राजनीति धर्मनिरपेक्षता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के निहितार्थ October 28, 2024 / October 28, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- सुप्रीम कोर्ट ने अपने दो हालिया फैसलों में धर्मनिरपेक्षता की विस्तृत व्याख्या करते हुए इसे और मजबूती दी है। असल में धर्मनिरपेक्षता को लेकर संविधान-निर्माताओं का मुख्य उद्देश्य धार्मिक सहिष्णुता, समानता एवं बंधुत्व भाव से था, लेकिन बाद में यह शब्द भ्रामक हो गया और इसने धर्म के अस्तित्व को ही नकार दिया। […] Read more » Implications of Supreme Court decisions on secularism धर्मनिरपेक्षता पर सुप्रीम कोर्ट
राजनीति आखिर हिंदुओं की पार्टी ‘भाजपा’ गाजियाबाद में वैश्यों और ब्राह्मणों के ही इर्दगिर्द क्यों घूम रही है, पूछते हैं लोग! October 28, 2024 / October 28, 2024 by कमलेश पांडेय | Leave a Comment कमलेश पांडेय आखिर हिंदुओं की पार्टी ‘भाजपा’ गाजियाबाद में वैश्यों और ब्राह्मणों के ही इर्दगिर्द क्यों घूम रही है, गाजियाबाद विधानसभा उपचुनाव के बहाने एक बार फिर से पूछ रहे हैं लोग! कुछ यही सवाल लोकसभा चुनाव 2024 में भी उठ चुका था! क्योंकि महानगरीय जनपद में अपने हिन्दू जनाधार को ज्यादा से ज्यादा तवज्जो […] Read more »
राजनीति बंटेंगे तो कटेंगे कोई नारा नहीं, सच्चाई है October 28, 2024 / October 28, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह एवं महासचिव श्री दत्तात्रेय होसबोले ने हिंदू समुदाय को जाति और विचारधारा के आधार पर विभाजित करने के प्रयासों के खिलाफ लोगों को आगाह करते हुए समाज और लोक कल्याण के लिए ‘हिंदू एकता’ के महत्व पर भी जोर दिया है। अपने को बचाये रखने एवं दूसरों के […] Read more » If we divide we will be divided it is the truth
राजनीति गांदरबल हमला लोकतंत्र को दहलाने की साजिश October 23, 2024 / October 23, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में रविवार रात को आतंकवादियों ने जिस तरह टारगेट किलिंग से एक कंस्ट्रक्शन प्रॉजेक्ट में काम कर रहे लोगों को निशाना बनाया, वह कई लिहाज से गंभीर, चिन्ताजनक एवं चुनौतीपूर्ण घटना है। यह आतंक का अंधेरा फैलाने एवं अमन के उजाले को लीलने की गहरी साजिश है। यह जहां […] Read more » Ganderbal attack is a conspiracy to shake democracy गांदरबल हमला
राजनीति लेख गोदी मीडिया, नेहरू, शास्त्री और इंदिरा गांधी October 23, 2024 / October 23, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment अब आते हैं पंडित जवाहरलाल नेहरु की बेटी और देश की तीसरी प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी पर। उन्होंने अपने आपको प्रधानमंत्री बनाने में सफलता प्राप्त की थी। वह जिस प्रकार प्रधानमंत्री बनीं वह भी लोकतंत्र के लिए बहुत ही अशोभनीय स्थितियां थी। आज तक देश के दूसरे और सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री रहे लाल बहादुर शास्त्री […] Read more » गोदी मीडिया नेहरू शास्त्री और इंदिरा गांधी
राजनीति भारत में राष्ट्र की अवधारणा और धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत October 23, 2024 / October 23, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment भारत ने धर्मनिरपेक्षता की राह पकड़ कर आत्मघाती निर्णय लिया था। धर्मनिरपेक्षता की इसी मूर्खतापूर्ण अवधारणा को पड़कर भारत में भगवा आतंकवाद की भी परिकल्पना की गई। यह नाम उन राष्ट्रवादियों को दिया गया जो देश विरोधियों का किसी न किसी प्रकार सामना कर रहे थे या उनकी देश विरोधी मानसिकता और कार्यशैली का कहीं ना […] Read more » Concept of nation and principle of secularism in India principle of secularism in India धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत
राजनीति नेहरू की डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया की डिस्कवरी October 23, 2024 / October 23, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment प्रस्तावना :नेहरू बोले : मुसलमान तो मैं भी हूं … हम सभी जानते हैं कि पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वाधीनता के पश्चात देश के पहले प्रधानमंत्री बने थे। उन्हें देश की स्वाधीनता के पश्चात लोगों की प्राण रक्षा की कोई चिंता नहीं थी। उन्हें प्रधानमंत्री पद पाने की चिंता थी। जिसके चलते उस समय लाखों लोगों […] Read more » Nehru's Discovery of India डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया
राजनीति कश्मीर की सांप्रदायिक राजनीति और चुनाव परिणाम October 22, 2024 / October 23, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment अभी हाल ही में संपन्न हुए जम्मू कश्मीर विधानसभा के चुनाव परिणाम स्पष्ट संकेत दे रहे हैं कि जहां जम्मू क्षेत्र के लोगों ने धारा 370 को हटाए जाने का स्वागत करते हुए राष्ट्र की मुख्यधारा के साथ रहते हुए अपना निर्णय सुनाया है, वहीं कश्मीर घाटी में रहने वाले लोगों ने धारा 370 को […] Read more » Kashmir's communal politics कश्मीर की सांप्रदायिक राजनीति
राजनीति विधि-कानून खुली आंखों से समानता के साथ न्याय करने का संदेश October 21, 2024 / October 21, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग – प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने भारतीय न्याय प्रणाली की अनेक विसंगतियों एवं विषमताओं को दूर करते हुए अब न्याय की देवी की मूर्ति की आंखों से काली पट्टी हटा दी गई है। इसके साथ ही मूर्ति की हाथ में तलवार की जगह संविधान ने ले ली है। यह कानून को सर्वद्रष्टा […] Read more » Message of doing justice with equality with open eyes
राजनीति हरियाणा की जनता ने बचाया देश का सम्मान October 20, 2024 / October 23, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment मैंने अभी कुछ समय पूर्व अपने एक लेख में लिखा था कि हरियाणा के लोगों ने लोकसभा चुनाव के समय भाजपा को 46 सीटों पर बढ़त दी थी। जिससे भाजपा को कम करके आंकने की आवश्यकता नहीं है। मेरा अनुमान था कि भाजपा विधानसभा चुनाव में तीसरी बार भी सत्ता में आ सकती है। […] Read more » हरियाणा
आर्थिकी राजनीति स्वर्णऋण के प्रति बढ़ता भारतीयों का रुझान October 18, 2024 / October 18, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment किसी भी देश के आर्थिक विकास को गति देने हेतु पूंजी की आवश्यकता रहती है। तेज आर्थिक विकास के चलते यदि किसी देश में वित्तीय बचत की दर कम हो तो उसकी पूर्ति ऋण में बढ़ौतरी से की जा सकती है। भारत में ऋण : सकल घरेलू अनुपात अन्य विकसित एवं कुछ विकासशील देशों की तुलना में अभी बहुत कम है। परंतु, हाल ही के समय में भारत का सामान्य नागरिक ऋण के महत्व को समझने लगा है एवं भौतिक संपति के निर्माण में अपनी बचत के साथ साथ ऋण का भी अधिक उपयोग करने लगा है। कुछ बैंक सामान्यजन को ऋण प्रदान करने हेतु प्रतिभूति की मांग करते है। भारत में सामान्यजन के पास स्वर्ण के रूप प्रतिभूति उपलब्ध रहती है अतः स्वर्ण ऋण बहुत अधिक चलन में आ रहा है। विशेष रूप से गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों द्वारा ऋण की प्रतिभूति के विरुद्ध स्वर्ण ऋण आसानी से उपलब्ध कराया जा रहा है। भारत में तेजी से बढ़ रहे स्वर्ण ऋण के कारणों एवं कारकों का वर्णन इस लेख में किया गया है। भारत में वित्तीय वर्ष 2022-23 की प्रथम तिमाही में विभिन्न गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों द्वारा 39,687 करोड़ रुपए के स्वर्ण ऋण स्वीकृत किए गए थे, स्वीकृत की जाने वाली यह राशि वित्तीय वर्ष 2023-24 की प्रथम तिमाही में बढ़कर 62,835 करोड़ रुपए हो गई एवं वित्तीय वर्ष 2024-25 की प्रथम तिमाही में और आगे बढ़कर 79,218 करोड़ रुपए हो गई। गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 की प्रथम तिमाही में स्वर्ण ऋण के मामले में 26 प्रतिशत की आकर्षक वृद्धि दर हासिल की है जबकि अन्य प्रकार के ऋणों में इसी अवधि के दौरान औसत वृद्धि दर 12 प्रतिशत की रही है। भारतीय नागरिक स्वर्ण ऋण के प्रति बहुत अधिक आकर्षित हो रहे हैं। आज भारत के विभिन्न गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों एवं विभिन्न बैंकों द्वारा भारी मात्रा में स्वर्ण ऋण स्वीकृत किए जा रहे हैं। अगस्त 2024 माह में बैंकों एवं गैर बैकिंग वित्तीय कम्पनियों ने मिलकर 41 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करते हुए 1.4 लाख करोड़ रुपए के स्वर्ण ऋण स्वीकृत किए हैं। आज गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों के कुल ऋण में स्वर्ण ऋण का प्रतिशत में हिस्सा सबसे अधिक है, दूसरे स्थान पर स्कूटर एवं चार पहिया वाहनों के लिए प्रदान किए गए ऋणों का ऋण हैं, इसके बाद तीसरे स्थान पर व्यक्तिगत ऋण 14 प्रतिशत के भाग के साथ है एवं इसके बाद जाकर गृह ऋण का नम्बर आता है जो कुल ऋण का 10 प्रतिशत भाग है। बैकों एवं गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों द्वारा प्रदान किए जाने वाले स्वर्ण ऋण पर पूंजी पर्याप्तता सम्बंधी शिथिल नियमों का पालन करना होता है। अन्य प्रकार के ऋणों की तुलना में स्वर्ण ऋण पर जोखिम का भार (रिस्क वेट) तुलनात्मक रूप से कम रहता है। इससे बैंक एवं गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियां भी स्वर्ण ऋण प्रदान करने की ओर आकर्षित होते हैं। यहां स्वाभाविक रूप से प्रशन्न उभरता है कि पिछले लगभग 3 वर्षों के दौरान भारत के नागरिकों में स्वर्ण ऋण के प्रति इतना रुझान क्यों बढ़ा है? भारतीय रिजर्व बैंक के पास स्वर्ण के भंडार बढ़कर 822 मेट्रिक टन से भी अधिक हो गए हैं परंतु विश्व स्वर्ण काउन्सिल के एक अनुमान के अनुसार, भारतीय नागरिकों के पास स्वर्ण के भंडार बढ़कर 25000 टन से भी अधिक के हो गए हैं, जिनकी बाजार कीमत वर्ष 2020 में 109 लाख करोड़ रुपए की थी। भारत में नागरिकों के पास स्वर्ण भंडार विश्व के कुल स्वर्ण भंडार का 11 प्रतिशत है। भारत में प्रतिवर्ष 750 से 800 टन स्वर्ण का आयात होता है और पिछले 25 वर्षों के दौरान भारत में 17,500 टन स्वर्ण का आयात हुआ है और मार्च 2019 से मार्च 2024 के दौरान भारत में स्वर्ण भंडार 40 प्रतिशत से बढ़ गए हैं। दरअसल, भारत में दीपावली (धन तेरस) के शुभ अवसर पर स्वर्ण की खरीद को शुभ माना जाता है एवं मध्यमवर्गीय परिवार भी धन तेरस के दिन स्वर्ण की खरीद प्रति वर्ष करते हैं। इससे भारत के करोड़ों परिवारों के पास स्वर्ण का स्टॉक उपलब्ध रहता है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों द्वारा स्वर्ण ऋण प्रदान करने के सम्बंध में नियमों को बहुत सरल बनाया है एवं अब भारतीय नागरिकों को स्वर्ण के स्टॉक के विरुद्ध ऋण बहुत ही आसान शर्तों पर उपलब्ध होने लगा है। भारत में प्रचिलित परम्पराओं के अनुसार मध्यमवर्गीय परिवारों द्वारा स्वर्ण को बेचना शुभ नहीं माना जाता है जबकि स्वर्ण की खरीद को शुभ माना जाता है। अतः स्वर्ण को बाजार में बेचने के स्थान पर स्वर्ण को बैंक में गिरवी रखकर उसके विरुद्ध बैंक से आसानी से स्वर्ण ऋण प्राप्त करना ज्यादा उचित माना जाता है। और फिर, हाल ही के वर्षों में भारतीय शेयर बाजार बहुत ही तेज गति से आगे बढ़ रहा है और विभिन्न कम्पनियों के शेयरों में किए गए निवेश पर 12 प्रतिशत से 20 प्रतिशत तक की आय प्रतिवर्ष होने लगी है। इससे बहुत बड़ी मात्रा में भारतीय नागरिक (खुदरा निवेशक) शेयर बाजार में निवेश करने हेतु आकर्षित हुए हैं। चूंकि स्वर्ण ऋण बहुत ही आसानी से उपलब्ध होने लगे हैं अतः मध्यमवर्गीय परिवार स्वर्ण ऋण लेकर पूंजी बाजार में निवेश अथवा चार पहिया वाहन खरीदने एवं गृहों का निर्माण करने लगे हैं। स्वर्ण ऋण की राशि आसान किश्तों में जमा करानी होती है, अतः स्वर्ण लेने वाले नागरिकों पर कोई बहुत अधिक दबाव भी नहीं पड़ता है। उक्त कारणों के चलते भारत में हाल ही वर्षों में स्वर्ण ऋण प्राप्त करने वाले नागरिकों में अतुलनीय वृद्धि दर्ज हुई है। चूंकि बैंकों एवं गैर गैंकिंग वित्तीय कम्पनियों द्वारा प्रदान किया जा रहे स्वर्ण ऋण में वृद्धि दर अतुलनीय रही है अतः भारतीय रिजर्व बैंक ने स्वर्ण ऋण स्वीकृति करने सम्बंधी नियमों के कठोर अनुपालन के लिए गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों को हाल ही में चेताया है ताकि इन बैंकों द्वारा स्वर्ण ऋण स्वीकृत करने में किसी भी प्रकार की ढील नहीं दी जा सके तथा स्वर्ण ऋण के खाते गैर निष्पादनकारी आस्तियों (एनपीए) में परिवर्तित नहीं हों। यदि बैंकों एवं गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा स्वर्ण ऋण सम्बंधी नियमों का अनुपालन अक्षरश: किया जाता है तो स्वर्ण ऋण खाते का गैर निष्पादनकारी आस्ति में परिवर्तितत होना सम्भव नहीं है। हां, यदि असली स्वर्ण के स्थान पर नकली स्वर्ण के विरुद्ध ऋण स्वीकृत किया जाता है तो स्वर्ण ऋण खाते की गैर निष्पादनकारी आस्ति में परिवर्तित होने की सम्भावना बन जाती है। इसलिए स्वर्ण ऋण प्रदान करते समय बैंकों को ऋण असली है इसकी पक्की जानकारी होना आवश्यक है। इसके लिए स्वर्ण की जांच पुख्ता तरीके से की जानी चाहिए। प्रहलाद सबनानी Read more » Indians' inclination towards gold loan Indians' inclination towards gold loan is increasing
मीडिया राजनीति विधि-कानून पत्रकारों की स्वतंत्रता को बल देती सुुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी October 18, 2024 / October 18, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग- सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में शुक्रवार को कहा कि पत्रकारों के विरुद्ध सिर्फ इसलिए आपराधिक मामला नहीं दर्ज किया जाना चाहिए क्योंकि उनके लेखन को सरकार की आलोचना के रूप में देखा जाता है। जस्टिस हृषिकेश राय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि लोकतांत्रिक देश में विचार […] Read more » पत्रकारों की स्वतंत्रता सुुप्रीम कोर्ट