राजनीति विश्ववार्ता कनाडा में हिंदुओं पर लक्षित हमलों का जवाब आखिर देगा कौन, पूछ रहे हैं लोग November 5, 2024 / November 5, 2024 by कमलेश पांडेय | Leave a Comment कमलेश पांडेय लीजिए, कनाडा भी अब पाकिस्तान और बंगलादेश की राह पर चल पड़ा है। वहां के हिन्दू मंदिर पर भी खालिस्तानियों ने हमला किया है। दुनिया के कई इस्लामिक और ईसाई मुल्कों में ऐसी घटनाएं घटती रहती हैं। खुद भारत के भी कई राज्यों में ऐसी शर्मनाक घटनाएं पर्व-त्यौहारों पर सामने आती रहती हैं। […] Read more » targeted attacks on Hindus in Canada कनाडा में हिंदुओं पर लक्षित हमलों
राजनीति राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है पंजाब में नशे का जाल November 4, 2024 / November 4, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ः ललित गर्ग:- पंजाब में आतंकवाद ही नहीं, तरह-तरह के नशे एवं ड्रग्स के धंधे ने व्यापक स्तर पर अपनी पहुंच बनाई है, जिसके दुष्परिणाम समूचे देश को भोगने को विवश होना पड़ रहा है। पंजाब नशे की अंधी गलियों में धंसता जा रहा है, सीमा पार से शुरू किए गए इस छद्म युद्ध की […] Read more » पंजाब में नशे का जाल
राजनीति शख्सियत समाज देश की एकता के शिल्पकार सरदार वल्लभभाई पटेल November 2, 2024 / November 2, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment स्वाधीन भारत के पहले गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को हुआ था। उन्होंने भारत के स्वाधीनता आंदोलन में बढ़ चढ़कर भाग लिया था। गांधी जी के आवाहन पर वह अपने विधि व्यवसाय को छोड़कर स्वाधीनता आंदोलन में सम्मिलित हुए थे। यद्यपि वह गांधी जी की कांग्रेस में अपने […] Read more » architect of country's unity Sardar Vallabhbhai Patel सरदार वल्लभभाई पटेल
कला-संस्कृति राजनीति भारतीय सनातन संस्कृति के विरुद्ध गढ़े जा रहे है झूठे विमर्श October 28, 2024 / October 28, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment भारत में विभिन्न क्षेत्रों में विकास से सम्बंधित हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों को देखने के पश्चात ध्यान में आता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब पटरी पर तेजी से दौड़ने लगी है। परंतु, देश के मीडिया में भारत के आर्थिक क्षेत्र में लगातार बन रहे नित नए रिकार्ड का जिक्र कहीं भी नहीं है। इसके ठीक विपरीत देश में रोजगार के अवसर नहीं बढ़ रहे हैं, गरीब अति गरीब की श्रेणी में जा रहा है, मुद्रा स्फीति की दर अधिक हो रही है, भुखमरी बढ़ रही है, हिंसा बढ़ रही है, अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं, आदि विषयों पर विमर्श गढ़ने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है। भारत में झूठे विमर्श गढ़ने का इतिहास रहा है। अंग्रेजों के शासन काल में भी कई प्रकार के झूठे विमर्श गढ़ने के भरपूर प्रयास हुए थे जैसे पश्चिम से आया कोई भी विचार वैज्ञानिक एवं आधुनिक है, भारत सपेरों का देश है एवं इसमें अपढ़ गरीब वर्ग ही निवास करता है, भारतीय सनातन हिंदू संस्कृति रूढ़िवादी एवं अवैज्ञानिक है, शहरीकरण विकास का बड़ा माध्यम है अतः ग्रामीण विकास को दरकिनार करते हुए केवल शहरीकरण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, शहरी, ग्रामीण एवं जनजातीय के बीच में आर्थिक विकास की दृष्टि से शहरी अधिक महत्व के क्षेत्र हैं, विदेशी भाषा को जानने के चलते नागरिकों में आत्मविश्वास बढ़ता है, संस्कृति से अधिक तर्क को महत्व दिया जाना चाहिए, व्यक्ति एवं समश्टि में व्यक्ति को अधिक महत्व देना अर्थात व्यक्तिवाद को बढ़ावा देना चाहिए (पूंजीवाद की अवधारणा), कम श्रम करने वाला व्यक्ति अधिक होशियार माना गया, सनातन हिन्दू संस्कृति पर आधारित प्रत्येक चीज को हेय दृष्टि से देखना, जैसे दिवाली के फटाके पर्यावरण का नुक्सान करते हैं, होली पर्व पर पानी की बर्बादी होती है। कुल मिलाकर पश्चिमी देशों द्वारा आज सनातन भारतीय सनातन संस्कृति पर आधारित हिन्दू परम्पराओं पर लगातार प्रहार किए जा रहे हैं। इसी प्रकार, भारतीय सनातन संस्कृति पर हमला करते हुए “माई बॉडी माई चोईस”; “हमको भारत में रहने में डर लगता है”; आदि नरेटिव स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। वाशिंगटन पोस्ट एवं न्यूयॉर्क टाइम्ज लम्बे लम्बे लेख लिखते हैं कि भारत में मुसलमानों पर अन्याय हो रहा है। कोविड महामारी के दौरान भी भारत को बहुत बदनाम करने का प्रयास किया गया था। वर्ष 2002 की घटनाओं पर आधारित एक डॉक्युमेंटरी को बीबीसी आज समाज के बीच में लाने का प्रयास कर रहा है। अडानी समूह, जो कि भारत में आधारभूत संरचना विकसित करने के कार्य का प्रमुख खिलाड़ी है, की तथाकथित वित्तीय अनियमितताओं पर अमेरिकी संस्थान “हिंडनबर्ग” अपनी एक रिपोर्ट जारी करता है ताकि इस समूह को आर्थिक नुक्सान हो और यह समूह भारत की आर्थिक प्रगति में भागीदारी न कर सके। हैपीनेस इंडेक्स एवं हंगर इंडेक्स में भारत की स्थिति को झूठे तरीके से पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान जैसे देशों से भी बदतर हालात में बताया जाता है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, भारतीय मुसलमानों की स्थिति के बारे में तब विपरीत बात करते हैं जब भारतीय प्रधानमंत्री अमेरिका के दौरे पर होते हैं। ऐसा आभास होता है कि भारत के विरुद्ध यह अभियान कई संस्थानों एवं देशों द्वारा मिलाकर चलाया जा रहा है। भारत द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में लगातार प्राप्त की जा रही विभिन्न उपलब्धियों को दरकिनार करते हुए, भारत के बारे में भ्रांतियां फैलाई जाती रही हैं। जैसे, भारतीय कुछ नया करे तो उसे ‘जुगाड़’ कहा जाता है और चीन यदि कुछ नया करे तो ‘रिवर्स इंजिनीयरिंग’। पश्चिम का प्रत्येक कदम वैज्ञानिक है, परंतु भारतीय आयुर्वेद को हर बात सिद्ध करने की आवश्यकता होती है। पश्चिम का अधूरा अध्ययन भी साइन्स की श्रेणी में है, परंतु भारत के कई प्राचीन वैज्ञानिक तथ्य भी रूढ़िवादी माने जाते हैं। पश्चिमी विचारधारा में व्यक्ति की भावुकता के लिए कोई स्थान नहीं है, केवल तकनीकी के बारे में ही विचार किया जाता है। इसी प्रकार से भारत में बाल श्रम को लेकर पश्चिमी देशों द्वारा हो हल्ला मचाया जाता है किंतु उनके अपने देशों में कई प्रतियोगिताओं में 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चे भी भाग लेते हैं, परंतु उनकी दृष्टि में यह बाल श्रम की श्रेणी में नहीं आता है। भारत में यदि 16 वर्ष की कम उम्र के बच्चे अपने पारम्परिक व्यवसाय की कला में पारंगत होना प्रारम्भ करें तो यह बाल श्रम की श्रेणी में माना जाता है। भारत के संदर्भ में यह दोहरी नीति का विमर्श क्यों खड़ा किया जाता है। भारतीय सनातन संस्कारों के अनुसार भारत में कुटुंब को एक महत्वपूर्ण इकाई के रूप में स्वीकार किया गया है एवं भारत में संयुक्त परिवार इसकी परिणती के रूप में दिखाई देते है। परंतु, पश्चिमी आर्थिक दर्शन