राजनीति हाइब्रिड पॉलिटिकल पार्टी ‘आप” यदि कांग्रेस से गठबंधन करेगी तो सियासी तौर पर समाप्त हो जाएगी? December 4, 2024 / December 4, 2024 by कमलेश पांडेय | Leave a Comment कमलेश पांडेय देश की राजधानी दिल्ली में फरवरी 2025 में विधानसभा चुनाव होंगे और यहां पर सत्तारूढ़ ‘आम आदमी पार्टी’ एक बार फिर पूरे दम-खम से अकेले यह चुनाव लड़ेगी जबकि वह कांग्रेस के नेतृत्व वाली इंडिया गठबंधन की भागीदार पार्टी रही है। बताया जाता है कि हाइब्रिड पॉलिटिकल पार्टी ‘आप’ को डर है कि […] Read more » 'AAP' forms an alliance with Congress Will the hybrid political party 'AAP' be politically wiped out if it forms an alliance with Congress?
राजनीति सांस्कृतिक पहचान को कुचलने की कुचेष्टाएं कब तक? December 4, 2024 / December 4, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- भारत की समृद्ध सांस्कृतिक, धार्मिक एवं आर्थिक विरासत को कुचलने की चेष्टाएं अतीत से लेकर वर्तमान तक होती रही है। बहुत बड़ा सच है कि अगर किसी देश को नष्ट करना है तो उसकी सांस्कृतिक पहचान को खत्म कर दो। देश अपने आप नष्ट हो जाएगा। भारत पर हमला करने वाले विदेशी आक्रांताओं […] Read more » How long will these attempts to suppress cultural identity last? सांस्कृतिक पहचान को कुचलने की कुचेष्टाएं
राजनीति स्वयंसेवक रचते हैं सेवा एवं संस्कृति के नये स्वस्तिक December 4, 2024 / December 4, 2024 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस 5 दिसंबर, 2024 पर विशेष-ः ललित गर्ग:-सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस 5 दिसंबर को प्रतिवर्ष दुनिया भर में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 17 दिसंबर, 1985 को स्वयंसेवक दिवस मनाने की घोषणा की। तब से, अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस संयुक्त राष्ट्र प्रणाली, सरकारों, नागरिक समाज संगठनों आदि […] Read more » अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस 5 दिसंबर स्वयंसेवक
राजनीति विधि-कानून पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के कट ऑफ डेट पर उठते हुए सवालों का जवाब आखिर कौन देगा? December 3, 2024 / December 3, 2024 by कमलेश पांडेय | Leave a Comment कमलेश पांडेय क्या आपको पता है कि प्रथम मुस्लिम आक्रांता मुहम्मद बिन कासिम ने 712 ई में भारत के सिंध प्रांत पर आक्रमण किया और काफी उत्पात मचाया। उसके बाद उसके अनुयायी यानी मुस्लिम आक्रमणकारी अपनी सुविधा के अनुसार भारत पर आक्रमण करते हुए आए, यहां के समृद्ध मंदिरों व बाजारों सहित प्रमुख जगहों पर […] Read more » Places of Worship (Special Provisions) Act पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम
राजनीति डॉ.भीमराव अम्बेडकर की नजर में भारत का आर्थिक दृष्टिकोण December 3, 2024 / December 3, 2024 by डॉ.नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी | Leave a Comment डॉ.नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी आज हमारा देश भारत पूरे विश्व में आर्थिक दृष्टि से एक सशक्त राष्ट्र बनकर उभर रहा है। वैश्विक स्तर पर कार्य कर रहे वित्तीय एवं निवेश संस्थान भारत की आर्थिक प्रगति की मुक्त कंठ से सराहना कर रहे हैं। भारत आज विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच सबसे तेज गति से आगे […] Read more » India's economic outlook in the eyes of Dr. Bhimrao Ambedkar
राजनीति दिल्ली सल्तनत पर किसानों का मार्च एक बार फिर December 3, 2024 / December 3, 2024 by रमेश ठाकुर | Leave a Comment डॉ0 रमेश ठाकुर अन्नदाताओं की समस्याओं का समाधान आखिर कब होगा? क्या उनकी मांगे भविष्य में कभी पूरी हो भी पाएंगी या नहीं? केंद्र में सरकार चाहे कांग्रेस की हो या भाजपा की, हर दौर में यही सब कुछ देखने को मिलता है। कमोबेश सरकारों का रवैया सदैव एक जैसा ही रहता है। इसलिए एकाएक […] Read more » Farmers march on Delhi Sultanate दिल्ली सल्तनत पर किसानों का मार्च
राजनीति राष्ट्र-राज्य के धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान पहुंचा रहा है वक्फ बोर्ड का वर्तमान अधिकार December 3, 2024 / December 3, 2024 by गौतम चौधरी | Leave a Comment गौतम चौधरी वक्फ बोर्ड, वक्फ की संपत्ति इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। सबसे पहले वक्फ क्या है और यह किस प्रकार काम करता है, इसे जानना जरूरी है। तो, वक्फ का मतलब होता है, ‘अल्लाह के नाम’, यानी ऐसी जमीनें जो किसी व्यक्ति या संस्था के नाम नहीं है। वक्फ बोर्ड का […] Read more » वक्फ बोर्ड का वर्तमान अधिकार
राजनीति विविधा भारत की पहली लंबी दूरी की लैंड अटैक क्रूज मिसाइल December 2, 2024 / December 2, 2024 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment यह मिसाइल की बहुमुखी प्रतिभा और सटीकता को प्रदर्शित करते हुए विभिन्न गति और ऊंचाई पर उड़ान भरते हुए जटिल युद्धाभ्यास करने में भी सक्षम है। लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल अत्याधुनिक एवियोनिक्स और सॉफ्टवेयर से लैस है जो इसके प्रदर्शन और विश्वसनीयता को बढ़ाता है। ये मिसाइलें आमतौर पर सबसोनिक होती हैं और […] Read more » India's first long range land attack cruise missile Long Range Land Attack Cruise Missile लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल
राजनीति महाराष्ट्र का चुनाव हिन्दुत्व एकजुटता का परिणाम December 2, 2024 / December 2, 2024 by डॉ.नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी | Leave a Comment डॉ. नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी पिछले दिनों महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा का चुनाव परिणाम सामने आया जिसमें बीजेपी और उनके सहयोगियों को प्रचंड बहुमत प्राप्त हुआ। ये तो तय था कि एनडीए को बहुमत प्राप्त होगा लेकिन इस प्रकार की सूनामी की संभावना कतई नहीं थी । दरअसल इसकी पटकथा तब ही लिख दी गई […] Read more » महाराष्ट्र का चुनाव हिन्दुत्व एकजुटता
राजनीति सनातन के मूल तत्वों को जानें December 2, 2024 / December 2, 2024 by विनोद कुमार सर्वोदय | Leave a Comment सनातन में समाहित हिंदुत्व के मूल तत्वों और सिद्धांतों की अवहेलना करके वर्षों से राष्ट्रीय हितों को आहत किया जाना प्रायः सामान्य होता है। देश की प्राचीन संस्कृति व सभ्यता और प्रेरणाप्रद आदर्श महापुरुषों के विरुद्ध नकारात्मक वातावरण बनाना प्रगतिशीलता माना जाने लगा है। जबकि वर्तमान शासन ने आज विश्व में भारतीय अस्मिता और संस्कृति […] Read more » Know the basic elements of Sanatan सनातन
आर्थिकी राजनीति भारतीय आर्थिक दर्शन एवं प्राचीन भारत में आर्थिक विकास December 2, 2024 / December 2, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment भारत में वेदों, पुराणों एवं शास्त्रों में यह कहा गया है कि मानव जीवन हमें मोक्ष प्राप्त करने के लिए प्राप्त हुआ है। मोक्ष प्राप्ति के लिए अच्छे कर्मों का करना आवश्यक है। अच्छे कर्म अर्थात हमारे किसी कार्य से किसी पशु, पक्षी, जीव, जंतु को कोई दुःख नहीं पहुंचे एवं सर्व समाज की भलाई के कार्य करते रहें। अर्थात, इस धरा