर होती है। यदि शाखा कानून तोड़ती है तो कार्रवाई उचित है, पर यदि शाखा केवल विचार का प्रसार कर रही है, तो इस तरह की रोक की भावना लोकतंत्र की आत्मा पर आघात से कमतर नहीं है। कर्नाटक सरकार की ये कार्रवाई समझ से परे है। आरएसएस की शाखा कोई राजनीतिक मंच नहीं, बल्कि अनुशासन और चरित्र निर्माण का स्थान है, समय तय करेगा कि कर्नाटक में आरएसएस की शाखाओं या अन्य गतिविधियों पर रोक लगाने की कारवाई क्या किसी सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन की गतिविधियों पर प्रशासनिक हस्तक्षेप लोकतंत्र के अनुरूप है। संघ गीत की ये पंक्तियां इसे और भी संबल प्रदान करने का कार्य करेंगी। विश्व मंच पर भारत माँ के, यश की हो अनुगूंज सघन निश्चित होगा परिवर्तन, जाग रहा है जन गण मन। लेखक: सुशील कुमार ‘नवीन’ Read more » कर्नाटक पर संघ गतिविधियों पर रोक
राजनीति बिहार में चुनावी भाषणों का स्तर — उठेगा या और गिरेगा ? October 17, 2025 / October 17, 2025 by शम्भू शरण सत्यार्थी | Leave a Comment शम्भू शरण सत्यार्थी कभी राजनीति विचारों का उत्सव हुआ करती थी। नेताओं के भाषणों में न केवल मत मांगने की भाषा होती थी बल्कि जनता को सोचने, समझने और जागरूक होने का निमंत्रण भी होता था। वो दौर था जब एक नेता का भाषण लोकशिक्षा का माध्यम होता था जहाँ नारे नहीं, तर्क गूँजते थे; […] Read more » The level of election speeches in Bihar
राजनीति विश्ववार्ता इस्राइल-हमास युद्धविरामः आशा की किरण या अस्थायी विराम? October 16, 2025 / October 16, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment गाजा में अमन-चैन की ओर जो सुखद कदम बढ़े हैं, उनका स्वागत होना चाहिए। परंतु यह सवाल भी उतना ही प्रासंगिक है कि क्या यह शांति स्थायी होगी, या यह केवल अगली लड़ाई से पहले का ठहराव भर है? समूची दुनिया चाहती है कि यह युद्ध विराम स्थायी हो क्योंकि इस्राइल और हमास Read more » इस्राइल-हमास युद्धविराम
राजनीति एक लाख एकल शिक्षक स्कूलों की त्रासदी से त्रस्त शिक्षातंत्र October 16, 2025 / October 16, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment भारत में आज भी कई सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के बच्चे सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे सभी विषय पढ़ रहे हैं। शिक्षा मंत्रालय के साल 2024-25 के आधिकारिक डेटा के मुताबिक देश के कुल 1,04,125 स्कूलों में एक ही शिक्षक सभी कक्षाओं एवं सभी विषयों को पढ़ा रहे हैं। यह आंकड़ा हमारे शिक्षा तंत्र की विफलता को दर्शाता ही नहीं रहा है बल्कि चिन्ताजनक Read more » The education system is plagued by the tragedy of one lakh single teacher schools. एक लाख एकल शिक्षक स्कूलों की त्रासदी
राजनीति शहीद कौन है — आईपीएस पूरन कुमार या एएसआई संदीप लाठर? October 16, 2025 / October 16, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment हरियाणा पुलिस एक गहरे संकट से गुजर रही है। पहले आईपीएस पूरन कुमार और अब एएसआई संदीप लाठर की आत्महत्या ने विभाग की कार्यसंस्कृति, मनोबल और आंतरिक तनाव पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लगातार आत्महत्याओं से यह स्पष्ट है कि वर्दी के पीछे इंसान टूट रहा है। राजनीतिक दबाव, जातिगत खींचतान और मानसिक अवसाद Read more » आईपीएस पूरन कुमार एएसआई संदीप लाठर
राजनीति वर्दी में डकैत October 16, 2025 / October 16, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment अभी तक मध्यप्रदेश और देष में भृष्टाचार से अर्जित काली कमाई के अनगिनत मामले सामने आते रहे हैं। लेकिन अब वर्दी पहने पुलिस वालों ने सिवनी के हवाला कारोबारियों से 2.96 करोड़ रुपए राश्ट्रीय राजमार्ग पर लूटने के बाद परस्पर बांट लिए। इस लूट में महिला एसडीओपी पूजा पांडेय, एसआई अर्पित भैरम समेत 11 पुलिसकर्मी षामिल हैं। Read more »
राजनीति मंत्री बनी एआई रोबोट महिला डिएला October 13, 2025 / October 13, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment विडंबना देखिए, मनुष्य द्वारा निर्मित वाहनों ने मनुष्य के पैरों से चलने की ताकत छीन ली। मशीनी तकनीक मनुष्य के हाथों के हुनर छीनती जा रही है और अब हैरान करने वाली वास्तविकता यहां तक पहुंच गई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अर्थात कृत्रिम बुद्धि से निर्मित डिएला नामक रोबोट स्त्री को यानी मानव के विरुद्ध एक प्रति मानव के रूप में अस्तित्व में लाया गया Read more » एआई मंत्री डिएला
राजनीति बदलाव एवं विकास की राह ताकता बिहार चुनाव October 7, 2025 / October 7, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment बिहार में चुनावी रणभेरी बज चुकी है। मतदान की तिथियों की घोषणा के साथ ही लोकतंत्र का यह महायज्ञ आरंभ हो चुका है, जिसमें करोड़ों मतदाता दो चरणों में दिनंाक 6 और 11 नवंबर को अपने मत के माध्यम से राज्य की दिशा और दशा दोनों तय करेंगे। इस बार का चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन का नहीं, बल्कि विचार और व्यवस्था परिवर्तन का चुनाव है। Read more » बिहार चुनाव
राजनीति संघ शताब्दी वर्ष – एक स्वर्णिम सौभाग्य October 7, 2025 / October 7, 2025 by मृत्युंजय दीक्षित | Leave a Comment डाक्टर हेडगेवार जी ने वर्ष 1925 विजयादशमी के पावन अवसर पर जिस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शुभारंभ किया गया था आज वह अपने शताब्दी वर्ष का उत्सव मना रहा है। संघ की यात्रा कई अवरोधों का सामना करते हुए कठिन संघर्ष, समाज की सतत सेवा तथा मातृ भूमि के प्रति सम्पूर्ण समर्पण के साथ इस पड़ाव पर पहुंची है। Read more » RSS Centenary Year Sangh Centenary Year Sangh Centenary Year – A Golden Fortune
राजनीति संघ का शताब्दी वर्ष : आपातकाल की ज्वाला से सेवा की ज्योति तक October 6, 2025 / October 6, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment भारत का आधुनिक इतिहास अनेक उतार-चढ़ावों और संघर्षों से भरा हुआ है। स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आज़ादी के बाद लोकतंत्र की रक्षा तक, कई संगठन और व्यक्तित्व देश की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे। इनमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) एक ऐसा संगठन है जिसने न केवल राष्ट्र निर्माण के सांस्कृतिक Read more » आपातकाल के अंधकार से शताब्दी के प्रकाश तक लोकतंत्र की रक्षा के प्रहरी : संघ के शताब्दी वर्ष का संदेश संघ का शताब्दी वर्ष संघ की यात्रा
राजनीति भारत के समक्ष भविष्य की चुनौतियां एवं समाधान October 6, 2025 / October 6, 2025 by डा रवि प्रभात | Leave a Comment डॉ केशवराव बलिराम हेडगेवार जी ने आज से सौ वर्ष पूर्व जिस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का बीजारोपण किया था, वह आज शतायु होकर एक विशाल वट-वृक्ष के रूप में परिणत हो चुका है। निश्छल, निर्मल, निस्वार्थ भाव से एवं शुचितापूर्ण साधनों से प्राप्त किया गया साध्य भी उतना ही पवित्र, लोक-कल्याणकारी एवं कालजयी होता है। इस बात को प्रमाणित करने के लिए अगर कोई विशिष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया जा सकता है तो वह है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ। Read more »