में संयुक्त परिवार लगभग नहीं के बराबर ही दिखाई देते हैं एवं विकसित देशों में सामान्यतः बच्चों के 18 वर्ष की आयु प्राप्त करते ही, वे अपना अलग परिवार बसा लेते हैं तथा अपने माता पिता से अलग मकान लेकर रहने लगते हैं। इस चलन के पीछे संभवत आर्थिक पक्ष इस प्रकार जुड़ा हुआ है कि जितने अधिक परिवार होंगे उतने ही अधिक मकानों की आवश्यकता होगी, कारों की आवश्यकता होगी, टीवी की आवश्यकता होगी, फ्रिज की आवश्यकता होगी, आदि। लगभग समस्त उत्पादों की आवश्यकता इससे बढ़ेगी जो अंततः मांग में वृद्धि के रूप में दिखाई देगी एवं इससे इन वस्तुओं का उत्पादन बढ़ेगा। ज्यादा वस्तुएं बिकने से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की लाभप्रदता में भी वृद्धि होगी। कुल मिलाकर इससे आर्थिक वृद्धि दर तेज होगी। विकसित देशों में इस प्रकार की मान्यताएं समाज में अब सामान्य हो चलीं हैं। अब बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भारत में भी प्रयासरत हैं कि किस प्रकार भारत में संयुक्त परिवार की प्रणाली को तोड़ा जाय ताकि परिवारों की संख्या बढ़े एवं विभिन्न उत्पादों की मांग बढ़े और इन कम्पनियों द्वारा निर्मित उत्पादों की बिक्री बाजार में बढ़े। इसके लिए बहुराष्ट्रीय कम्पनियां इस प्रकार के विभिन्न सामाजिक सीरियलों को बनवाकर प्रायोजित करते हुए टीवी पर प्रसारित करवाती हैं जिनमे संयुक्त परिवार के नुक्सान बताए जाते हैं एवं छोटे छोटे परिवारों के फायदे दिखाए जाते हैं। सास बहू के बीच छोटी छोटी बातों को लेकर झगड़े दिखाए जाते हैं एवं जिनका अंत परिवार की टूट के रूप में बताया जाता है। भारत एक विशाल देश है एवं विश्व में सबसे बड़ा बाजार है, बहुराष्ट्रीय कम्पनियां यदि अपने इस कुचक्र में सफल हो जाती हैं तो उनकी सोच के अनुसार भारत में उत्पादों की मांग में बेतहाशा वृद्धि हो सकती है, इससे विशेष रूप से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को सीधे सीधे फायदा होगा। इसी कारण के चलते आज जोरज सोरोस जैसे कई विदेशी नागरिक अन्य कई विदेशी संस्थानों एवं बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के साथ मिलकर भारतीय संस्कृति पर हमला करते हुए दिखाई दे रहे हैं एवं भारतीय संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं। पश्चिमी देशों द्वारा भारत के विरुद्ध चलाए जा रहे इस अभियान (झूठे विमर्श) को आज तोड़ने की आवश्यकता है। इसके लिए उनके प्रत्येक विमर्श को अलग अलग रखकर भिन्न भिन्न तरीकों से तोड़ना होगा। जैसे किसी विज्ञापन में भारतीय परम्पराओं का निर्वहन करने वाली महिला यदि बिंदी नहीं लगाएगी तो उस उत्पाद को नहीं खरीदेंगे, यदि किसी फिल्म में भारतीय संस्कृति एवं आध्यातम का मजाक उड़ाया जाता है तो उस फिल्म का भारतीय समाज बहिष्कार करेगा। भारतीय त्यौहारों के विरुद्ध किये जा रहे प्रचार, जैसे दिवाली पर फटाके जलाने से पर्यावरण को नुक्सान होता है, होली पर पानी की बर्बादी होती है, शिवरात्रि पर दूध बहाया जाता है, आदि के विरुद्ध भी उचित प्रतिकार किया जाना चाहिए। यह हमें समझना होगा कि भारतीय परम्पराएं आदि-अनादि काल से चली आ रही हैं और यह संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत पर विश्वास करती है। अतः पूरे विश्व में यदि शांति स्थापित करना है तो भारतीय संस्कृति पर आधारित दर्शन ही इसमें मददगार हो सकता है, इससे पूरे विश्व की भलाई होगी। Read more » False narratives are being created against Indian Sanatan culture.
