राजनीति संकीर्ण जलमार्ग, गहरी चिंता: होर्मुज पर ईरानी शिकंजा June 24, 2025 / June 24, 2025 by जयसिंह रावत | Leave a Comment जयसिंह रावत होर्मुज जलडमरूमध्य, फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ने वाला एक संकरा समुद्री मार्ग, वैश्विक तेल और गैस व्यापार का सबसे महत्वपूर्ण चोक पॉइंट है। हाल ही में अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हवाई हमलों के बाद, ईरान की संसद ने 22 जून 2025 को […] Read more » होर्मुज पर ईरानी शिकंजा
राजनीति ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले के वैश्विक मायने June 24, 2025 / June 24, 2025 by कमलेश पांडेय | Leave a Comment कमलेश पांडेय आखिरकार दुनिया का थानेदार समझे जाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने मित्र यहूदी देश इजरायल की शांति के लिए चुनौती बन चुके कट्टरपंथी इस्लामिक राष्ट्र ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों पर हवाई हमले करके जहां विगत 10 दिनों से चल रहे इजरायल-ईरान युद्ध को एक नया मोड़ दे दिया, […] Read more » Global implications of US attack on Iran's nuclear sites ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले
राजनीति परमाणु आपदा का गहराया संकट June 24, 2025 / June 24, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भः- ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले से हो सकता है विकिरण प्रमोद भार्गव ईरान के एक साथ तीन परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले से परमाणु रिसाव होता है तो बहुत बड़े भू-गर्भ और भूमि क्षेत्र पर विकिरण का खतरा पैदा हो सकता है। यह हमला ईरान के परमाणु संवर्धन प्रतिश्ठान फोदों, नतांज और […] Read more » The threat of nuclear disaster deepens ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले परमाणु आपदा
राजनीति अमेरिकी वर्चस्ववाद के शिकार डोनाल्ड ट्रंप June 23, 2025 / June 23, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भः इजरायल-ईरान युद्ध और परमाणु टकराव प्रमोद भार्गव इजरायल के कंधे पर बंदूक रखकर डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी वर्चस्ववाद की महिमा को स्थापित करने में लगे हैं। उनका यही बर्ताव पहली बार राष्ट्रपति बनने के बाद ईरान के परिप्रेक्ष्य में रहा था। परमाणु शक्ति संपन्न पश्चिमी देशों को आशंका है कि ईरान परमाणु बम बना लेने […] Read more » Donald Trump a victim of American hegemony इजरायल-ईरान युद्ध इजरायल-ईरान युद्ध और परमाणु टकराव
आर्थिकी राजनीति भारत आध्यात्म एवं युवाओं के बल पर प्रतिव्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में अतुलनीय वृद्धि कर सकता है June 23, 2025 / June 23, 2025 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment जापान की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ते हुए भारत आज विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और संभवत आगामी लगभग दो वर्षों के अंदर जर्मनी की अर्थव्यवस्था से आगे निकलकर विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की अपनी अपनी विशेषताएं हैं, जिसके आधार पर यह अर्थव्यवस्थाएं विश्व में उच्च स्थान पर पहुंची हैं एवं इस स्थान पर बनी हुई हैं। प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के मामले में आज भी कई विकसित देश भारत से आगे हैं। इन समस्त देशों के बीच चूंकि भारत की आबादी सबसे अधिक अर्थात 140 करोड़ नागरिकों से अधिक है, इसलिए भारत में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद बहुत कम है। अमेरिका के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 30.51 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है और प्रति ब्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 89,110 अमेरिकी डॉलर हैं। इसी प्रकार, चीन के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 19.23 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 13,690 अमेरिकी डॉलर है और जर्मनी के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 4.74 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 55,910 अमेरिकी डॉलर है। यह तीनों देश सकल घरेलू उत्पाद के आकार के मामले में आज भारत से आगे हैं। भारत के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 4.19 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है तथा प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद केवल 2,880 अमेरिकी डॉलर है। भारत के पीछे आने वाले देशों में हालांकि सकल घरेलू उत्पाद का आकार कम जरूर है परंतु प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के मामले में यह देश भारत से बहुत आगे हैं। जैसे जापान के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 4.18 लाख करोड़ है और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 33,960 अमेरिकी डॉलर है। ब्रिटेन के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 3.84 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 54,950 अमेरिकी डॉलर है। फ्रान्स के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 3.21 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 46,390 अमेरिकी डॉलर है। इटली के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 2.42 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 41,090 अमेरिकी डॉलर है। कनाडा के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 2.23 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 53,560 अमेरिकी डॉलर है। ब्राजील के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 2.13 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 9,960 अमेरिकी डॉलर है। सकल घरेलू उत्पाद के आकार के मामले में विश्व की सबसे बड़ी 10 अर्थव्यवस्थाओं में भारत शामिल होकर चौथे स्थान पहुंच जरूर गया है परंतु प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के मामले में भारत इन सभी अर्थव्यवस्थाओं से अभी भी बहुत पीछे है। इस सबके पीछे सबसे बड़े कारणों में शामिल है भारत द्वारा वर्ष 1947 में राजनैतिक स्वतंत्रता प्राप्ति पश्चात, आर्थिक विकास की दौड़ में बहुत अधिक देर के बाद शामिल होना। भारत में आर्थिक सुधार कार्यक्रमों की शुरुआत वर्ष 1991 में प्रारम्भ जरूर हुई परंतु इसमें इस क्षेत्र में तेजी से कार्य वर्ष 2014 के बाद ही प्रारम्भ हो सका है। इसके बाद, पिछले 11 वर्षों में परिणाम हमारे सामने हैं और भारत विश्व की 11वीं अर्थव्यवस्था से छलांग लगते हुए आज 4थी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। दूसरे, इन देशों की तुलना में भारत की जनसंख्या का बहुत अधिक होना, जिसके चलते सकल घरेलू उत्पाद का आकार तो लगातार बढ़ रहा है परंतु प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद अभी भी अत्यधिक दबाव में है। अमेरिका में तो आर्थिक क्षेत्र में सुधार कार्यक्रम 1940 में ही प्रारम्भ हो गए थे एवं चीन में वर्ष 1960 से प्रारम्भ हुए। अतः भारत इस मामले में विश्व के विकसित देशों से बहुत अधिक पिछड़ गया है। परंतु, अब भारत में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले नागरिकों की संख्या में तेजी से कमी हो रही है तथा साथ ही अतिधनाडय एवं मध्यमवर्गीय परिवारों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है, जिससे अब उम्मीद की जानी चाहिए कि आगे आने वाली समय में भारत में भी प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में तेज गति से वृद्धि होगी। विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, अमेरिका में सेवा क्षेत्र इसकी सबसे बढ़ी ताकत है। अमेरिका में केवल 2 प्रतिशत आबादी ही कृषि क्षेत्र पर निर्भर है और अमेरिका की अधिकतम आबादी उच्च तकनीकी का उपयोग करती है जिसके कारण अमेरिका में उत्पादकता अपने उच्चत्तम स्तर पर है। पेट्रोलीयम पदार्थों एवं रक्षा उत्पादों के निर्यात के मामले में अमेरिका आज पूरे विश्व में प्रथम स्थान पर है। वर्ष 2024 में अमेरिका ने 2.08 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर मूल्य के बराबर का सामान अन्य देशों को निर्यात किया है, जो चीन के बाद विश्व के दूसरे स्थान पर है। तकनीकी वर्चस्व, बौद्धिक सम्पदा एवं प्रौद्योगिकी नवाचार ने अमेरिका को विकास के मामले में बहुत आगे पहुंचा दिया है। टेक्निकल नवाचार से जुड़ी विश्व की पांच शीर्ष कम्पनियों में से चार, यथा एप्पल, एनवीडिया, माक्रोसोफ्ट एवं अल्फाबेट, अमेरिका की कम्पनियां हैं। इन कम्पनियों का संयुक्त बाजार मूल्य 12 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से भी अधिक है, जो विश्व के कई देशों के सकल घरेलू उत्पाद से बहुत अधिक है। अतः अमेरिका के नागरिकों ने बहुत तेजी से धन सम्पदा का संग्रहण किया है इसी के चलते प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद अमेरिका में बहुत अधिक है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद वर्ष 1944 में अमेरिका के ब्रेटन वुड्ज नामक स्थान पर हुई एतिहासिक बैठक में विश्व के 44 देशों ने वैश्विक वित्तीय व्यवस्था के नए ढांचे पर सहमति जताते हुए अपने देश की मुद्रा को अमेरिकी डॉलर से जोड़ दिया था। इसके बाद से वैश्विक अर्थव्यवस्था में अमेरिकी डॉलर का दबदबा बना हुआ है। आज विश्व का लगभग 80 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग लेन देन अमेरिकी डॉलर में होता है। अमेरिका के बाद विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन को पूरे विश्व का विनिर्माण केंद्र कहा जाता है क्योंकि आज पूरे विश्व के औद्योगिक उत्पादन का 31 प्रतिशत हिस्सा चीन में निर्मित होता है। चीन में पूरे विश्व की लगभग समस्त कम्पनियों ने अपनी विनिर्माण इकाईयां स्थापित की हुई हैं। चीन के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण इकाईयों का योगदान 27 प्रतिशत से अधिक हैं। पूरे विश्व में आज उत्पादों के निर्यात के मामले में प्रथम स्थान पर है। विभिन्न उत्पादों का निर्यात चीन की आर्थिक शक्ति का प्रमुख आधार है। सस्ती श्रम लागत के चलते चीन में उत्पादित वस्तुओं की कुल लागत तुलनात्मक रूप से बहुत कम होती है। वर्ष 2024 में चीन का कुल निर्यात 3.57 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक का रहा है। विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अर्थात जर्मनी ने पिछले एक वर्ष में 25,000 पेटेंट अर्जित किए हैं। जर्मनी को, ऑटोमोबाइल उद्योग ने, पूरे विश्व में एक नई पहचान दी है। चार पहिया वाहनों के उत्पादन एवं निर्यात के मामले में जर्मनी पूरे विश्व में प्रथम स्थान पर है। जर्मनी में निर्मित चार पहिया वाहनों का 70 प्रतिशत हिस्सा निर्यात होता है। यूरोपीय यूनियन के देशों की सड़कों पर दौड़ने वाली हर तीसरी कार जर्मनी में निर्मित होती है। जर्मनी विश्व का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है, जिसने 2024 में 1.66 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर मूल्य के बराबर राशि के उत्पाद एवं सेवाओं का निर्यात किया था। मुख्य निर्यात वस्तुओं में मोटर वाहनों के अलावा मशीनरी, रसायन और इलेक्ट्रिक उत्पाद शामिल हैं। आज भारत सकल घरेलू उत्पाद के आकार के मामले में विश्व में चौथे पर पहुंच गया है परंतु भारत को प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के मामले में जबरदस्त सुधार करने की आवश्यकता है। भारत पूरे विश्व में आध्यात्म के मामले में सबसे आगे है अतः भारत को धार्मिक पर्यटन को सबसे तेज गति से आगे बढ़ाते हुए युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर निर्मित करने चाहिए जिससे नागरिकों की आय में वृद्धि करना आसान हो। दूसरे, भारत में 80 करोड़ आबादी का युवा (35 वर्ष से कम आयु) होना भी विकास के इंजिन के रूप में कार्य कर सकता है। भारत की विशाल आबादी ने भारत को विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में अपना योगदान दिया है। भारत की अर्थव्यवस्था में विविधता झलकती है और यह केवल कुछ क्षेत्रों पर निर्भर नहीं है। भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का योगदान 16 प्रतिशत है तथा रोजगार के अधिकतम अवसर भी कृषि क्षेत्र से ही निकलते हैं, जिसके चलते प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद विपरीत रूप से प्रभावित होता है। सेवा क्षेत्र का योगदान 60 प्रतिशत से अधिक है परंतु, विनिर्माण क्षेत्र का योगदान बढ़ाने की आवश्यकता है। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत में 81 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ है अर्थात विदेशी निवेशक भारत में अपनी विनिर्माण इकाईयों की स्थापना करते हुए दिखाई दे रहे हैं। आज विदेशी निवेशकों का भारतीय अर्थव्यवस्था में विश्वास बढ़ा है। आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी 694 अरब अमेरिकी डॉलर की आंकड़े को पार कर गया है। आगे आने वाले समय में अब विश्वास किया जा सकता है कि भारत में भी प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में तेज गति से वृद्धि होती हुई दिखाई देगी। प्रहलाद सबनानी Read more » India can achieve unprecedented growth in per capita GDP on the strength of spirituality and youth प्रतिव्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद
राजनीति षड्यंत्रों के साये में राष्ट्रीयता का मानक गढ़ने वाले वीतरागी श्यामा प्रसाद मुखर्जी June 23, 2025 / June 23, 2025 by कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल | Leave a Comment ~कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल राष्ट्र की एकता-अखण्डता के लिए प्रतिबद्ध अपना सर्वस्व आहुत करने वाले डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी ऐसे महान व्यक्तित्व हैं जिनका जीवनवृत्त भारतीय राजनीति में सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला रहा है।6 जुलाई सन् 1901 को कलकत्ता के प्रतिष्ठित परिवार आशुतोष मुखर्जी के घर जन्मे डॉ. मुखर्जी अपने प्रारंभिक जीवन से ही राष्ट्र और […] Read more » वीतरागी श्यामा प्रसाद मुखर्जी
राजनीति राष्ट्रीय एकता के महानायक: डॉ श्यामा प्रसाद मुकर्जी June 22, 2025 / June 24, 2025 by डा. विनोद बब्बर | Leave a Comment डॉ श्यामा प्रसाद मुकर्जी बलिदान दिवस ,२३ जून डा. विनोद बब्बर भारत वर्ष उस काले दिन को कभी भुला नहीं सकता जब 23 जून, 1953 को अपने ही देश में जाने के लिए परमिट प्रणाली का विरोध करने के लिए महान राष्ट्रभक्त, भारतीय जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष, उत्कृष्ट शिक्षाविद डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रीनगर जेल […] Read more » The great hero of national unity: Dr. Shyama Prasad Mukherjee राष्ट्रीय एकता के महानायक: डॉ श्यामा प्रसाद मुकर्जी
राजनीति ‘तृतीय परमाणु युग’: बदलती दुनिया और डगमगाते वैश्विक मानदंड June 21, 2025 / June 23, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन की आक्रामकता और उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षणों के बीच दुनिया एक नए परमाणु युग में प्रवेश कर चुकी है। पुरानी संधियाँ निष्क्रिय हो रही हैं, और तकनीकी प्रगति जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता व हाइपरसोनिक मिसाइलें परमाणु जोखिम को बढ़ा रही हैं। इस युग में न केवल शक्ति-संतुलन अस्थिर है, बल्कि वैश्विक संस्थाओं […] Read more » The ‘Third Nuclear Age’: A changing world and faltering global norms Third Nuclear Age तृतीय परमाणु युग
राजनीति ईरान और इजरायल के तीव्र होते युद्ध से बढ़ते खतरे June 21, 2025 / June 22, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग –हिंसा, युद्ध, आतंकवाद, आर्थिक प्रतिस्पर्धा से त्रस्त दुनिया में क्या अब शांति एवं अमन की संभावनाओं पर विराम लग गया है? क्या शांतिपूर्ण नये विश्व की संरचना अब दिवास्वप्न है? रूस और यूक्रेन के लम्बे युद्ध के बाद इजराइल और ईरान का युद्ध विश्व के लिये महाविनाश की टंकार है। इस युद्ध […] Read more » intensifying war between Iran and Israel ईरान और इजरायल के तीव्र होते युद्ध
राजनीति इजराईल – ईरान युद्ध में भारत निभा सकता है अहम भूमिका June 19, 2025 / June 23, 2025 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment रूस – यूक्रेन एवं इजराईल – हम्मास के बीच युद्ध अभी समाप्त भी नहीं हुआ है और तीसरे मोर्चे इजराईल – ईरान के बीच भी युद्ध प्रारम्भ हो गया है। हालांकि इस बीच भारत – पाकिस्तान के बीच भी युद्ध छिड़ गया था परंतु भारत की बड़े भाई की भूमिका के चलते इस युद्ध को शीघ्रता से समाप्त करने में सफलता मिल गई थी। दो देशों के बीच युद्ध में किसी एक देश का फायदा नहीं होकर बल्कि दोनों ही देशों का नुक्सान ही होता है। परंतु, आवेश में आकर कई बार दो बड़े देश भी आपस में टकरा जाते हैं एवं इन दोनों देशों के पक्ष एवं विपक्ष में कुछ देश खड़े हो जाते हैं जिससे कुछ इस प्रकार की परिस्थितियां निर्मित हो जाती हैं कि विश्व युद्ध छिड़ जाते हैं। वर्ष 1914 से वर्ष 1918 के बीच प्रथम विश्व युद्ध एवं वर्ष 1939 से वर्ष 1945 के बीच द्वितीय विश्व युद्ध इसके उदाहरण हैं। इजराईल – ईरान के बीच हाल ही में प्रारम्भ हुए युद्ध में अमेरिका भी कूदने की तैयारी करता हुआ दिखाई दे रहा है। अगर ऐसा होता है तो बहुत सम्भव है कि ईरान की सहायता के लिए रूस एवं चीन भी इस युद्ध में कूद पड़ें एवं यह युद्ध तृतीय विश्व युद्ध का स्वरूप ले ले। ऐसा कहा जा रहा है कि इजराईल एवं अमेरिका ईरान में सत्ता परिवर्तन करवाना चाह रहे हैं ताकि ईरान में उनके हितों को साधने वाली सरकार स्थापित हो सके। वैश्विक स्तर पर आज परिस्थितियां बहुत सहज रूप से नहीं चल रही है। विभिन्न देशों के बीच विश्वास की कमी हो गई है जिसके चलते छोटे छोटे मुद्दों को तूल दी जाकर आपस में खटास पैदा करने के प्रयास हो रहे हैं। कुछ देश, दो देशों के बीच, इन मुद्दों को हवा देते हुए भी दिखाई दे रहे हैं। जैसे आतंकवाद के मुद्दे को ही लें, यदि ये देश आतंकवाद से स्वयं ग्रसित हैं तो इनके लिए आतंकवाद बुराई की जड़ है और यदि कोई अन्य देश आतंकवाद को लम्बे समय से झेल रहा है तो इन देशों के लिए आतंकवाद कोई बहुत बड़ा मुद्दा नहीं है। बल्कि, आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों को प्रोत्साहन दिया जाता हुआ दिखाई दे रहा है। चौधरी बन रहे कुछ देश अपनी विस्तरवादी नीतियों के चलते कई देशों में अपने हित साधने वाली सरकारों की स्थापना करना चाह रहे हैं एवं इन देशों में इस प्रकार की परिस्थितियां निर्मित करने के प्रयास कर रहे हैं ताकि ये देश आपस में लड़ाई प्रारम्भ करें। रूस एवं यूक्रेन के बीच युद्ध इसका जीता जागता उदाहरण है । साथ ही, कुछ देशों की कथनी और करनी में पाए जाने वाले फर्क के चलते भी वैश्विक स्तर पर परिस्थितियां बिगड़ रही हैं। चौधरी बन रहे देशों को तो उदाहरण पेश करते हुए अपनी कथनी एवं करनी में फर्क को समाप्त करना ही होगा। अन्यथा, वैश्विक स्तर पर परिस्थितियां भयावह स्तर तक पहुंच सकती हैं। चूंकि इजराईल भी आतंकवाद से पीड़ित देश है एवं इजराईल की सीमाएं चार मुस्लिम राष्ट्रों से जुड़ी हुई हैं; यथा, उत्तर में लेबनान, दक्षिण पश्चिम में ईजिप्ट (एवं गाजा), पूर्व में जॉर्डन (एवं वेस्ट बैंक) एवं उत्तर पूर्व में सीरिया। अतः इजराईल अत्यधिक आक्रात्मकता के साथ आतंकवादियों (हम्मास एवं हूथी आदि संगठनों) से युद्ध करता रहता है। इस्लाम के अनुयायी यहूदियों के कट्टर दुश्मन हैं, इसके चलते भी इजराईल के नागरिकों को आतंकवाद को लम्बे समय से झेलना पड़ रहा है। ईरान के बारे में तो कहा जा रहा है कि ईरान स्थित लगभग 60 प्रतिशत मस्जिदों में इबादत के लिए कोई भी व्यक्ति पहुंच ही नहीं रहा है क्योंकि ईरान में एवं ईरान द्वारा पड़ौसी देशों में फैलाए गए आतंकवाद से ईरान के मूल नागरिक अत्यधिक परेशान हैं। महिलाओं पर आतंकवादियों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों से स्थानीय नागरिक बहुत दुखी हैं। अतः अब वे अपने पुराने धर्म जोरोस्ट्रीयन को अपनाने के लिए आतुर दिखाई दे रहे हैं अथवा इस्लाम धर्म का परित्याग करना चाह रहे हैं। जोरोस्ट्रीयन, ईरान का मूल धर्म हैं एवं यह अब ईरान के कुछ (बहुत कम) क्षेत्रों में सिमट कर रह गया है। भारत में भी जोरोस्ट्रीयन धर्म को मानने वाले पारसी समुदाय के कुछ नागरिक शांतिपूर्वक रह रहे हैं एवं भारत के आर्थिक विकास में अपना भरपूर योगदान दे रहे हैं। वैश्विक स्तर पर निर्मित हो रही उक्त वर्णित परिस्थितियों के बीच भारत की विशेष भूमिका रह सकती है क्योंकि भारत के इजराईल एवं ईरान दोनों ही देशों के साथ आर्थिक रिश्ते बहुत मजबूत हैं। भारत, ईरान से भारी मात्रा में कच्चा तेल खरीदता रहा है एवं भारत ने ईरान में चाबहार बंदरगाह के निर्माण में भारी आर्थिक एवं तकनीकी सहायता प्रदान की है। चाबहार बंदरगाह का संचालन भी ईरान की सरकार के साथ भारतीय इंजीनियरों द्वारा ही किया जा रहा है। भारत और ईरान के बीच प्रतिवर्ष 200 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की राशि का विदेशी व्यापार होता है। दूसरी ओर, इजराईल भारत का रणनीतिक साझीदार है। भारत इजराईल से भारी मात्रा में सुरक्षा उपकरण भी खरीदता है। भारत और इजराईल के बीच प्रतिवर्ष 650 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की राशि का विदेशी व्यापार होता है, इसमें भारत द्वारा इजराईल से आयात किये जाने वाले सुरक्षा उपकरणों की राशि शामिल नहीं है। कुल मिलाकर, भारत के इजराईल एवं ईरान, दोनों देशों के साथ बहुत पुराने व्यापारिक एवं सांस्कृतिक रिश्ते हैं। भारतीय सनातन हिंदू संस्कृति में “वसुधैव कुटुम्बकम”; “सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय” एवं “सर्वे भवंतु सुखिन:” की भावना पर विश्वास किया जाता है। अतः भारतीय नागरिक सामान्यतः शांत स्वभाव के होते है एवं पूरे विश्व में ही भ्रातत्व के भाव का संचार करते हैं। आज 4 करोड़ से अधिक भारतीय मूल के नागरिक विभिन्न देशों के आर्थिक विकास में अपना भरपूर योगदान दे रहे हैं। इन देशों में होने वाले अपराधों