राजनीति भारत की 17 लोकसभाओं के चुनाव और उनका संक्षिप्त इतिहास, भाग 3 May 20, 2024 / May 20, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment तीसरी लोकसभा – 1962 – 1967 नेहरू जी के अश्वमेध के घोड़े को कोई रोक पाने की क्षमता नहीं रखता था। उन्होंने अपने राजनीतिक चातुर्य और बुद्धि बल से अपने आप को पूर्णत: निष्कंटक बना लिया था। यही कारण था कि अब वह अजेय नेहरू के रूप में शासन कर रहे थे। भारत से बाहर […] Read more » Elections to the 17 Lok Sabhas of India and their brief history Third Lok Sabha - 1962 - 1967 तीसरी लोकसभा - 1962 - 1967
राजनीति कायम रहेगा योगी राज May 20, 2024 / May 20, 2024 by डॉ. सौरभ मालवीय | Leave a Comment -डॉ. सौरभ मालवीय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संबंध में दिए गए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बयान के पश्चात प्रदेश में सियासी पारा बढ़ गया है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने लखनऊ में पुनः दावा किया है कि यदि भारतीय जनता पार्टी केंद्र की सत्ता में आ […] Read more » Yogi Raj will continue
राजनीति चुनाव परिणामों से जुड़ी फिजूल की अटकलें May 20, 2024 / May 20, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग – पांचवें चरण के तहत सोमवार को आठ राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों की 49 लोकसभा सीटों पर वोट डाले गये, इसके बाद दो ही चरण की वोटिंग शेष रह जाएगी। शेष रहे दो चरणों के चुनाव पर पूरे देश की निगाहें लगी हुई हैं और जैसे-जैसे चुनाव सम्पन्नता की ओर बढ़ रहे हैं, […] Read more » Unnecessary speculations related to election results चुनाव परिणाम
राजनीति भारत की 17 लोकसभाओं के चुनाव और उनका संक्षिप्त इतिहास, भाग 2 May 19, 2024 / May 20, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment दूसरी लोकसभा – 1957 – 1962 लोकसभा का दूसरा चुनाव 1957 में देश का दूसरा लोकसभा चुनाव संपन्न हुआ। इस समय लोकसभा की कुल 505 सीटें थीं। इस चुनाव के समय पंडित जवाहरलाल नेहरू के लोकप्रियता अपने चरम पर थी। उस समय देश का विपक्ष बहुत अधिक कमजोर था। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल […] Read more » Second Lok Sabha - 1957 - 1962 दूसरी लोकसभा - 1957 - 1962
राजनीति लोकसभा के आम चुनाव और उनका संक्षिप्त इतिहास May 18, 2024 / May 20, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment देश की पहली लोकसभा के चुनाव: 1951- 52 आजादी से पहले भारत की संसद को ‘केंद्रीय विधानसभा’ के नाम से जाना जाता था। जब देश का नया संविधान बनने लगा और उसके लिए पूरे देश से सदस्य चुनकर आए तो इसे ‘संविधान सभा’ के नाम से पुकारा गया। 26 जनवरी 1950 को जब देश का […] Read more » first Lok Sabha: 1951-52 देश की पहली लोकसभा के चुनाव: 1951- 52
राजनीति भारत सहित एशियाई देश वर्ष 2024 में विश्व की अर्थव्यवस्था में देंगे 60 प्रतिशत का योगदान May 16, 2024 / May 16, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment वैश्विक स्तर पर आर्थिक क्षेत्र का परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। अभी तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में विकसित देशों का दबदबा बना रहता आया है। परंतु, अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2024 में भारत सहित एशियाई देशों के वैश्विक अर्थव्यवस्था में 60 प्रतिशत का योगदान होने की प्रबल सम्भावना है। एशियाई देशों में चीन एवं भारत मुख्य भूमिकाएं निभाते नजर आ रहे हैं। प्राचीन काल में वैश्विक अर्थव्यस्था में भारत का योगदान लगभग 32 प्रतिशत से भी अधिक रहता आया है। वर्ष 1947 में जब भारत ने राजनैतिक स्वतंत्रता प्राप्त की थी उस समय वैश्विक अर्थव्यस्था में भारत का योगदान लगभग 3 प्रतिशत तक नीचे पहुंच गया था क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था को पहिले अरब से आए आक्राताओं एवं बाद में अंग्रेजों ने बहुत नुक्सान पहुंचाया था एवं भारत को जमकर लूटा था। वर्ष 1947 के बाद के लगभग 70 वर्षों में भी वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारतीय अर्थव्यवस्था के योगदान में कुछ बहुत अधिक परिवर्तन नहीं आ पाया था। परंतु, पिछले 10 वर्षों के दौरान देश में लगातार मजबूत होते लोकतंत्र के चलते एवं आर्थिक क्षेत्र में लिए गए कई पारदर्शी निर्णयों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को तो जैसे पंख लग गए हैं। आज भारत इस स्थिति में पहुंच गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में वर्ष 2024 में अपने योगदान को लगभग 18 प्रतिशत के आसपास एवं एशिया के अन्य देशों यथा चीन, जापान एवं अन्य देशों के साथ मिलकर वैश्विक अर्थव्यवस्था में एशियाई देशों के योगदान को 60 प्रतिशत तक ले जाने में सफल होता दिखाई दे रहा है। भारत आज अमेरिका, चीन, जर्मनी एवं जापान के बाद विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। साथ ही, भारत आज पूरे विश्व में सबसे तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में तो भारत की आर्थिक विकास दर 8 प्रतिशत से अधिक रहने की प्रबल सम्भावना बन रही है क्योंकि वित्तीय वर्ष 2023-24 की पहली तीन तिमाहियों में भारत की आर्थिक विकास दर 8 प्रतिशत से अधिक रही है, अक्टोबर-दिसम्बर 2023 को समाप्त तिमाही में तो आर्थिक विकास दर 8.4 प्रतिशत की रही है। इस विकास दर के साथ भारत के वर्ष 2025 तक जापान की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ते हुए विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाने की प्रबल सम्भावना बनती दिखाई दे रही है। केवल 10 वर्ष पूर्व ही भारत विश्व की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था और वर्ष 2013 में मोर्गन स्टैनली द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार भारत विश्व के उन 5 बड़े देशों (दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, इंडोनेशिया, टर्की एवं भारत) में शामिल था जिनकी अर्थव्यवस्थाएं नाजुक हालत में मानी जाती थीं। आज भारत के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 3.7 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का हो गया है। साथ ही, वस्तु एवं सेवा कर के संग्रहण में लगातार तेज वृद्धि आंकी जा रही है, जिससे भारत के वित्तीय संसाधनों पर दबाव कम हो रहा है और भारत पूंजीगत खर्चों के साथ ही गरीब वर्ग के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के लिए वित्त की व्यवस्था आसानी से कर पा रहा है। केंद्र सरकार के बजट में न केवल वित्तीय घाटा कम हो रहा है बल्कि आने वाले समय में केंद्र सरकार को अपने सामान्य खर्च चलाने के लिए ऋण लेने की आवश्यकता भी कम पड़ने लगेगी। दूसरे, अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय रुपए की कीमत लगातार स्थिर बनी हुई है, जिससे विदेशी निवेशकों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर विश्वास भी बढ़ रहा है और भारत में विदेशी निवेश भी लगातार बढ़ता जा रहा है। तीसरे, भारत में मुद्रा स्फीति पर भी तुलनात्मक रूप से नियंत्रण पाने में सफलता मिली है। अन्य देश अभी भी मुद्रा स्फीति की समस्या से जूझ रहे हैं। आर्थिक क्षेत्र में उक्त कारकों के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 8 प्रतिशत से अधिक बने रहने की प्रबल सम्भावनाएं बनी रहेंगी। इसके ठीक विपरीत, जापान एवं जर्मनी की आर्थिक विकास दर या तो मंदी के दौर से गुजर रहीं हैं अथवा विकास दर बहुत कम अर्थात एक-दो प्रतिशत से भी कम बनी हुई है। भारत के स्टील उद्योग, सिमेंट उद्योग एवं ऑटोमोबाइल निर्माण के क्षेत्र ने 10 प्रतिशत से अधिक की विकास दर हासिल कर ली है। डिजिटल आधारभूत ढांचे के निर्माण के क्षेत्र में तो भारत विश्व गुरु बन गया है और इससे आज भारत में 13400 करोड़ से अधिक के डिजिटल व्यवहार हो रहे हैं जो पूरे विश्व के डिजिटल व्यवहारों का 46 प्रतिशत है। जन-धन योजना के अंतर्गत खोले गए 50 करोड़ से अधिक बैंक खातों में आज 2.32 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि जमा हो चुकी है, जो देश के आर्थिक विकास में अपना योगदान दे रही है। वर्ष 2013-14 से वर्ष 2022-23 के दौरान मुद्रा स्फीति की औसत दर 5 प्रतिशत की रही है जो वर्ष 2003-04 से वर्ष 2013-14 के दौरान औसत 8.2 प्रतिशत की रही थी। मुद्रा स्फीति कम रहने का सीधा लाभ देश के गरीब वर्ग को मिलता है। साथ ही, अब तो आर्थिक विकास के साथ ही भारत में रोजगार के भी पर्याप्त अवसर निर्मित होने लगे हैं। स्कोच नामक संस्थान द्वारा जारी एक प्रतिवेदन में बताया गया है कि भारत में वर्ष 2014 से वर्ष 2024 के दौरान 51.4 करोड़ व्यक्ति वर्ष के नए रोजगार निर्मित हुए हैं। इसमें केंद्र सरकार द्वारा किये गए सीधे प्रयासों के चलते 19.79 करोड़ व्यक्ति वर्ष के रोजगार के अवसर भी शामिल हैं। शेष 31.61 करोड़ व्यक्ति वर्ष रोजगार के अवसर अपने व्यवसाय प्रारम्भ करने के उद्देश्य से बैंकों से लिए गए ऋण के चलते निर्मित हुए हैं। स्कोच नामक संस्थान द्वारा उक्त प्रतिवेदन 80 संस्थानों पर की गई रिसर्च (केस स्टडी) के आधार पर जारी किया गया है। सूक्ष्म एवं लघु स्तर के ऋण लेने वाले व्यक्तियों ने रोजगार के करोड़ों नए अवसर निर्मित किए हैं। इस प्रतिवेदन के अनुसार औसतन प्रत्येक सूक्ष्म संस्थान 6.6 रोजगार के नए अवसर निर्मित करता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक के बाद अब मूडीज ने भी भारत में आर्थिक विकास के संदर्भ में बताया है कि आने वाले कुछ वर्षों तक भारत की आर्थिक विकास दर विश्व में सबसे अधिक बने रहने की प्रबल सम्भावना बनी रहेगी। इस प्रकार, एक के बाद एक विभिन्न वैश्विक आर्थिक संस्थान भारत में आर्थिक विकास दर के मामले में अपने अनुमानों को लगातार सुधारते/बढ़ाते जा रहे हैं। इस प्रकार, आगे आने वाले समय में भारत का वैश्विक अर्थव्यवस्था में योगदान भी लगातार बढ़ता जाएगा और सम्भव है कि कालचक्र में ऐसा परिवर्तन हो कि भारत एक बार पुनः वैश्विक स्तर पर अपने आर्थिक योगदान को 32 प्रतिशत के स्तर तक वापिस ले जाने में सफल हो। प्रहलाद सबनानी Read more » Asian countries including India will contribute 60 percent to the world economy in the year 2024.
राजनीति यादगार होगी स्मृति ईरानी की जीत! May 16, 2024 / May 16, 2024 by शिव शरण त्रिपाठी | Leave a Comment शिव शरण त्रिपाठी कभी कांग्रेस की खानदानी सीट मानी जाने वाली अमेठी से 2019 में पहले भाजपा की स्मृति ईरानी से चुनाव हारना और अब 2024 में राहुल गांधी का पलायन करना नि:संदेह यह बताने को काफ ी है कि राहुल गांधी स्मृति ईरानी से टक्कर लेने का साहस नहीं दिखा सके। अलवक्त्ता कांग्रेस ने राहुल […] Read more » Smriti Irani's victory will be memorable स्मृति ईरानी की जीत!
राजनीति झूठे वायदों एवं वादों से चुनाव को बचाना होगा May 16, 2024 / May 16, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग लोकसभा चुनाव के चार चरण पूरे हो गये हैं, पांचवें चरण की ओर बढ़ते हुए चुनावी सरगर्मी बढ़ रही है। तमाम राजनीतिक दलों में वास्तविकता से दूर झूठे, तथ्य-आधारहीन, भ्रामक एवं बेबुनियाद वादे करने की आपसी होड़ बढ़ती जा रही है। राजनीतिक दल चार चरणों के बाद जिस तरह के जीत […] Read more » Elections have to be saved from false promises and promises झूठे वायदों एवं वादों से चुनाव को बचाना होगा
राजनीति शिवाजी महाराज के शासनकाल की आर्थिक नीतियां May 15, 2024 / May 15, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment इतिहास के किसी भी खंडकाल में भारतीय सनातन संस्कृति का अनुपालन करते हुए किए गए समस्त प्रकार के कार्यों में सफलता निश्चित मिलती आई है। ध्यान में आता है कि भारतीय आर्थिक दर्शन भी सनातन संस्कृति के अनुरूप ही रहा है। छत्रपति शिवाजी महाराज भी हमारे वेदों एवं पुराणों में वर्णित नियमों के अनुसार ही […] Read more » Economic policies of Shivaji Maharaj's reign
राजनीति लेख आधुनिक जीवन का अभिशाप है हाई ब्लडप्रेशर May 15, 2024 / May 15, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment विश्व उच्च रक्तचाप दिवस, 17 मई 2024 पर विशेषः -ः ललित गर्ग:- उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसके रोकथाम, पहचान और नियंत्रण को प्रोत्साहित करने के लिए हर साल 17 मई को ‘विश्व उच्च रक्तचाप दिवस मनाया जाता है।’ वर्तमान में दुनिया भर में उच्च रक्तचाप से करीब […] Read more » हाई ब्लडप्रेशर
राजनीति चुनाव के दौरान रंग भेद की राजनीति May 13, 2024 / May 13, 2024 by सुरेश हिन्दुस्थानी | Leave a Comment सुरेश हिंदुस्थानी —————————— लोकसभा चुनाव के दौरान राजनेताओं के बयान सुनकर ऐसा लगने लगता है कि ये अपनी हदों को पार कर करने लगे हैं। अभी हाल ही में कांग्रेस के नेता सैम पित्रोदा के बयान की मीमांसा की जा रही है। इसके तारतम्य यही है कि इस नेता ने भारत में भेद पैदा करने […] Read more » Politics of color discrimination during elections
राजनीति पंच परिवर्तन बनेगा समाज परिवर्तन का सशक्त माध्यम May 13, 2024 / May 13, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए पिछले लगभग 99 वर्षों से निरंतर कार्य कर रहा है। भारतीय समाज में सकारात्मक परिवर्तन को गति देने एवं समाज में अनुशासन व देशभक्ति के भाव को बढ़ाने के उद्देश्य से माननीय सर संघचालक श्री मोहन भागवत ने समाज में पंच परिवर्तन का आह्वान किया है ताकि अनुशासन एवं देशभक्ति से ओतप्रोत युवा वर्ग अनुशासित होकर अपने देश को आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य करे। इस पंच परिवर्तन में पांच आयाम शामिल किए गए हैं – (1) स्व का बोध अर्थात स्वदेशी, (2) नागरिक कर्तव्य, (3) पर्यावरण, (4) सामाजिक समरसता एवं (5) कुटुम्ब प्रबोधन। इस पंच परिवर्तन कार्यक्रम को सुचारू रूप से लागू कर समाज में बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। स्व के बोध से नागरिक अपने कर्तव्यों के प्रति सजग होंगे। नागरिक कर्तव्य बोध अर्थात कानून की पालना से राष्ट्र समृद्ध व उन्नत होगा। सामाजिक समरसता व सद्भाव से ऊंच-नीच जाति भेद समाप्त होंगे। पर्यावरण से सृष्टि का संरक्षण होगा तथा कुटुम्ब प्रबोधन से परिवार बचेंगे और बच्चों में संस्कार बढ़ेंगे। समाज में बढ़ते एकल परिवार के चलन को रोक कर भारत की प्राचीन परिवार परंपरा को बढ़ावा देने की आज महती आवश्यकता है। भारत में हाल ही के समय में देश की संस्कृति की रक्षा करना, एक सबसे महत्वपूर्ण विषय के रूप में उभरा है। सम्भावना से युक्त व्यक्ति हार में भी जीत देखता है तथा सदा संघर्षरत रहता है। अतः पंच परिवर्तन उभरते भारत की चुनौतियों का समाधान करने में समर्थ है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबोले जी कहते हैं कि बौद्धिक आख्यान को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य से बदलना और सामाजिक परिवर्तन के लिए सज्जन शक्ति को संगठित करना संघ के मुख्य कार्यों में शामिल है। इस प्रकार पंच परिवर्तन आज समग्र समाज की आवश्यकता है। पंच परिवर्तन में समाज में समरसता (बंधुत्व के साथ समानता), पर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली, पारिवारिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए पारिवारिक जागृति, जीवन के सभी पहलुओं में भारतीय मूल्यों पर आधारित ‘स्व’ (स्वत्व) की भावना पैदा करने का आग्रह जैसे आयाम शामिल हैं। नागरिक कर्तव्यों के पालन हेतु सामाजिक जागृति; ये सभी मुद्दे बड़े पैमाने पर समाज से संबंधित हैं। दूसरे, इन विषयों को व्यक्तियों, परिवारों और संघ की शाखाओं के आसपास के क्षेत्रों को संबोधित करने की आज सबसे अधिक आवश्यकता है। इसे व्यापक समाज तक ले जाने की आवश्यकता है। यह केवल चिंतन और अकादमिक बहस का विषय नहीं है, बल्कि कार्रवाई और व्यवहार का विषय है। व्यवहार में पंच परिवर्तन को समाज में किस प्रकार लागू करना है इस हेतु हम समस्त भारतीय नागरिकों को मिलकर प्रयास करने होंगे, क्योंकि पंच परिवर्तन केवल चिंतन, मनन अथवा बहस का विषय नहीं है बल्कि इस हमें अपने व्यवहार में उतरने की आवश्यकता है। उक्त पांचों आचरणात्मक बातों का समाज में होना सभी चाहते हैं, अतः छोटी-छोटी बातों से प्रारंभ कर उनके अभ्यास के द्वारा इस आचरण को अपने स्वभाव में लाने का सतत प्रयास अवश्य करना होगा। जैसे, समाज के आचरण में, उच्चारण में संपूर्ण समाज और देश के प्रति अपनत्व की भावना प्रकट हो, प्रत्येक […] Read more » पंच परिवर्तन बनेगा समाज परिवर्तन का सशक्त माध्यम