राजनीति चिनगारी का खेल बुरा होता है ! April 23, 2025 / April 23, 2025 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले में विदेशी नागरिकों समेत 26 की मौत हो गई, और मरने वालों में अधिकांश पुरुष हैं। वास्तव में यह बहुत ही दुखद व अति निंदनीय घटना है।यह हमला ऐसे समय हुआ है, जब करीब सवा दो महीने बाद अमरनाथ यात्रा होनी है।कहना ग़लत नहीं होगा कि इससे आतंक का घिनौना […] Read more » terrorist attack in pahalgaon पहलगाम आतंकी हमले
राजनीति पहलगाम हमला: कब सीखेंगे सही दुश्मन पहचानना? April 23, 2025 / April 23, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment “पहलगाम का सच: दुश्मन बाहर है, लड़ाई घर के भीतर” पहलगाम हमला जिहादी मानसिकता का परिणाम है। मोदी सरकार ने हमेशा आतंकवाद का मुँहतोड़ जवाब दिया है। राजनीतिक आलोचना आतंकवाद के असली स्रोत से ध्यान भटकाती है। जातियों में बंटा समाज आतंक से निपटने में अक्षम होगा। हमें आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट होकर खड़ा होना […] Read more » पहलगाम हमला
राजनीति बंगाल में बांग्लादेश सरीखे हालात, सैकड़ों हिन्दू परिवार कर रहे पलायन April 23, 2025 / April 23, 2025 by विनोद कुमार सर्वोदय | Leave a Comment लेखक:हरेंद्र प्रताप (पूर्व बिहार विधान परिषद के सदस्य) वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ हाल में बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में भीषण हिंसा हुई। उपद्रवियों ने वहां के हिंदुओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया। सैकड़ों हिंदू परिवारों को अपनी जान बचाने के लिए बंगाल के दूसरे जिलों और पड़ोसी राज्य झारखंड में शरण लेनी पड़ी। डर का […] Read more » hundreds of Hindu families are migrating Situation like Bangladesh in Bengal हिन्दू परिवार कर रहे पलायन
राजनीति हिन्दी विरोध की संकीर्ण राजनीति के दंश April 22, 2025 / April 22, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग-हिंदी को लेकर तमिलनाडु की राजनीति का आक्रामक होना कोई नयी बात नहीं है लेकिन तमिलनाडु के बाद महाराष्ट्र में हिंदी का विरोध यही बताता है कि संकीर्ण राजनीतिक कारणों से किस तरह भाषा को हथियार बनाया जा रहा है। विभिन्न राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी एवं केन्द्र सरकार को घेरने के लिये जिस […] Read more » The sting of the narrow politics of opposition to Hindi हिन्दी विरोध की संकीर्ण राजनीति
राजनीति पश्चिम बंगाल : नए वक्फ कानून पर बवाल, अब राष्ट्रपति शासन का सवाल? April 21, 2025 / April 21, 2025 by प्रदीप कुमार वर्मा | Leave a Comment प्रदीप कुमार वर्मा अमेरिका के शिकागो में सन् 1893 में विश्व धर्म महासभा में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले स्वामी विवेकानंद का बंगाल। कला और साहित्य क्षेत्र में गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर, सत्यजीत रे और मृणाल सेन का बंगाल, स्वाधीनता आंदोलन के प्रणेता नेताजी सुभाष चंद बोस का बंगाल और जगत जननी मां दुर्गा की पूजा तथा स्तुति का बंगाल, देश और दुनिया में अपनी अनेक विशेषताओं के कारण चर्चित पश्चिम बंगाल आज एक बार फिर से चर्चा में है लेकिन इस बार चर्चा बंगाल में नए वक्फ कानून को लेकर हुई हिंसा तथा इस हिंसा में हिंदू अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने को लेकर है। पश्चिम बंगाल के मालदा और मुर्शिदाबाद में सड़के सुनसान तथा दुकान और प्रतिष्ठान बंद हैं। हालात ऐसे हैं कि हिंसा प्रभावित इलाकों में इंटरनेट नहीं चल रहा है तथा केंद्रीय सुरक्षा बल सड़कों पर गश्त लगा रहे हैं। शासन और सरकार की कोशिश यहां शांति बहाल करने की है। देश की संसद द्वारा वक्फ संशोधन अधिनियम 1995 को पारित करने तथा राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू द्वारा इसे कानून के रूप में नोटिफाई करने के बाद पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा हुई। इस जिले के हिंसा प्रभावित इलाकों मुख्य रूप से सुती, शमशेरगंज, धुलियान और जंगीपुर में फिलहाल स्थिति शांतिपूर्ण सी है लेकिन अभी भी तनाव बना हुआ है ओर हिंसाग्रस्त इलाकों में बीएनएसएस की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू है। हिंसा के इस मामले में पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज तृणमूल कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी एक दूसरे को साज़िशन दोषी करार दे रहे हैं। उधर, बीते दो दिन से पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस द्वारा मालदा एवं मुर्शिदाबाद में हिंसाग्रस्त इलाके का दौरा तथा पीड़ितों से मिलकर उन्हें “न्याय” दिलाने के ऐलान के बाद पश्चिम बंगाल में यह कयास शुरू हो गए हैं कि कहीं पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन तो नहीं लगेगा? पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस द्वारा इस मौके पर मीडिया में यह बयान भी दिया गया कि सभ्य समाज में ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। पीड़ितों ने उन्हें बताया है कि वे क्या चाहते है? इस संबंध में सभी संवैधानिक विकल्प खुले हुए हैं तथा वे केंद्र को अपनी रिपोर्ट सोपेंगे। उधर राज्यपाल के दौरे के मामले में तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस को भाजपा का एजेंट करार देते हुए उनके दौरे को गैर जरूरी बताया है। इस मामले में हो रही राजनीति का आलम यह है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भाजपा पर हिंसा के जरिए उनकी सरकार को अस्थिर करने के आरोप लगा चुकी है। वहीँ, भाजपा नेता शुभेदु अधिकारी का कहना है कि ममता बनर्जी ने मुस्लिम तुस्तीकरण की खातिर नए वक्फ कानून पर दंगाइयों को खुली छूट दे रखी है। पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि बंगाल के पुलिस अधिकारी राज्य के पुलिस अधिकारी के बजाय वे ममता बनर्जी के कैडर हैं। इसलिए बिना राष्ट्रपति शासन के बंगाल में निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से चुनाव नहीं हो सकता है। शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि जहां हिन्दू 50 प्रतिशत से कम हैं, वहां ये लोग हिन्दुओं को वोट डालने नहीं देंगे। इसलिए चुनाव आयोग बंगाल में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करे। उधर,नए वक्फ कानून पर मुसलमानों के विरोध के चलते मालदा एवं मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा को रोकने में पश्चिम बंगाल सरकार के नाकाम पाए जाने पर हाईकोर्ट ने वहां केंद्रीय वालों की तैनाती कर दी है। केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती के बाद में हिंसाग्रस्त इलाकों में सामान्य जनजीवन फिर से पटरी पर लौट रहा है। हाई कोर्ट केस कदम के बाद भी पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के कयास लग रहे हैं। इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम ( अफस्पा ) लागू करने की आवश्यकता जताई जा रही है। कानूनी जानकारों के मुताबिक वर्ष 1958 में भारत की संसद का एक अधिनियम है जो भारतीय सशस्त्र बलों को “अशांत क्षेत्रों” में सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष शक्तियां प्रदान करता है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि सीमावर्ती जिलों में इस व्यवस्था को लागू करने से घुसपैठ पर रोक लगेगी तथा पश्चिम बंगाल में शांति कायम हो सकेगी। वर्ष 2026 की पहली तिमाही यानी मार्च और अप्रैल में पश्चिम बंगाल की सभी 294 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव प्रस्तावित है। इस बार भी यह माना जा रहा है कि चुनावी मुकाबला परंपरागत तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच ही होगा। तृणमूल कांग्रेस के साथ इंडिया गठबंधन के अन्य दल भी रहेंगे जबकि भाजपा अकेले ही चुनावी समर में उतरेगी। पश्चिम बंगाल में सरकार बनाने की कोशिश में भाजपा लगातार लगी हुई है। इसी कोशिश के बूते पर भाजपा 2021 में पहली बार बंगाल में विपक्षी पार्टी बनी थी। अब वह वर्ष 2026 में तृणमूल कांग्रेस को कांटे की टक्कर देने की कवायद में है। राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करना भाजपा के लिए इतना आसान नहीं होगा। ऐसे में हरियाणा,महाराष्ट्र और दिल्ली की तरह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बंगाल में भी भाजपा की राजनीतिक “ढाल” बनने की कोशिश कर रहा है। पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने के बाद भाजपा ने अगर तृणमूल कांग्रेस के वोट बैंक में अगर 4 से 5 प्रतिशत की सेंध भी लगा दी, तो यह 2026 के चुनाव में भाजपा के लिहाज से गेम चेंजर साबित हो सकता है। Read more » now question of President's rule in west bengal West Bengal: Chaos over new Waqf law
