राजनीति युद्ध के बाद जश्न और मातम के निहितार्थ June 30, 2025 / June 30, 2025 by डॉ घनश्याम बादल | Leave a Comment डॉ घनश्याम बादल हालांकि भारत और पाकिस्तान तथा इसराइल और ईरान के बीच युद्ध की विभीषिका शांत हो गई है और इन दो बड़े युद्धों से दुनिया कम से कम अभी तो बच गई है मगर कोई निश्चित तौर पर यह नहीं कह सकता कि इन देशों के बीच या कहीं भी कब किस मुद्दे […] Read more » The implications of celebration and mourning after the war युद्ध के बाद जश्न और मातम
राजनीति कथावाचक, समाज और जातिवाद की राजनीति June 30, 2025 / June 30, 2025 by राजेश कुमार पासी | Leave a Comment राजेश कुमार पासी हमारे देश में जाति-धर्म का मुद्दा राजनीति करने के लिए नेताओं को खूब लुभाता है । जैसे ही उनको ऐसा अवसर मिलता है वो उसे तुरंत लपक लेते हैं क्योंकि इस मुद्दे पर कुछ नहीं करना होता, सिर्फ लोगों को भड़काना होता है । ऐसा ही एक मुद्दा उत्तर प्रदेश की राजनीति […] Read more » कथावाचक
राजनीति जगन्नाथ रथयात्रा हादसा प्रबंधन की भूल का परिणाम June 30, 2025 / June 30, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भ- जगन्नाथ पुरी की रथयात्रा में हुआ हादसाप्रमोद भार्गव धार्मिक उत्सवों में दुर्घटनाओं का सिलसिला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। प्रयागराज कुंभ मेले में और इसी साल जून माह में बैंगलुरु में आईपीएल मैच में मची भगदड़ की स्मृतियां विलोपित भी नहीं हो पाईं थीं कि पुरी में चल रहे भगवान जगन्नाथ […] Read more » जगन्नाथ रथयात्रा हादसा
आर्थिकी राजनीति भारत की आर्थिक प्रगति में अब तो ईश्वर भी सहयोग कर रहा है June 30, 2025 / June 30, 2025 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment कुछ दिनों पूर्व भारत में दो विशेष घटनाएं हुईं, परंतु देश के मीडिया में उनका पर्याप्त वर्णन होता हुआ दिखाई नहीं दिया है। प्रथम, भारत के अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के क्षेत्र में कच्चे तेल के अपार भंडार होने का पता लगा है, कहा जा रहा है कि कच्चे तेल का यह भंडार इतनी भारी मात्रा में है कि भारत, कच्चे तेल सम्बंधी, न केवल अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर पाएगा बल्कि कच्चे तेल का निर्यात करने की स्थिति में भी आ जाएगा। यदि भारत को कच्चे तेल की उपलब्धि पर्याप्त मात्रा में हो जाती है तो इसका प्रसंस्करण कर, डीजल एवं पेट्रोल के रूप में, पूरी दुनिया की खपत को पूरा करने की क्षमता को भी भारत विकसित कर सकता है। भारत में विश्व की सबसे बड़ी रिफाइनरी गुजरात के जामनगर में पूर्व में ही स्थापित है। अतः कच्चे तेल के साथ साथ डीजल एवं पेट्रोल का भी भारत सबसे बड़ा निर्यातक देश बन सकता है। जैसा कि दावा किया जा रहा है, यदि यह दावा सच्चाई के धरातल पर खरा उतरता है तो आगे आने वाले समय में भारत का विश्व में पुनः “सोने की चिड़िया” बनना लगभग तय है। भारत आज पूरे विश्व में कच्चे तेल का चीन एवं अमेरिका के बाद सबसे बड़ा आयातक देश है और विदेशी व्यापार के अंतर्गत भी कच्चे तेल के आयात पर ही सबसे अधिक विदेशी मुद्रा खर्च हो रही है। कच्चे तेल का उत्पादन यदि भारत में ही होने लगता है तो न केवल इसके आयात पर होने वाले भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा के खर्च को बचाया जा सकेगा बल्कि पेट्रोल एवं डीजल के निर्यात से विदेशी मुद्रा का भारी मात्रा में अर्जन भी किया जा सकेगा। जिसके कारण, भारत में विदेशी मुद्रा के भंडार में अतुलनीय बचत एवं संचय होता हुआ दिखाई देगा और इस प्रकार भारत विश्व में विदेशी मुद्रा का सबसे बड़ा संचयक देश बन सकता है। वर्तमान में भारत कच्चे तेल की अपनी कुल आवश्यकता का 85 प्रतिशत से अधिक हिस्सा लगभग 42 देशों से प्रतिवर्ष आयात करता है। भारत कच्चे तेल की अपनी कुल खरीद का 46 प्रतिशत हिस्सा पश्चिम एशिया के देशों से आयात करता है। वर्तमान में भारत द्वारा कच्चे तेल एवं गैस के आयात पर 10,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की राशि खर्च प्रतिवर्ष किया जा रहा है। भारत सरकार के पेट्रोलीयम मंत्री श्री हरदीपसिंह जी पुरी ने जानकारी प्रदान की है कि अंडमान एवं निकोबार के समुद्री क्षेत्र में कच्चे तेल एवं गैस का बहुत बड़ा भंडार मिला है। एक अनुमान के अनुसार यह भंडार 12 अरब बैरल (2 लाख करोड़ लीटर) का हो सकता है जो हाल ही में गुयाना में मिले कच्चे तेल के भंडार जितना ही बड़ा है। गुयाना में 11.6 अरब बैरल कच्चे तेल एवं गैस के भंडार पाए गए है। इस भंडार के बाद गुयाना कच्चे तेल के उत्पादन के मामले में विश्व में शीर्ष स्थान पर पहुंच सकता है जबकि अभी ग़ुयाना का विश्व में 17वां स्थान है। वर्ष 1947 में प्राप्त हुई राजनैतिक स्वतंत्रता के बाद के लगभग 70 वर्षों तक भारत की समुद्री सीमा की क्षमता का उपयोग करने का गम्भीर प्रयास किया ही नहीं गया था। हाल ही में भारत सरकार द्वारा इस संदर्भ में किए गए प्रयास सफल होते हुए दिखाई दे रहे हैं। अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के समुद्री क्षेत्र में कच्चे तेल एवं गैस के भारी मात्रा में जो भंडार मिले हैं उनका अन्वेषण का कार्य समाप्त हो चुका है एवं अब ड्रिलिंग का कार्य प्रारम्भ किया जा रहा है। ड्रिलिंग का कार्य समाप्त होने के बाद कच्चे तेल एवं गैस के भंडारण का सही आंकलन पूर्ण कर लिया जाएगा। अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में आधारभूत संरचना का विकास भी बहुत तेज गति से किया जा रहा है। इंडोनेशिया के सुमात्रा क्षेत्र के समुद्रीय इलाकों से भी भारी मात्रा में कच्चा तेल निकाला जा रहा है तथा भारत का अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह भी इंडोनेशिया से कुछ ही दूरी पर स्थित है। इसके कारण यह आंकलन किया जा रहा है कि अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के समुद्रीय क्षेत्र में भी कच्चे तेल एवं गैस के अपार भंडार मौजूद हो सकते है। हर्ष का विषय यह भी है कि इस क्षेत्र में कच्चे तेल एवं गैस के साथ साथ अन्य दुर्लभ भौतिक खनिज पदार्थों (रेयर अर्थ मिनरल/मेटल) के भारी मात्रा में मिलने की सम्भावना भी व्यक्त की जा रही है। भारी मात्रा में मिलने जा रहे कच्चे तेल के चलते भारत अपनी परिष्करण क्षमता को बढ़ाने पर विचार कर रहा है। चूंकि चीन ने कुछ दुर्लभ भौतिक खनिज पदार्थों का भारत को निर्यात करना बंद कर दिया है अतः भारत के अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में इन पदार्थों का मिलना भारत के लिए बहुत बड़ी खुशखबर है। पूर्व में भी भारत में कच्चे तेल एवं गैस के भंडार का पता चला था, जैसे बॉम्बे हाई, काकीनाड़ा, बलिया एवं समस्तिपुर, आदि। इन समस्त स्थानों पर कच्चे तेल को निकालने के संबंच में आवश्यक कार्य प्रारम्भ हो चुका है। दरअसल, इस कार्य में पूंजीगत खर्च बहुत अधिक मात्रा में होता है। जापान, रूस एवं अमेरिका से तकनीकी सहायता प्राप्त करने के लिए इन देशों की बड़ी कम्पनियों के साथ करार करने के प्रयास भी भारत सरकार द्वारा किए जा रहे हैं। भारत का समुद्रीय क्षेत्र 5 लाख किलोमीटर का है। इसी प्रकार, पश्चिम बंगाल के समुद्रीय इलाके में भी खोज जारी है एवं इस क्षेत्र में भी कच्चे तेल एवं गैस के भंडार मिलने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। अंडमान एवं निकोबार क्षेत्र में कच्चे तेल का उत्पादन प्रारम्भ होने के पश्चात आगामी लगभग 70 वर्षों तक भारत को कच्चे तेल के आयात की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। द्वितीय शुभ समाचार यह प्राप्त हुआ है कि भारत के कर्नाटक राज्य में कोलार क्षेत्र में स्थित अपनी सोने की खदानों में भारत एक बार पुनः खनन की प्रक्रिया को प्रारम्भ करने के सम्बंध में विचार कर रहा है। कोलार गोल्ड फील्ड (KGF) को वर्ष 2001 में खनन की दृष्टि से बंद कर दिया गया था। परंतु, अब 25 वर्ष पश्चात स्वर्ण की इन खदानों में खनन की प्रक्रिया को पुनः प्रारम्भ किए जाने के प्रयास किए जा रहे है। इस संदर्भ में कर्नाटक सरकार ने भी अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। आज पूरे विश्व में सोने की कीमतें आसमान छूते हुए दिखाई दे रही है और विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक अपने सोने के भंडार में वृद्धि करते हुए दिखाई दे रहे हैं क्योंकि अमेरिकी डॉलर पर इन देशों का विश्वास कुछ कम होता जा रहा है। बहुत सम्भव है कि आगे आने वाले समय में अमेरिकी डॉलर के बाद एक बार पुनः स्वर्ण मुद्राएं ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले व्यापार के भुगतान का माध्यम बनें। ऐसे समय में भारत के कोलार क्षेत्र में स्थित स्वर्ण की खदानों में एक बार पुनः खनन की प्रक्रिया को प्रारम्भ करना एक अति महत्वपूर्ण निर्णय कहा जा सकता है। कोलार स्थित स्वर्ण की इन खदानों में 750 किलोग्राम स्वर्ण की प्राप्ति की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। प्राचीन काल में कोलार गोल्ड फील्ड को गोल्डन सिटी आफ इंडिया कहा जाता था। प्राचीन काल में में भारत को “सोने की चिड़िया” कहा जाता था। एक अनुमान के अनुसार, भारतीय महिलाओं के पास 25,000 से 26,000 टन स्वर्ण का भंडार है। यह भी कहा जा रहा है कि भारत की महिलाओं के पास स्वर्ण का जितना भंडार है लगभग उतना ही भंडार पूरे विश्व में अन्य देशों के पास है। अर्थात, पूरे विश्व में उपलब्ध स्वर्ण का आधा भाग भारतीय महिलाओं के पास आज भी उपलब्ध है। ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में स्थापित अपनी सत्ता के खंडकाल के दौरान लगभग 900 टन स्वर्ण, कोलार की खदानों से निकालकर, ब्रिटेन लेकर जाया गया था। भारत की केंद्रीय बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक, के पास आज 880 टन स्वर्ण के भंडार हैं, जो कि भारत के 69,700 करोड़ अमेरिकी डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार का 12 प्रतिशत हिस्सा है। हाल ही के समय में विदेशी निवेशकों का भारत पर विश्वास बढ़ा है अतः भारत का स्वर्णिम काल पुनः प्रारम्भ हो रहा है। विश्व के विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के पास आज 36,000 टन स्वर्ण का भंडार हैं, जबकि इनमे से कई देशों के केंद्रीय बैंक अभी भी स्वर्ण की खरीदी करते जा रहे हैं। स्वर्ण भंडार की दृष्टि से भारत का आज विश्व में 8वां स्थान है। चीन एवं रूस स्वर्ण के सबसे बड़े उत्पादक देश हैं फिर भी ये दोनों देश स्वर्ण का आयात भी जारी रखे हुए हैं। लगातार, पिछले 3 वर्षों से विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक लगभग 1,000 टन स्वर्ण की खरीद प्रतिवर्ष कर रहे हैं। स्वर्ण की खरीदी का यह कार्य रुकने वाला नहीं है आगे भी ऐसे ही चलता रहेगा। अतः भारत सरकार द्वारा भी कोलार गोल्ड फील्ड में स्वर्ण के खनन का कार्य प्रारम्भ किया जा रहा है। स्वर्ण के भंडार बढ़ने के साथ भारत, रुपए का अंतरराष्ट्रीयकरण कर सकता है। साथ ही, स्वर्ण के भंडार बढ़ने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुपए की कीमत भी बढ़ती जाएगी। कुल मिलाकर, अब यह कहा जा सकता है कि ईश्वरीय कृपा से एवं उक्त कारणों के चलते भारत को विश्व में एक बार पुनः “सोने की चिड़िया” बनाया जा सकता है। प्रहलाद सबनानी Read more » India's Andaman and Nicobar Islands have huge reserves of crude oil भारत की आर्थिक प्रगति
राजनीति आतंकवाद पर चीन और पाकिस्तान के दोहरे पैमाने June 30, 2025 / June 30, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव आतंकवाद के मसले पर चीन के किंगदाओ नगर में हुई शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में एक बार फिर चोर-चोर मौसेरे भाई चीन और पाकिस्तान ने भारतीय हितों के परिप्रेक्ष्य में दोगलापन दिखाया है। इस बैठक में सदस्य देशों के रक्षा मंत्री उपस्थित थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आतंकवाद के खात्मे के […] Read more » आतंकवाद
राजनीति टीएमसी नेताओं की निर्लज्ज टिप्पणियों से उठा विवाद June 30, 2025 / June 30, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग कोलकत्ता में कानून की एक छात्रा से सामूहिक दुराचार-गैंगरेप का मुद्दा एक बार फिर पश्चिम बंगाल में जितना बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनने लगा है उतना ही बड़ा नारी उत्पीड़न का मुद्दा बनकर उभर रहा है। इस मामले में पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं की अनर्गल एवं निर्लज्ज […] Read more » rape of laws student in Bengal टीएमसी नेताओं की निर्लज्ज टिप्पणि
राजनीति इसराइल के प्रधानमंत्री के ओजस्वी भाषण के प्रेरक अंश June 27, 2025 / June 27, 2025 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment इसराइल अपनी जिजीविषा के लिए जाना जाता है। इसने अपनी जीवंतता का एक इतिहास बनाया है। 1948 से पहले यहूदियों का कोई देश नहीं था। ये दर-दर की ठोकरें खा रहे थे और अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे थे। जब इस्लाम और ईसाइयत संसार के एकमात्र यहूदी देश को मिटाने पर सदियों से […] Read more » इसराइल के प्रधानमंत्री
राजनीति जब देवकांत बरूआ ने इन्दिरा से कहा था – आप मुझे प्रधानमंत्री बना दो.. June 27, 2025 / June 27, 2025 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment बात उस समय की है जब देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के विरुद्ध इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा अपना निर्णय सुना दिया गया था। यह निर्णय 1971 में श्रीमती गांधी द्वारा रायबरेली से लड़े गए लोकसभा के चुनाव के दौरान उनके द्वारा बरती गई अनियमितताओं को लेकर सुनाया गया था। श्रीमती गांधी के विरुद्ध […] Read more »
राजनीति एससीओ में रक्षामंत्री का चीन-पाक को कड़ा संदेश June 27, 2025 / June 27, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग – भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के पोर्टे सिटी किंगदाओ में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को बेनकाब करते हुए संयुक्त घोषणापत्र में हस्ताक्षर करने से मना कर न केवल पाकिस्तान और चीन को नये भारत का कड़ा संदेश दिया, बल्कि दुनिया […] Read more » Defense Minister's strong message to China and Pakistan in SCO एससीओ एससीओ में रक्षामंत्री
राजनीति दुश्मन की नींद उड़ाने वाला स्वदेशी चमत्कार- भारत का ‘आकाशतीर’ ड्रोन June 27, 2025 / June 27, 2025 by शिवानंद मिश्रा | Leave a Comment शिवानन्द मिश्रा “आकाशतीर” नाम का यह स्वदेशी ड्रोन हाल ही में भारत-पाक संघर्ष के दौरान इस्तेमाल हुआ और इसकी ताकत देखकर पाकिस्तान ही नहीं, चीन और अमेरिका तक हैरान रह गए। ये ड्रोन पाकिस्तान की सीमा में बिना किसी शोर और रडार सिग्नल के गया, अपना टारगेट पूरा किया और सही-सलामत लौट भी आया। किसी […] Read more » Akashteer drone An indigenous miracle that will take away the enemy’s sleep – India’s ‘Akashteer’ drone
राजनीति क्या अमेरिका-इजरायल खामेनेई को सत्ता से हटाने में सफल हो पाएंगे ! June 27, 2025 / June 27, 2025 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद ‘मेक ईरान ग्रेट अगेन’ ये बयान दिया था। दरअसल अमेरिका ऐसा कह कर ईरान में सत्ता परिवर्तन की संभावना तलाश रहा है। अमेरिका राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा, “सत्ता परिवर्तन शब्द का उपयोग करना राजनीतिक रूप […] Read more » America and Israel be successful in removing Khamenei Will America and Israel be successful in removing Khamenei from power? अमेरिका-इजरायल खामेनेई क्या अमेरिका-इजरायल खामेनेई को सत्ता से हटाने में सफल हो पाएंगे !
राजनीति रूस-चीन असंभव काम करने की कोशिश कर रहे हैं June 27, 2025 / June 27, 2025 by राजेश कुमार पासी | Leave a Comment राजेश कुमार पासी वैश्विक राजनीति आज ऐसे मोड़ पर खड़ी है जहां कोई भी देश दूसरे देश पर विश्वास करने को तैयार नहीं है और दूसरी तरफ दुनिया एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था से निकलकर बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की ओर चल पड़ी है । अब भी अमेरिका अकेली महाशक्ति है लेकिन रूस, चीन और भारत उसे चुनौती दे रहे हैं । अमेरिका को यह बर्दाश्त नहीं है इसलिए वो रूस और चीन के रास्ते में रोड़े अटका रहा है । अमेरिका पहले भारत को साथ लेकर चीन को आगे बढ़ने से रोकना चाहता था लेकिन अब उसे भारत से भी डर लगने लगा है। अमेरिका सोचता है कि अगर भारत को नहीं रोका गया तो वो दूसरा चीन बन सकता है। अमेरिका ने रूस को यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझाया हुआ है लेकिन वो रूस को आगे बढ़ने से रोक नहीं पा रहा है। भारत और चीन की मदद से रूस न केवल अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने में कामयाब रहा है बल्कि युद्ध भी जारी रखे हुए है । अमेरिका चीन को तो रूस की मदद करने से नहीं रोक सकता लेकिन भारत को रोकने की पूरी कोशिश कर रहा है। रूस को यह बात समझ आ गई है कि अगर अमेरिका का मुकाबला करना है तो उसे चीन और भारत को साथ लाना पड़ेगा. तभी अमेरिका का मुकाबला किया जा सकता है । रूस की सोच अपनी जगह सही हो सकती है लेकिन वर्तमान हालातों में यह काम असंभव लगता है कि चीन और भारत को साथ लाया जा सके । कुछ मुद्दों पर भारत चीन के साथ मिलकर काम कर सकता है लेकिन उसके साथ भारत के हितों का इतना टकराव है कि एक सीमा से आगे भारत नहीं बढ़ सकता । वास्तव में भारत के लिए चीन से ज्यादा अमेरिका के साथ मिलकर चलना ज्यादा आसान है । इसके अलावा भारत के अमेरिका के सहयोगी देशों के साथ भी अच्छे सम्बन्ध हैं । भारत और चीन की दोस्ती कितनी मुश्किल है, ये बात चीन में चल रही एससीओ संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक से पता चल जाती है । इस संगठन के सदस्य देशों की संख्या दस है और इसमें पाकिस्तान और ईरान भी शामिल हैं । चीन आजकल पाकिस्तान को अपने प्राक्सी के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है. अब ये अलग बात है कि अमेरिका की भी यही कोशिश है । पाकिस्तान का भी अजीब है . वो कभी चीन की गोदी में बैठ जाता है तो कभी अमेरिका की गोदी में चला जाता है । वास्तव में दोनों ही देश पाकिस्तान को भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर रहे हैं । भारत का दबाव था कि एससीओ के साझा घोषणापत्र में आतंकवाद का मुद्दा शामिल किया जाए क्योंकि ये बैठक ही क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर हो रही थी । चीन ने साझा घोषणा पत्र में बलूचिस्तान का जिक्र करके भारत को घेरने की कोशिश की लेकिन पहलगाम का जिक्र तक नहीं किया । भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस बैठक में शामिल होने के लिए चीन गए हुए हैं, उन्होंने सबके सामने पाकिस्तान को इस वैश्विक मंच पर बेनकाब करने का काम किया । उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि आतंकवाद के अपराधियों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराना ही होगा और इससे निपटने में दोहरे मापदंड नहीं होने चाहिए । उन्होंने कहा कि कुछ देश आतंकवादियों को पनाह देने के साथ आतंकवाद को नीतिगत हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि हमारे क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित है । उनका कहना है कि आतंकवाद को पालना और गलत हाथों में परमाणु हथियार होना दोनों गलत हैं और हमें अपनी सामूहिक सुरक्षा के लिए इन बुराइयों के खिलाफ एकजुट होना चाहिए । इसके अलावा उन्होंने कहा कि जो लोग अपने संकीर्ण और स्वार्थी उद्देश्यों के लिए आतंकवाद को प्रायोजित, पोषित और उपयोग करते हैं, उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे । उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि हमने आतंकवाद का समुचित जवाब दिया है और भविष्य में भी देंगे । उन्होंने चीन पर निशाना लगाते हुए कहा कि आतंकवाद से निपटने में दोहरे मापदंडों के लिए कोई जगह नहीं है । उन्होंने मंच से दोहराया कि भारत आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रहा है । चीन और पाकिस्तान ने आतंकवाद के मुद्दे से दुनिया का ध्यान हटाना चाहा लेकिन राजनाथ सिंह ने साझा घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया जिसके कारण एससीओ का संयुक्त बयान जारी नहीं हो सका । इससे पहले चीन गए हुए एनएसए अजित डोभाल ने भी चीन को उनके देश में ही सुना दिया कि आतंकवाद के प्रति उसका दोहरा रवैया भारत बर्दाश्त नहीं करेगा । वास्तव में भारत पाकिस्तान के आतंकवादियों के खिलाफ जब भी संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव लाया है, उसे चीन ने वीटो कर दिया है ।चीन के हथियारों से ही पाकिस्तान भारत से लड़ रहा था और इसके अलावा भी चीन ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उसकी मदद की थी । चीन अन्य मुद्दों पर भारत के साथ मिलकर चल रहा है लेकिन उसके भारत के साथ मतभेद कम नहीं हैं । रूस आरआइसी बनाना चाहता है जिसमें रूस, चीन और भारत शामिल होंगे लेकिन यह रूस की कोई नई सोच नहीं है । पिछले बीस सालों से रूस इसकी कोशिश कर रहा है लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली है । रूस चाहता है कि भारत और चीन इस तरह से मिल जाएं जैसे अमेरिका और यूरोप मिलकर चलते हैं लेकिन यह असंभव लगता है । वैसे देखा जाए तो रूस की कोशिश से भारत और चीन के बीच विवादों में कमी आती जा रही है । यही कारण है कि चीन ने पिछले वर्ष एक कार्टून बनाया था जिसमें हाथी और ड्रैगन मिलकर नाचते हुए दिखाए गए थे । ड्रैगन चीन का और हाथी भारत का प्रतीक मानते हुए यह दर्शाने की कोशिश की गई थी कि दोनों देश मिलकर चल सकते हैं । चीन के साथ समस्या तब शुरू हो जाती है जब आतंकवाद पर उसके दोहरे रवैये की बात आती है । वो आज भी हमारे अक्साई चीन पर कब्जा करके बैठा हुआ है । इसके अलावा भी चीन भारत के कई इलाकों पर अपना दावा पेश करता रहता है । अरुणाचल प्रदेश का तो उसने नाम भी बदला हुआ है । इसके अलावा भारत का चीन के साथ व्यापारिक संतुलन भी समस्या है क्योंकि ये बहुत ज्यादा चीन की तरफ झुका हुआ है । भारत चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा है क्योंकि चीन पर भारत की निर्भरता बहुत ज्यादा है लेकिन एक बात तो सच है कि अमेरिका अब दुनिया पर कुछ ज्यादा ही दादागिरी चला रहा है. भारत और चीन की ये साझी समस्या है । पाकिस्तान सिर्फ चीन की तरफ से समस्या नहीं है बल्कि अमेरिका की तरफ से भी है लेकिन भारत ने सिंधु जल समझौते के जरिये पाकिस्तान से निपटने का रास्ता निकाल लिया है । आतंकवाद के प्रति भारत ने बेहद सख्त रवैया अपना लिया है, चीन ज्यादा देर तक पाकिस्तान की मदद नहीं कर सकता । भारत, चीन और रूस के मिलकर चलने को दुनिया के कई देश उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं क्योंकि अमेरिकी दादागिरी से सारी दुनिया परेशान है । बेशक चीन के साथ भारत का आना असंभव लगता है लेकिन साझे हितों के लिए ये संभव हो सकता है । भारत और चीन दोनों ही जानते है कि अगर वो मिल जाए तो उनकी बहुत सी समस्याएं खत्म हो सकती है । हो सकता है कि दोनों देश दूसरे मुद्दों को को किनारे रखकर आगे बढ़ें । भविष्य में वो हो सकता है जो अभी असंभव लग रहा है और डोनाल्ड ट्रंप के कारण भी ये संभव हो सकता है क्योंकि वो अमेरिका को महान बनाने के चक्कर में दूसरे देशों के हितों की अनदेखी कर रहे हैं । राजेश कुमार पासी Read more » रूस-चीन