पर निवास करने वाले प्रत्येक प्राणी का कल्याण हो, मंगल हो। ऐसी कामना भारतीय सनातन हिंदू संस्कृति में की जाती है। इसी प्रकार, धर्म के महत्व को स्वीकार करते हुए कौटिल्य के अर्थशास्त्र, नारद की नारद स्मृति और याग्वल्य की याग्वल्य स्मृति में कहा गया है कि ‘अर्थशास्त्रास्तु बलवत धर्मशास्त्र नीतिस्थिति’। अर्थात, यदि अर्थशास्त्र के सिद्धांत एवं नैतिकता के सिद्धांत के बीच कभी विवाद उत्पन्न हो जाए तो दोनों में से किसे चुनना चाहिए। कौटिल्य, नारद एवं याग्वल्य कहते हैं कि अर्थशास्त्र के सिद्धांतों की तुलना में यानी केवल पैसा कमाने के सिद्धांतों की तुलना में हमको धर्मशास्त्र के सिद्धांत अर्थात नैतिकता, संयम, जिससे समाज का भला होता हो, उसको चुनना चाहिए। कुल मिलाकर अर्थतंत्र धर्म के आधार पर चलना चाहिए। गुनार मृडल जिनको नोबल पुरस्कार प्राप्त हुआ था एवं जिनकी ‘एशियन ड्रामा’ नामक पुस्तक बहुत मशहूर हुई थी। उन्होंने एक और छोटी किताब लिखी है जिसका नाम है ‘अगेन्स्ट द स्ट्रीम’। इस किताब में उन्होंने अर्थशास्त्र को एक नैतिक विज्ञान बताया है। कुछ वर्ष पूर्व अखबारों में एक खबर छपी थी कि विश्व बैंक ने यह जानने के लिए एक अधय्यन प्रारम्भ किया है कि विकास में आध्यात्म की कितनी भूमिका है। इसी प्रकार दुनिया में यह जानने का प्रयास भी किया जा रहा है कि दरिद्रता मिटाने में धर्म की क्या भूमिका हो सकती है। प्राचीन भारत के वेद-पुराणों में धन अर्जित करने को बुरा नहीं माना गया है। प्राचीन काल में वेदों का एक भाष्यकार हो गया है, जिसका नाम यासक था। यासक ने ‘निघंटू’ नामक ग्रंथ में धन के 28 समानार्थ शब्द बताए हैं, और प्रत्येक शब्द का अलग अलग अर्थ है। दुनिया की किसी पुस्तक में अथवा किसी अर्थशास्त्र की किताब में धन के 28 समानार्थ शब्द नहीं मिलते हैं। भारत के शास्त्रों में धन के सम्बंध में उच्च विचार बताए गए हैं। भारत के शास्त्रों ने अर्थ के क्षेत्र को हेय दृष्टि से नहीं देखा है एवं यह भी कभी नहीं कहा है कि धन अर्जन नहीं करना चाहिए, पैसा नहीं कमाना चाहिए, उत्पादन नहीं बढ़ाना चाहिए। बल्कि दरिद्रता एवं गरीबी को पाप बताया गया है। हां, वेदों में यह जरूर कहा गया है कि जो भी धन कमाओ वह शुद्ध होना चाहिए। ‘ब्लैक मनी’ नहीं होना चाहिए, भ्रष्टाचार करके धन नहीं कमाना चाहिए, स्मग्लिंग करके धन नहीं कमाना चाहिए, कानून का उल्लंघन करते हुए धन अर्जन नहीं करना चाहिए, ग्राहक को धोखा देकर धन नहीं कमाना चाहिए। मनु स्मृति में तो मनु महाराज ने कहा है कि सब प्रकार की शुद्धियों में सर्वाधिक महत्व की शुद्धि अर्थ की शुद्धि है। भारतीय शास्त्रों में खूब धन अर्जन करने के बाद इसके उपयोग के सम्बंध में व्याख्या की गई है। अर्जित किए धन को केवल अपने लिए उपभोग करना, उस धन से केवल ऐय्याशी करना, केवल अपने लिए काम में लेना, अपने परिवार के लिए मौज मस्ती करना, आदि को ठीक नहीं माना गया है। अर्जित किए गए धन को समाज के साथ मिल बांटकर, समाज के हितार्थ उपयोग करना चाहिए। भारत के प्राचीन ग्रंथों में जीवन के उद्देश्य को पुरुषार्थ से जोड़ते हुआ यह कहा गया है कि धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष, इन चारों बातों पर विचार करके मनुष्य को सुखी करने के सम्बंध में विचार किया जाना चाहिए। इसी विचार के चलते भारत के मनीषियों द्वारा अर्थ और काम को नकारा नहीं गया है। कई बार भारत के बारे में वैश्विक स्तर पर इस प्रकार की भ्रांतियां फैलाने का प्रयास किया जाता रहा है कि भारतीय सनातन हिंदू संस्कृति में तो अर्थ और काम को नकार दिया गया है। प्राचीन काल में भी ऐसा कतई नहीं हुआ है। अगर, ऐसा हुआ होता तो भारत सोने की चिड़िया कैसे बनता? हां, भारत के प्राचीन शास्त्रों में यह जरूर कहा गया है कि अर्थ और काम को बेलगाम नहीं छोड़ना चाहिए। अर्थ और काम को मर्यादा में ही रहना चाहिए। धन अर्जित करने पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है परंतु यह धर्म का पालन करते हुए कमाना चाहिए। अर्थात, अर्थ को धर्म के साथ जोड़ दिया गया है। इसी प्रकार काम को भी धर्म के साथ जोड़ा गया है। उपभोग यदि धर्म सम्मत और मर्यादित होगा तो इस धरा का दोहन भी सीमा के अंदर ही रहेगा। अतः कुल मिलाकर अर्थशास्त्र में भी नैतिकता का पालन होना चाहिए। प्राचीन भारतीय अर्थशास्त्र एवं वर्तमान अर्थशास्त्र में यह भी एक बहुत बड़ा अंतर है। आजकल कहा जाता है कि नीति का अर्थशास्त्र से कोई लेना देना नहीं है। जबकि वस्तुतः ऐसी कोई भी अर्थव्यवस्था, अर्थतंत्र और विकास का कोई भी तंत्र जिसमें नैतिकता को स्वीकार न किया जाय वह चल नहीं सकती और वह समाज का भला नहीं कर सकती। अर्थ को प्रदान किए गए महत्व के चलते ही प्राचीनकाल में भारत में दूध की नदियां बहती थीं, भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था, भारत का आध्यात्मिक, धार्मिक, सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से पूरे विश्व में बोलबाला था। भारत के ग्रामीण इलाकों में निवास कर रहे नागरिक बहुत सम्पन्न हुआ करते थे। कृषि उत्पादकता की दृष्टि से भी भारत का पूरे विश्व में डंका बजता था तथा खाद्य सामग्री एवं कपड़े आदि उत्पादों का निर्यात भारत से पूरे विश्व को होता था। भारत के नागरिकों में देश प्रेम की भावना कूट कूट कर भरी रहती थी तथा उस खंडकाल में भारत का वैभव काल चल रहा था, जिसके चलते ग्रामीण इलाकों में नागरिक आपस में भाई चारे के साथ रहते थे एवं आपस में सहयोग करते थे। केवल ‘मैं’ ही तरक्की करूं इस प्रकार की भावना का सर्वथा अभाव था एवं ‘हम’ सभी मिलकर आगे बढ़ें, इस भावना के साथ ग्रामीण इलाकों में नागरिक प्रसन्नता के साथ अपने अपने कार्य में व्यस्त एवं मस्त रहते थे। प्राचीन काल में भारत में भव्यता के स्थान पर दिव्यता को अधिक महत्व दिया जाता रहा है। भव्यता का प्रयोग सामान्यतः स्वयं के विकास के लिए किया जाता है। जबकि दिव्यता का उपयोग समाज के विकास में आपकी भूमिका को आंकने के पश्चात किया जाता है। भव्यता दिखावा है, भव्यता प्रदर्शन है, अतः केवल भव्यता के कारण किसी का जीवन ऊंचाईयों को नहीं छू सकता है, इसके लिए दिव्यता होनी चाहिए, अर्थात समाज की भलाई के लिए अधिक से अधिक कार्य करना होता है। अर्थ को धर्म से जोड़ने के साथ ही, प्रकृति के संरक्षण की बात भी भारतीय पुराणों में मुखर रूप से कही गई है। भारतीय सनातन हिंदू संस्कृति के अनुसार नदियों, पहाड़ों, जंगलों, जीव जंतुओं में भी देवताओं का वास है, ऐसा माना जाता है। इसीलिए यह कहा गया है कि इस पृथ्वी पर उपलब्ध संसाधनों का दोहन करें, शोषण नहीं करें। सर जगदीश चंद्र बसु ने एक परीक्षण किया और इस परीक्षण के माध्यम से यह सिद्ध किया कि पेड़ पौधों में भी वैसी ही संवेदना होती है जैसी मनुष्यों में संवेदना होती है। जिस प्रकार मनुष्य रोता है, हंसता है, प्रसन्न होता है, नाराज होता है, इसी प्रकार की संवेदनाएं पेड़ पौधों में भी पाई जाती हैं। सर जगदीश चंद्र बसु ने वैज्ञानिक तरीके से जब यह सिद्ध किया तो दुनिया में तहलका मच गया। जबकि भारतीय शास्त्रों में तो इन बातों का वर्णन सदियों पूर्व ही मिलता है। जब इन तथ्यों को वैज्ञानिक आधार दिया गया तो अब पूरी दुनिया भारत के इन प्राचीन विचारों पर साथ खड़ी नजर आती है। भारतीय मनीषियों ने इसीलिए यह बार बार कहा है कि पेड़ पौधों की रक्षा करें, इन्हें काटें नहीं। क्योंकि, इससे पर्यावरण की रक्षा तो होती ही है, साथ ही, पेड़, पौधों के रूप में एक प्रकार से किसी प्राणी की हत्या करने से भी बचा जा सकता है। भारतीय संस्कृति में यह भावना रही है कि व्यक्ति का सम्पूर्ण विकास हो एवं उसे पूर्ण सुख की प्राप्ति हो। इसलिए, उक्त उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए ही देश में सामाजिक एवं आर्थिक रचना होनी चाहिए। प्राचीन भारत में इसी नाते व्यक्ति को मान्यता देने के साथ साथ परिवार को भी मान्यता दी गई है। परिवार को समाज में न्यूनतम इकाई माना गया है। व्यक्तियों से परिवार, परिवारों से समाज, समाज से देश और देशों से विश्व बनता है। अतः कुटुंब को भारतीय समाज में अत्यधिक महत्व दिया गया है। भारतीय शास्त्रों में कुल मिलाकर यह वर्णन मिलता है कि प्राचीन भारत के लगभग प्रत्येक परिवार में गाय के रूप में पर्याप्त मात्रा में पशुधन उपलब्ध रहता था जिससे प्रत्येक परिवार की आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति बहुत आसानी से हो जाती थी। गाय के गोबर एवं गौमूत्र से देसी खाद का निर्माण किया जाता था जिसे कृषि कार्यों में उपयोग किया जाता था एवं गाय के दूध को घर में उपयोग करने के बाद इससे दही, घी एवं मक्खन आदि पदार्थों का निर्माण कर इसे बाजार में बेच भी दिया जाता था। इसी प्रकार गौमूत्र से कुछ आयुर्वेदिक दवाईयों का निर्माण भी किया जाता था। अतः कुल मिलाकर परिवार एवं समाज में किसी भी प्रकार की गतिविधि सम्पन्न करने के लिए अर्थ की आवश्यकता महसूस होती है। अर्थ के विभिन्न आयामों को समझने के लिए भारत के प्राचीन काल में अर्थशास्त्र की रचना की गई थी। आचार्य चाणक्य को भारत में अर्थशास्त्र का जनक कहा जाता है। अर्थशास्त्र को परिभाषित करते हुए कहा जाता है कि नागरिकों को संतुष्टि प्रदान करने (वस्तुओं एवं सेवाओं का भारी मात्रा में उत्पादन कर उसकी आसान उपलब्धता कराना) के उद्देश्य से उत्पादन के साधनों (भूमि, श्रम, पूंजी, आदि) का दक्षतापूर्ण वितरण करना ही अर्थशास्त्र है। दुनिया में कोई भी विचारक जब कभी भी आर्थिक विकास के बारे में सोचता है अथवा इस सम्बंध में कोई योजना बनाने का विचार करता है तो सामान्यतः उसके सामने मुख्य रूप से यह उद्देश्य रहता है कि उस देश का आर्थिक विकास इस तरह से हो कि उस देश के समस्त नागरिकों की आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति बहुत आसानी से होती रहे, वे सम्पन्न बनें एवं खुश रहें। इस प्रकार, नागरिकों में प्रसन्नता का भाव विकसित करने में अर्थ के योगदान को भी आंका गया है। कई बार भारतीय समाज में यह उक्ति भी सुनाई देती है कि “भूखे पेट ना भजन हो गोपाला” अर्थात यदि देश के नागरिकों की भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति ही नहीं होगी तो अध्यात्मवाद की ओर वे किस प्रकार मुड़ेंगे। आचार्य चाणक्य जी ने भी कहा है कि धर्म के बिना अर्थ नहीं टिकता, अर्थात धर्म एवं अर्थ का आपस में सम्बंध है। Read more » Indian Economic Philosophy and Economic Development in Ancient India भारतीय आर्थिक दर्शन
राजनीति दुनिया का सिरमौर बनने की ओर अग्रसर भारत December 2, 2024 / December 2, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत एवं उसके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की साख एवं सीख के कारण भारत दुनिया का सिरमौर बनने की दिशा में अग्रसर है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में 5 दिन के विदेश दौरे में तीन देशों की यात्रा की और 31 ग्लोबल लीडर्स और वैश्विक संगठनों के प्रमुखों के साथ […] Read more » दुनिया का सिरमौर