राजनीति अब बहस इस पर है कि क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कहीं सीमा है April 21, 2025 / April 21, 2025 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा बनाए गए वक्फ संशोधन अधिनियम-2025 की संवैधानिकता पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने देश के सर्वाच्च पद राष्ट्रपति को भी समय सीमा देते हुए निर्देश जारी किया था। अब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने न्यायपालिका पर फिर से निशाना साधा है और कहा […] Read more » jagdeep dhankhad on supreme court वक्फ संशोधन अधिनियम-2025
राजनीति तमिलनाडु की स्वायत्तता की मांग : संघीय ढांचे की परीक्षा April 21, 2025 / April 21, 2025 by डॉ ब्रजेश कुमार मिश्र | Leave a Comment लोकतन्त्र वर्तमान शासन प्रणाली का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण एवं लोकप्रिय स्वरूप है। इसकी आत्मा संविधान में निहित है। संविधान किसी भी देश की राजनीति का मार्गदर्शक है। राजनीति के उद्देश्यों का साधन राजनीतिक दल हैं। राजनीतिक दल सत्ता लोलुप होते हैं और इसकी प्राप्ति के लिए निरन्तर उपक्रम करते रहते हैं। इसके निमित्त कई बार ये […] Read more » Tamil Nadu's demand for autonomy: A test of the federal structure तमिलनाडु की स्वायत्तता की मांग
राजनीति सपा सांसद रामजी लाल सुमन के खतरनाक मंसूबों से योगी और अखिलेश दोनों को सावधान रहना होगा! April 21, 2025 / April 21, 2025 by कमलेश पांडेय | Leave a Comment कमलेश पाण्डेय समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद और दलित नेता रामजी लाल सुमन ने मेवाड़ के प्रतापी राजपूत शासक राणा सांगा को गद्दार बताते हुए जो विवादस्पद बयान दिया है, और क्षत्रियों की अखिल भारतीय ‘करणी सेना’ ने जिस तरह से उसे जातीय नायकों के अपमान का विषय ठहराते हुए श्री सुमन के घर पर […] Read more » SP MP Ramji Lal Suman सपा सांसद रामजी लाल सुमन
राजनीति नया वक्फ कानून “जरूरी”, तुष्टिकरण विपक्ष की “मजबूरी” April 17, 2025 / April 17, 2025 by प्रदीप कुमार वर्मा | Leave a Comment प्रदीप कुमार वर्मा भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र की एनडीए सरकार की ओर से लाया गया वक्फ अधिनियम 1995 संशोधन बिल देश की संसद में पारित होकर भले ही कानून बन गया है लेकिन कानून बनने के बाद भी यह लगातार चर्चा में है। वजह, इस नए वक्फ कानून को लेकर कुछ मुस्लिम संगठन लगातार […] Read more » तुष्टिकरण विपक्ष की "मजबूरी" नया वक्फ कानून नया वक्फ कानून "जरूरी"
राजनीति राज्य की स्वायतता के लिए गठित कमेटी स्टालिन को सियासी लाभ दे पायेगी ! April 17, 2025 / April 17, 2025 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने एक बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने राज्य की स्वायत्तता के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति बनाई है। यह समिति केंद्र सरकार के साथ बढ़ते तनाव के बीच बनाई गई है। मुख्यमंत्री स्टालिन का कहना है कि केंद्र सरकार लगातार राज्यों के अधिकारों में दखल दे रही है। इसलिए, राज्य […] Read more » स्टालिन
राजनीति तमिलनाडु में भाजपा परचम फहराने को तत्पर April 16, 2025 / April 16, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग – आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में परंपरागत रूप से भारतीय जनता पार्टी कमज़ोर रही है, लेकिन अब भाजपा दक्षिण में अपनी जड़ों को न केवल मजबूत करना चाहती है बल्कि दक्षिण के राज्यों में सत्ता पर काबिज भी होना चाहती है। तमिलनाडु में अगले वर्ष अप्रैल-2026 में होने वाले […] Read more » तमिलनाडु में भाजपा
राजनीति विश्ववार्ता नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता, जोर पकड़ रही राजशाही की मांग April 16, 2025 / April 16, 2025 by राजेश जैन | Leave a Comment राजेश जैन साल 2008 में राजशाही ख़त्म कर पड़ोसी देश नेपाल में गणतांत्रिक राज्य की स्थापना को 17 साल ही हुए हैं। संविधान को 10 साल भी पूरे नहीं हुए लेकिन 14 सरकारें बदल गई हैं। इस दौरान कोई भी चुनी हुई सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी है। जनता को लगने लगा है कि विचारधारा गौण हो चुकी है। राजनीतिक दल सिर्फ […] Read more » दुर्गा प्रसाई नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता