राजनीति बड़ी जीत है द रेजिस्टेंट फ्रंट का आतंकी संगठन घोषित होना July 22, 2025 / July 25, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- पहलगाम में जब आतंकी हमले में निर्दोषों का रक्त बहा, आहें एवं चीखें गूंजी, जिसने न केवल देश एवं दुनिया को झकझोर दिया था, बल्कि यह संकेत भी दे दिया कि आतंकवाद की जड़ें अब भी जीवित हैं और उन्हें राजनीतिक, वैचारिक और सीमा-पार समर्थन प्राप्त है। लेकिन इस बार एक बड़ा परिवर्तनकारी […] Read more » The Resistant Front being declared a terrorist organisation is a big victory
आर्थिकी राजनीति ऑनलाइन भुगतान के मामले में भारत के यूपीआई ने अमेरिका के वीजा को पीछे छोड़ा July 21, 2025 / July 25, 2025 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment हाल ही के समय में भारत, विभिन्न क्षेत्रों में, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नित नए रिकार्ड बना रहा है। कुछ क्षेत्रों में तो अब भारत पूरे विश्व का नेतृत्व करता हुआ दिखाई दे रहा है। भारत ने बैंकिंग व्यवहारों के मामले में तो जैसे क्रांति ही ला दी है। अभी हाल ही में आर्थिक क्षेत्र में बैंकिंग व्यवहारों के मामले में भारत के यूनफाईड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) ने अमेरिका के 67 वर्ष पुराने वीजा एवं मास्टर कार्ड के पेमेंट सिस्टम को प्रतिदिन होने वाले आर्थिक व्यवहारों की संख्या के मामले में वैश्विक स्तर पर पीछे छोड़ दिया है। वैश्विक स्तर पर अब भारत विश्व का सबसे बड़ा रियल टाइम पेमेंट नेटवर्क बन गया है। भारत में वर्ष 2016 के पहिले ऑनलाइन पेमेंट का मतलब होता था केवल वीजा और मास्टर कार्ड। वीजा और मास्टर कार्ड को चलाने वाली अमेरिका की ये दोनों कंपनिया पूरी दुनिया में ऑनलाइन पेमेंट का एकाधिकार रखती थीं। वीजा की शुरुआत, अमेरिका में वर्ष 1958 में हुई थी और धीमे धीमे यह कंपनी 200 से अधिक देशों में फैल गई और ऑनलाइन भुगतान के मामले में पूरे विश्व पर अपना एकाधिकार जमा लिया। वैश्विक स्तर पर इस कम्पनी को चुनौती देने के उद्देश्य से भारत ने वर्ष 2016 में अपना पेमेंट सिस्टम, यूपीआई के रूप में, विकसित किया और वर्ष 2025 आते आते भारत का यूपीआई सिस्टम आज पूरे विश्व में प्रथम स्थान पर आ गया है। यूपीआई पेमेंट सिस्टम के माध्यम से ओनलाइन बैकिंग व्यवहार चुटकी बजाते ही हो जाते है। आज सब्जी वाले, चाय वाले, सहायता प्राप्त करने वाले नागरिक एवं छोटी छोटी राशि के आर्थिक व्यवहार करने वाले नागरिकों के लिए यूपीआई सिस्टम ने ऑनलाइन बैंकिंग व्यवहार करने को बहुत आसान बना दिया है। आज भारत के यूपीआई सिस्टम के माध्यम से प्रतिदिन 65 करोड़ से अधिक व्यवहार (1800 करोड़ से अधिक व्यवहार प्रति माह) हो रहे हैं जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वीजा कार्ड से माध्यम से प्रतिदिन 63.9 करोड़ व्यवहार हो रहे हैं। इस प्रकार, भारत के यूपीआई ने दैनिक व्यवहारों के मामले में 67 वर्ष पुराने अमेरिका के वीजा को पीछे छोड़ दिया है। भारत में केंद्र सरकार की यह सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक है। भारत अब इस मामले में पूरी दुनिया का लीडर बन गया है। भारत ने यह उपलब्धि केवल 9 वर्षों में ही प्राप्त की है। विश्व बैंक एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी भारत के यूपीआई सिस्टम की अत्यधिक प्रशंसा करते हुए कहा है कि यह नई तकनीकी का चमत्कार है एवं यह सिस्टम अत्यधिक प्रभावशाली है। भारत का यूपीआई सिस्टम भारत को वैश्विक बैंकिंग नक्शे पर एक बहुत बड़ी शक्ति बना सकता है। भारत में यूपीआई की सफलता की नींव दरअसल केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई कई आर्थिक योजनाओं के माध्यम से पड़ी है। समस्त नागरिकों के आधार कार्ड बनाने के पश्चात जब आधार कार्ड को नागरिकों के बैंक खातों से जोड़ा गया और केंद्र सरकार द्वारा देश के गरीब वर्ग की सहायता के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत सहायता राशि को सीधे ही नागरिकों के बैंक खातों में जमा किया जाने लगा तब एक सुदृद्ध पेमेंट सिस्टम की आवश्यकता महसूस हुई और ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम के रूप में यूपीआई का जन्म वर्ष 2016 में हुआ। यूपीआई को आधार कार्ड एवं प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत बैंकों में खोले गए खातों से जोड़ दिया गया। नागरिकों के मोबाइल क्रमांक और आधार कार्ड को बैंक खातों से जोड़कर यूपीआई सिस्टम के माध्यम से आर्थिक एवं लेन-देन व्यवहारों को आसान बना दिया गया। भारत में आज लगभग 80 प्रतिशत युवा एवं बुजुर्ग जनसंख्या का विभिन्न बैकों के खाता खोला जा चुका है। यूपीआई के माध्यम से केवल कुछ ही मिनटों में एक बैंक खाते से दूसरे बैंक खाते में राशि का अंतरण किया जा सकता है। ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम के रूप में यूपीआई के आने के बाद तो अब भारत के नागरिक एटीएम कार्ड, डेबिट कार्ड एवं क्रेडिट कार्ड को भी भूलने लगे हैं। भारत से बाहर अन्य देशों में रहने वाले भारतीय मूल के नागरिक भी अपनी बचत को यूपीआई के माध्यम से अपने परिवार के सदस्यों के बैंक खातों में ऑनलाइन राशि का अंतरण चंद मिनटों में कर सकते हैं। पूर्व में, बैंकिंग चेनल के माध्यम से एक देश के बैंक खाते से दूसरे देश के बैंक खाते में राशि का अंतरण करने में 2 से 3 दिन का समय लग जाता था तथा विदेशी बैकों द्वारा इस प्रकार के अंतरण राशि पर खर्च भी वसूला जाता है। अब यूपीआई के माध्यम से कुछ ही मिनटों में राशि एक देश के बैंक खाते से दूसरे देश के बैंक खाते में अंतरित हो जाती है। इससे भारतीय रुपए का अंतरराष्ट्रीयकरण भी हो रहा है। विश्व के अन्य देशों में पढ़ाई के लिए गए छात्रों को अपने खर्च चलाने एवं विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों में फीस की राशि यूपीआई सिस्टम से जमा कराने में बहुत आसानी होगी। जिस भी देश में भारतीय मूल में नागरिकों की संख्या अधिक है उन देशों में भारत के यूपीआई सिस्टम को लागू करने के प्रयास किए जा रहे हैं। आज 13,500 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की राशि इन देशों में निवास कर रहे भारतीय मूल के नागरिकों द्वारा प्रतिवर्ष भारत में भेजी जा रही हैं। वैश्विक स्तर पर भारत के यूपीआई सिस्टम की स्वीकार्यता बढ़ने से अमेरिकी डॉलर पर भारत की निर्भरता भी कम होगी, इससे भारतीय रुपए की मांग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगी और डीडोलराईजेशन की प्रक्रिया तेज होगी। भारत ने यूपीआई के प्रतिदिन होने वाले व्यवहारों की संख्या के मामले में आज अमेरिका, चीन एवं पूरे यूरोप को पीछे छोड़ दिया है। वर्तमान में भारत के यूपीआई सिस्टम का विश्व के 7 देशों यथा यूनाइटेड अरब अमीरात, फ्रान्स, ओमान, मारीशस, श्रीलंका, भूटान एवं नेपाल में उपयोग हो रहा है। इन देशों में रहने वाले भारतीय मूल के नागरिक यूपीआई के माध्यम से सीधे ही भारत के साथ आर्थिक व्यवहार कर रहे हैं। दक्षिणपूर्वीय देशों यथा मलेशिया, थाइलैंड, फिलिपींस, वियतमान, सिंगापुर, कम्बोडिया, दक्षिण कोरिया, जापान, ताईवान एवं हांगकांग आदि भी भारत के यूपीआई सिस्टम के उपयोग को बढ़ावा देने के प्रयास कर रहे हैं। यूनाइटेड किंगडम, आस्ट्रेलिया एवं यूरोपीयन देशों ने भी भारत के यूपीआई सिस्टम को अपने देश में लागू करने की इच्छा जताई है। हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की साइप्रस एवं नामीबिया यात्रा के दौरान इन दोनों देशों ने भारत के यूपीआई सिस्टम को अपने देश में शुरू करने के लिए भारत से निवेदन किया है। पूरे विश्व में अब कई देशों का विश्वास भारत के यूपीआई सिस्टम पर बढ़ रहा है और यदि ये देश भारत के यूपीआई सिस्टम को अपने देश में लागू कर देते हैं तो इससे भारत में विदेशी निवेश की राशि में भी तेज गति से वृद्धि होने की सम्भावना बढ़ जाएगी। प्रहलाद सबनानी Read more » India's UPI surpasses US Visa India's UPI surpasses US Visa in online payments भारत के यूपीआई ने अमेरिका के वीजा को पीछे छोड़ा
राजनीति अखाड़ा न बने संसद July 19, 2025 / July 24, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भ-21 जुलाई से शुरू होने वाले मानसून सत्र के विषय मेंप्रमोद भार्गव21 जुलाई से शुरू होने वाले मानसून सत्र को गर्माए रखने के लिए कांग्रेस समेत लगभग समूचे विपक्ष ने अपने-अपने हथियार भांज लिए हैं। गोया, यह आशंका कायम है कि विपक्षी दल संसद को ठप बनाए रखने में ही अपना समय जाया करेंगे। इस सत्र में लंबे […] Read more » 21 जुलाई से शुरू होने वाले मानसून सत्र
राजनीति विपक्ष की लोकतंत्र पर चिंता या सत्तालोभ की राजनीति? July 18, 2025 / July 18, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- भारतीय लोकतंत्र आज विश्व के सबसे बड़े, जीवंत और जागरूक लोकतंत्रों में गिना जाता है। यह संविधान की मजबूत नींव, संस्थाओं की पारदर्शिता और जनता की जागरूकता से संचालित होता है। परंतु विडंबना यह है कि देश का विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस और उनके नेता राहुल गांधी, बार-बार लोकतंत्र और संविधान पर खतरे की […] Read more » विपक्ष की लोकतंत्र पर चिंता सत्तालोभ की राजनीति
राजनीति साधुओं के भेष में मुस्लिम July 18, 2025 / July 18, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment उत्तराखंड राज्य सरकार ने चलाया ढोंगी बाबाओं के विरुद्ध कालनेमि अभियान इस साधु-जिहाद-तंत्र के पर्दाफाश की जरुरत प्रमोद भार्गव भारत इस्लामीकरण के भयावह संकट के दौर से गुजर रहा है। लव जिहाद,भूमि जिहाद,धर्मपरिवर्तन और आतंकवाद से तो भारत जूझ ही रहा है ,अब साधु जिहाद भी उत्तराखंड में ढोंगी बाबाओं के […] Read more » Muslims disguised as monks कालनेमि अभियान
राजनीति धर्मांतरण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है July 18, 2025 / July 18, 2025 by राजेश कुमार पासी | Leave a Comment राजेश कुमार पासी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जो व्यक्ति अपना धर्म बदलता है वो केवल अपना धर्म नहीं बदलता बल्कि वो अपने समाज और देश से भी कट जाता है । यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट ने धर्मांतरण को देश के लिए बड़ा खतरा बताया था और सरकारों को इसके खिलाफ कदम उठाने को कहा था । धर्मांतरण के बाद व्यक्ति अपना परिवार और अपनी संस्कृति छोड़ देता है, अपना खानपान और पहनावा बदल लेता है । धर्मांतरित मुस्लिम इस्लाम के प्रति अपनी वफादारी साबित करने के लिए आतंकी संगठनों के साथ भी चले जाते हैं । यही कारण है कि धर्मांतरण देश की सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा बनता जा रहा है । दुनिया में कई देश हैं, जहां धर्मांतरण के कारण डेमोग्राफी बदलने से दंगों की आग में जलना पड़ रहा है । बाबा साहब अम्बेडकर ने कहा था कि हिन्दू-मुस्लिम के बीच तनाव के कई कारण हैं जिनके कारण दंगे भी होते हैं । उन्होंने इस्लाम को एक बंद समाज कहा था क्योंकि उनका कहना था कि मुस्लिमों का भाईचारा आपसी होता है. दूसरों को वो काफिर मानते हैं । उन्होंने गौमांस, धर्मांतरण और मस्जिदों के आगे संगीत बजाने को दंगों का बड़ा कारण बताया था । उन्होंने कहा था कि जब दोनों समुदाय मिलते हैं तो धर्मांतरण एकतरफा होता है. हिन्दू कभी धर्म परिवर्तन का प्रयास नहीं करते । यही कारण है कि किसी भी मुस्लिम देश में धर्मांतरण विरोधी कानून नहीं है क्योंकि मुस्लिमों की उसकी जरूरत ही नहीं है लेकिन गैर-मुस्लिम देशों की इसकी जरूरत इसलिए पड़ती है क्योंकि मुस्लिम समुदाय पूरी आक्रामकता के साथ धर्मांतरण की कोशिश करता है । ये अजीब बात है कि मुस्लिम बहुल देशों में सभी नागरिकों को धीरे-धीरे मुस्लिम बना दिया जाता है लेकिन जहां मुस्लिम अल्पसंख्यक होते हैं, वहां भी वो धीरे-धीरे बहुसंख्यक समाज को इस्लाम में शामिल कर लेते हैं । इस तरीके से कई देशों को इस्लामिक मुल्क बना दिया गया है और भारत को भी 2047 तक मुस्लिम संगठन इस्लामिक मुल्क बनाने का संकल्प लेकर धर्मांतरण के अभियान में जुटे हुए हैं । ज्यादातर मुस्लिम संगठन दावा करते हैं कि वो धर्मांतरण नहीं करवाते हैं बल्कि लोग अपनी खुशी से इस्लाम धर्म अपनाते हैं । सवाल यह है कि अगर लोगों को अपनी खुशी से इस्लाम अपनाना है तो वो खुद मस्जिद में जायेंगे न कि उनका धर्मांतरण करवाने के लिए करोड़ों रुपये की फंडिंग लानी पड़ेगी और गैंग बनाने पड़ेंगे । वास्तव में धर्मांतरण करवाने के लिए लालच, भय और धोखे का सहारा लिया जाता है । हमारा संविधान अपने धर्म का प्रचार करने का अधिकार देता है और व्यक्ति को अपनी मर्जी से धर्म बदलने का भी अधिकार देता है । दूसरी तरफ यही संविधान कहता है कि किसी भी व्यक्ति को लालच, भय और धोखे से धर्मांतरित नहीं किया जा सकता । वास्तव में हमारे देश में लोगों को धोखा भय और लालच देकर ही धर्मांतरित किया जा रहा है । हमारे देश का सेकुलर गैंग यह चिल्लाता है कि देश में भाईचारा बढ़ाने की जरूरत है, इसे खतरे में नहीं डालना चाहिए लेकिन सच्चाई यह है कि अगर आपको मुस्लिमों और ईसाइयों के साथ भाईचारा निभाना है तो उनके धर्म को अपनाना होगा । जब तक आप ऐसा नहीं करते हैं वो आपसे भाईचारा नहीं निभा सकते क्योंकि ये दोनों धर्म दूसरे धर्म को बर्दाश्त नहीं कर सकते । यही कारण था कि मुस्लिम आक्रांताओं ने हिन्दुओं के सामने तीन विकल्प रखे थे । पहला उन्हें धर्म परिवर्तन करके मुस्लिम बनना होगा, दूसरा अगर इस्लाम नहीं अपनाना है तो जजिया कर देना होगा और अगर ये दोनों विकल्प नहीं लिए तो मौत ही आखिरी विकल्प होगा । सेकुलर गैंग कहता है कि अगर मुस्लिम शासकों ने जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाया था तो हिन्दू कैसे बचे रह गए । वास्तव में हिन्दुओं ने अपना धर्म परिवर्तन करने की जगह जजिया कर चुकाना ज्यादा पसंद किया था । बेइंतहा जुल्म, उत्पीड़न और शोषण के बावजूद हिन्दू अपने धर्म पर अडिग रहे । इसके बावजूद करोड़ों लोगों ने भय और लालच के कारण धर्म परिवर्तन कर लिया और भारत में मुस्लिमों की आबादी इतनी बढ़ गई कि देश का विभाजन करना पड़ा । समस्या यह है कि इसके बाद भी यह जारी है और ये तब तक रुक नहीं सकता जब तक कि पूरे देश को धर्मांतरित न कर दिया जाए । विभाजन के बाद इसको रोका जा सकता था लेकिन हमारे नेताओं पर सेक्युलरिज्म का ऐसा भूत सवार था कि इसको रोकने की कोशिश नहीं की गई । अब ये तब रुकेगा जब देश का एक और विभाजन हो जाएगा । इससे पहले इसके रुकने की उम्मीद दिखाई नहीं देती है। धर्मांतरण करने वाले संगठनों के पास विदेशों से अथाह पैसा आता है जिसका इस्तेमाल ये लोग पुलिस और प्रशासन में बैठे लोगों को खरीदने के लिए करते हैं । इसके कारण पुलिस और प्रशासन न केवल इनके कारनामों की अनदेखी करने लगता है बल्कि इनके खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाने की हर संभव कोशिश करता है । छांगुर बाबा के खिलाफ जिन लोगों ने भी शिकायत की थी पुलिस ने उनके ही खिलाफ फर्जी मुकदमें ठोक दिये । सरकार किसी की भी हो लेकिन इको सिस्टम अभी भी पुराना ही चल रहा है । इस्लाम धर्म के अनुसार हर मुस्लिम का प्रथम कर्तव्य है कि वो गैर मुस्लिम को अपने धर्म में लेकर आये क्योंकि एक दिन पूरी दुनिया को इस्लामिक बनाना है। जब तक पूरी दुनिया मुस्लिम नहीं बन जाती तब तक मुस्लिम समुदाय चैन से नहीं बैठ सकता। इस सच को हम माने या न माने लेकिन इससे भाग नहीं सकते । मुस्लिम संगठनों को हिंदुओं और अन्य धर्म के लोगों को मुसलमान बनाने के लिए अरबों रुपये की फंडिंग मिल रही है। यही कारण है कि मुस्लिम युवा लव जिहाद की आड़ में हिंदू लड़कियों को पहले धोखे से बहला उनसे फुसलाकर कर शादी कर लेते हैं और इसके बाद उनका धर्मांतरण करवा देते हैं। इसके बदले उन्हें लाखों रुपये मिलते हैं. दूसरी तरफ अपना धार्मिक कर्तव्य पूरा करने की खुशी भी मिलती है। धर्म परिवर्तन के बाद लड़कियों को गौमांस खिलाया जाता है और कहा जाता है कि इसके बाद ही तुम्हारा धर्मांतरण पूरा होगा । उन्हें मुस्लिम पहनावे और खानपान के लिए मजबूर किया जाता है । छांगुर बाबा के बारे में दावा किया जा रहा है कि उसने 5000 लोगों का धर्मांतरण करवाया था और उसमें से 1500 हिन्दू लड़कियां थी । उसके नेटवर्क को देखते हुए कहा जा सकता है कि वास्तविक संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है क्योंकि कई जिलों की बदलती डेमोग्राफी इसकी गवाही देती है। ये और इसके परिवार के सदस्यों ने सेकड़ो अमीर मुस्लिम देशों की यात्रा की थी। धर्मांतरण के काम मे इसके मुख्य सहयोगी वो लोग थे जिनका इसने धर्म परिवर्तन करवाया था। इसने धर्मांतरण के लिए लोगों को ट्रेनिंग देने का बड़ा इंतज़ाम किया हुआ था, इसके लिए कोठियों और बड़े भवनों के तहख़ानों का इस्तेमाल किया जाता था। दुबई और दूसरे मुस्लिम देशों से ये जेहादी ट्रेनर और मौलाना को बुलाता था । इसका पूरा नेटवर्क मिलकर गैर मुस्लिमों का ब्रेनवाश करके मुस्लिम बनाने का धंधा करता था । गरीब, दलित, आदिवासी और युवा लड़कियों को विशेष तौर पर निशाने पर रखा जाता था। ईसाई संगठनों का तरीका अलग है, वो धर्म परिवर्तन के बाद कुछ नहीं बदलने देते और किसी को पता भी नहीं चलता कि इस व्यक्ति ने अपना धर्म बदल लिया है । पंजाब में कई संगठनों ने दावा किया है कि ईसाई आबादी 15 प्रतिशत को पार कर गई है जबकि 2011 में यह आबादी सिर्फ डेढ़ प्रतिशत थी । ज्यादातर दलित समाज के लोग पंजाब में धर्मांतरण कर रहे हैं क्योंकि वहां जातिवाद के कारण इनके साथ उत्पीड़न अभी भी जारी है और भेदभाव किया जा रहा है । ईसाई संगठन दलितों की कई तरह से मदद करके उनको अपने धर्म में लेकर जा रहे हैं । दलितों में अंधविश्वास बहुत ज्यादा है और ईसाई संगठन इस कमजोरी का फायदा उठाकर तथाकथित चमत्कारों के जरिये उनको बहला फुसलाकर अपने धर्म में ले जा रहे हैं । धर्मांतरण देश के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है क्योंकि इसके कारण कई राज्यों की डेमोग्राफी बदल चुकी है । इसके कारण कई जगहों पर सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक और आर्थिक परेशानियां खड़ी हो रही हैं । धर्मांतरण को छोटी समस्या नहीं समझना चाहिए, अगर इस पर लगाम नहीं लगाई गई तो देश दंगों की आग में ऐसा जलेगा कि एक और विभाजन की जरूरत पड़ सकती है । इसके अलावा विदेशी शक्तियां इन लोगों का देश के खिलाफ इस्तेमाल कर सकती हैं । सुप्रीम कोर्ट और बाबा साहब की चेतावनी को याद रखना चाहिए और धर्मांतरण पर सख्ती से रोक लगनी चाहिए । सैकड़ों छांगुर बाबा धर्मांतरण का गैंग चलाकर करोड़पति बन रहे हैं और देश को खतरे में डाल रहे हैं । राजेश कुमार पासी Read more » Conversion is a big threat to national security धर्मांतरण
राजनीति क्या बिहार में सुशासन अब जंगलराज में बदल रहा है? July 18, 2025 / July 18, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग-बिहार में एक बार फिर कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। बेखौफ अपराधियों का आतंक, दिन-दहाड़े हत्याएं, लूट, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध यह संकेत दे रहे हैं कि ‘सुशासन बाबू’ के नाम से मशहूर नीतीश कुमार का प्रशासन कहीं अपने वादों और आदर्शों से भटकता नजर आ रहा है। […] Read more » Is good governance in Bihar now turning into jungle raj सुशासन अब जंगलराज
राजनीति छांगुर बाबा के काले कारनामे और भ्रष्ट ब्यूरोक्रेसी July 16, 2025 / July 29, 2025 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment सूफी संत के वेष में भी अनेक ऐसे मुस्लिम रहे हैं, जिन्होंने सनातन धर्म का बहुत भारी अहित किया है। भारतवर्ष में ऐसे कथित सूफी संतों की अनेक मजारें और दरगाहें हैं, जहां पर कभी बड़ी संख्या में हिंदुओं का धर्मांतरण करने का खेल खेला जाता था। इतिहास लेखन में अन्याय करते हुए इतिहासकारों ने […] Read more » The dark deeds of Changur Baba and corrupt bureaucracy छांगुर बाबा के काले कारनामे
राजनीति विधि-कानून भारतीय चुनावी लोकतंत्र की रीढ़ है-अनुच्छेद 326 July 15, 2025 / July 15, 2025 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment हाल ही में बिहार वोटर लिस्ट रिवीजन में एक बड़ा खुलासा हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वोटर लिस्ट में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के लोगों के नाम पाए गए हैं। पाठकों को बताता चलूं कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के दौरान निर्वाचन आयोग में उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, […] Read more » अनुच्छेद 326
राजनीति बिहार चुनाव : मतदाता सूची पर सवाल,राजनीतिक दलों का बवाल July 15, 2025 / July 15, 2025 by प्रदीप कुमार वर्मा | Leave a Comment प्रदीप कुमार वर्मा बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले “स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन” को लेकर मचे बवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए अपनी टिप्पणी में कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और सुप्रीम कोर्ट भी एक संवैधानिक संस्था होने के नाते दूसरी संवैधानिक संस्था के कामकाज पर दखल नहीं देना चाहती। सुप्रीम कोर्ट के इस इनकार के बाद विपक्ष को इंटर्नशिप रिवीजन पर रोक लगाने की कवायद धक्का लगा है। वहीं, बिहार की सत्ता पर काबिज एनडीए गठबंधन के दलों ने सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का स्वागत करते हुए शुद्ध एवं अपडेट मतदाता सूची बनाने के लिए इसे एक सराहनीय कदम करार दिया है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए किसी भी चुनाव से पहले मतदाता सूची को अपडेट किया जाता है, जो एक सामान्य प्रक्रिया है। लेकिन चुनाव आयोग ने इस बार एक जुलाई से मतदाता सूची की विशेष गहन समीक्षा शुरू कर दी है। इसे लेकर विपक्ष सवाल उठा रहा है। चुनाव आयोग की दलील है कि बिहार में मतदाता सूची की गंभीर समीक्षा की ऐसी आख़िरी प्रक्रिया 2003 में हुई थी और उसके बाद से नहीं हुई है। इसलिए ये मुहिम ज़रूरी है। मतदाता सूची की गहन समीक्षा के लिए चुनाव आयोग ने मतदाताओं के लिए एक फॉर्म तैयार किया है, जो मतदाता 1 जनवरी, 2003 की मतदाता सूची में शामिल थे, उन्हें सिर्फ़ यह गणना पत्र भरकर जमा करना है। उन्हें कोई सबूत नहीं देना होगा। बिहार में ऐसे करीब 4.96 करोड़ मतदाता हैं। चुनाव आयोग ने 2003 की ये वोटर लिस्ट अपनी वेबसाइट पर डाल दी है। बिहार चुनाव से पूर्व मतदाता सूची की गहन समीक्षा की कवायद में यह सारा हंगामा 2003 के बाद मतदाता बने लोगों से सबूत मांगने को लेकर है। चुनाव आयोग के मुताबिक 1 जुलाई 1987 से पहले पैदा हुए नागरिकों जो 2003 की मतदाता सूची में नहीं थे, उन्हें अपनी जन्मतिथि और जन्मस्थान का सबूत देना होगा। ऐसे सभी मतदाता आज की तारीख़ में 38 साल या उससे बड़े होंगे। जो लोग 1 जुलाई 1987 से लेकर 2 दिसंबर 2004 के बीच पैदा हुए हैं, उन्हें अपनी जन्मतिथि और जन्मस्थान और अपने माता-पिता में से किसी एक की जन्मतिथि और जन्मस्थान का सबूत देना होगा। ये सभी लोग क़रीब आज 21 से 38 साल के बीच के होंगे। इसके अलावा 2 दिसंबर 2004 के बाद पैदा हुए नागरिकों को अपनी जन्मतिथि और जन्मस्थान और अपने माता-पिता दोनों की ही जन्मतिथि और जन्मस्थान का भी सबूत देना होगा। बस इन ही सबूतों की मांग को लेकर सारा विवाद खड़ा हो गया है कि इतनी जल्दी ये सबूत कहां से लेकर आएं? चुनाव आयोग के मुताबिक 2003 के बाद बीते 22 साल में तेज़ी से शहरीकरण हुआ है यानी गांवों से लोग शहरों में गए हैं। जैसे लोगों का पलायन एवं प्रवास काफ़ी तेज़ हुआ है। इस पूरी कवायद में बिहार के लोग दूसरे राज्यों गए हैं, दूसरे राज्यों के लोग बिहार आए हैं। इसके साथ ही कई नागरिक 18 साल पूरा करने के बाद नए मतदाता बने हैं। वहीं,कई मतदाताओं की मृत्यु की जानकारी अपडेट नहीं हुई है। सबसे अहम मतदाता सूची में दूसरे देशों से आए अवैध अप्रवासियों को भी अलग किया जाना ज़रूरी है। यही वजह है कि चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूचियां का गहन रिवीजन का काम किया जा रहा है। मतदाता सूचियां के गहन रिवीजन के इतिहास पर गौर करें,तो इससे पूर्व तत्कालीन मुख्यमंत्री राबडी देवी के शासनकाल में भी मतदाता सूचियां का गहन रिवीजन किया गया था और तब यह काम मैच 31 दिन में पूरा किया गया था। उसे दौरान चुनाव आयोग ने मात्र तीन दस्तावेजों की बाध्यता की थी बदले हुए प्रवेश में चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे मतदाता सूचियां के गहन रिवीजन के काम में चुनाव आयोग ने इस डरे को बढ़ाते हुए 11 दस्तावेज मांगे हैं। चुनाव आयोग द्वारा मांगे जा रहे दस्तावेजों में जन्म प्रमाण पत्र,पासपोर्ट,हाईस्कूल सर्टिफिकेट,स्थायी निवास प्रमाण पत्र,वन अधिकार प्रमाण पत्र,जाति प्रमाण पत्र,एनआरसी में नाम,परिवार रजिस्टर,ज़मीन या आवास आवंटन पत्र,केंद्र या राज्य सरकार के कर्मचारी या पेंशनर का कोई आई कार्ड,सरकार या बैंक या पोस्ट ऑफ़िस या एलआईसी या सरकारी कंपनी का आई कार्ड या सर्टिफिकेट शामिल है। चुनाव आयोग के मुताबिक ये लिस्ट अंतिम नहीं है। यानी कुछ और दस्तावेज़ों को भी मान्यता दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को इस मामले में सुनवाई होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी चुनाव आयोग को आधार कार्ड,मनरेगा कार्ड एवं राशन कार्ड को इस सूची में शामिल करने का आग्रह किया है। चुनाव आयोग के मुताबिक बूथ लेवल ऑफ़िसर 25 जुलाई तक घर-घर जाकर गणना पत्रों में ये ब्योरा जमा करेंगे। इसी क्रम में एक अगस्त को मतदाता सूची का ड्राफ्ट प्रकाशित किया जाएगा। अगर किसी को कोई आपत्ति है तो उन्हें दावों और ऐतराज के लिए एक सितंबर तक का समय मिलेगा। वहीं, 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। विपक्षी दलों का तर्क है कि ये सारा काम जल्दबाज़ी में हो रहा है, जिसकी वजह से लाखों सही मतदाता भी लिस्ट से बाहर हो जाएंगे जबकि 26 जुलाई तक अपने या अपने माता-पिता की जन्मतिथि या जन्मस्थान के सबूत जुटाना सभी लोगों के लिए संभव नहीं होगा। विपक्ष का ये भी तर्क है कि चुनाव आयोग इस बहाने बिहार में अघोषित तौर पर “एनआरसी” को लाने की कोशिश कर रहा है। विपक्ष का यह भी आरोप है कि रिवीजन के तहत मतदाता सूची में संशोधन गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों को मताधिकार से वंचित करने की साजिश है। जबकि चुनाव आयोग का दावा इसके उलट है। चुनाव आयोग ने आर्टिकल एसआईआर को लेकर विपक्ष के आरोपों के बीच चुनाव आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 326 का हवाला देकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। चुनाव आयोग के मुताबिक अनुच्छेद 326 का मतलब वयस्क मताधिकार के आधार पर मतदाता पंजीकरण का प्रावधान है। आर्टिकल 326 भारत के संविधान का हिस्सा है। यह लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को वयस्क मताधिकार के आधार पर सुनिश्चित करता है। इसका मतलब है कि हर भारतीय नागरिक, जो 18 साल या उससे अधिक उम्र का हो, मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने का हकदार है। इस प्रकार यह अनुच्छेद सभी पात्र नागरिकों को निष्पक्ष और समान मतदान का अधिकार देता है। कुल मिलाकर इस साल के आखिर में “पाटलिपुत्र” की गद्दी पर राजतिलक के लिए बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पूर्व मतदाता सूची को लेकर सत्ताधारी एनडीए तथा विपक्षी गठबंधनों के बीच में सियासी जोर आजमाइश अपने चरम पर है। यह माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव का ऐलान होने तक यह ऐतिहासिक खींचतान आगे भी जारी रहेगी। बीते दिनों हुई घुसपैठ के चलते भी कोई विदेशी नागरिक चुनाव प्रक्रिया में भागीदार न बने, इसको लेकर भी चुनाव आयोग की यह कवायद सराहनीय मानी जा रही है क्योंकि यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि बिहार के चुनाव में सिर्फ “बिहारी” की ही भागीदारी हो और कोई “घुसपैठिया” भारत के लोकतंत्र में सेंध ना लगा पाए। प्रदीप कुमार वर्मा Read more » Bihar Elections: Questions on voter list uproar by political parties on election voter list update मतदाता सूची पर सवाल
राजनीति हिन्दू परिवारों के धर्म परिवर्तन कराने के ठेकेदार जमालुद्दीन उर्फ छांगुर को पहचानने में आखिर 8 वर्षों तक कैसे चुकी यूपी सरकार? July 15, 2025 / July 15, 2025 by कमलेश पांडेय | Leave a Comment कमलेश पांडेय हिंदू परिवारों का धर्म परिवर्तन, लव जिहाद और देश विरोधी गतिविधियों के आरोप में एटीएस के शिकंजे में आए जमालुद्दीन उर्फ छांगुर के मंसूबे कहीं ज्यादा घातक थे, ऐसा उसकी अलग-अलग गतिविधियों से पता चलता है। इसलिए सवाल है कि उत्तरप्रदेश में पिछले 8 सालों से योगी सरकार होने के बावजूद जिस तरह से हिंदू परिवारों का धर्म परिवर्तन कराया गया, यह प्रशासन और खुफिया इकाई के मुंह पर किसी तमाचे से कम नहीं है। सच कहूं तो यह उनकी विफलता का द्योतक है। इसलिए आशंका तो यह है कि इस पूरे खेल में योगी सरकार के ही कुछ मंत्री और उनके भरोसेमंद अधिकारी भी शामिल रहे होंगे, अन्यथा इस बात के खुलासे में इतना विलंब नहीं होता। दबी जुबान में लोगों के इशारे हैं कि यदि केंद्रीय गृह मंत्रालय इस एंगल से भी जांच करवाए तो योगी प्रशासन के दूरगामी हित के लिए बेहतर रहेगा। यहां के सियासी हल्के में जो लोग बार-बार मुख्यमंत्री बदलने की मांग कर रहे थे, संभव है कि उनके तार भी ऐसे गिरोह से जुड़े हों। ऐसा इसलिए कि अमेरिका-चीन के इशारे पर और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से भारत के इस्लामीकरण की जो देशव्यापी साजिश कुछ भारतीय राजनीति दलों के परोक्ष समर्थन से जारी है, उसका बहुत छोटा सा इलाकाई प्यादा जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा है जो कि धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार हुआ है। इसलिए अब आवश्यकता इस बात की है कि पूरे देश में इस प्रकरण की गम्भीर जांच हो और कुछ बड़ी मछलियों के साथ साथ उन छोटी मछलियों को भी पकड़ा जाए, जो हिंदुओं के धर्मांतरण के खेल में शामिल हैं। यही नहीं, वहां के राज्य प्रशासन के कुछ अधिकारियों की चुप्पी को भी टटोला जाए ताकि बड़े-बड़े खुलासे हो सकें। खासकर महानगरों व बड़े नगरों पर भी इसी दृष्टि से नजर दौड़ाई जाए। विशेष तौर पर एक धर्मांतरण जांच प्रकोष्ठ बने, जो सतत निगाह रखे। ऐसा इसलिए कि जमालुद्दीन उर्फ छांगुर को लेकर जो नए नए खुलासे हो रहे हैं, उसमें गम्भीर खुलासा यह हुआ है कि छांगुर ने जमीनों में भी खूब पैसा लगाया था। तभी तो हर खरीद व बिक्री पर मुनाफे की रकम छांगुर तक पहुंचती थी जो धर्म परिवर्तन कराने में खर्च होता था। स्पष्ट है कि उत्तरप्रदेश के बलरामपुर जनपद में अवैध धर्मांतरण को आगे बढ़ाने के लिए छांगुर ने कई दांव-प्रतिदाँव चले थे। वह इतना शातिर है कि लोकल अधिकारियों को मैनेज करके व लोगों को अनुचित लाभ देकर खुद की टीम से जोड़ने के लिए प्रॉपर्टी का कार्य भी करा रहा था। बताया गया है कि उसके इस काम को महबूब और नवीन रोहरा देखते थे जिससे अच्छी आमदनी होती थी और पूरा का पूरा मुनाफा धर्म परिवर्तन कराने में खर्च होता था। वहीं यह भी पता चला है कि पहले लोगों को प्रभावित करने के लिए छांगुर उन्हें रुपये बांटता था और फिर इस्लाम धर्म कबूल करने का दबाव बनाता-बनवाता था। उदाहरणतया, उत्तरौला में ही छांगुर ने छह स्थानों पर बेशकीमती जमीन खरीदी है। इसके अलावा, शहर में दो कॉम्प्लेक्स भी बनवाए हैं। इसके साथ ही साथ प्लॉटिंग भी कर रहा था। इस बारे में छांगुर के राजदार रहे एक व्यक्ति ने एक मीडिया से बातचीत करते हुए बताया है कि छांगुर धर्म परिवर्तन कराने के लिए कई तरह से रुपये बांटता था। वह सुनियोजित योजना के तहत हिंदू श्रमिकों और गरीब परिवारों को पहले नियमित खर्च के लिए रुपये देता था। ततपश्चात वह ऐसे लोगों को अपने घर में साफ-सफाई या जानवरों की देखरेख का काम सौंपता था। फिर छांगुर उन्हें वेतन के साथ ही 100-200 रुपये रोज देता था। इसके बाद प्रभाव में लेकर उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए कहता और बेहतर जिंदगी का ख्वाब दिखाता था। वहीं, छांगुर के यहां सफाई करने वाले संचित ने एटीएस को बताया है कि उसे छांगुर ने धर्म परिवर्तन करने पर पांच लाख रुपये देने का लालच दिया था और इनकार करने पर दुष्कर्म के मामले में फंसा दिया। खबर है कि एटीएस ने भी संचित के बयान का जिक्र अपनी जांच में किया है। इन बातों से साफ है कि हिंदू परिवारों का धर्म परिवर्तन, लव जिहाद और देश विरोधी गतिविधियों के आरोप में एटीएस के शिकंजे में आए जमालुद्दीन उर्फ छांगुर के मंसूबे कहीं ज्यादा घातक थे। खबर है कि अवैध धर्मांतरण के लिए उसने नेपाल से सटे संवेदनशील सात जिलों में सक्रिय कुछ ईसाई मिशनरियों से भी उसने सांठगांठ कर ली थी। वह उनके पास्टर और पादरी को पैसे देकर कमजोर वर्गों का ब्योरा लेता था और फिर चिह्नित परिवारों को आर्थिक रूप से मदद देकर उन्हें अपने प्रभाव में लेकर धर्म परिवर्तन कराता था। खबर है कि धर्मांतरण में होने वाले खर्च का पूरा हिसाब नसरीन रखती थी जबकि नवीन से जलालुद्दीन बना नीतू का पति पुलिस और स्थानीय प्रशासन को मैनेज करता था। वहीं, सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, नेपाल से सटे देवीपाटन मंडल में मिशनरियों ने हर वर्ग के अनुसार प्रचारक नियुक्त किया है जिससे परिवारों को समझाने और धर्मातरण के लिए राजी करने में आसानी होती है। इसकी एक पूरी चेन है, जिसमें प्रचार, पास्टर और पादरी अहम कड़ियां हैं। इनके पास चुनिंदा क्षेत्रों के दलित, वंचित, गंभीर रूप से बीमार व आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों का पूरा ब्योरा होता है, जिसे छांगुर समय-समय पर पैसे और प्रभाव का उपयोग कर