राजनीति हिंदुस्तान की विदेश नीति : बदलते वैश्विक परिदृश्य में नई दिशा और चुनौतियाँ September 4, 2025 / September 4, 2025 by अशोक कुमार झा | Leave a Comment अशोक कुमार झा 21वीं सदी की अंतरराष्ट्रीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में हिंदुस्तान का स्थान तेजी से बदल रहा है। एक ओर यह पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, दूसरी ओर दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक ताक़त। इसकी 1.4 अरब से अधिक जनसंख्या, विशाल युवा शक्ति, मजबूत आईटी और अंतरिक्ष तकनीक, परमाणु क्षमता, रक्षा ताक़त और सांस्कृतिक धरोहर इसे वैश्विक मंच पर एक निर्णायक […] Read more » हिंदुस्तान की विदेश नीति
राजनीति वैश्विक कूटनीति के ‘मोदी मॉडल’ से मचे अंतरराष्ट्रीय धमाल के मायने September 4, 2025 / September 4, 2025 by कमलेश पांडेय | Leave a Comment कमलेश पांडेय वैश्विक कूटनीति के ‘मोदी मॉडल’ से एक के बाद एक मचे अंतरराष्ट्रीय राजनयिक धमाल के मायने ब्रेक के बाद निरंतर दिलचस्प होते जा रहे हैं क्योंकि ये अमेरिकी नेतृत्व वाली एक ध्रुवीय दुनिया से इतर बहुपक्षीय दुनिया को कतिपय मामलों में ग्रेस प्रदान करते हैं। समकालीन दुनियादारी में अमेरिकी हैकड़ी पर लगाम लगाते […] Read more »
राजनीति भागवत ने विपक्ष की बड़ी उम्मीद तोड़ दी September 4, 2025 / September 4, 2025 by राजेश कुमार पासी | Leave a Comment राजेश कुमार पासी मोदी को तीसरा कार्यकाल मिलने से विपक्ष में हताशा बढ़ती जा रही है । दूसरी तरफ जो पूरा इको सिस्टम मोदी को सत्ता से हटाना चाहता है, वो भी असहाय महसूस कर रहा है । 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों और उनके इको सिस्टम को लग रहा था कि इस बार वो मोदी को सत्ता से बाहर कर देंगे लेकिन उनकी उम्मीद टूट गई। अल्पमत की सरकार होने पर उनकी उम्मीद फिर जाग गई कि नीतीश और नायडू की बैसाखियों पर टिकी यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चल पाएगी क्योंकि मोदी को गठबंधन सरकार चलाने का अनुभव नहीं है। एक साल बाद विपक्ष को समझ आ गया है कि निकट भविष्य में इस सरकार को कोई खतरा नहीं है। ऐसे में संघ प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान ने विपक्ष को उम्मीदों से भर दिया । मोदी जब सत्ता में आये थे तो उन्होंने भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं को सक्रिय राजनीति से बाहर कर दिया था । इससे ये संदेश गया कि भाजपा अब बूढ़े नेताओं को पार्टी में रखने वाली नहीं है। विशेष रूप से भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को जब भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो कहा जाने लगा कि पार्टी अब 75 साल से ज्यादा उम्र वाले नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा रही है। इस बात की अनदेखी कर दी गई कि जब आडवाणी जी को भाजपा ने चुनावी राजनीति से बाहर किया तो उनकी उम्र 75 वर्ष से कहीं ज्यादा 92 वर्ष थी । इसी तरह मुरली मनोहर जोशी को भी भाजपा ने 85 वर्ष की आयु में टिकट नहीं दिया था और उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था । विपक्ष ये विमर्श कहां से ले आया कि भाजपा अब 75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को सक्रिय राजनीति से बाहर का रास्ता दिखा रही है। जब आडवाणी जी पार्टी में एक सांसद के रूप में 92 वर्ष तक रह सकते हैं तो 75 साल वाला फार्मूला कहां से आ गया भाजपा विरोधी जान चुके हैं कि प्रधानमंत्री मोदी को सत्ता से हटाना उनके वश की बात नहीं है। उन्होंने पूरी कोशिश करके देख लिया है कि मोदी की लोकप्रियता कम होने का नाम नहीं ले रही है। उनके लगाए आरोपों का जनता पर कोई असर नहीं होता है। विपक्ष नए-नए मुद्दे लेकर आता है लेकिन उसके मुद्दे जनता के मुद्दे नहीं बन पाते हैं। यही कारण है कि हताशा में विपक्ष देश विरोध तक चला जाता है। जब मोहन भागवत ने 75 साल में रिटायर होने के मोरोपंत पिंगले के कथन का जिक्र किया था तो विपक्ष में बहुत बड़ी उम्मीद पैदा हो गई थी । उन्हें लगा कि मोदी को सत्ता से हटाना बेशक मुश्किल हो लेकिन जब संघ प्रमुख कह रहे हैं कि 75 साल वाले नेता को रिटायर हो जाना चाहिए तो मोदी भी रिटायर हो जाएंगे । उनकी उम्मीदों पर पानी फेरते हुए भागवत ने बयान दिया है कि मैंने किसी के लिए नहीं कहा कि उसे 75 साल में पद छोड़ देना चाहिए। उन्होंने दूसरी बात यह कही कि मैं भी 75 साल का होने जा रहा हूँ और मैं भी पद नहीं छोड़ने जा रहा हूँ। विपक्ष को लग रहा था कि अगर भागवत पद छोड़ देंगे तो मोदी पर नैतिक दबाव आ जायेगा और उन्हें भी पद छोड़ना पड़ेगा। भागवत के इस बयान से कि वो भी पद छोड़ने वाले नहीं है, विपक्ष की सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। कितने ही लोग अपने-अपने प्रधानमंत्री मन में बना चुके थे, उनके सपने टूट गए। विपक्ष ही नहीं, भाजपा के भी कुछ लोग अपनी गोटियां बिठा रहे थे. उनकी भी उम्मीद खत्म हो गई है। संघ प्रमुख के बयान से यह सोचना कि मोदी भी रिटायर हो जाएंगे, विपक्ष की राजनीतिक नासमझी है । मेरा मानना है कि 2029 का चुनाव तो भाजपा मोदी के नेतृत्व में लड़ने वाली है और संभावना इस बात की भी है कि 2034 का चुनाव भी मोदी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा । अंत में उनका स्वास्थ्य निर्णय लेगा कि वो कब तक पद पर बने रहते हैं। राजनीति में भविष्यवाणी नहीं की जाती लेकिन मेरा मानना है कि मोदी खुद सत्ता छोड़कर जाएंगे. उन्हें न तो विपक्ष सत्ता से हटा सकता है और न ही भाजपा में कोई नेता ऐसा कर सकता है । राजनीति में वही पार्टी का नेतृत्व करता है जिसके नाम पर वोट मिल सकते हैं। इस समय मोदी ही वो नेता हैं जिनके नाम पर भाजपा वोट मांग सकती है। जब तक मोदी राष्ट्रीय राजनीति में हैं, भाजपा किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकती और न ही संघ कुछ कर सकता है। भाजपा पर संघ का प्रभाव है, इसमें कोई दो राय नहीं है लेकिन भाजपा के काम में एक हद तक ही संघ दखल दे सकता है। भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व को बदलना संघ के लिए भी मुश्किल काम है क्योंकि इसी नेतृत्व के कारण संघ के सारे काम पूरे हो रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भाजपा कैडर आधारित पार्टी है और इस समय कैडर पूरी तरह से मोदी के पीछे खड़ा है। कैडर के खिलाफ जाकर भाजपा के नेतृत्व को बदलने के बारे में सोचना संघ के लिए भी मुश्किल है। बेशक संघ भाजपा का मातृ संगठन है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी से बड़ा व्यक्तित्व आज कोई दूसरा नहीं है, संघ प्रमुख भी नहीं । भाजपा और संघ में कहा जाता है कि व्यक्ति से बड़ा संगठन होता है लेकिन मोदी आज संगठन से बड़े हो गए हैं। क्या यह सच्चाई संघ को नजर नहीं आ रही है। मेरा मानना है कि संघ भी इस सच की अनदेखी नहीं कर सकता । अगर कहीं भी संघ के मन में ऐसा विचार आया होगा कि भाजपा की कमान एक उम्र के बाद मोदी की जगह किसी दूसरे नेता को देनी चाहिए तो सच्चाई को देखते हुए वो पीछे हट गया है। मोदी जी की जगह किसी और को नेतृत्व सौंपने के परिणाम की कल्पना संघ ने की होगी तो उसे पता चल गया होगा कि मोदी को हटाने का भाजपा और संघ को कितना बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है । क्या संघ को अहसास नहीं है कि मोदी सरकार आने के बाद उसका सामाजिक और भौगोलिक विस्तार लगातार हो रहा है। वो इससे अंजान नहीं है कि अगर भाजपा सत्ता से बाहर गयी तो उसकी सबसे बड़ी कीमत संघ को ही चुकानी होगी । अगर मोदी के कारण संघ का भाजपा पर नियंत्रण कम हो गया है तो उसका राष्ट्रीय महत्व भी बहुत बढ़ गया है। अगर मोदी के जाने के बाद भाजपा के हाथ से सत्ता चली जाती है तो संघ को भाजपा पर ज्यादा नियंत्रण मिलने का कोई फायदा होने वाला नहीं है। देखा जाए तो संघ एक सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन है, राजनीतिक संगठन नहीं है। राजनीतिक उद्देश्य के लिए उसने भाजपा का निर्माण किया था जो पूरी तरह से फलीभूत हो रहा है। अगर भाजपा के जरिये संघ के न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक उद्देश्य भी पूरे हो रहे हैं तो संघ को भाजपा से कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। ऐसा लगता है कि संघ ने बहुत सोच समझ कर पीछे हटने का फैसला कर लिया है। संघ को सत्ता की ताकत का अहसास अच्छी तरह से हो गया है और वो यह भी जान गया है कि भाजपा का लगातार सत्ता में रहना कितना जरूरी है। भाजपा के लगातार तीन कार्यकाल तक सत्ता में रहने की अहमियत का अंदाजा संघ को है इसलिए वो नहीं चाहेगा कि उसकी दखलंदाजी से भाजपा को अगला कार्यकाल मिलने में बाधा उत्पन्न हो जाए। भागवत ने कहा है कि भाजपा का अगला अध्यक्ष कौन होगा, ये भाजपा को तय करना है. संघ का इससे कोई लेना देना नहीं है । उनके इस बयान से साबित हो गया है कि संघ ने भाजपा में दखलंदाजी से दूरी बना ली है। इसका यह मतलब नहीं है कि भाजपा और संघ में दूरी पैदा हो गई है बल्कि संघ ने अपनी भूमिका को पहचान लिया है। उसको यह बात समझ आ गई है कि उसका काम भाजपा को सत्ता पाने में मदद करना है लेकिन सत्ता कैसे चलानी है, ये उसे तय नहीं करना है। संघ को पता चल गया है कि सत्ता पाने के बाद देश चलाना भाजपा का काम है और संघ का काम सत्ता के सहयोग से अपने संगठन को आगे बढ़ाने का है । वैसे भी जिन लोगों के हाथ में भाजपा की बागडोर है, वो संघ से निकले हुए उसके स्वयंसेवक ही हैं । संघ को अहसास हो गया है कि वो किसी को पार्टी का नेता बना सकता है लेकिन जनता का नेता बनाना उसके हाथ में नहीं है। 2014 के बाद मोदी अब भाजपा के नेता या संघ के कार्यकर्ता नहीं रह गए हैं बल्कि वो देश के नेता बन गए हैं। संघ जानता है कि मोदी की इस समय क्या ताकत है, इसलिए वो मोदी को कोई निर्देश देने की स्थिति में नहीं है। विपक्ष को मोदी के रिटायर होने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए थी लेकिन अब उसे समझ आ जाना चाहिए कि उसे जल्दी मोदी से छुटकारा मिलने वाला नहीं है । जब तक मोदी का स्वास्थ्य अनुमति देगा, वो भाजपा का नेतृत्व करते रहेंगे । राजेश कुमार पासी Read more » भागवत ने विपक्ष की बड़ी उम्मीद तोड़ दी
राजनीति ब्राह्मण:तेल की खरीद में जातीय विभाजन की आग September 4, 2025 / September 4, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भ-अमेरिकी व्यापारी पीटर नवारो बेहूदा बयान – प्रमोद भार्गवधर्म और जाति भारत की कमजोर कड़ियां रही हैं। इसकी षुरूआत फिरंगी हुकूमत ने भारत में धर्म के आधार पर बंगाल के विभाजन के साथ की थी, जो कालांतर में अंग्रेजों की कुटिल चाल के परिणाम में भारत विभाजन का मुख्य आधार बनी। अब अमेरिका के भारत विरोधी […] Read more » American businessman Peter Navarro अमेरिकी व्यापारी पीटर नवारो
राजनीति बिहार का नतीजा तय करेगा सत्ता पक्ष और विपक्ष का भविष्य September 3, 2025 / September 3, 2025 by कुमार कृष्णन | Leave a Comment कुमार कृष्णन बिहार में 17 अगस्त से शुरु हुई वोटर अधिकार यात्रा का समापन कार्यक्रम 1 सितंबर को पटना में हो गया। यह 16 दिनों की यात्रा राज्य के 25 जिलों और 110 विधानसभा क्षेत्रों से गुजरी। करीब 1300 किलोमीटर की इस यात्रा का उद्देश्य कथित तौर पर लाखों मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से […] Read more » SIR voter rights march वोटर अधिकार यात्रा
राजनीति खोदा पहाड़ निकली चुहिया September 3, 2025 / September 3, 2025 by वीरेंदर परिहार | Leave a Comment वीरेन्द्र सिंह परिहार बिहार में चुनाव आयोग मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एस.आई.आर.) के अभियान को लेकर कांग्रेस, राजद समेत दूसरे विपक्षी दलों ने कुछ ऐसा मुद्दा बनाने की कोशिश की- जिसे तिल का ताड़ या राई का पहाड़ ही कहा जा सकता है। इसके लिये उन्होंने संसद में पर्याप्त उत्पात मचाया। बिहार में […] Read more » मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण
राजनीति अपने ही घर में घिरते जा रहे डोनाल्ड ट्रंप September 3, 2025 / September 3, 2025 by राजेश कुमार पासी | Leave a Comment डोनाल्ड ट्रं राजेश कुमार पासी डोनाल्ड ट्रंप एक व्यापारी हैं और अपनी इस मानसिकता से बाहर नहीं निकल पाए हैं । सिर्फ सात महीनों के कार्यकाल में ही अपने फैसलों से वो न केवल विदेशों में बल्कि अपने ही देश में घिरते जा रहे हैं । बेशक वो एक व्यापारी हैं लेकिन वहां भी कोई […] Read more » Donald Trump is getting trapped in his own house डोनाल्ड ट्रंप
राजनीति उम्मीदों की चीप से हौसलों की उड़ान भरता भारत September 3, 2025 / September 3, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग-भारत ने तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक नया इतिहास रचते हुए अपना पहला पूर्णतया स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर तैयार कर एक तकनीकी क्रांति को आकार दिया है। यह उपलब्धि न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि राष्ट्रीय गौरव का भी प्रतीक है। भारत ने इस तकनीकी क्रांति की तरफ कदम बढ़ते हुए आत्मनिर्भर […] Read more » India takes flight with courage on the chips of hope पूर्णतया स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर
राजनीति चीन से निकटता के चलते क्या संयुक्त राष्ट्र में बदलेगी भारत की भूमिका ? September 3, 2025 / September 3, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भ- एससीओ घोषणा-पत्र में पहलगाम हमले की निंदा के बाद संयुक्त राष्ट्र में भारत की भूमिका प्रमोद भार्गव षंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन के बाद वैश्विक व्यवस्था में बदलाव का अनुभव किया जा रहा है। दुनिया एक नए षीतयुद्ध की ओर बढ़ती दिखाई दे रही है। निर्मित होती इस नई स्थिति में अमेरिका […] Read more » Will India's role in the United Nations change due to its proximity to China एससीओ घोषणा-पत्र में पहलगाम हमले की निंदा
राजनीति अमेरिका की मनमानी व्यापार नीति और भारत का आत्मसम्मान September 2, 2025 / September 2, 2025 by सुरेश गोयल धूप वाला | Leave a Comment वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में अमेरिका की भूमिका हमेशा से निर्णायक मानी जाती रही है। विशेष रूप से डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिकी नीतियों में एकतरफ़ा और आक्रामक दृष्टिकोण अधिक स्पष्ट रूप से देखने को मिला। हाल ही में अमेरिकी निवेश कंपनी जियोफ्रीज़ की रिपोर्ट ने इस बात की पुष्टि की है कि भारत […] Read more » अमेरिका की मनमानी व्यापार नीति और भारत
राजनीति महानदी के जल को लेकर छत्तीसगढ़ और ओडिशा में विवाद September 2, 2025 / September 2, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भः छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच महानदी के जल-बंटवारे को लेकर ठनी। प्रमोद भार्गव छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्यों के बीच बहने वाली महानदी के जल बंटवारे को लेकर विवाद गहरा गया है। हालांकि यह विवाद आठ दशक से भी ज्यादा पुराना है। समय-समय पर विवाद के हल खोजे जाते रहे हैं,लेकिन अब तक सर्वमान्य हल […] Read more » Dispute between Chhattisgarh and Odisha over the water of Mahanadi महानदी के जल को लेकर छत्तीसगढ़ और ओडिशा में विवाद
राजनीति भारत,रूस और चीन की दोस्ती से अमेरिका को झटका September 2, 2025 / September 2, 2025 by संजय सिन्हा | Leave a Comment संजय सिन्हा भारत और रूस के रिश्तों को लेकर अगर किसी देश को सबसे ज्यादा समस्या है तो वो अमेरिका है। इसी बीच परिस्थितियां कुछ इस तरह से बनी हुई हैं कि चीन-भारत और रूस मिलकर पूरी दुनिया की सुर्खियां बटोर रहे हैं। चीन में एससीओ की मीटिंग के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता […] Read more » America gets a shock due to friendship between India Russia and China अमेरिका को झटका भारत रूस और चीन की दोस्ती