में भारतीय मूल के नागरिकों की संलिप्तता लगभग नहीं के बराबर पाई गई है। इसी कारण के चलते आज वियतनाम, जापान, इजराईल, आस्ट्रेलिया एवं सिंगापुर जैसे कई देश भारतीय मूल के नागरिकों को अपने देश में कार्य करने एवं बसाने में सहायता करते हुए दिखाई दे रहे हैं। खाड़ी के देश यथा ओमान, बहरीन, सऊदी अरब, यूनाइटेड अरब अमीरात आदि में भी लाखों की संख्या में भारतीय मूल के नागरिक निवास कर रहे हैं एवं शांतिप्रिय जीवन व्यतीत कर रहे हैं। कुल मिलाकर, विभिन्न देशों में निवासरत भारतीय मूल के नागरिकों का रिकार्ड बहुत ही संतोषजनक पाया जाता है, क्योंकि, भारतीयों की मूल प्रकृति ही सनातन हिंदू संस्कारों के अनुरूप पाई जाती है एवं वे किसी भी प्रकार के कर्म में धर्म को जोड़कर ही इसे सम्पन्न करने का प्रयास करते हैं। और, धर्म के अनुरूप किये गए किसी भी कार्य से किसी का अहित हो ही नहीं सकता। उक्त वर्णित परिप्रेक्ष्य में वैश्विक स्तर पर जब चौधरी बन रहे देशों द्वारा अन्य देशों के साथ न्याय नहीं किया जाता हुआ दिखाई दे रहा है तो ऐसे में भारत को आगे आकर युद्ध में झौंके जा रहे देशों के नागरिकों की मदद करनी चाहिए। भारत की तो वैसे भी नीति ही “वसुधैव कुटुम्बकम” की है। यदि पूरे विश्व में भाईचारा फैलाना है तो सनातन हिंदू संस्कृति के अनुपालन से ही यह सब सम्भव हो सकता है। उक्त परिस्थितियों के बीच सनातन हिंदू संस्कृति की स्वीकार्यता विभिन्न देशों के नागरिकों की बीच तेजी से बढ़ भी रही है क्योंकि कई देश अब आतंकवाद से बहुत अधिक परेशान हो चुके हैं। अतः अब वे किसी तीसरे रास्ते की तलाश में हैं। इन विपरीत परिस्थितियों के बीच उनके पास अब विकल्प केवल सनातन हिंदू संस्कृति के संस्कारों को अपनाने का ही बचता है, जिसके प्रति वे लालायित भी हैं। और फिर, आतंकवाद से यदि छुटकारा पाना है तो इससे लड़ते हुए छुटकारा पाने में तो कुछ देशों को कई प्रकार के बलिदान देने पड़ सकते हैं और यदि सनातन हिंदू संस्कृति के संस्कारों को स्वीकार कर लिया जाता है तो कई देशों के नागरिकों को इस बलिदान से बचाया जा सकता है। अतः विश्व के देशों में सनातन हिंदू संस्कृति के संस्कारों को तेजी से वहां के स्थानीय नागरिकों के बीच किस प्रकार फैलाया जा सकता है, इस विषय पर विश्व में शांति स्थापित करने के उद्देश्य से अब गहन चिंतन एवं मनन करने की आवश्यकता है। प्रहलाद सबनानी Read more » India can play an important role in the Israel-Iran war इजराईल - ईरान युद्ध में भारत निभा सकता है अहम भूमिका
राजनीति संकल्प से सिद्धि तक 11 बेमिसाल वर्ष June 12, 2025 / June 12, 2025 by डॉ प्रदीप कुमार वर्मा | Leave a Comment डॉ प्रदीप कुमार वर्मा ‘पहले कार्यकाल में लोग मुझे समझने की कोशिश कर रहे थे और मैं दिल्ली को समझने की कोशिश कर रहा था। दूसरे कार्यकाल में मैं अतीत की दृष्टिकोण से सोचता था। तीसरे कार्यकाल में मेरी सोच बदल गई है.और मेरा मनोबल ऊंचा है। मेरे सपने भी बड़े हो गए हैं।’ — […] Read more » 11 extraordinary years from resolution to accomplishment संकल्प से सिद्धि तक 11 बेमिसाल वर्ष
राजनीति गर्व के ग्यारह साल: मोदी सरकार की स्वर्णिम यात्रा June 12, 2025 / June 12, 2025 by विष्णु दयाल राम | Leave a Comment विष्णु दयाल राम मोदी सरकार के उपलब्धियों से भरे 11 साल पूरे होने पर मुझे इस बात का गर्व है कि मैं भी बतौर सिपाही इस स्वर्णिम यात्रा में शुरू से शामिल रहा हूं। ये सरकार लगातार गरीबों, किसानों, लोअर मिडिल क्लास और आम लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव लाने की कोशिश में लगी […] Read more » Eleven years of pride: The golden journey of the Modi government गर्व के ग्यारह साल