धर्मांतरण के लिए हासिल करता था। खबर है कि हिन्दू परिवारों को प्रभावित करने के लिए छांगुर नीतू उर्फ नसरीन और नवीन उर्फ जलालुद्दीन का उदाहरण देता था। वह बताता था कि दोनों पहले सिंधी थे लेकिन इस्लाम स्वीकार करने के बाद उनकी जिंदगी बदल गई। आज इनके पास पैसे हैं, आलीशान कोठी है, महंगी गाड़ी है। लिहाजा इस्लाम स्वीकारते ही तुम्हारी भी जिंदगी बदल जाएगी। वहीं, भारत-नेपाल बॉर्डर पर काम कर चुके पूर्व आईबी अधिकारी संतोष सिंह बताते हैं कि छांगुर पीर मिशन आबाद की एक कड़ी है जिसके तहत हिंदू परिवारों के धर्म परिवर्तन के बदले उसे विदेश से फंडिंग भी होती थी। इसकी रिपोर्ट भी बनी और गृह मंत्रालय को भेजी भी गई। यह बात अलग है कि देर से ही सही लेकिन अब कार्रवाई पुख्ता हो रही है। बताते चलें कि मिशन आबाद भारत-नेपाल के बीच तराई व मधेश क्षेत्र में समुदाय विशेष की आबादी बढ़ाने की कोशिश है। इसके तहत शिक्षण संस्थानों की आड़ में असम व पश्चिम बंगाल तक के लोगों को बसाने का प्रयास भी इसी का हिस्सा है। यही वजह है कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में इस तरह की गतिविधियों की व्यापक जांच राष्ट्रहित में हो और यदि कोई राजनीतिक हस्तक्षेप करता है तो उसके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाए अन्यथा भारत का इस्लामीकरण कोई मुश्किल कार्य नहीं है जैसा कि अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र चल रहा है। इसी तरह से ईसाई मिशनरियों व बौद्ध संगठनों की भी जांच हो जो विदेशियों के इशारे पर भारतीय राजनीति को प्रभावित करने के उद्यम करते हैं। कमलेश पांडेय Read more » How did the UP government take 8 years to identify Jamaluddin alias Changur हिन्दू परिवारों के धर्म परिवर्तन कराने के ठेकेदार जमालुद्दीन उर्फ छांगुर
राजनीति लेख छांगुर बाबा के साम्राज्य का अंत लेकिन कितने बाकी July 14, 2025 / July 14, 2025 by राजेश कुमार पासी | Leave a Comment राजेश कुमार पासी अकसर हिन्दू संगठन लव जिहाद का मुद्दा उठाते रहते हैं लेकिन सभी उनका मजाक उड़ाते हैं कि ये उनकी साम्प्रदायिक सोच है, ऐसा कुछ नहीं है । विडम्बना यह है कि बार-बार लव जिहाद के मामले सामने आते रहते हैं लेकिन उनकी अनदेखी कर दी जाती है । लव जैहाद कुछ और नहीं है बल्कि हिन्दू लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाने का एक तरीका है । यह भी बार-बार सुनने में आता है कि लव जैहाद के लिए मुस्लिम लड़को को पैसा दिया जाता है ताकि वो हिन्दू लड़कियों को अपने प्यार के जाल में फंसाकर उनसे शादी करें और इसके बाद उन्हें इस्लाम कबूल करवायें । यूपी के बलरामपुर के उतरौला के छांगुर बाबा के मामले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि इस देश में सुनियोजित तरीके से धर्म परिवर्तन का धंधा चल रहा है । मुस्लिम देशों से इसके लिए बेइंतहा पैसा आ रहा है इसलिए इस धंधे के लिए पैसे की कोई कमी नहीं है । मुस्लिम लड़कों के लिए ये दोगुने फायदे का काम है । एक तो उन्हें इस काम के लिए मोटी रकम मिलती है तो दूसरी तरफ उन्हें इस काम से धर्म की सेवा का मौका भी मिलता है । मौलाना उन्हें इस काम के बदले जन्नत का लालच देते हैं । उतरौला में पैदा होने वाला छांगुर बाबा कभी भीख मांग कर गुजारा करता था और इसके बाद उसने नकली अंगूठी बेचने का धंधा शुरू किया लेकिन जब उसने धर्म परिवर्तन का धंधा शुरू किया तो वो सैकड़ों करोड़ का स्वामी बन गया । आसपास के इलाकों में उसका इतना दबदबा हो गया कि उसके खिलाफ मुंह खोलना किसी के लिए संभव नहीं था । वास्तव में उसने अपने इलाके में पुलिस-प्रशासन और अदालत में इतनी पकड़ बना रखी थी कि उसके खिलाफ आवाज उठाने वाले के ऊपर फर्जी मुकदमें ठोक दिये जाते थे । हैरानी की बात है कि कई एकड़ की सरकारी भूमि पर उसने कब्जा करके बड़ी इमारत बनाकर अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया था लेकिन वहां का प्रशासन आँखे बंद करके बैठा रहा । सवाल यह है कि पिछले 15-16 सालों से बलरामपुर में गैरकानूनी धंधे कर रहे छांगुर बाबा पर पुलिस और प्रशासन इतने मेहरबान क्यों थे । मैं सरकारी सेवा में 27 साल रहा हूं, अच्छी तरह जानता हूं कि अफसर सब कुछ देखकर अनदेखा क्यों करते हैं । इस सच को भी जानता हूं कि इस अनदेखी के लिए पैसा ऊपर से नीचे तक जाता है । मतलब साफ है कि स्थानीय प्रशासन में बैठे लोगों को सब कुछ पता था लेकिन उन्हें अनजान बने रहने के लिए छांगुर बाबा नियमित रूप से मोटा पैसा दे रहा होगा । मुख्यमंत्री योगी कितने भी सख्त प्रशासक हों लेकिन अभी भी पुराना इको सिस्टम काम कर रहा है । सच यह भी है कि अगर योगी मुख्यमंत्री नहीं होते तो यह बाबा कभी पकड़ में नहीं आता । ये योगी ही हैं जिनके कारण प्रशासन उसके खिलाफ कार्यवाही करने को मजबूर हुआ अन्यथा ये मामला दबा दिया जाता । आज ईडी भी उसके खिलाफ जांच कर रही है लेकिन सवाल यह है कि लगभग 300 करोड़ की फंडिंग जुटा लेने वाले बाबा पर किसी की नजर पहले क्यों नहीं पड़ी । मुझे ऐसा लगता है कि छांगुर पर कार्यवाही के साथ-साथ उन अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्यवाही की जानी चाहिए जो उसकी मदद कर रहे थे । मेरा तो मानना है कि बाबा के खिलाफ कार्यवाही से पहले इनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए क्योंकि उनके लालच ने ही ऐसा बाबा पैदा किया था । सरकार से वेतन लेने वाले ये लोग देश के खिलाफ जाकर बाबा का काम कर रहे थे । घर का एक छज्जा इन्हें दिखाई दे जाता है लेकिन 70 कमरों वाला महल इन्हें दिखाई नहीं दिया । बैंक खातों में इतने बड़े लेनदेन के बावजूद आरबीआई को इसकी सूचना क्यों नहीं दी गई । उसने अपनी इमारत की दीवार बहुत ऊंची बनाई हुई थी और उन पर बिजली वाली कंटीली तारें लगाई हुई थी । किसी ने यह नहीं सोचा कि इतनी सुरक्षा क्यों की जा रही है और क्या छिपाया जा रहा है । पुलिस को कभी इस इमारत में आने-जाने वालों पर कोई शक नहीं हुआ और उसे किसी खबरी ने कभी नहीं बताया कि वहां क्या चल रहा है । लोकल पुलिस से उसके कारनामे कैसे छुपे रह गए । छांगुर बाबा ने गरीब एवं विधवा हिन्दू लड़कियों और प्रेमजाल में फंसाकर लाई गई गैर-मुस्लिम लड़कियों के धर्मपरिवर्तन और यौन शोषण की पूरी व्यवस्था तैयार की हुई थी । इसके लिए उसने कोडवर्ड बनाए हुए थे, मतांतरण को मिट्टी पलटना कहा जाता था । लड़कियों को प्रोजेक्ट कहा जाता था और उन्हें मानसिक रूप से प्रभावित करने को काजल करना कहा जाता था, दर्शन करना मतलब बाबा से मिलवाना था । बाबा आर्थिक रूप से कमजोर, विधवा और गैर-इस्लामी लड़कियों को बहला-फुसलाकर कर मतांतरण के लिए इस्तेमाल करता था । उसने मतांतरण के लिए जाति-धर्म के अनुसार एक निश्चित रकम तय की हुई थी । इसका नेटवर्क सिर्फ बलरामपुर तक नहीं था बल्कि यूपी के कई इलाकों में फैला हुआ था । यूपी से बाहर भी उसने अपना धंधा फैलाया हुआ था । शिक्षा की आड़ में उसने विदेशी फंडिंग की मदद से बड़ी संख्या में मदरसों का निर्माण किया हुआ था । वो सस्ती और सरकारी जमीनों पर मदरसों को निर्माण करवाता था और फिर उसके नाम पर विदेशी फंडिंग हासिल करता था । कितनी अजीब बात है कि गाजा में मुस्लिम बच्चे भूखे मर रहे हैं लेकिन मुस्लिम देश उनकी मदद को आगे नहीं आ रहे हैं लेकिन धर्म परिवर्तन के लिए ये देश पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं । ये मुस्लिम देश गरीब मुस्लिमों की मदद करने की जगह गैर-मुस्लिमों को इस्लाम धर्म अपनाने के लिए खुले दिल से पैसा बांट रहे हैं । गरीब अफ्रीकी देशों में मुस्लिम समाज के लोग भूखे मर रहे हैं और उनकी मदद केवल यूरोपीय देशों द्वारा की जा रही है । अरबी मुस्लिम अपने सोने के महलों में अय्याशी कर रहे हैं लेकिन उनकी तरफ देखने को तैयार नहीं हैं । कितनी अजीब बात है कि जो पहले से मुस्लिम हैं, उनकी चिंता नहीं है लेकिन जो गैर-मुस्लिम हैं, उनको मुस्लिम बनाने के लिए ये लोग अरबों रुपये लुटाने के लिए तैयार हैं । ये सोचना गलत होगा कि इन लोगों के पास केवल एक छांगुर बाबा होगा बल्कि मेरा मानना है कि इन्होंने ऐसे बाबाओं की एक फौज तैयार कर रखी होगी । एक हिन्दू लड़की, जिसका मतांतरण के बाद आयत खान नाम रख दिया गया था, उसने बताया है कि ये लोग कहते थे कि 2047 में भारत को इस्लामिक मुल्क बना देंगे । उसे बताया गया कि तुम मुस्लिम बन गई हो, अब तुम्हें भी जन्नत मिल जाएगी । अभी इस मामले की बहुत पर्ते खुलनी है, लगता है कि ये मामला बहुत बड़ा है । छांगुर बाबा के कई माफिया गिरोह के साथ मिलीभगत सामने आ रही है । वैसे भी इतनी बड़ी मात्रा में सरकारी जमीनों पर कब्जा बिना माफिया की मदद के संभव नहीं लगता । हिन्दू समाज को इस मामले पर नजर रखनी होगी क्योंकि उसे धर्मनिरपेक्षता की भांग पिलाकर मूर्ख बनाया जा रहा है । कई मुस्लिम संगठन भारत को सुनियोजित तरीके से इस्लामिक देश बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं । छांगुर बाबा अकेला नहीं हो सकता और न जाने कितने छांगुर बाबा हमारे देश में छुप कर इस काम में लगे हुए होंगे । केन्द्र सरकार को विपक्ष शासित राज्यों पर विशेष नजर रखने की जरूरत है क्योंकि मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण विपक्षी दलों की सरकारें ऐसे लोगों के खिलाफ कार्यवाही कभी नहीं करेंगी । हमें समझना होगा कि लव जिहाद हमारे देश की सच्चाई है, इसे अनदेखा करना घातक साबित होगा । सब कुछ सरकार नहीं कर सकती, एक समाज के तौर पर हमें भी सतर्क रहना होगा । हिन्दू संगठनों को भी उन महिलाओं पर नजर रखने की जरूरत है, जो किसी कारण बेसहारा या गरीब हैं क्योंकि छांगुर जैसे गिद्ध मौके की तलाश में घूम रहे हैं । एक सच यह भी सामने आया है कि धर्म परिवर्तन के काम में छांगुर बाबा की मदद वो मुस्लिम कर रहे थे, जिनका धर्म परिवर्तन करवाया गया था । सरकार को उन लोगों पर नजर रखने की जरूरत है जिन्होंने नया-नया धर्म परिवर्तन किया हो । देखा गया है कि धर्म परिवर्तन के काम में ये लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं । यही लोग हैं जो अपना धर्म बदलने के बाद अन्य लोगों को धर्म बदलवाने की कोशिश ज्यादा करते हैं और कामयाब भी हो जाते हैं । वास्तव में उनकी हिन्दू समाज में रिश्तेदारी होती है तो ये दूसरों को आसानी से बहला लेते हैं । सवाल यह है कि यह तरीका सिर्फ मुस्लिम संगठनों द्वारा ही इस्तेमाल किया जा रहा है, जवाब नहीं है क्योंकि कुछ ऐसा तरीका ईसाई बनाने के लिए भी अपनाया जाता है। जब रेटलिस्ट बनाकर धर्मपरिवर्तन करवाया जा रहा हो तो बहुत सतर्क रहने की जरूरत है । हिन्दू समाज को खुद से सवाल करना होगा कि वो कब तक धर्मनिरपेक्षता के नशे में डूबा रहेगा । धर्मनिरपेक्षता का ये मतलब नहीं होता कि अपना धर्म बर्बाद होते चुपचाप देखते रहो । छांगुर बाबा मामले से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है । एक समाज के रूप में हमें अपनी जिम्मेदारी समझने की जरूरत है क्योंकि इस देश में पैसे के लिए बिकने वाले लोग शासन-प्रशासन में बैठे हुए हैं । अंत में एक भूतपूर्व कर्मचारी होने के नाते कहना चाहूंगा कि पूरी व्यवस्था भ्रष्टाचार में डूबी हुई है, उसके सहारे सब कुछ नहीं छोड़ा जा सकता । राजेश कुमार पासी Read more » The end of Changur Baba's empire but how many are left छांगुर बाबा के साम्राज्य का अंत