राजनीति आतंक पर रोक के लिए सिंधु-जल संधि बने औजार June 10, 2022 / June 10, 2022 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव कश्मीर में आतंकी गैर-मुस्लिम पेशेवरों को निशाना बनाने की नई साजिश को अंजाम दे रहे हैं। जिस दौरान भारत-पाकिस्तान ने स्थाई सिंधु आयोग की रिपोर्ट को अंतिम रूप देकर हस्ताक्षर किए, उसी दौरान पाकिस्तान परस्त आतंकी घाटी में एक-एक कर हिंदू नौकरीपेशाओं की लक्षित हत्या में लगे थे। राहुल भट्ट, रजनीबाला, बैंक प्रबंधक विजय […] Read more » Indus-Water Treaty became a tool to stop terror आतंक पर रोक के लिए सिंधु-जल संधि बने औजार
राजनीति शख्सियत सनातन धर्म संस्कृति व परंपराओं के ध्वजवाहक और सफल राजनेता “योगी आदित्यनाथ” June 10, 2022 / June 10, 2022 by दीपक कुमार त्यागी | Leave a Comment दीपक कुमार त्यागी भारतीय राजनीति में उत्तर प्रदेश की हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका रही है, वैसे भी देखा जाये जनसंख्या के हिसाब से उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य है, इसलिए यह भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु में हमेशा अपना अहम स्थान बनाकर रखता है। फिलहाल उत्तर प्रदेश की कमान एक ऐसे ओजस्वी युवा […] Read more » The flag bearer of Sanatan Dharma culture and traditions and successful politician "Yogi Adityanath" योगी आदित्यनाथ
राजनीति भारत की क्वाड में भूमिका June 9, 2022 / June 9, 2022 by डॉ. संतोष कुमार | Leave a Comment डॉ. संतोष कुमार अभी हाल ही में QUAD देशों का शिखर सम्मलेन जापान की राजधानी टोक्यो में सम्पन्न हुआ जिसमें भारतीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आलावा जापान के प्रधान मंत्री फुमिओ किशिदा, अमेरिकन राष्ट्र्पति जो बिडेन तथा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री अन्थोनी अल्बान्सी ने हिस्सा लिया। QUAD (क्वादिलाटेरल सिक्योरिटी डायलाग) जो कि एक सिक्योरिटी […] Read more » India's role in the Quad भारत की क्वाड में भूमिका
राजनीति पंजाब में कौन अलगाववाद को हवा दे रहा है? June 9, 2022 / June 9, 2022 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग –चालीस साल पहले जो पंजाब अलगाववाद एवं आतंकवाद की चपेट में था, अनेकों के बलिदान एवं प्रयासों के बाद पंजाब में शांति स्थापित हुई, उसी पंजाब में एक बार फिर अलगाववाद की चिंगारी सुलग उठी है। ‘आपरेशन ब्लू स्टार’ की अड़तीसवीं बरसी पर स्वर्ण मंदिर में खालिस्तान समर्थक नारे लगे। पंजाब के हालात […] Read more » separatism in Punjab Who is fueling separatism in Punjab आपरेशन ब्लू स्टार’ पंजाब में अलगाववाद
राजनीति क्यों दिखानी पड़ी भाजपा को सख्ती ? June 9, 2022 / June 9, 2022 by केवल कृष्ण पनगोत्रा | Leave a Comment खबर है कि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सभी राष्ट्रीय और प्रदेश प्रवक्ताओं को पार्टी लाइन से हटकर विवादित बयान नहीं देने का फरमान जारी किया है। यानि हजरत मोहम्मद साहब पर भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के विवादित बयान के बाद भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने प्रवक्ताओं और पैनलिस्ट की लगाम […] Read more » Nupur Sharma नवीन कुमार जिंदल नवीन कुमार जिंदल की विवादास्पद टिप्पणि पार्टी लाइन से हटकर विवादित बयान नहीं देने का फरमान भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सभी राष्ट्रीय और प्रदेश प्रवक्ताओं को
राजनीति हिन्दुओं पर एक के बाद एक लक्षित हमलों से सहमी घाटी! June 7, 2022 / June 7, 2022 by दीपक कुमार त्यागी | Leave a Comment केन्द्र व राज्य सरकार के सामने लक्षित हत्याओं को रोकने की बड़ी चुनौती! दीपक कुमार त्यागी कश्मीर घाटी में आतंकी संगठन एक बार फिर से तेज़ी से अपने पांव पसारने का दुस्साहस करने लगें हैं। राज्य में आतंकियों के निशाने पर फिर से कश्मीरी हिन्दू विशेषकर कश्मीरी पंडित आ गये हैं। हालांकि 5 अगस्त 2019 […] Read more » हिन्दुओं पर एक के बाद एक लक्षित हमलों से सहमी घाटी
राजनीति शख्सियत सन्यासी से लोकप्रिय जननेता बने “योगी आदित्यनाथ” June 7, 2022 / June 7, 2022 by दीपक कुमार त्यागी | Leave a Comment दीपक कुमार त्यागी भारतीय राजनीति में उत्तर प्रदेश की हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका रही है, वैसे भी देखा जाये जनसंख्या के हिसाब से उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य है, इसलिए यह भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु में हमेशा अपना अहम स्थान बनाकर रखता है। फिलहाल उत्तर प्रदेश की कमान एक ऐसे ओजस्वी युवा […] Read more » योगी आदित्यनाथ सन्यासी से लोकप्रिय जननेता बने योगी आदित्यनाथ
राजनीति नारी का अपमान महाभारत को जन्म देता है June 7, 2022 / June 7, 2022 by दिव्य अग्रवाल | Leave a Comment दिव्य अग्रवाल द्रोपदी हों या नुपुर शर्मा जब एक नारी के अपमान पर समाज मौन धारण कर लेता है तो निश्चित ही महाभारत का वो युद्ध होता है , जिसमे आंतरिक राक्षस हों या अंतरराष्ट्रीय राक्षस , धर्म के समक्ष सब की पराजय ही होती है । आज भारत के बहुसंख्यक समाज को गम्भीरता से […] Read more » Insult of women gives birth to Mahabharata नारी का अपमान महाभारत को जन्म
राजनीति अटल-आडवाणी के बाद अब राजनाथ-मोदी June 7, 2022 / June 7, 2022 by अरूण कुमार जैन | Leave a Comment भारतीय राजनीति में वैसे तो तमाम जोड़ियां हिट रही हैं लेकिन कुछ जोड़ियां बेमिसाल साबित हुई हैं। ऐसी ही जोड़ियों में भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी एवं श्री लालकृष्ण आडवाणी की भी जोड़ी रही है। हिन्दुस्तान के राजनैतिक इतिहास में जितनी लम्बी अटल जी एवं आडवाणी जी की जोड़ी सक्रिय […] Read more » After Atal-Advani now Rajnath-Modi अटल-आडवाणी के बाद अब राजनाथ-मोदी
टेलिविज़न मीडिया राजनीति चैनल डिबेट की आक्रामकता में धुंधलाता सौहार्द June 6, 2022 / June 6, 2022 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग – इस्लाम एवं पैगम्बर पर टिप्पणी के बाद देश-विदेश खासकर खाड़ी देशों में घिरी भारतीय जनता पार्टी ने अपने दो प्रवक्ताओं नूपुर शर्मा एवं नवीन कुमार जिंदल पर एक्शन लेते हुए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। भाजपा ने स्पष्ट किया है कि हम सभी धर्मों और उनके पूजनीयों का […] Read more » Blur harmony in the aggressiveness of the channel debate Naveen Jindal Nupur Sharma
राजनीति नरेंद्र मोदी की प्रतीक्षा में उतावला राष्ट्र June 6, 2022 / June 7, 2022 by अरूण कुमार जैन | Leave a Comment आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी की चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष गुजरात के मुख्यमंत्राी नरेंद्र मोदी जबसे बने हैं, तबसे पूरे देश में एक अजीब हलचल देखने को मिल रही है। देशवासियों को लगता है कि अब सब कुछ ठीक होने वाला है। यूपीए सरकार के नेतृत्व में सोये राष्ट्र की जागने […] Read more » Nation eager to wait for Narendra Modi नरेंद्र मोदी की प्रतीक्षा में उतावला राष्ट्र
राजनीति भारतीय व्यवस्था में ‘अपनी-अपनी ढपली, अपना-अपना राग’ का बोलबाला June 5, 2022 / June 7, 2022 by अरूण कुमार जैन | Leave a Comment वर्तमान समय भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए मंथन का दौर है? इस मंथन से क्या निकलेगा यह तो वक्त ही बतायेगा, किंतु उम्मीद की जा रही है कि आने वाला समय पूरी दुनिया के लिए अच्छा ही होगा। मंथन का दौर किसी एक क्षेत्रा में ही नहीं बल्कि हर क्षेत्रा में चल रहा है। इस मंथन में नकारात्मक शक्तियों का क्षय एवं सकारात्मक श्ािक्तयों का पुनः उत्थान एक तरह से निश्चित माना जा रहा है। आज जिस तरह पूरी दुनिया में तमाम तरह की अप्राकृतिक एवं असामयिक घटनाएं देखने एवं सुनने को मिल रही हैं, वे इस बात का प्रमाण हैं कि मंथन का दौर चल रहा है। मंथन में अमृत एवं विष दोनों का निकलना स्वाभाविक है किंतु भगवान भोलेनाथ की तरह समाज में आज ऐसे लोगों की आवश्यकता है जो ‘विष’ का पान स्वयं करें और ‘अमृत’ समाज कल्याण के लिए छोड़ दें। पूरी दुनिया के साथ यदि भारत की बात की जाये तो यह पूर्ण रूप से एक प्रजातांत्रिक राष्ट्र है। प्रजातंत्रा का वास्तविक अर्थ है प्रजा यानी आम जनता का राज्य किंतु आज यह निहायत ही विचारणीय प्रश्न है कि क्या वास्तव में देश में आम जनता का ही शासन है या प्रजातंत्रा के नाम पर प्रजा यानी आम जनता के साथ छल हो रहा है। यह बात आम जनता की भी समझ में नहीं आ रही है कि देश तो प्रजातांत्रिक है, किंतु प्रजा के हाथ कुछ लग नहीं रहा है। ‘आम जनता’ के नाम पर ‘खास’ लोगों का पोषण हो रहा है। भारतीय शासन-प्रशासन प्रणाली या व्यवस्था इस प्रकार की बन चुकी है कि इस व्यवस्था में ‘कोई खा-खाकर परेशान है तो कोई खाने बिना मर रहा है।’ आखिर इस प्रकार की व्यवस्था को एक आदर्श व्यवस्व्था कैसे कहा जा सकता है? आखिर ऐसा हो भी क्यों न? क्योंकि व्यवस्था को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए जो आवश्यक अंग हैं, उनमें आपसी समन्वय एवं एकता की कमी है। संविधान में हमारी व्यवस्था को संचालित करने के लिए कार्यपालिका, न्याय पालिका एवं विधायिका की विधिवत व्यवस्था की गई है और यह तय किया गया है कि किसके क्या काम, क्या कर्तव्य एवं क्या अधिकार हैं? कार्यपालिका, न्यायपालिका एवं विधायिका के अतिरिक्त एक मीडिया भी है, जिसे व्यवस्था के अंतर्गत चौथे स्तंभ के रूप में माना जाता है। व्यवस्था के ये चारों स्तंभ एक दूसरे के पूरक एवं सहायक हैं। यदि इनमें से कोई एक भी स्तंभ अपनी जिम्मेदारियों से विमुख हो जाये तो पूरी व्यवस्था ध्वस्त हो जायेगी। वैसे तो सभी अंगों का अपना एक विशेष महत्व है, किंतु विधायिका एक ऐसा स्तंभ है जिसे देश में विधान यानी नियम-कानून बनाने का अधिकार है। इस सतंभ को सीधे-सीधे जन-प्रतिनिधियों का माना जा सकता है। ये जनप्रतिनिधि प्रत्यक्ष रूप से सरकार चलाते हैं। इन्हीं के नेतृत्व में देश के लिए नीतियां एवं कार्यक्रम बनाये जाते हैं। जन प्रतिनिधियों की देख-रेख में इन्हीं नीतियों एवं कार्यक्रमों को सुचारु रूप से संचालित करने की जिम्मेदारी कार्यपालिका की होती है। कार्यपालिका का सीधा-सा अर्थ ब्यूरोक्रेसी या पूरी की पूरी नौकरशाही से है। इस व्यवस्था को सीधे-सीधे इस भाषा में भी समझा जा सकता है कि जिन लोगों को जनता की सेवा करने की जिम्मेदारी दी गई है, चाहे वह किसी भी रूप में हों, कार्यपालिका के अंतर्गत आते हैं। शासन-प्रशासन में किसी भी किस्म का व्यवधान उत्पन्न न हो, कोई नियमों-कानूनों के खिलाफ कार्य करने एवं चलने का दुस्साहस न करे या अनैतिक कार्य न करे, ऐसे सभी लोगों को दंडित करने की जिसकी जिम्मेदारी है, वह न्यायपालिका है। न्यायपालिका के बारे में समझने एवं जानने के लिए अलग से लिखा जा सकता है, किंतु फिलहाल अभी यही कहा जा सकता है कि संविधान विरोधी, समाज विरोधी, देश विरोधी एवं अन्य अनैतिक कार्य न हों, इसे नियंत्रित करने में न्यायपालिका बहुत मददगार साबित हो रही है। कार्यपालिका, विधायिका एवं न्यायपालिका के अलावा एक स्तंभ मीडिया भी है, जिसे चौथे स्तंभ के रूप में जाना जाता है। मीडिया की जिम्मेदारी यह है कि इन स्तंभों से कहीं कोई चूक हो जाये या अपने दायित्व का निर्वाह न करें तो उसके प्रति मीडिया जनता को जागरूक करे और इन स्तंभों को अपने कर्तव्यों से भटकने न दे। देश में जहां कहीं अज्ञानता, अशिक्षा, सामाजिक कुरीति, अंधविश्वास, भ्रष्टाचार, अपराध, बेरोजगारी या अन्य किसी तरह की बुराई या कमजोरी नजर आये तो मीडिया शासन-प्रशासन एवं देश की आम जनता को उसके प्रति जागरूक करे। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि समाज में मीडिया की भूमिका एक सजग प्रहरी की है। मीडिया यदि प्रहरी की भूमिका ठीक ढंग से निभाये तो बाकी तीनों स्तंभ सचेत रहेंगे। उन्हें ऐसा लगेगा कि वे जो कुछ भी कर रहे हैं, उन पर किसी की नजर है। वर्तमान समय में देखने में आ रहा है कि ये चारों स्तंभ एक दूसरे के पूरक न होकर प्रतिद्धंदी के रूप में नजर आते हैं। हालांकि, इस प्रकार की स्थिति सभी मामलों में देखने को मिलती है, ऐसा नहीं कहा जा सकता है, किंतु तमाम मौकों पर ऐसा देखने को मिल जाता है। कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि एक स्तंभ दूसरे स्तंभ पर अपना वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश करता है। ऐसे में हर स्तंभ के अधिकारों का संतुलन बिगड़ जाता है। विशेषकर जन-प्रतिनिधियों की इच्छा तो यही होती है कि उनके ऊपर किसी तरह का कोई नियंत्राण स्थापित न हो। जन-प्रतिनिधि यही चाहते हैं कि उनका प्रभुत्व हर किसी पर बना रहे। कई बार देखने में आया है कि न्याय पालिका की तरफ से कुछ सख्त निर्णय या टिप्पणी आ जाती है तो जन-प्रतिनिधियों को नागवार लगने लगती है और इसके विरोध में सभी दलों के नेता एकजुट होने लगते हैं। अभी हाल-फिलहाल कुछ ऐसा ही देखने को मिला है। कई बार न्यायपालिका की भूमिका को देखकर ऐसा लगता है कि यदि न्यायपालिका न होती तो देश में किसी भी घोटाले का पर्दाफाश ही नहीं हो पाता। हाल के कुछ वर्षों में देखने में आया है कि न्यायपालिका की सक्रियता के कारण ही कुछ घोटालों को पर्दाफाश हो गया और कुछ माननीयों को जेल की हवा भी खानी पड़ी। आज न्यायपालिका कह रही है कि यदि किसी भी व्यक्ति को सजा हो जाये तो उसे चुनाव लड़ने से तुरंत रोक दिया जाये तो इसमें क्या हर्ज है? यह तो बहुत अच्छी बात है किंतु दुर्भाग्य इस बात का है कि इस निर्णय के विरुद्ध पूरी राजनैतिक बिरादरी एकजुट हो गई है। इसी प्रकार राजनैतिक दलों को आरटीआई के दायरे में लाने के पक्ष में राजनैतिक दल तैयार नहीं हैं। इसके विरोध में तमाम राजनैतिक दल लामबंद हो गये, किंतु संसद में जब सांसदों का वेतन-भत्ता बढ़ाने एवं अन्य किसी तरह की सुविधा देने की बात आती है तो सभी दल एकजुट हो जाते हैं। आखिर इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न ही क्यों हुई कि देश की राजनीति को सुधारने एवं भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए न्यायपालिका को आगे आना पड़ रहा है। यह काम तो विधायिका एवं कार्यपालिका को करना चाहिए था। तमाम लोग तो अब यहां तक कहने लगे हैं कि अब न्यायपालिका ही उम्मीद की एक मात्रा किरण है। कभी-कभी ऐसा देखने को मिलता है कि यदि मीडिया न होता तो ऐसा नहीं होता, […] Read more » भारतीय व्यवस्था