राजनीति चीन से समझौता अहम, लेकिन भरोसे की ज्यादा अपेक्षा October 28, 2024 / October 28, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- गलवान संघर्ष के बाद भारत-चीन दोनों देशों के रिश्तों में एक बर्फ सी जम गई थी, वह बर्फ अब पिघलती-सी प्रतीत हो रही है। दोनों देश रूस के कजान शहर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर गश्त लगाने पर एक समझौते पर […] Read more » चीन से समझौता
राजनीति धर्मनिरपेक्षता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के निहितार्थ October 28, 2024 / October 28, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- सुप्रीम कोर्ट ने अपने दो हालिया फैसलों में धर्मनिरपेक्षता की विस्तृत व्याख्या करते हुए इसे और मजबूती दी है। असल में धर्मनिरपेक्षता को लेकर संविधान-निर्माताओं का मुख्य उद्देश्य धार्मिक सहिष्णुता, समानता एवं बंधुत्व भाव से था, लेकिन बाद में यह शब्द भ्रामक हो गया और इसने धर्म के अस्तित्व को ही नकार दिया। […] Read more » Implications of Supreme Court decisions on secularism धर्मनिरपेक्षता पर सुप्रीम कोर्ट
राजनीति आखिर हिंदुओं की पार्टी ‘भाजपा’ गाजियाबाद में वैश्यों और ब्राह्मणों के ही इर्दगिर्द क्यों घूम रही है, पूछते हैं लोग! October 28, 2024 / October 28, 2024 by कमलेश पांडेय | Leave a Comment कमलेश पांडेय आखिर हिंदुओं की पार्टी ‘भाजपा’ गाजियाबाद में वैश्यों और ब्राह्मणों के ही इर्दगिर्द क्यों घूम रही है, गाजियाबाद विधानसभा उपचुनाव के बहाने एक बार फिर से पूछ रहे हैं लोग! कुछ यही सवाल लोकसभा चुनाव 2024 में भी उठ चुका था! क्योंकि महानगरीय जनपद में अपने हिन्दू जनाधार को ज्यादा से ज्यादा तवज्जो […] Read more »
राजनीति बंटेंगे तो कटेंगे कोई नारा नहीं, सच्चाई है October 28, 2024 / October 28, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह एवं महासचिव श्री दत्तात्रेय होसबोले ने हिंदू समुदाय को जाति और विचारधारा के आधार पर विभाजित करने के प्रयासों के खिलाफ लोगों को आगाह करते हुए समाज और लोक कल्याण के लिए ‘हिंदू एकता’ के महत्व पर भी जोर दिया है। अपने को बचाये रखने एवं दूसरों के […] Read more » If we divide we will be divided it is the truth
राजनीति गांदरबल हमला लोकतंत्र को दहलाने की साजिश October 23, 2024 / October 23, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में रविवार रात को आतंकवादियों ने जिस तरह टारगेट किलिंग से एक कंस्ट्रक्शन प्रॉजेक्ट में काम कर रहे लोगों को निशाना बनाया, वह कई लिहाज से गंभीर, चिन्ताजनक एवं चुनौतीपूर्ण घटना है। यह आतंक का अंधेरा फैलाने एवं अमन के उजाले को लीलने की गहरी साजिश है। यह जहां […] Read more » Ganderbal attack is a conspiracy to shake democracy गांदरबल हमला
राजनीति लेख गोदी मीडिया, नेहरू, शास्त्री और इंदिरा गांधी October 23, 2024 / October 23, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment अब आते हैं पंडित जवाहरलाल नेहरु की बेटी और देश की तीसरी प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी पर। उन्होंने अपने आपको प्रधानमंत्री बनाने में सफलता प्राप्त की थी। वह जिस प्रकार प्रधानमंत्री बनीं वह भी लोकतंत्र के लिए बहुत ही अशोभनीय स्थितियां थी। आज तक देश के दूसरे और सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री रहे लाल बहादुर शास्त्री […] Read more » गोदी मीडिया नेहरू शास्त्री और इंदिरा गांधी
राजनीति भारत में राष्ट्र की अवधारणा और धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत October 23, 2024 / October 23, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment भारत ने धर्मनिरपेक्षता की राह पकड़ कर आत्मघाती निर्णय लिया था। धर्मनिरपेक्षता की इसी मूर्खतापूर्ण अवधारणा को पड़कर भारत में भगवा आतंकवाद की भी परिकल्पना की गई। यह नाम उन राष्ट्रवादियों को दिया गया जो देश विरोधियों का किसी न किसी प्रकार सामना कर रहे थे या उनकी देश विरोधी मानसिकता और कार्यशैली का कहीं ना […] Read more » Concept of nation and principle of secularism in India principle of secularism in India धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत
राजनीति नेहरू की डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया की डिस्कवरी October 23, 2024 / October 23, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment प्रस्तावना :नेहरू बोले : मुसलमान तो मैं भी हूं … हम सभी जानते हैं कि पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वाधीनता के पश्चात देश के पहले प्रधानमंत्री बने थे। उन्हें देश की स्वाधीनता के पश्चात लोगों की प्राण रक्षा की कोई चिंता नहीं थी। उन्हें प्रधानमंत्री पद पाने की चिंता थी। जिसके चलते उस समय लाखों लोगों […] Read more » Nehru's Discovery of India डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया